Bihar Board Class 10 Political Science Solutions Chapter 2 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Political Science राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति भाग 2 Chapter 2 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Political Science Solutions Chapter 2 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली

Bihar Board Class 10 Political Science सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही विकल्प चुनें:

प्रश्न 1.
संघ राज्य की विशेषता नहीं है
(क) लिखित संविधान
(ख) शक्तियों का विभाजन
(ग) इकहरी शासन-व्यवस्था
(घ) सर्वोच्च न्यायपालिका
उत्तर-
(ग) इकहरी शासन-व्यवस्था

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प्रश्न 2.
संघ सरकार का उदाहरण है
(क) अमेरिका
(ख) चीन
(ग) ब्रिटेन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) अमेरिका

प्रश्न 3.
भारत में संघ एवं राज्यों के बीच अधिकारों का विभाजन कितनी सूचियों में हुआ है।
(क) संघीय सूची, राज्य सूची
(ख) संघीय सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची
उत्तर-
(ख) संघीय सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची

II. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?

प्रश्न 1.
सत्ता में साझेदारी सही है क्योंकि
(क) यह विविधता को अपने में समेट लेती है
(ख) देश की एकता को कमजोर करती है
(ग) फैसले की एकता को कमजोर करती है।
(घ) फैसले लेने में देरी कराती है।
उत्तर-
(क) यह विविधता को अपने में समेट लेती है

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प्रश्न 2.
संघवाद लोकतंत्र के अनुकूल है।
(क) संघीय व्यवस्था केन्द्र सरकार की शक्ति को सीमित करती है।
(ख) संघवाद इस बात की व्यवस्था करता है कि उस शासन-व्यवस्था के अन्तर्गत रहनेवाले लोगों में आपसी सौहार्द्र एवं विश्वास रहेगा। उन्हें इस बात का भय नहीं रहेगा कि एक की भाषा, संस्कृति और धर्म दूसरे पर लाद दी जायेगी।
उत्तर
(ख) संघवाद इस बात की व्यवस्था करता है कि उस शासन-व्यवस्था के अन्तर्गत रहनेवाले लोगों में आपसी सौहार्द्र एवं विश्वास रहेगा। उन्हें इस बात का भय नहीं रहेगा कि एक की भाषा, संस्कृति और धर्म दूसरे पर लाद दी जायेगी।

III. नीचे स्थानीय स्वशासन से पक्ष में कुछ तर्क दये गये हैं, इन्हें आप वरीयता के क्रम से सजाएँ।

1.सरकार स्थानीय लोगों को शामिल कर अपनी योजनाएँ कम खर्च में पूरी कर सकती है?
2. स्थानीय लोग अपने इलाके की जरूरत, समस्याओं और प्राथमिकताओं को जानते हैं।
3. आम जनता के लिए अपने प्रदेश के अथवा राष्ट्रीय विधायिका के जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क कर पाना मुश्किल होता है।
4. स्थानीय जनता द्वारा बनायी योजना सरकारी अधिकारियों द्वारा बतायी योजना में ज्यादा स्वीकृत होती है।
उत्तर-
चरीय क्रम के अनुसार
(i) स्थानीय लोग अपने इलाके की जरूरत, समस्याओं और प्राथमिकताओं को जानते हैं।
(ii) स्थानीय शासन द्वारा बनायी योजना सरकारी अधिकारियों द्वारा बतायी योजना में ज्यादा स्वीकृत होती है।
(ii) सरकार स्थानीय लोगों को शामिल कर अपनी योजनाएँ कम खर्च में पूरी कर सकती है।
(iv) आम जनता के लिए अपने प्रदेश के अथवा राष्ट्रीय विधायिका के जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क कर पाना मुश्किल होता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संघ राज्य का अर्थ बताये।
उत्तर-
संघ राज्य में सर्वोच्च सत्ता केन्द्र सरकार और उसकी विभिन्न आनुसंगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है। इसमें दोहरी सरकार होती है। एक केन्द्रीय स्तर की तथा दूसरी प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर की। केन्द्रीय स्तर की सरकार के अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं तथा प्रांतीय क्षेत्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में स्थानीय महत्व के विषय होते हैं।

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प्रश्न 2.
संघीय शासन की दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
संघीय शासन की, दो विशेषतायें इस प्रकार हैं

  1. संघीय शासन-व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्र सरकार और उसकी विभिन्न आनुसंगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है।
  2. संघीय व्यवस्था में दोहरी सरकार होती है। एक केन्द्रीय स्तर की सरकार जिसके अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं। दूसरे स्तर पर प्रांतीय या क्षेत्रीय सरकारें होती हैं जिनके अधिकार क्षेत्र में स्थानीय महत्व के विषय होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं
उत्तर-
सत्ता की साझेदारी का तात्पर्य ऐसी साझेदारी से है जिसके अनतर्गत सत्ता का बँटवारा केन्द्रीय तथा प्रांतीय स्तर पर होता है। आम तौर पर सत्ता के बँटवारे को संघवाद कहा जाता है जिसमें दोहरी शासन व्यवस्था पायी जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रीय सरकार तथा प्रांतीय स्तर पर राज्य सरकार जो अपने कार्य और शक्ति का बंटवारा करती हैं। नीचे स्तर की सरकारों के बीच भी सत्ता का बँटवारा होता है जिसे हम स्थानीय स्वशासन के नाम से जानते हैं।

प्रश्न 2.
सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में क्या महत्व रखती है ?
उत्तर-
लोकतंत्र एक ऐसी शासन-व्यवस्था है जो लोगों का, लोगों के लिए तथा लोगों द्वारा संचालित होती है। इसमें सत्ता का विकेन्द्रीरण होता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही एकमात्र ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें ताकत सभी के हाथों में होती है। सभी को राजनीतिक शक्तियों में हिस्सेदारी या साझेदारी करने की व्यवस्था की जाती है। ये अपने अन्दर के विभिन्न समूहों के बीच प्रतिद्वन्द्विताओं एवं सामाजिक विभाजनों को संभालने की प्रक्रिया विकसित कर लेती है जिससे – इन टकरावों के विस्फोटक रूप लेने की आशंका कम हो जाती है।

कोई भी समाज अपने में व्याप्त विविधताओं और विभिन्नताओं को स्थायी तौर पर खत्म नहीं कर सकता है, पर इन अन्तरों, विभेदों और विविधताओं का आदर करने के लिए उन्हें सत्ता में साझेदार बनाकर समाज में सहयोग, सामंजस्य एवं स्थायित्व का सृजन किया जा सकता है। इस कार्य के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं सबसे अच्छी होती हैं, क्योंकि आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के बहुत सारे प्रावधान किये जाते हैं।

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प्रश्न 3.
सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं ?
उत्तर-
सत्ता की साझेदारी- लोकतंत्र में सरकार की सारी शक्ति किसी एक अंग में सीमित नहीं रहती है, बल्कि सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा होता है। यह बँटवारा सरकार के एक ही स्तर पर होता है। उदाहरण के लिए सरकार के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा होता है और ये सभी अंग एक ही स्तर पर अपनी-अपनी शक्तियों का प्रयोग करके सत्ता में साझेदार बनते हैं। सत्ता के ऐसे बँटवारे से किसी एक अंग के पास सत्ता का जमाव एवं उसके दुरुपयोग की संभावना खत्म हो जाती है। साथ ही हरेक अंग एक-दूसरे पर नियंत्रण रखता है। इसे नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था भी कहते हैं। विश्व के बहुत सारे लोकतांत्रिक देशों जैसे–अमेरिका, भारत आदि में यह व्यवस्था अपनायी गयी है।

सरकार के एक स्तर पर सत्ता के ऐसे बँटवारे को हम सत्ता का क्षैतिज वितरण करते हैं। सत्ता में साझेदारी की दूसरी कार्य प्रणाली में सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता की बँटवारा होता है। सत्ता के ऐसे बँटवारे को हम सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण कहते हैं। इस तरह की व्यवस्था में पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार होती है। प्रांतीय और क्षेत्रीय स्तर पर अलग सरकारें होती हैं। दोनों के बीच सत्ता के स्पष्ट बंटवारे की व्यवस्था संविधान या लिखित दस्तावेज के द्वारा की जाती है। केन्द्रीय राज्य या क्षेत्रीय स्तर की सरकारों से नीचे की स्तर की सरकारों के बीच भी सत्ता का बँटवारा होता है। इसे हम स्थानीय स्वशासन के नाम से जानते हैं।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
राजनैतिक दल किस तरह से सत्ता में साझेदारी करते हैं?
उत्तर-
राजनीतिक दल सत्ता में साझेदारी का सबसे जीवंत स्वरूप है। राजनीतिक दल सत्ता के बँटवारे के वाहक से मोल-तोल करने वाले सशक्त माध्यम होते हैं। राजनीतिक दल लोगों का ऐसा संगठित समूह है जो चुनाव लड़ने और राजनैतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है। अतः, विभिन्न राजनीकतक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा के रूप में काम करते हैं। उनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता यह निश्चित करती है कि-सत्ता हमेशा किसी एक व्यक्ति या संगठित व्यक्ति समूह के हाथ में न रहे। राजनैतिक दलों के इतिहास पर गौर से अध्ययन करने पर पता चलता है कि सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधाराओं और समूहों वाले राजनीतिक दलों के हाथ में आती-जाती रहती है।

प्रश्न 2.
गठबन्धन की सरकारों में सत्ता में साझेदार कौन-कौन होते हैं ?
उत्तर-
सत्ता की साझेदारी का प्रत्यख रूप तब भी दिखता है जब दो या दो से अधिक पार्टियाँ मिलकर चुनाव लड़ती हैं या सरकार का गठन करती हैं। इसतरह सत्ता की साझेदारी का सबसे अद्यतन रूप गठबन्धन की राजनीति या गठबन्धन की सरकारों में दिखता है, जबं विभिन्न विचारधाराओं, विभिन्न सामाजिक समूहों और विभिन्न क्षेत्रीय और स्थानीय हितों वाले राजनीतिक दल एक साथ एक समय में सरकार के एक स्तर पर सत्ता में साझेदारी करते हैं।

प्रश्न 3.
दबाव समूह किस तरह से सरकार को प्रभावित कर सत्ता में साझेदार बनते हैं?
उत्तर-
राजनीतिक दल के अलावा विभिन्न दबाव समूह सरकार की नीतियों और निर्णयों को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं। दबाव समूह के संघर्ष एवं आन्दोलन में कई तरह के हित समूह शामिल होते हैं या यह भी हो सकता है कि वे कुछ हितों के बजाय सर्वमान्य हितों के लिए प्रयास करते हैं। ये समूह अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की नीतियों को अपने पक्ष में करने के लिए कुछेक , हथकण्डे अपनाते हैं जिनमें धरना, प्रदर्शन, आन्दोलन इत्यादि शामिल हैं। कभी-कभी यह भी देखने में आया है कि ये समूह संबंधित मंत्रीगण से सौदेबाजी करते हैं। ताकि सरकार की नीति और कार्यक्रम उन समूहों के अनुकूल हों। वास्तव में दबाव समूह सरकार को प्रभावित कर सत्ता मेंसाझेदार बनते हैं।

निम्नलिखित में से एक कथन का समर्थन करते हुए 50 शब्दों में उत्तर दें।

  • हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसमें । सामाजिक विभाजन नहीं हो।
  • सत्ता की साझेदारी की जरूरत क्षेत्रीय विभाजन वाले बड़े देशों में होती है।
  • सत्ता की साझेदारी की जरूरत क्षेत्रीय, भाषायी, जातीय आधार पर विभाजन वाले समाज में ही होती है।

उत्तर-
मैं उपर्युक्त प्रथम कथन से सहमत हूँ कि प्रत्येक समाज में किसी-न-किसी तरह से सत्ता की साझेदारी आवश्यक होती है चाहे वह छोटा हो या फिर उनमें किसी तरह का सामाजिक विभाजन न हो। ऐसा इसलिए कि यह लोकतंत्र का मौलिक सिद्धांत है कि लोग स्वशासन की संस्था द्वारा स्वयं के ऊपर शासन करते हैं चाहे समाज छोटा भी है या फिर इनके कोई विभाजन नहीं है। फिर भी इसकी अपनी एक इच्छा होती है। किसी भी संघर्ष अथवा राजनीतिक अस्थिरता को रोकने के लिए इस इच्छा को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता होती है।

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Bihar Board Class 10 History सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सत्ता में भागीदारी की सर्वोत्तम प्रणाली कहाँ विकसित की गई है ?
(क) श्रीलंका में
(ख) भारत में
(ग) बेल्जियम में
(घ) पाकिस्तान में
उत्तर-
(ग) बेल्जियम में

प्रश्न 2.
सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता कहाँ पड़ती है ?
(क) क्षेत्र भाषा और जाति के आधार पर बँटे समाज में
(ख) क्षेत्रीय विभाजन वाले बड़े राज्य में ।
(ग) प्रत्येक लोकतांत्रिक राज्य में
(घ) उपर्युक्त तीनों में
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त तीनों में

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प्रश्न 3.
बेल्जियम के किस शहर के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर रोक लगा दी गई है?
(क) ब्रसेल्स
(ख) मर्चटेम
(ग) मेन्स
(घ) नाम
उत्तर-
(ख) मर्चटेम

प्रश्न 4.
सत्ता में भागीदारी का सही लाभ क्या है ?
(क) निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी
(ख) अस्थिरता और आपसी फूट में वृद्धि
(ग) विविधताओं में वृद्धि
(घ) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव में कमी
उत्तर-
(घ) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव में कमी

प्रश्न 5.
बेल्जियम में सत्ता में भागीदारी के संदर्भ में सही बयान क्या है ?
(क) बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास
(ख) फ्रेंच-भाषी अल्पसंख्यकों के हितों की उपेक्षा
(ग) संघीय शासन-व्यवस्था अपनाकर देश को भाषा के आधार पर टूटने से बचाना
(घ) क्षेत्रीय हितों को नजरअंदाज करना
उत्तर-
(ग) संघीय शासन-व्यवस्था अपनाकर देश को भाषा के आधार पर टूटने से बचाना

अतिलघु उत्तरीय पश्व

प्रश्न 1.
सत्ता में भागीदारी की एक अच्छी परिभाषा दें।
उत्तर-
राज्य के नागरिकों द्वारा सरकारी स्तर पर निर्णय लेने या निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया को प्रभावित करना सत्ता में भागीदारी है।

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प्रश्न 2.
सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता क्या है ?
उत्तर-
सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता लोकतंत्र के सफल संचालन में सहायक होती है। सत्ता में भागीदारी राजनीतिक व्यवस्था को दृढ़ता प्रदान करती है। विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का विभाजन करके आपसी टकराव को कम किया जाता है।

प्रश्न 3.
बेल्जियम की राजधानी कहाँ है? राजधानी में किन भाषाओं के बोलनेवाले लोग निवास करते हैं ?
उत्तर-
बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स है। राजधानी में लगभग 80 प्रतिशत फ्रेंच-भाषी निवास करते हैं और 20 प्रतिशत ही डचभाषी रहते हैं।

प्रश्न 4.
श्रीलंका की राष्ट्रीय एकता खतरे में क्यों है ?
उत्तर-
श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहली भाषियों को सत्ता में भागीदारी अधिकं है जबकि अल्पसंख्यक तमिल भाषियों के हितों को नजरअंदाज किया गया है। यही कारण है कि दोनों समुदायों के बीच निरंतर संघर्ष के कारण देश की एकता खतरे में पड़े गयी है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बेल्जियम में सत्ता में भागीदारी के लिए अपनाए गए तरीके का उदाहरण के साथ वर्णन करें।
उत्तर-
बेल्जियम में डच फ्रेंच तथा जर्मन भाषायी लोग निवास करते हैं। बहुसंख्यक आबादी डच भाषी है उसके बाद फ्रेंच तथा जर्मन भाषा बोलनेवालों की संख्या एक प्रतिशत है। सत्ता में : भागीदारी के प्रश्न पर बेल्जियम की सरकार ने संविधान में संशोधन करके यह व्यवस्था की-

  • केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी।
  • कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जब दोनों भाषायी समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो।
  • संघीय व्यवस्था के गले लगाते हुए राज्य सरकारों को केंद्र की अपेक्षा सत्ता में अधिक भागीदारी दी गई है।
  • बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में एक अलग सरकार गठित की गई है और इस सरकार में भी सत्ता में भागीदारी में केन्द्र सरकार की तरह समानता के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है जबकि राजधानी में लगभग 80 प्रतिशत फ्रेंच भाषी निवास करते हैं और 20 प्रतिशत ही डच-भाषी रहते हैं।

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प्रश्न 2.
भारत में सत्ता में भागीदारी के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए गए हैं ?
उत्तर-
भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर भाषा, धर्म, और समुदायों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं है। भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न को अवसर की समानता के सिद्धांत को अपनाकर सुलझा लिया गया है। भारत में राष्ट्रीय एकता अक्षुण्ण रखने का कारण सत्ता में भागीदारी के क्षेत्र में अक्सर की समानता का सिद्धांत को अपनाया है।

प्रश्न 3.
क्या श्रीलंका में सत्ता की भागीदारी के लिए अपनाए गए तरीके सही है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर-
श्रीलंका 1948 ई. में एक स्वतंत्र देश बना। यहाँ सिंहली (बहुसंख्यक) तथा तमिल (अल्पसंख्यक) भाषायी लोग हैं। यहाँ की सरकार ने सत्ता में भागीदारी के लिए जो तरीके अपनाए हैं वे गलत हैं। इसके पक्ष में हम यह तर्क दे सकते हैं कि सिंहली (बहुसंख्यक) लोगों को सत्ता में भागीदारी अधिक है जबकि तमिल जो अल्पसंख्यक है उनके हितों की अनदेखी की गई है। सभी क्षेत्रों में सिंहली भाषियों को अधिक भागीदारी प्राप्त है जिसके कारण दोनों समुदायों के बीच निरंतर संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर श्रीलंका में गृहयुद्ध की स्थिति काफी दिनों से बनी हुई थी। तमिलों की समस्या को लेकर ही वहां लिट्टे का गठन हुआ था। सिंहलियों और तमिलों के बीच भेदभाव के कारण ही श्रीलंका की राष्ट्रीय एकता खतरे में है।

प्रश्न 4.
संघीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताओं को बतायें?
उत्तर-
संघीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • यहाँ सरकार दो या दो से अधिक स्तरों वाली होती है।
  • अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं पर कानून बनाने कर वसूलने और प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
  • विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार-क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं।
  • संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती।
  • ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों को सहमति से ही हो सकते हैं।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आप कैसे कह सकते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ?
उत्तर-
भारत प्रारंभ से ही धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को अपनाया है। स्वतंत्रता आंदोलन के – विभिन्न चरणों में भी देश के भीतर धार्मिक भेदभाव की जगह आपसी भाईचारा देखने को मिला। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है यह निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होता है-

भारत का अपना कोई राजधर्म नहीं है। यह प्रत्येक धर्म को समान रूप से बढ़ने का अवसर देता है। इसके लिए भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रदान किया है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी इसका उल्लेख मिलता है। .

भारतीय नागरिक चाहे हिन्दू हों या मुसलमान, सिक्ख हों या इसाई सभी के अंदर राष्ट्रीयता की भावना देखी जाती है। देश के अंदर धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव करना निषिद्ध है। धर्म निरपेक्षता के कारण ही हमारी राष्ट्रीय एकता कायम है। इस प्रकार उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।

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प्रश्न 2.
सत्ता में भागीदारी को सशक्त रूप देने के उद्देश्य से बेल्जियम के संविधान में किए गए संशोधनों का वर्णन करो
उत्तर-
बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा लोकतांत्रिक देश है। बेल्जियम में डच, फ्रेंच तथा जर्मन तीन तरह की भाषा बोलनेवाले लोग हैं। सत्ता में भागीदारी को लेकर तीनों भाषा बोलनेवालों के बीच संघर्ष को स्थिति बनी हुई थी। बेल्जियम के शासकों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया – और सत्ता में भागीदारी के प्रश्न को सहज ढंग से सुलझा लिया। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए 1970 और 1993 के बीच उन्होंने अपने संविधान में चार संशोधन कर इस बात की व्यवस्था की है –

  • केन्द्र सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या बराबर रहेगी।
  • देश की व्यवस्थापिका कोई विशेष कानून तभी बना सकती है जब दोनों भाषायी समूहों के सदस्य सदन में कानून के पक्ष में मतदान करेंगे।
  • संघीय व्यवस्था को गले लगाते हुए राज्य सरकारों को केन्द्र की अपेक्षा सत्ता में अधिक भागीदारी दी गई है।
  • बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में एक अलग सरकार गठित की गई है और इस । सरकार में भी सत्ता में भागीदारी में केंद्र सरकार की तरह समानता के सिद्धांत को स्वीकार किया गया है।
  • सत्ता में भागीदारी को अधिक सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के अतिरिक्त एक अन्य सरकार सामुदायिक सरकार का गठन किया गया है। अलग-अलग भाषा बोलनेवाले लोगों को अपनी सामुदायिक सरकार गठन करने का . अधिकार दे दिया गया है।

Bihar Board Class 10 History सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली Notes

  • लोकतंत्रजनता का शासन है।
  • लोकतंत्र में जनता शासन में स्वयं भाग लेती है या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन में भागीदारी करती है इसे हीसत्ता में भागीदारी कहा जाता है।
  • सत्ता में भागीदारी के सही निर्वाह से ही समाज के विभिन्न समुदायों के बीच टकराव की स्थिति में कमी आती है।
  • सरकार के तीन अंग हैं कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका।
  • लोकतंत्र में सत्ता की भागीदारी का महत्व इस कारण भी है कि जनता ही सरकार को अपनी सहमति देती या वापस लेती है।
  • सत्ता का विकेन्द्रीकरण तभी संभव है जब सत्ता में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
  • विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच यदि सत्ता का समुचित विभाजन कर दिया जाता है तब आपसी टकराव की संभावनाक्षीण हो जाती है।
  • बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है।
  • श्रीलंका के मूल निवासीसंहली भाषा बोलनेवाले बहुसंख्यक हैं और तमिल भाषा बोलनेवाले अल्पसंख्यका
  • भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न पर भाषाधर्म और समुदायों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं है।
  • भारत में सत्ता में भागीदारी के प्रश्न को अवसर की समानता के सिद्धांत को गले लगाकर सुलझा लिया गया है।
  • सत्ता में भागीदारी के क्षेत्र अल्पसंख्यक औषहसंख्यक का भेदभाव बरतना आपसी तनाव को निमंत्रण देना है।
  • यूरोपीय संघ का मुख्यालयबेल्जियम की राजधानीब्रसेल्स है।
  • सत्ता में भागीदारी की मात्रा जितनी अधिक होगीराजसत्ता को उतना ही अधिक स्थायित्व प्राप्त होगा।
  • सरकार के तीनों अंगों के बीच जब सत्ता का विभाजन कर दिया जाता है तब उसे शक्तियों कथक्करण कहते हैं।
  • जब सरकार के तीनों अंग अपनी-अपनी सत्ता का प्रयोग करते हैं तो इसे सत्ता कसतिज विभाजन कहा जाता है।
  • जब सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे की सत्ता पर अंकुश रखते हैं तो इसे नियंत्रण एवं संतुलन की व्यवस्था कहते हैं।
  • न्यायपालिका कार्यपालिका औविधायिका दोनों पर अंकुश रखने का अधिकार है।
  • भारत में दो स्तर पर सरकार के गठन की व्यवस्था की गई है-केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें।
  • ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद, नगर निगम, नगर परिषस्थानीय सरकार की संख्याएँ हैं।
  • किसी भी देश में राजनीतिक दल हित समूह, संघ तथा संगठन भी अपने प्रभाव से सत्ता में भागीदारी सुनिश्चितकर लेते हैं।
  • किसी एक दल का बहुमत नहीं आने पर कई दलों को मिलाकर गठबंधनकी सरकार का गठन किया जाता है।
  • विभिन्न पेशाओं और व्यापार से जुड़े लोग अपने-अपने हित समूहों का गठन करते हैं।
  • हित-समूह अमने-अपने हितों की पूर्ति के लिए संघर्षरत रहते हैं और अपने हित में निर्णय लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाए रखते हैं।

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