Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 12 खनिज पोषण

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 12 खनिज पोषण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 12 खनिज पोषण

Bihar Board Class 11 Biology खनिज पोषण Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
“पौधे में उत्तरजीविता के लिए उपस्थित सभी · तत्वों की अनिवार्यता नहीं है।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
अभी तक 105 खनिज तत्वों में से 60 से अधिक खनिज तत्व पौधों में पाए गए हैं। लेकिन उनकी उपयोगिता के आधार पर पौधधों के लिए 17 पोषक तत्व अनिवार्य माने जाते हैं। अनिवार्य पोषक तत्वों को उनकी परिमाणात्मक आवश्यकता के आधार पर दो वर्गों में बाँट लेते हैं –
(क) वृहत् या दीर्घमात्रा पोषक तत्व
(ख) सूक्ष्म या लघुमात्रा पोषक तत्व।

(क) वृहत् या दीर्घमात्रा पोषक तत्व (Macronutrient elements):
ये पौधों के शुष्क पदार्थ की 1 से 10 मिलीग्राम/लीटर की सान्द्रता में पाए जाते हैं; जैसे – कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सल्फर।

(ख) सूक्ष्म या लघुमात्रा पोषक तत्व (Micronutrient elements):
ये पौधों के शुष्क पदार्थ की 0.1 मिलीग्राम/लीटर की सान्द्रता या उससे कम मात्रा में पाए जाते हैं; जैसे – क्लोरीन, बोरोन, लौह, मैंगनीज, जिंक, ताँबा, निकिल, मॉलिब्डेनमा।

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प्रश्न 2.
जल संवर्धन में खनिज पोषण हेतु अध्ययन में जल और पोषक लवणों की शद्धता जरूरी क्यों है?
उत्तर:
जुलियस वॉन सॉक्स (J.V Sachs) ने मृदा की अनुपस्थिति में पोषक विलयन में पौधों को वयस्क अवस्था तक उगाया। इस विधि द्वारा पोषक तत्वों की उपयोगिता का अध्ययन किया जा सकता है। इसके लिए शुद्ध जल तथा पोषक पदार्थों का होना आवश्यक है। इस विधि में किसी एक तत्व को डाला जाता है या हटाया जाता है और कमी के कारण प्रदर्शित होने वाले लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। अशुद्ध पोषक पदार्थों (तत्वों) का उपयोग करके पोषक तत्वों की अनिवार्यता का अध्ययन करना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 3.
उदाहरण के साथ व्याख्या कीजिए-वृहत् पोषक, सूक्ष्म पोषक, हितकारी पोषक, आविष तत्व और अनिवार्य तत्व।
उत्तर:
1. वृहत् पोषक (Macronutrients):
शुष्क पदार्थ में अधिक सान्द्रता में पाए जाने वाले तत्वों को वृहत् पोषक (macronutrients) कहते हैं; जैसे-कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम आदि।

2. सूक्ष्म पोषक (Micronutrients):
शुष्क पदार्थ में कम सान्द्रता में पाए जाने वाले तत्वो को सूक्ष्म पोषक (micronutrients) कहते हैं। ये पौधों को बहुत सूक्ष्म मात्रा (1.0 ppm या इससे कम) में चाहिए; जैसे- क्लोरीन, बोरोन, लौह, ताँबा, जिंक, निकिल, मॉलिब्डेनमा।

3. हितकारी पोषक (Beneficial Elements):
अनिवार्य पोषक तत्रों के अतिरिक्त कुछ लाभदायक तत्व उच्च श्रेणी के पौधों के लिए आवश्यक होते हैं, इन्हें हितकारी पोषक तत्व कहते हैं।

4. आविष या आविषालु तत्व (Toxic Elements):
किसी खनिज आयन की वह जो सान्द्रता ऊतकों के शुष्क भार में 10% की कमी करता है। आविषालु तत्व माना जाता है। विभिन्न पोषक तत्वों का आविषालुंकता स्तर भिन्न-भिन्न होता है; जैसेमैंगनीज (Mn) आविषालु।

5. अनिवार्य तत्व (Essential Elements):
पौधों के लिए 17 खनिज तत्व अनिवार्य होते हैं। इनकी मात्रा के आधार पर अनिवार्य तत्वों को दो समूहों में बाँट लेते हैं –
(क) वृहत् तत्व
(ख) सूक्ष्म तत्व।
वृहत् तत्वों के अन्तर्गत C, H, O, N, S, K, Ca, Mg, P
और सूक्ष्म तत्व के अन्तर्गत CI, B, Fe, Mn, Zn, Cu, Ni, MO सम्मिलित हैं।

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प्रश्न 4.
पौधों में कम-से-कम पाँच अपर्याप्तता के लक्षण दीजिए। उसे वर्णित कीजिए और खनिजों की कमी से उसका सहसम्बन्ध बनाइए।
उत्तर:
1. पोटैशियम की कमी (Deficiency of Potassium):
इससे पत्तियों पर निर्जीव धब्बे बन जाते हैं। पौधे झाड़ी सदृश (bushy) हो जाते हैं। रोगों के लिए प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है।

2. कैल्सियम की कमी (Deficiency of Calcium):
इससे हरितलवक सुचारु रूप से कार्य नहीं करता। पुष्प शीघ्र झड़ जाते हैं। पौधों में बीज नहीं बनते।

3. मैग्नीशियम की कमी (Deficiency of Magnesium):
इससे हरिमहीनता (chlorosis) हो जाती है।

4. बोरोन की कमी (Deficiency of Boron):
इससे जड़ों का विकास कम होता है। पुष्पों की संख्या कम और फलों का आकार छोटा रहता है। तना भंगुर (brittle) हो जाता है। पौधे बौने रह जाते हैं।

5. जिंक की कमी (Deficiency of Zinc):
इससे पत्तियाँ चितकबरी (mottled) व पीली हो जाती है।

6. ताँबे की कमी (Deficiency of Copper):
इससे पत्तियों में हरिमहीनता (chlorosis) मुरझाना और सूखापन के लक्षण विकसित होते हैं। अग्रस्थ कलिकाएँ नष्ट हो जाती हैं तथा पत्तियाँ मुड़ जाती हैं।

7. नाइट्रोजन की कमी (Deficiency of Nitrogen):
इससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। इनकी वृद्धि रूक जाती है। पुष्पम देर से होता है तथा अनाज के दाने सिकुड़ जाते हैं।

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प्रश्न 5.
अगर एक पौधे में एक से ज्यादा तत्वों की कमी के लक्षण प्रकट हो रहे हैं तो प्रायोगिक तौर पर आप कैसे पता करेंगे कि अपर्याप्त खनिज तत्व कौन-से हैं?
उत्तर:
किसी तत्व की अपर्याप्तता से कई तत्वों की कमी के लक्षण प्रकट होते हैं। ये लक्षण एक तत्व की कमी से या विभिन्न तत्वों की कमी के कारण प्रकट हो सकते हैं। अतः अपर्याप्त तत्व को पहचानने के लिए पौधे के विभिन्न भागों में प्रकट होने वाले लक्षणों का अध्ययन करना पड़ता है और उपलब्ध तथा मान्य तालिका से उनकी तुलना करनी पड़ती है। समान तत्व की कमी होने पर अलग-अलग पौधों में अलग-अलग लक्षण प्रदर्शित होते हैं।

प्रश्न 6.
कुछ निश्चित पौधों में अपर्याप्तता लक्षण सबसे पहले नवजात भाग में क्यों पैदा होता है, जबकि कुछ अन्य में परिपक्व अंगों में?
उत्तर:
पोषक तत्वों की कमी से पौधों में कुछ आकारिकीय बदलाव (morphological change) आते हैं। ये परिवर्तन अपर्याप्तता को प्रदर्शित करते हैं। ये विबिन्न तत्वों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। अपर्याप्तता के लक्षण पोषक तत्वों की गतिशीलता पर निर्भर करते हैं। ये लक्षण कुछ पौधों के नवजात भागों में या पुराने ऊतकों में पहले प्रकट होते हैं।

पादप में जहाँ तत्व सक्रियता से गतिशील रहते हैं तथा तरुण विकासशील ऊतकों में निर्यातित होते हैं। वहाँ अपर्याप्तता के लक्षण पुराने ऊतकों में पहले प्रकट होते हैं; जैसे – N, K, Mg अपर्याप्तता के लक्षण सर्वप्रथम जीर्णमान पत्तियों में प्रकट होते हैं पुरानी पत्तियों से ये तत्व विभिन्न जैव अणुओं के विखण्डित होने से उपलब्ध होते हैं और नई पत्तियों तक गतिशील होते हैं।

जब तत्व अगतिशील होते हैं और वयस्क अंगों से बाहर अभिगमित नहीं होते तो अपर्याप्तता लक्षण नई पत्तियों में प्रकट होते हैं; जैसे-कैल्सियम, सल्फर आसानी से स्थानान्तरित नहीं होते। अपर्याप्तता लक्षणों को पहचानने के लिए पौधे के विभिन्न भागों में प्रकट होने वाले लक्षणों का अध्ययन मान्य तालिका के अनुसार करना होता है।

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प्रश्न 7.
पौधों के द्वारा खनिजों का अवशोषण कैसे होता हैं।
उत्तर:
पौधे खनिज तत्वों का अवशोषण निम्न प्रकार से करते हैं –

1. ऐपोप्लास्ट पथ (Apoplast pathway):
कोशिका के बाह्य स्थलों से आयन्स का निष्क्रिय अवशोषण तीव्र गति से होता है। कोशिका कला प्रोटीन्स से बनी होती है। इसमें छिद्र पाये जाते हैं।

2. सिमप्लास्ट पथ (Symplast Pathway):
कोशिकाओं के आन्तरिक स्थान में आयन का अन्तर्ग्रहण सक्रिय अवशोषण द्वारा होता है। आयन्स के प्रवेश और निष्कासन में उपापचयी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 8.
राइजोबियम के द्वारा वातावरणीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए क्या शर्ते हैं तथा N2 स्थिरीकरण में इनकी क्या भूमिका है?
उत्तर:
वायुमण्डलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण की शर्ते (Conditions for Atmospheric Nitrogen Fixation)

  1. नाइट्रोजिनेस एन्जाइम (Nitrogenase enzyme)
  2. लेग्हीमोग्लोबीन (Leghaemoglibin, lb)
  3. ATP
  4. अनॉक्सी वातावरण।

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चित्र – नाइट्रोजन स्थिरीकरण में नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की भूमिका।

मुख्यतया मटर कुल के पौधों की जड़ों में ग्रन्थिकाएँ पाई जाती हैं। इनमें राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु पाया जाता है। ग्रन्थिकाओं में नाइट्रोजिनेस (nitrogenase) एन्जाइम एवं लेग्हीमोग्लोबीन (leghaemoglobin) आदि सभी जैवरासायनिक संघटक पाए जाते हैं। नाइट्रोजिनेस एन्जाइम वातावरणीय नाइट्रोजन को अमोनिया में बदलने के लिए उत्प्रेरित करता है। नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की सक्रियता के लिए अनॉक्सी वातावरण आवश्यक होता है।

लेग्हीमोग्लोबीन ऑक्सीजन से नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की सुरक्षा करता है। अमोनिया संश्लेषण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक अमोनिया अणु को 8 ATP ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की आपूर्ति पोषक कोशिकाओं के ऑक्सी श्वसन से होती है। अमोनिया ऐमीनो अम्ल में ऐमीनो समूह के रूप में सम्मिलित हो जाती है।

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प्रश्न 9.
मूल ग्रन्थिका के निर्माण हेतु कौन-कौन से चरण भागीदार हैं?
उत्तर:
मूल ग्रन्थिका निर्माण (Formation of Root Nodules):
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चित्र – सोयाबीन में मूल ग्रन्थिका का विकास –
(A) राइजोबियम जीवाणु मूलरोम के समीप बहुगुणित होते हैं।
(B) संक्रमण के पश्चात् मूलरोम में संकुचन, प्रेरित होता है।
(C) संक्रमित जीवाणु मूलरोम द्वारा वल्कुट कोशिकाओं तक पहुँचता है। वल्कुट एवं परिरम्भ कोशिकाएँ विभाजित होने लगती हैं और ग्रन्थिका का निर्माण हो जाता है।
(D) ग्रन्थिका जीवाणुओं का सम्बन्ध पोषक कोशिका से स्थापित हो जाता है।

पोषक पौधों (सामान्यतया मटर कुल के पौधे) की जड़ एवं राइजोबियम में पारस्परिक प्रक्रिया के कारण ग्रन्थिकाओं का निर्माण निम्नलिखित चरणों में होता है –

राइजोबियम जीवाणु बहुगुणित होकर जड़ के चारों ओर एकत्र होकर मूलरोम एवं मूलीय त्वचा से जुड़ जाते हैं। जीवाणु संक्रमण के कारण जीवाणु मूलरोम से होकर वल्कुट (cortex) में पहुँच जाते हैं। वल्कुट में जीवाणुओं के कारण कोशिकाओं का विशिष्टीकरण नाइट्रोजन स्थिरीकरण कोशिकाओं के रूप में होने लगता है। इस प्रकार ग्रन्थिकाओं (nodules) का निर्माण हो जाता है। ग्रन्थिकाओं के जीवाणुओं का पोषक पादप से पोषक तत्वों के आदान-प्रदान हेतु संवहनी सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।

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प्रश्न 10.
निम्नांकित कथनों में कौन सही हैं? अगर गलत है तो उन्हें सही कीजिए –
(क) बोरोन की अपर्याप्तता से स्थूलकाय अक्ष बनता है।
(ख) कोशिका में उपस्थित प्रत्येक खनिज तत्व उसके लिए अनिवार्य है।
(ग) नाइट्रोजन पोषक तत्व के रूप में पौधे में अत्यधिक अचल है।
(घ) सूक्ष्म पोषकों की अनिवार्यता निश्चित करना अत्यन्त ही आसान है, क्योंकि ये सूक्ष्म मात्रा में लिए जाते हैं।
उत्तर:
(क) सत्य कथन।
(ख) असत्य कथन। 105 खनिज तत्वों में से लगभग 60 तत्व विभिन्न पौधों में पाए गए जिनमें से 17 खनिज तत्व ही अनिवार्य होते हैं।
(ग) असत्य कथन। नाइट्रोजन अत्यधिक गतिमान पोषक खनिज तत्व है।
(घ) असत्य कथन। सूक्ष्म पोषक तत्वों की अनिवार्यता निश्चित करना अत्यन्त कठिन कार्य होता है; क्योंकि ये अति सूक्ष्म मात्रा में प्रयोग किए जाते हैं। सामान्यतया पोषक लवणों में अशुद्धता के कारण इनकी अनिवार्यता स्थापित करना कठिन होता है।

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