Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण काल Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण काल
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण काल Questions and Answers
काल का अर्थ है ‘समय’। अत: क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध होता है, उसे ‘काल’ कहते हैं। काल के तीन भेद हैं-(1) वर्तमान काल, (2) भूतकाल, (3) भविष्यत् काल।।
(1) वर्तमान काल-जिस ‘क्रिया’ का वर्तमान समय में होने का बोध हो, उसे ‘वर्तमानकाल’ क्रिया कहा जाता है।
मूल रूप से उपस्थित समय को ‘वर्तमान काल’ कहा जाता है। जैसे-वह खा रहा है। मैं रामायण पढ़ता हूँ, आदि।
वर्तमान काल के तीन भेद हैं-
(i) सामान्य वर्तमान
(ii) तात्कालिक वर्तमान
(iii) संदिग्ध वर्तमान।
(i) सामान्य वर्तमान-‘क्रिया’ का वह रूप, जिससे कार्य का ‘वर्तमान काल’ में होना समझा जाता है, उसे सामान्य वर्तमान कहा जाता है। जैसेवह पटना जाता है। वह सोता है। विपिन पढ़ता है। दमन गाता है, आदि।
(ii) तात्कालिक वर्तमान-जिस ‘क्रिया’ से यह पता चलता है कि काम ‘वर्तमान काल’ में लगातार चल रहा है, काम अभी पूरा नहीं हुआ है। उसे तात्कालिक वर्तमान कहते हैं। काम की अपूर्णता के कारण इसे अपूर्ण वर्तमान भी कहा जाता है। जैसे–राम घर जा रहा है। विपिन पढ़ रहा हैं। गायक गा रहा हैं
(iii) संदिग्ध वर्तमान-जिस ‘क्रिया’ से उसके ‘वर्तमान काल’ में होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहा जाता है। जैसे-विपिन पटना जाता होगा। संतोष पढ़ता होगा, आदि।
(2) भूतकाल-जिस ‘क्रिया’ से काम के समाप्त होने का बोध हो, उसे ‘भूतकाल’ की क्रिया कहते हैं।
इससे ‘बीत गये समय’ का बोध होता है। जैसे-1914 में प्रथम विश्वयुद्ध हुआ था। विपिन ने संतोष को पढ़ाया था, आदि
भूतकाल के छः भेद हैं(i) सामान्य भूत, (ii) आसन्न भूत (iii) पूर्ण भूत (iv) अपूर्ण भूत, (v) संदिग्ध भूत (vi) हेतुहेतुमद्भूत। –
(i) सामान्य भूत-जिससे ‘क्रिया’ के समाप्त हो जाने का बोध होता है उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। इससे ‘क्रिया’ का विशेष समय का बोध नहीं होता है। यह ‘भूतकाल’ का साधारण रूप होता है। जैसे-विपिन शहर गया। संतोष ने खाया। वह आया। मैं सोया आदि।
(ii) आसन्न भूत-जिस ‘क्रिया’ से यह जान पड़े कि काम अभी तुरंत खत्म हुआ है, उसे आसन्न भूतकाल की क्रिया कहते हैं। जैसे-रंजन भागलपुर से आया – है। विपिन खेत देखने गया है। वह स्कूल से लौटा है, आदि।
(iii) पूर्ण भूत-क्रिया के उस रूप को पूर्ण भूत कहते हैं, जिससे क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है कि क्रिया को समाप्त हुए काफी समय बीता है। जैसे-उसने मुरारी को मारा था; वह आया था।
(iv) अपूर्ण भूत-इससे यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी, किन्तु उसकी समाप्ति का पता नहीं चलता। जैसे-सुरेश गाना गा रहा था; गीता सो रही थी।
(v) संदिग्ध भूत-इसमें यह सन्देह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ या नहीं। जैसे-तुमने गाया होगा; तू गया होगा।
(vi) हेतुहेतुमद्भूत-इससे यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, पर किसी कारण न हो सकी। जैसे-मैं आता; तू जाता; वह खाता।
(3) भविष्यत् काल-भविष्य में होनेवाली क्रिया को भविष्यत्काल की क्रिया कहते हैं, जैसे-वह कल घर जाएगा। भविष्यत्काल के तीन भेद हैं.
(i) सामान्य भविष्यत्-इससे यह प्रकट होता है कि क्रिया सामान्यतः भविष्य में होगी। जैसे मैं पढूंगा; वह जाएगा।
(ii) सम्भाव्य भविष्यत्-जिससे भविष्य में किसी कार्य के होने की सम्भावना करता है। जैसे-सम्भव है, रमेश कल आए।
(iii) हेतुहेतुमद्भविष्यत्-इसमें एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर करता है। जैसे-वह आये तो मैं जाऊँ; वह कमाये तो खाये।