Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कोयला किस प्रकार का संसाधन है ?
(क) अनवीकरणीय
(ख) नवीकरणीय
(ग) जैव
(घ) अजैव
उत्तर-
(क) अनवीकरणीय

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प्रश्न 2.
सौर ऊर्जा निम्नलिखित में से कौन-सा संसाधन है
(क) मानवकृत
(ख) पुनः पूर्तियोग्य
(ग) अजैव
(घ) अचक्रीय
उत्तर-
(ख) पुनः पूर्तियोग्य

प्रश्न 3.
तट रेखा से कितने किमी. क्षेत्र सीमा अपवर्तक आर्थिक क्षेत्र कहलाते हैं ?
(क) 100 NM
(ख) 200 NM
(ग) 150 NM
(घ) 250 NM
उत्तर-
(ख) 200 NM

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प्रश्न 4.
डाकू की अर्थव्यवस्था का संबंध है
(क) संसाधन संग्रहण से
(ख) संसाधन के विदोहण से
(ग) संसाधन के नियोजित दोहन से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) संसाधन के विदोहण से

प्रश्न 5.
समुद्री क्षेत्र में राजनैतिक सीमा के कितने किमी. तक राष्ट्रीय सम्पदा निहित है
(क) 10.2 किमी.
(ख) 15.5 किमी.
(ग) 12.2 किमी.
(घ) 19.2 किमी.
उत्तर-
(ग) 12.2 किमी.

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसाधन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
सामान्य तौर मानवीय उपयोग में आनेवाली सभी वस्तुएँ संसाधन कहलाती हैं। जैसे भूमि, मृदा, जल, वायु, खनिज, जीव, प्रकाश इत्यादि। वर्तमान परिवेश में सेवाओं को भी संसाधन माना गया है। जैसे-गायक, कवि, चित्रकार इत्यादि की सेवा।।
वस्तुतः संसाधन का अर्थ बहुत ही व्यापक है। प्रसिद्ध भूगोलविद ‘जिम्मरमैन’ के अनुसा -“संसाधन होते नहीं, बनते हैं।

प्रश्न 2.
संभावी एवं संचित कोष संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
संभावी संसाधन-ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं, जिसे उपयोग में लाये जाने की संभावना रहती है। जिसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया हो। जैसे-हिमालयी क्षेत्र का खनिज, अधिक गहराई में होने के कारण दुर्गम है।

संचित कोष संसाधन वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार के ही अंश हैं जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है। किन्तु इनका उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। जैसे नदी का जलं भविष्य में जल विद्युत के रूप में उपयोग हो सकता है।

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प्रश्न 3.
संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर-
सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में संसाधन की अहम भूमिका होती है। किन्तु संसाधनों का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग; विविध सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देता है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
संसाधन-निर्माण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
संसाधन-निर्माण में तकनीक की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि अनेक प्रकृति-प्रदत्त वस्तुएँ तब तक संसाधन का रूप नहीं लेती जबतक कि किसी विशेष तकनीक द्वारा उन्हें उपयोगी नहीं बनाया जाता। जैसे-नदियों के बहते जल से पनबिजली उत्पन्न करना, बहती हुई वायु से पवन ऊर्जा उत्पन्न करना, भूगर्भ में उपस्थित खनिज अयस्कों का शोधन कर उपयोगी बनाना, इन सभी में अलग-अलग तकनीकों की आवश्यकता होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर

प्रश्न 1.
संसाधन के विकास में ‘सतत-विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
संसाधन मनुष्य के जीविका का आधार है। जीवन की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए संसाधनों के सतत् विकास की अवधारणा अत्यावश्यक है। ‘संसाधन प्रकृति-प्रदत्त उपहार है।’ की अवधारणा के कारण मानव ने इनका अंधाधुंध दोहन किया जिसके कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो गयी हैं।

व्यक्ति का लालच लिप्सा ने संसाधनों का तीव्रतम दोहन कर संसाधनों के भण्डार में चिंतनीय हास ला दिया है। संसाधनों का केन्द्रीकरण खास लोगों के हाथों में आने से समाज दो स्पष्ट भागों में (सम्पन्न और विपन्न) बँट गया है।

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संपन्न लोगों द्वारा स्वार्थ के वशीभूत होकर संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया गया जिससे विश्व पारिस्थितिकी में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी। जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण, अम्ल वर्षा इत्यादि।

उपर्युक्त परिस्थितियों से निजात पाने, विश्व-शांति के साथ जैव जगत् को गुणवत्तापूर्ण जीवन लौटाने के लिए सर्वप्रथम समाज में संसाधनों का न्याय-संगत बँटवारा अपरिहार्य है अर्थात् संसाधनों का नियोजित उपयोग हो। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये, भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर, वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकता है। ऐसी अवधारणा सतत विकास कही जाती है जिसमें वर्तमान के विकास के साथ भविष्य सुरक्षित रह सकता है।

प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर संसाधन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वामित्व के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते हैं
(a) व्यक्तिगत संसाधन-ऐसे संसाधन किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होते हैं जिसके बदले में वे सरकार को लगान भी चुकाते हैं। जैसे- भूखंड, घर व अन्य जायदाद; ही संसाधन है, जिसपर लोगों का निजी स्वामित्व है। बाग-बगीचा, तालाब, कुआँ इत्यादि भी ऐसे ही संसाधन हैं जिनपर व्यक्ति निजी स्वामित्व रखता है।

(b) सामुदायिक संसाधन ऐसे संसाधन किसी खास समुदाय के आधिपत्य में होती हैं जिनका उपयोग समूह के लिए सुलभ होता है। गाँवों में चारण-भूमि, श्मशान, मंदिर या मस्जिद परिसर, सामुदायिक भवन, तालाब आदि। नगरीय क्षेत्र में इस प्रकार के संसाधन सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल मैदान, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरजाघर के रूप में ये संसाधन सम्बन्धित समुदाय के लोगों के लिए सर्वसुलभ होते हैं।

(c) राष्ट्रीय संसाधन कानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अन्तर्गत सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की सरकार को वैधानिक हक है कि वे व्यक्तिगत संसाधनों का अधिग्रहणं आम जनता के हित में कर सकती है।

(d) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन-ऐसे संसाधनों का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है। तट-रेखा से 200N.M. दूरी छोड़कर खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का आधिपत्य नहीं होता, है। ऐसे संसाधन का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति से किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
विद्यालय में विषय शिक्षक से मिलकर एक संगोष्ठी का आयोजन करें, जिसमें उपयोग में आनेवाले संसाधनों के संरक्षण के उपाय पर चर्चा हो।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
अपने प्रखंड में उपलब्ध संभाव्य संसाधन का सर्वेक्षण कर उसके विकास पर आधारित एक प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसार का सबसे कीमती संसाधन कौन है? ।
(क) पशु
(ख) वन
(ग) खनिज
(घ) नदियाँ
उत्तर-
(ग) खनिज

प्रश्न 2.
निम्नांकित में कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है ?
(क) वन
(ख) नदियाँ
(ग) नगर
(घ) खनिज
उत्तर-
(ग) नगर

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प्रश्न 3.
इनमें किस प्राकृतिक संसाधन का भण्डार सीमित है ?
(क) खनिज तेल का
(ख) सौर ऊर्जा का
(ग) हवा का
(घ) पानी का
उत्तर-
(क) खनिज तेल का

प्रश्न 4.
इनमें कौन मछलियों के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है।
(क) वर्षा जल
(ख) सागर जल
(ग) दूषित जल
(घ) मानव-निर्मित बांध
उत्तर-
(ग) दूषित जल

प्रश्न 5.
ज्वारी ऊर्जा (tidal energy) किस प्रकार का संसाधन है ?
(क) नवीकरणीय
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) जैव ।
उत्तर-
(क) नवीकरणीय

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
संसाधन दो प्रकार के होते हैं-
(क) भौतिक
(ख) जैविका

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प्रश्न 2.
मानव निर्मित संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मानव द्वारा विकसित किए गए संसाधन जैसे-भवन, सड़क, गाँव, मशीन, उद्योग आदि मानव निर्मित संसाधन कहलाते हैं। .

प्रश्न 3.
संभावी संसाधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
किसी प्रदेश में वे विद्यमान संसाधन जिनका अब तक उपयोग नहीं किया गया है संभावी संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
जैव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
वे सभी संसाधन, जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है और जिनमें जीवन व्याप्त है, जीव संसाधन कहलाते हैं।।

प्रश्न 5.
अजैव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
वे सभी संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।

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प्रश्न 6.
समाप्यता के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  • नवीकरण योग्य तथा
  • अनवीकरण योग्य संसाधना

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय संसाधन किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-
कानूनी रूप से देश के भीतर मौजूद सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसे संसाधन, जो किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होता है, व्यक्तिगत संसाधन कहे जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सतत पोषणीय विकास क्या है ? रियो एजेंडा 21 और सतत पोषणीय विकास के बीच क्या संबंध है ?
उत्तर-
भावी पीढ़ियों के पोषण को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना विकास करना ही सतत पोषणीय विकास है। जून 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो शहर में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन के तत्वावधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा जिस घोषणा-पत्र को स्वीकार किया गया, उसे एजेंडा 21 कहा गया है। एजेंडा 21 एक कार्यसूची है जिसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग द्वारा पर्यावरणीय क्षति से निपटना है। यह अंततः सतत पोषणीय विकास पर बल देता है।

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प्रश्न 2.
नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय संसाधनों में अंतर करें। नवीकरणीय संसाधनों का वर्गीकरण भी प्रस्तुत करें।
उत्तर-
वातावरण के वे सभी पदार्थ जो प्राकृतिक रूप में स्वतः उपलब्ध होते रहते हैं, नवीकरणीय संसाधन के रूप में जाने जाते हैं, जैसे—सूर्यप्रकाश, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पक्षी, जीव-जंतु इत्यादि। दूसरी ओर, वैसे सभी पदार्थ जो एक बार समाप्त होने के बाद पुनः प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं; अनवीकरणीय संसाधनों की श्रेणी में आते हैं, जैसे कोयला, पेट्रोलियम आदि।
नवीकरणीय संसाधन दो प्रकार के होते हैं-(i) वैसे नवीकरणीय संसाधन जो प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होते हैं, उन्हें सतत उपलब्ध संसाधन कहा जाता है, जैसे-पानी, जीव-जंतु, वन इत्यादि।
(ii) वैसे नवीकरणीय संसाधन जिसकी उपलब्धता सदैव एकसमान नहीं होता है, प्रवहनीय संसाधन कहलाते हैं, जैसे नदियों में जल आदि।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय संसाधन क्या है ? किस परिस्थिति में निजी या सामुदायिक संसाधन राष्ट्रीय संसाधन बन जाते हैं ? उल्लेख करें।
उत्तर-
वैधानिक रूप से किसी राज्य अथवा देश की सीमा के अंदर पाए जानेवाले समस्त संसाधनों को राष्ट्रीय संसाधन कहा जाता है। प्राचीनकाल में राजाओं को राज्य की संपत्ति का स्वामी माना जाता था। वर्तमान समय में यह अधिकार सरकार के पास है। आवश्यकता पड़ने पर सड़क या रेल लाइन बिछाने, नहरों और कारखानों अथवा सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में यानी राष्ट्रीय महत्त्व के निर्माण कार्य या विकासात्मक कार्य के लिए सरकार द्वारा जब निजी अथवा सामुदायिक संसाधन का अधिग्रहण किया जाता है तब वह राष्ट्रीय संसाधन बन जाता है। इसी तरह, सागरतट से 19.2 किलोमीटर दूर तक का भाग भी राष्ट्रीय संसाधन में शामिल है।

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प्रश्न 4.
“संसाधन नियोजन वर्तमान समय की आवश्यकता है।” स्पष्ट करें। अथवा, संसाधन नियोजन की प्रक्रिया में शामिल कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
भारत में संसाधनों का वितरण काफी असमान है। किसी भी प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए कई प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता होती है। किसी प्रदेश में संसाधन विशेष की अधिकता होती है तो दूसरे प्रदेश में इसकी कमी होती है। अतः, देश के संपूर्ण एवं एकसमान सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संसाधनों का नियोजन आवश्यक होता है।
संसाधन नियोजन की प्रक्रिया में शामिल कार्य है

  • विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना।
  • आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय सर्वेक्षण करना, मानचित्र बनाना तथा संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक मापन करना।
  • उपयुक्त तकनीक एवं संस्थागत ढाँचा तैयार करना।
  • संसाधन विकास योजनाओं एवं राष्ट्रीय विकास योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर

प्रश्न 1.
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रौद्योगिक तथा आर्थिक विकास ने संसाधनों की माँग में अत्यधिक तेजी ला दी है। यह बात आगे दिए गए विवरण से स्पष्ट हो जाएगी.
1. प्रौद्योगिक विकास– मानव ने आज हर क्षेत्र में नई-नई तकनीके खोज निकाली हैं। इनके फलस्वरूप उत्पादन की गति बढ़ गई है। आज उपभोग की प्रत्येक वस्तु का उत्पादन व्यापक स्तर पर होने लगा है। जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ वस्तुओं की मांग भी बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त उपभोग की प्रकृति भी बदल गई है। आज प्रत्येक उपभोक्ता पहली वस्तु को त्याग करके उसके स्थान पर उच्च कोटि की वस्तु का उपयोग करना चाहता है। इन सबके लिए अधिक-से-अधिक कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है। अत: कच्चे माल की प्राप्ति के लिए हमारे संसाधनों पर बोझ बढ़ गया है।

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2. आर्थिक विकास आज संसार में आर्थिक विकास की होड़ लगी हुई है। विकासशील राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसके लिए वे अपने उद्योगों का विस्तार कर रहे हैं तथा परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका सीधा संबंध संसाधनों के उपभोग से ही है। दूसरी ओर विकसित राष्ट्र अपने आर्थिक विकास से प्राप्त धन-दौलत में और अधिक वृद्धि करना चाहते हैं। यह वृद्धि संसाधनों के उपभोग से ही संभव है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका संसार के औसत से पाँच गुणा अधिक पेट्रोलियम का उपयोग करता है। अन्य विकसित देश भी पीछे नहीं हैं।
सच तो यह है कि प्रौद्योगिक तथा आर्थिक विकास अधिक-से-अधिक संसाधनों के उपभोग की जननी है।

प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर संसाधन के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण निम्नांकित है

  • व्यक्तिगत संसाधन-व्यक्तिगत स्वामित्व के अन्तर्गत भूमि, मकान, बाग-बगीचे।
  • सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन जैसे गाँव की सम्मिलित भूमि (चारण, भूमि, श्मशान भूमि, तालाब आदि), सार्वजनिक पार्क, खेल का मैदान आदि।
  • राष्ट्रीय संसाधन-राष्ट्रीय सीमाओं के अन्तर्गत आनेवाली सड़कें, नहरें, रेलवे लाइन, सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, सरकारी भूमि तथा सरकारी भवन आदि।
  • अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन-जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा अधिकृत 200 कि.मी. की दूरी से खुले महासागरीय संसाधन।

प्रश्न 3.
भारत में संसाधन-नियोजन की प्रक्रिया को लिखें।
उत्तर-
संसाधन-नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, इसके लिए आवश्यक क्रिया-कलाप की आवश्यकता होती है। ये क्रिया-कलाप संसाधन-नियोजन के सोपान होते हैं।
संसाधन-नियोजन के सोपानों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-

  • देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कराने के लिए सर्वेक्षण कराना।
  • सर्वेक्षणोपरान्त, मानचित्र तैयार कराना एवं संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक आधार पर आकलन करना।
  • संसाधन विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल एवं संस्थागत नियोजन की रूपरेखा तैयार करना।
  • राष्ट्रीय विकास योजना एवं संसाधन विकास योजनाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना। हमारे देश में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से ही संसाधन-नियोजन के लक्षित उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है, इस संदर्भ में भारत सरकार प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयासरत है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Notes

  • प्रकृति के द्वारा प्रदान किए गये सभी पदार्थ या वस्तएँ जो मनुष्य के जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सुख-सुविधा प्रदान करने के लिए उपयोगी होते हैं, उन्हें संसाधन कहा जाता है।
  • प्रकृति द्वारा प्रदान किए गये संसाधन विभिन्न प्रकार के होते हैं। इन संसाधनों का बहुत अधिक महत्व है।
  • मनुष्य भी एक संसाधन के रूप में है, मनुष्य का शरीर स्वयं सबसे बड़ा संसाधन है, क्योंकि इससे जीवन के विभिन्न कार्य किए जाते हैं।।
  • मनुष्य सभी प्रकार के संसाधनों के निर्माता के रूप में माना जाता है।
  • मानव की परिसंपत्ति बनने वाली सभी वस्तुएँ तथा मानव स्वयं भी संसाधन के अन्तर्गत आते हैं।
  • मनुष्य की इच्छाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले सभी पदार्थ संसाधन कहलाते हैं, मनुष्य अपने जीवन को सुखी बनाने तथा अपने आर्थिक विकास के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग करता है, उनका निर्माण कुछ मूलभूत पदार्थों से होता है। इन मूलभूत पदार्थों को ही संसाधन कहा जाता है।
  • संसाधन के दो वर्ग हैं—प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन।
  • भूमि, जल, वायु, वन, पशु तथा खनिज पदार्थ इत्यादि प्राकृतिक संसाधन हैं। साथ ही मनुष्य स्वयं अपनी कार्य-क्षमता, कुशलता तथा तकनीकी जानकारी इत्यादि के कारण संसाधन है।
  • जीव-मण्डल में मौजूद और इससे प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार के जीव जैसे पेड़-पौधे, पक्षी तथा मछलियाँ इत्यादि जैविक संसाधन हैं। वातावरण में उपस्थित सभी प्रकार के निर्जीव पदार्थ जैसे-खनिज, चट्टानें, पर्वत, नदियाँ तथा मिट्टी इत्यादि अजैविक संसाधन कहलाते हैं।
  • वातावरण में उपलब्ध सूर्य का प्रकाश, वायु, तालाब, झीलें, नदियाँ, समुद्र, पेड़-पौधे तथा मछलियाँ इत्यादि नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
  • ऐसे संसाधन जिनका संचित भण्डार सीमित है तथा इन्हें अल्पकाल में कृत्रिम रूप से पुनः बनाना असंभव है, तो ऐसे संसाधनों को अनवीकरणीय संसाधन कहा जाता है, ऐसे संसाधनों के एक बार समाप्त हो जाने के बाद पुनः इन्हें प्राप्त करना संभव नहीं है। धात्विक पदार्थ अनवीकरणीय संसाधन हैं, जैसे-कोयला, लोहा, ताँबा तथा पेट्रोलियम इत्यादि।
  • कृषि भूमि, मकान, मोटरकार, मोटर साइकिल तथा मोबाइल इत्यादि निजी संसाधन हैं।
  • सामुदायिक संसाधन वे संसाधन हैं जिनका उपयोग समुदाय, गाँव तथा नगर के सभी लोगों के लिए उपलब्ध रहता है, जैसे—चारागाह, खेल का मैदान, विद्यालय, पर्यटन स्थल तथा पंचायत भवन इत्यादि सामुदायिक संसाधन हैं।
  • ऐसे सभी संसाधन जिनका उपयोग किया जा सके, भले ही उचित तकनीक, अर्थाभाव या . अन्य किसी कारण से उनका उपयोग नहीं होता हो, संभाव्य संसाधन कहे जाते हैं।
  • जिन संसाधनों को ढूंढकर उनका उपयोग किया जाता है, उन्हें ज्ञात संसाधन कहते हैं।
  • जिन संसाधनों का भण्डार पृथ्वी के अन्दर रहता है जिन्हें आधुनिक तकनीक के आधार पर खोदकर निकाला जाता है उन्हें भण्डारित संसाधन कहते हैं।
  • कुछ संसाधन जिनके उपयोग करने की तकनीक ज्ञात हो परन्तु और सस्ती तकनीक के अभाव अथवा अन्य कारणों से उनका उपयोग वर्तमान में न होता हो तथा भविष्य में उपयोग करना संभव हों उन्हें संचित संसाधन कहते हैं।
  • संसाधन का महत्व तभी तक है जबतक इसका समुचित और व्यापक रूप से उपयोग संभव होता है।
  • संसाधनों के उपयोग के सिलसिले में समय-समय पर विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास किए गये हैं। इन प्रयासों के चलते विश्व में संसाधनों के समुचित उपयोग करने की नयी जागृति उत्पन्न हुयी है।
  • संसाधन सीमित हैं और उनका वितरण असमान है। अतः उनके समुचित उपयोग के लिए नियोजन आवश्यक है। नियोजन एक तकनीक है, बुद्धि-विवेक का काम है।
  • संसाधन नियोजन की तीन अवस्थाएँ हैं-प्रारंभिक तैयारी, मूल्यांकन और अधिकाधिक उपयोग में लाने की योजना।
  • मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों की सृष्टि नहीं कर सकता है इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि उनका उपयोग नियोजित रूप में होना चाहिए जिससे भविष्य में भी सतत उपयोग के लिए मिलती रहे है।
  • संसाधनों का उपयोग इस तरह होना चाहिए कि पूरे क्षेत्र का संतुलित विकास हो सके।
  • संसाधनों के संरक्षण का अर्थ संसाधनों का अधिक-से-अधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक-से-अधिक उपयोग करना है।
  • प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता समझते हुये हम लोगों को इनके नियोजन पर ध्यान देना चाहिए।
  • भारत के विकास के लिए संसाधनों का नियोजन समुचित रूप से करना चाहिए। तभी देश का आर्थिक विकास हो सकता है।
  • संसाधनों का योजनाबद्ध, समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग ही उनका संरक्षण कहलाता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों का योजनाबद्ध और विवेकपूर्ण उपयोग करने से उनसे अधिक दिनों तक लाभ उठाया जा सकता है और वे भविष्य के लिए संरक्षित रह.सकते हैं।
  • प्रकृति की वस्तुओं का अधिक-से-अधिक उपयोग करने के लिए नियोजन की आवश्यकता है। संसाधनों का मूल्यांकन उपयोग और संरक्षण योजनाबद्ध तरीके से करना आवश्यक है। सतत पोषणीय विकास एक ऐसा विकास है जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता की पूर्ति को बिना प्रभावित किए हुए वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।
  • भारत और विशेष रूप से बिहार में सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को अवश्य अपनाना चाहिए तभी अर्थव्यवस्था का समुचित विकास हो सकता है।

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