Bihar Board Class 11 Economics Solutions Chapter 2 आँकड़ों का संग्रह Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 11 Economics Solutions Chapter 2 आँकड़ों का संग्रह
Bihar Board Class 11 Economics आँकड़ों का संग्रह Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के कम-से-कम चार उपर्युक्त बहुविकल्पीय वाक्यों की रचना करें –
- जब आप एक नई पोशाक खरीदें तो इनमें से किसे सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं?
- आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कितनी बार करते हैं?
- निम्नलिखित में से आप किस समाचार-पत्र को नियमित रूप से पढ़ते हैं?
- पेट्रोल की कीमत में वृद्धि न्यायोचित है?
- आपके परिवार की मासिक आमदनी कितनी है?
उत्तर:
1. जब आप एक नई पोशाक खरीदें तो इनमें से किसे सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं?
- कीमत
- कपड़ा
- डिजाइन
- फिटिंग
2. आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कितनी बार करते हैं?
- चार
- दो
- तीन
- एक बार
3. निम्नलिखित में से आप किस समाचार-पत्र को नियमित रूप से पढ़ते हैं?
- हिन्दुस्तान
- नवभारत टाइम्स
- दैनिक जागरण
- पंजाब केसरी
4. पेट्रोल की कीमत में वृद्धि न्यायोचित है?
- न्यायोचित है
- न्यायोचित नहीं है
- (a) व (b) दोनों विकल्प गलत हैं
- सभी विकल्प सही हैं
5. आपके परिवार की मासिक आमदनी कितनी है?
- 2,000 रुपये से 5,000 रुपये तक
- 5,000 से 10,000 रुपये तक
- 10,000 रुपये से 15,000 रुपये तक
- 15,000 रुपये तक
प्रश्न 2.
पाँच द्विमार्गी प्रश्नों की रचना करें (हाँ/नहीं) के साथ।
प्रश्न 3.
सही विकल्प को चिह्नित करें –
(क) आँकड़ों के अनेक स्रोत होते हैं (सही/गलत)।
उत्तर:
सही
(ख) आँकड़ा-संग्रह के लिए टेलीफोन सर्वेक्षण सर्वाधिक उपयुक्त विधि है, विशेष रूप से जहाँ पर जनता निरक्षर हो और दूर-दराज के काफी बड़े क्षेत्रों में फैली हो (सही/गलत)।
उत्तर:
सही
(ग) सर्वेक्षक/शोधकर्ता द्वारा संग्रह किए गए आँकड़े द्वितीयक आँकड़े कहलाते हैं (सही/गलत)।
उत्तर:
गलत
(घ) प्रतिदर्श के अयादृच्छिक चयन में पूर्वाग्रह (अभिनति) की संभावना रहती है (सही/गलत)।
उत्तर:
सही
(ङ) अप्रतिचयन त्रुटियों को बड़ा प्रतिदर्श अपनाकर कम किया जा सकता है (सही/गलत)।
उत्तर:
गलत
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आपको इन प्रश्नों में कोई समस्या दिख रही है? यदि हाँ, तो कैसे?
(क) आप अपने सबसे नजदीक के बाजार से कितनी दूर रहते हैं?
(ख) यदि हमारे कूड़े में प्लास्टिक थैलियों की मात्रा 5 प्रतिशत है तो क्या इन्हें निषेधित किया जाना चाहिए?
(ग) क्या आप पेट्रोल की कीमत में वृद्धि का विरोध नहीं करेंगे?
(घ) क्या आप रासायनिक उर्वरक के उपयोग के पक्ष में हैं?
(ङ) (अ) क्या आप अपने खेतों में उर्वरक इस्तेमाल करते हैं?
(ब) आपके खेत में प्रति हेक्टेयर कितनी उपज होती है?
उत्तर:
(क) मैं अपने सबसे नजदीक के बाजार से 6 किमी. दूर रहता हूँ।
(ख) पर्यावरण के हिसाब से प्लास्टिक थैलियों का प्रयोग हानिकारक है। प्लास्टिक अविघटनीय पदार्थ है, इसलिए यह भू-प्रदूषण पैदा करता है। प्लास्टिक थैलियाँ नालियों एवं पाइपों में पानी के बहाव को अवरुद्ध करती हैं।
(ग) पेट्रोल की कीमत में वृद्धि का विरोध अवश्य होना चाहिए, क्योंकि इससे आवश्यक वस्तुओं की कीमत भी बढ़ जायेगी।
(घ) फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल सीमित मात्रा में ही होना चाहिए। उर्वरकों के अधिक प्रयोग से भू एवं जल प्रदूषण होता है।
(ङ)
(अ) हाँ, मैं विवेकपूर्ण तरीके से अपने खेतों में उर्वरकों का प्रयोग करता हूँ।
(ब) 50 क्विंटल प्रति हेक्टेअर।
प्रश्न 5.
आप बच्चों के बीच शाकाहारी आटा नूडल की लोकप्रियता का अनुसंधान करना चाहते हैं। इस उद्देश्य से सूचना-संग्रह करने के लिए एक उपयुक्त प्रश्नावली बनाएँ।
उत्तर:
प्रश्नावली –
- क्या आप शाकाहारी आटा नूडल का इस्तेमाल करते हैं?
- क्या आपको इसका स्वाद दूसरों से अच्छा लगता है?
- आप एक दिन में कितनी बार इसका प्रयोग करते हैं?
- प्रतिदिन इस पर आप कितना खर्च करते हैं?
- आप इसे किसलिए पसंद करते हैं?
- क्या आपको अपने स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर दिखाई पड़ता है?
- क्या आप इसके स्थान पर कुछ और प्रयोग करना चाहेंगे?
प्रश्न 6.
200 फार्म वाले एक गाँव में फसलें उत्पादन के स्वरूप पर एक अध्ययन आयोजित किया गया। इनमें से 50 फार्मों का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें से 50 प्रतिशत पर केवल गेहूँ उगाए जाते हैं। यहाँ पर समष्टि और प्रतिदर्श को पहचान कर बताएँ।
उत्तर:
समष्टि 200 खेत हैं और प्रतिदर्श 50 खेत हैं।
प्रश्न 7.
प्रतिदर्श, समष्टि तथा चर के दो-दो उदाहरण।
उत्तर:
(क) प्रतिदर्श (Sample):
- एक विद्यालय में 2,000 विद्यार्थी हैं। इनमें से 100 विद्यार्थियों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया है। 100 विद्यार्थी ही प्रतिदर्श हैं।
- एक गाँव में 30 खेत हैं। उनमें से 3 खेतों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया है। 5 खेत प्रतिदर्श के उदाहरण हैं।
(ख) समष्टि (Population):
- एक पाठशाला में 100 विद्यार्थी पढ़ते हैं। 100 समग्र का उदाहरण है।
- एक गाँव में 100 परिवार हैं। उसका सर्वेक्षण किया गया। 100 परिवार समग्र हैं।
(ग) चर (Variable):
- कक्षा XI के विद्यार्थियों की ऊँचाई
- जुलाई के महीने में दिल्ली में हुई प्रतिदिन वर्षा।
प्रश्न 8.
इनमें से कौन सी विधि द्वारा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं और क्यों?
(क) गणना (जनगणना)
(ख) प्रतिदर्श
उत्तर:
गणना विधि की तुलना में प्रतिचयन विधि द्वारा आँकड़े एकत्र करने के निम्नलिखित लाभ हैं –
- गणना विधि की तुलना में इस विधि से सर्वेक्षण करने में खर्च बहुत कम होता है।
- आँकड़े संकलित करने, सारणीबद्ध करने, गणना एवं विश्लेषण करने में इस विधि में श्रम एवं समय काफी कम लगता है।
- गणना सम्बन्धी त्रुटियों की संभावना घट जाती है।
- इस विधि में गणनाकारों एवं पर्यवेक्षकों के छोटे समूह को प्रशिक्षित करना पड़ता है। अत: उनको अच्छी तरह प्रशिक्षित किया जा सकता है और विभिन्न स्तरों पर काम करने वालों में अच्छा तालमेल हो सकता है।
प्रश्न 9.
निम्न में से कौन-सी त्रुटियाँ अधिक गंभीर हैं?
(क) प्रतिचयन त्रुटियाँ
(ख) अप्रतिचयन त्रुटियाँ।
उत्तर:
अप्रतिचयन त्रुटियाँ प्रतिचयन त्रुटियों से अधिक गंभीर हैं, क्योंकि प्रतिचयन त्रुटियों के बड़े प्रतिदर्श लेकर कम किया जा सकता है। परंतु अप्रतिचयन त्रुटियों को कम नहीं किया जा सकता। चाहे हम कितना भी बड़ा छोटा प्रतिदर्श क्यों न लें।
प्रश्न 10.
मान लीजिए आपकी कक्षा में 10 छात्र हैं। इनमें से आपको तीन को चुनना है तो इसमें कितने प्रतिदर्श संभव हैं?
उत्तर:
जनसंख्या का आकार (N) = 10
प्रश्न 11.
अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 को चुनने के लिए लाटरी विधि का उपयोग कैसे करेंगे? चर्चा करें?
उत्तर:
लाटरी द्वारा 10 में 3 छात्रों का चुनाव करना (Selecting 3 students out of 10 students by lottery):
- एक जैसी आकार तथा आकृति वाली 10 पर्चियाँ बनाएँगे।
- इन पर्चियों पर छात्रों के नाम लिखेंगे। एक पर्ची पर एक नाम लिखा जाएगा।
प्रश्न 12.
क्या लाटरी विधि सदैव एक यादृच्छिक प्रतिदर्श देती है? बताएँ।
उत्तर:
लाटरी विधि द्वारा हमेशा यादृच्छिक प्रतिचयन ही प्राप्त होता है। इस विधि में प्रत्येक इकाई को शामिल किया जाता है। अतः प्रत्येक इकाई के चुनाव की समान संभावना रहती है। इस विधि में सभी प्रतिभागियों के पर्चियों पर नाम लिखें जाते हैं और उन पर्चियों को एक डिब्बे में डालकर, अच्छी तरह हिलाकर, किसी निष्पक्ष व्यक्ति से उतनी पर्चियाँ एक-एक करके निकलवायी जाती हैं जितने प्रत्याशियों का चुनाव करना होता है, अथवा लोगों को नम्बर वाले टिकट प्रदान किए जाते हैं। टिकटों को बक्से में डालकर, मशीन में हिलाकर, निश्चित संख्या में टिकट निकालकर चयन किया जाता है।
प्रश्न 13.
यादृच्छिक संख्या सारणी का उपयोग करते हुए, अपनी कक्षा के 10 छात्रों में से 3 छात्रों के चयन के लिए यादृच्छिक प्रतिदर्श की चयन प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
10 विद्यार्थियों को 01, 02, 03, 04, 05, 06, 07, 08, 09, 10 अंक प्रदान करते हैं। इन संख्याओं में से किसी एक संख्या का दैव आधार पर चयन कर लिया जाता है। अगली दो क्रमागत संख्याओं का और चुनाव करके 3 छात्रों का चयन कर लिया जाता है। माना दैव आधार पर चुनाव की गई संख्या 3 है, तो चयनित छात्रों की संख्याएँ होगी 3, 4 व 5।
प्रश्न 14.
क्या सर्वेक्षणों की अपेक्षा प्रतिदर्श बेहतर परिणाम देते हैं? अपने उत्तर की कारण सहित व्याख्या करें।
उत्तर:
गणना विधि की तुलना में प्रतिचयन विधि द्वारा आँकड़े एकत्र करने के निम्नलिखित लाभ हैं –
- गणना विधि की तुलना में इस विधि से सर्वेक्षण करने में खर्च कम होता है।
- आँकड़े संकलित करने, सारणीबद्ध करने, गणना. एवं विश्लेषण करने में इस विधि में श्रम एवं समय काफी कम लगता है।
- गणना सम्बन्धी त्रुटियों की संभावना घट जाती है।
- इस विधि में गणनाकारों एवं पर्यवेक्षकों के छोटे समूह को प्रशिक्षित करना पड़ता है। अतः उनको अच्छी तरह प्रशिक्षित किया जा सकता है और विभिन्न स्तरों पर काम करने वालों में अच्छी तालमेल हो सकती है।
Bihar Board Class 11 Economics आँकड़ों का संग्रह Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
संपूर्ण सर्वेक्षण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
संपूर्ण सर्वेक्षण में समष्टि की प्रत्येक इकाई से संबंधित सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
प्रश्न 2.
प्रतिदर्श सर्वेक्षण में संगणना सर्वेक्षण की अपेक्षा कौन-कौन सा गुण पाया जाता है?
उत्तर:
प्रतिदर्श सर्वेक्षण में समय, धन तथा श्रम की बचत होती है।
प्रश्न 3.
क्या लाटरी विधि सदैव एक यादृच्छिक प्रतिदर्श देती है? बताएँ।
उत्तर:
इसमें संदेह नहीं कि लाटरी सबसे अधिक प्रचलित और सरल विधि है और यादृच्छिक प्रतिदर्श का एक रूप है। परंतु लाटरी विधि हमें हमेशा यादृच्छिक प्रतिदर्श नहीं देती, क्योंकि यह विधि संयोग (Chance) पर निर्भर करती है।
प्रश्न 4.
सामान्य विकल्प प्रश्न किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामान्य विकल्प प्रश्न उन प्रश्नों को कहते हैं, जिनके उत्तर ‘प्राय’ हाँ या नहीं सही या गलत के रूप में दिए जा सकते हैं।
प्रश्न 5.
बहु-विकल्प प्रश्नों से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बहु-विकल्प प्रश्नों से अभिप्राय उन प्रश्नों से है जिनके कई संभव उत्तर हो सकते हैं। ये उत्तर प्रश्नावली में ही छिपे होते हैं।
प्रश्न 6.
आँकड़ों की शुद्धता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आँकड़ों की शुद्धता से अभिप्रायः तथ्य या घटना का यथार्थ वर्णन करने वाले आँकड़ों से है।
प्रश्न 7.
सांख्यिकी आँकड़ों के पूर्ण शुद्ध न होने के दो कारण बताएँ।
उत्तर:
अनुसंधानकर्ता की अपूर्णता, माप, यंत्रों एवं उपकरणों की अपूर्णता।
प्रश्न 8.
अभिनत त्रुटियों के उत्पन्न होने के दो कारण लिखें।
उत्तर:
सूचनाओं की संकलन विधि का दोषपपूर्ण होना तथा आंकड़ों के व्यवस्थितीकरण का दोषपूर्ण होना।
प्रश्न 9.
आवृत्तियों का विन्यास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आवृत्तियों के विन्यास से अभिप्राय प्रत्येक वर्ग में आने वाली पदों की गणना करके उसकी आवृत्तियों को लिखना है।
प्रश्न 10.
प्रवेश-पत्रिका के कोई दो लाभ लिखें?
उत्तर:
प्रवेश पत्रिका से –
- किसी भी वर्गांतर में लिखी गई अशुद्धि का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
- वर्गांतर का निर्माण पुनः किया जा सकता है।
प्रश्न 11.
अनुरोध-पत्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अनुरोध-पत्र से अभिप्राय उस पत्र से है जिसके द्वारा अनुसंधानकर्ता अपना परिचय और अनुसंधान के उद्देश्य का विवरण सूचक को देता है।
प्रश्न 12.
व्यवस्थित प्रतिचयन विधि क्या है?
उत्तर:
व्यवस्थित प्रतिचयन विधि वह विधि है जिसके अंतर्गत समग्र की सभी इकाइयों को किसी एक आधार (संख्यात्मक, भौगोलिक या अक्षरात्मक द्वारा क्रमबद्ध किया जाता है।
प्रश्न 13.
प्रतिचयन अतंराल की गणना का सूत्र लिखें।
उत्तर:
प्रतिचयन अंतराल = समष्टि का आकार
प्रश्न 14.
प्राथमिक आँकड़े किसे कहते हैं?
उत्तर:
ये वे आँकड़े होते हैं, जिन्हें अनुसंधानकर्ता अपने उद्देश्यों के अनुकूल सबसे पहले संकलित करता है या गणकों द्वारा संकलित करवाता है।
प्रश्न 15.
द्वितीयक आँकड़े क्या होते हैं?
उत्तर:
यदि किसी दूसरी संस्था द्वारा प्राथमिक तौर पर प्राप्त आँकड़ों को संगृहीत एवं संशोधित (संवीक्षित एवं सारणीकृत) किया जाता है तो इन आँकड़ों को दूसरी संस्था के लिए द्वितीयक आँकड़े कहते हैं।
प्रश्न 16.
प्रश्नावली किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रश्नावली प्रश्नों की वह सूची है, जिसकी आवश्यकता जानकारी स्वयं-सूचकों द्वारा प्राप्त की जाती है।
प्रश्न 17.
द्वितीयक आँकड़े संकलित करते समय कौन सी तीन सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर:
- विश्वसनीयता
- अनुकूलता
- पर्याप्तता
प्रश्न 18.
एक प्रश्नावली में प्रश्नों की कितनी संख्या होनी चाहिए?
उत्तर:
एक उचित संख्या जो उत्तरदाइओं को हतोत्साहित नहीं करे।
प्रश्न 19.
प्रतिदर्श सर्वेक्षण (Sample Survey) क्या है?
उत्तर:
प्रतिदर्श सर्वेक्षण में समष्टि में से कुछ चुनी हुई प्रतिनिधि इकाइयों के विषय में आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं।
प्रश्न 20.
प्रतिचयन की प्रचलित विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- यादृच्छिक प्रतिचयन
- स्तरित प्रतिचयन
- बहु-स्तरीय प्रतिचयन
- गुच्छा प्रतिचयन
प्रश्न 21.
यादृच्छिक प्रतिचयन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यादृच्छिक प्रतिचयन में समष्टि में से इकाइयाँ इस प्रकार छाँटी जाती हैं, ताकि प्रत्येक इकाई के प्रतिदर्श में सम्मिलित होने की बराबर संभावना हो।
प्रश्न 22.
समष्टि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अनुसंधान क्षेत्र की संपूर्ण इकाइयों को समष्टि कहते हैं।
प्रश्न 23.
प्रतिदर्श से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिदर्श समष्टि की इकाइयों का वह भाग है जो पूर्ण समष्टि के अध्ययन हेतु चुना जाता है।
प्रश्न 24.
प्रतिदर्श सर्वेक्षण किस प्रकार के अनुसंधान के लिए अधिक उपयुक्त है?
उत्तर:
- अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत हो
- समष्टि अनन्त हो
- समष्टि की किसी इकाई को परखने से उसका विनाश हो जाए
प्रश्न 25.
आँकड़ों के संकलन में त्रुटि के प्रमुख स्त्रत कौन-से हैं?
उत्तर:
आँकड़ों के संकलन में त्रुटि के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं –
- माप की त्रुटियाँ
- गणितीय त्रुटियाँ
- प्रश्नों का गणक या सूचक द्वारा सही समझ न पाना
- रिकॉर्ड करने में त्रुटियाँ
प्रश्न 26.
जनगणना 2001 के प्रकाशन से हमें तालिका के रूप में जो जिलेवार जन्म तथा मृत्युदर के आँकड़े प्राप्त हुए हैं क्या आप उन्हें प्राथमिक आँकड़े कहेंगे या द्वितीयक आँकड़ें?
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़े।
प्रश्न 27.
अप्रतिचयन त्रुटियाँ क्यों उत्पन्न होती हैं? एक कारण लिखें?
उत्तर:
सूचकों की लापरवाही या भूल से।
प्रश्न 28.
प्रतिदर्श अभिनीति क्या हैं?
उत्तर:
ये वे त्रुटियाँ जो गणकों के पक्षपाती (पूर्वाग्रहित) व्यवहार के कारण पैदा होती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
मापन अशुद्धि तथा दर्ज (लेखन) गलतियाँ क्या हैं?
उत्तर:
मापन अशुद्धियाँ (Measurement Errors):
मापन अशुद्धियों से अभिप्राय उन अशुद्धियों से है जो माप के कारण पैदा होती हैं। ये अशुद्धियाँ मापन यंत्र के दोषपूर्ण होने से उत्पन्न होती है या माप को निकटतम इकाई तक लाने में हो सकती हैं।
लेखन (दर्ज) गलतियाँ (Recording Mistakes):
सूचनाओ को गलत कॉलम में लिखने से अधूरी सूचना दर्ज करने से या गंदा लेख (अस्पष्ट लेख) के कारण उत्पन्न गलतियों को दर्ज गलतियाँ कहते हैं। मान लें गणक 13 के स्थान पर प्रश्नावली में 31 लिख देता है। इस प्रकार की गलती दर्ज गलती कहलाएगी।
प्रश्न 2.
आँकड़ों के संकलन की प्रत्यक्ष वैयक्तिक अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधियों में तीन अंतर बताएँ।
उत्तर:
प्रत्यक्ष वैयक्तिक अनुसंधान तथा अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान में अंतर।
(Differences Between Direct Personal Investigation and Indirect Oral Investigation)
प्रश्न 3.
अनुसंधानकर्ता, गणक तथा सूचक को परिभाषित कीजिए?
उत्तर:
- अनुसंधानकर्ता (Investigator): अनुसंधानकर्ता उस विशेष व्यक्ति को कहते हैं, जो अनुसंधान कार्यों को अपनाता है।
- गणक (Enumerator): गणक उस व्यक्ति विशेष को कहते हैं जो अनुसंधान” को तथ्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
- सूचक (Respondent): सूचना देने वाले व्यक्ति को सूचक कहते हैं।
प्रश्न 4.
आँकड़ों के संकलन में संगणना विधि की अपेक्षा प्रतिदर्श (प्रतिचयन) विधि में निम्नलिखित लाभ हैं –
उत्तर:
आँकड़ों के संकलन में संगणना विधि की अपेक्षा प्रतिदर्श (प्रतिचयन) विधि में निम्नलिखित लाभ हैं –
- मितव्ययी (Economical): इस विधि के द्वारा एक बड़े समूह के छोटे से भाग का अध्ययन किया जाता है। अत: समय व धन की बचत होती है।
- वैज्ञानिक (Scientific): यह विधि वैज्ञानिक भी है, क्योंकि बड़े समूह में से एक अन्य प्रतिदर्श लेकर परिणामों की शुद्धता की जाँच की जा सकती है।
- विश्वसनीय (Reliable): यदि प्रतिदर्श प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा ध्यानपूर्वक लिया गया हो तो प्राप्त निष्कर्ष भी शुद्ध रहते हैं।
- सरल (Simple): यह विधि बहुत सरल है और इसे आसानी से समझा जा सकता है।
प्रश्न 5.
यादृच्छिक प्रतिचयन को परिभाषित करें। यह मनमाने निदर्शन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
यादृच्छिक प्रतिचयन (Random Sampling):
यादृच्छिक प्रतिचयन को प्रतिनिधि प्रतिचयन भी कहते हैं। यह प्रतिचयन की वह विधि है, जिसके अंतर्गत समष्टि की प्रत्येक इकाई की प्रतिचयन की तरह किसी प्रकार का पक्षपात नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि हमने 1,200 विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूल में 60 का प्रतिदर्श चुनने हैं तो इस विधि के अनुसार प्रत्येक विद्यार्थी की प्रतिदर्श में चुनने जाने की संभावना समान है। इस प्रकार इकाइयों का चुनाव पक्षपात या व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से प्रभावित नहीं होता। इसमें अनुसंधानकर्ता की अपनी मर्जी नहीं चलती। इस विधि के अंतर्गत लाटरी विधि अथवा होल घुमाकर प्रतिदर्श चुना जाता है।
प्रश्न 6.
प्राथमिक आँकड़ों को एकत्रित करने की प्रश्नावली विधि समझाइए।
उत्तर:
प्रश्नावली विधि में आँकड़ों का एकत्रीकरण प्रश्नावलियों की सहायता से किया जाता है। अनुसंधान के लिए जिन-जिन बातों के संबंध में आँकड़े एकत्रित करने होते हैं, उनके लिए कुछ प्रश्नों की एक सूची (प्रश्नावली) बना ली जाती है। प्रश्नावली में दिए प्रश्नों के उत्तर के आधार पर संबंधित आँकड़ों का एकत्रीकरण किया जाता है। प्रश्नावली विधि के मुख्य रूप है –
- डाक द्वारा प्रश्नावली भेजना-इस विधि में अनुसंधानकर्ता प्रश्नावली को डाक द्वारा सूचना देने वालों के पास भेज देता है। वे उसे भरकर निश्चित तिथि तक लौटा देते हैं।
- प्रगणकों द्वारा प्रश्नावली भरना-इस विधि में अनुसंधानकर्ता कुछ प्रणगकों को नियुक्त करता है, जो घर-घर जाकर सूचकों से पूछाताछ करके स्वयं प्रश्नावलियाँ भरते हैं।
प्रश्न 7.
एक अच्छी प्रश्नावली में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
एक अच्छी प्रश्नावली में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –
- प्रश्न संक्षिप्त तथा स्पष्ट होने चाहिए।
- प्रश्नों की संख्या उचित होनी चाहिए।
- प्रश्न सरल तथा समझने में आसान हों।
- प्रश्न ऐसे हो जिनका उत्तर हाँ या नहीं में दिया जा सके।
- उत्तर एक-दूसरे से मेल खाते हों।
- कुछ विशेष प्रकार के प्रश्न, जैसे चरित्र से संबंधित नहीं पूछे जाने चाहिए।
- प्रश्नावली का पूर्व परीक्षण एवं संशोधन आवश्यक है।
प्रश्न 8.
द्वितीयक आँकड़ों (Secondary Data) के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
द्वितीयक आँकड़ों के प्रमुख स्रोत निम्न हैं –
- सरकार प्रशासन जैसे: (Statistical Abstract of India (Annual); Reserve bank of India Bulletin, Census of India आदि।
- अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन जैसे: The U.N. Statistical Year Book, Annual Report of I.M.F.आदि।
- अर्द्ध-सरकारी प्रकाशन जैसे: नगरपालिकाओं, जिला समितियों, पंचायतों आदि द्वारा प्रकाशित जन्म-मरण स्वास्थ्य, शिक्षा इत्यादि।
- समितियों व आयागों की रिपोर्ट, जैसे-वित्त आयोग, एकाधिकार कमीशन इत्यादि।
- व्यापारिक संस्थाओं व परिषदों के प्रकाशित रिपोर्ट जैसे: Hindustan Lever LTD., General Insurance Co. इत्यादि।
- पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित सामग्री, जैसे: Economic Times (Daily), Business Today (Weekly) आदि।
- अनुसंधान संस्थाओं के प्रकाशन।
- वेबसाइट (इंटरनेट)।
प्रश्न 9.
द्वितीयक आँकड़ों के प्रयोग में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं? किन्हीं तीन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. उद्देश्य व क्षेत्र (Purpose & Scope):
सर्वप्रथम यह देख लेना चाहिए कि प्राथमिक रूप से जब प्रस्तुत आँकड़े एकत्रित किए गए थे, जो अनुसंधान के उद्देश्य के क्षेत्र वही थे, जिनके लिए उनका अब द्वितीयक आँकड़ों के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
2. शुद्धता की मात्रा (Degree of Accuracy):
इस बात पर भी विचार करना आवश्यक है कि प्रस्तुत आँकड़ों में शुद्धता का स्तर क्या रखा गया था और उसे प्राप्त करने में कितनी सफलता हुई।
3. font partahaf at great (Ability of Last investigation):
यह भी देखना चाहिए कि द्वितीयक आँकड़े पहले किस अनुसंधानकर्ता द्वारा प्राथमिक रूप से कि विधि द्वारा एकत्र किए गए थे। यदि इन प्रश्नों का उत्तर संतोषजनक प्राप्त होता है तो इन आँकड़ों का प्रयोग किया जाना चाहिए अन्यथा नहीं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
व्यक्तिगत साक्षात्कार तथा सूचकों को प्रश्नावली भेजने के क्या गुण तथा दोष हैं?
उत्तर:
व्यक्तिगत साक्षात्कार के गुण (Advantages of Direct Interview):
व्यक्तिगत साक्षात्कार के गुण निम्नलिखित हैं –
- सूचना अधिक स्पष्ट होती है।
- इस विधि के द्वारा संकलित आँकड़े अधिक शुद्ध तथा विश्वसनीय होते हैं।
- सूचना देने वाले को प्रश्न पूछने का उद्देश्य बताकर उसे विश्वास में लिया जा सकता है।
- व्यक्तिगत साक्षात्कार लचीला है। अनुसंधानकर्ता अपने प्रश्नों में आवश्यकतानुसार फेर-बदल कर सकता है।
- सीमित क्षेत्र में व्यक्तिगत साक्षात्कार बहुत ही उपयोगी है।
दोष (Demerits):
व्यक्तिगत साक्षात्कार के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं –
- इस विधि में व्यक्तिगत पक्षपात की संभावना रहती है।
- इस विधि में अधिक समय और धन खर्च होता है।
- यह एक जटिल विधि है।
- इस विधि में प्रशिक्षित, कुशल और निष्पक्ष अनुसंधानकर्ता की आवश्यकता होती है। यदि अनुसंधानकर्ता कुशल, प्रशिक्षित तथा निष्पक्ष नहीं हैं तो परिणाम भ्रामक हो सकते हैं।
सूचकों को डाक द्वारा प्रश्नावली भेजने के गुण (Advantages of Malting Questionnaries to Respondents):
सूचकों को डाक द्वारा प्रश्नावली भेजने में निम्नलिखित गुण हैं –
- यह विधि वहाँ उपयुक्त है जहाँ सूचना एकत्रित करने का क्षेत्र विस्तृत है।
- इस विधि के अंतर्गत सूचनाएँ नियमित रूप से प्राप्त होती हैं।
- यह मितव्ययी प्रणाली है।
- इसमें पक्षपात की संभावना नहीं होती।
दोष-इस प्रणाली के निम्नलिखित दोष हैं –
- सूचक उत्तर गलत खानों में भर सकता है।
- सूचक को प्रश्न ठीक तरह से समझ न आए और उसे गलतफहमी हो जाए।
- उत्तरों की सत्यता का पता लगाना कठिन हो जाता है।
- हो सकता है कि प्रश्नावली वापस न आए।
प्रश्न 2.
प्राथमिक तथा द्वितीयक आँकड़ों में अंतर बताएँ। द्वितीयक आँकड़ों के कम-से-कम तीन स्रोत लिखें।
उत्तर:
प्राथमिक और द्वितीयक आँकड़ों में अंतर –
आँकड़ों के तीन स्रोत (Three Sources of Secondary Data):
- सरकारी प्रकाशन
- अंतराष्ट्रीय प्रकाशन
- वेबसाइट
प्रश्न 3.
क्षेत्र सर्वे की योजना में कौन-से मुख्य चरण हैं।
उत्तर:
इसके मुख्य चरण निम्नलिखित हैं –
1. प्रश्नावली तैयार करना (Preparation of the Questionnaire):
प्रश्नावली अनुसंधानकर्ता से संबंधित प्रश्नों की एक सूची होती है। इसे अनुसंधान तैयार करता है। प्रायः इसे टाइप करवाया जाता है। या छपवाया जाता है। प्रश्नों के साथ-साथ ही उत्तर देने के लिए खाली स्थान छोड़ दिया जाता है।
इसके साथ एक अनुरोध-पत्र भी भेजा जाता है, जिसमें सूचकों को विश्वास दिलाया जाता है। कि उनके द्वारा भेजी सूचना नितांत गुप्त रखी जाएँगी। डाक व्यय आदि पहले ही चुकाया (प्रीपेड) होता है। प्रश्नावली को लौटाने की तारीख व उसके उद्देश्य साफ-साफ लिख दिए जाने चाहिए।
प्रश्नावलियाँ बनाने की शते-ये शर्ते निम्नलिखित हैं –
- प्रश्न संख्या सीमित हो।
- प्रश्न उद्देश्य के अनुकूल हो।
- प्रश्नों की पुरावृत्ति न हों।
- प्रश्न एक-दूसरे के पूरक हों।
- प्रश्नों की भाषा सरल तथा स्पष्ट हो।
- सूचनाएँ गोपनीय रखी जानी चाहिए।
- सूचकों को शिष्टाचार के शब्दों से संबोधित किया जाएँ।
2. पूछताछ का तरीका (Mode of Enquiry):
आँकड़ों का संकलन डाक द्वारा हो सकता है या साक्षात्कार (mode of Enquiry Interview) के माध्यम से। पहली विधि काफी प्रमाणित है। इस विधि के अंतर्गत सूचकों को एक प्रश्नावली भेजी जाती है। उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे निश्चित तिथि तक प्रश्नावली भरकर भेजें। यह विधि वहाँ अधिक उपर्युक्त है जहाँ अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत है। इसके अतिरिक्त यह विधि मितव्ययी है और इससे हमें विश्वसनीय आँकड़े प्राप्त होते हैं, परंतु यह विधि शिक्षित वर्ग तक सीमित है। सूचक प्राय: प्रश्नावली भरकर भेजने में रुचि नहीं लेते।
सूचना संकलन करने की दूसरी विधि साक्षात्कार (Interview) है। इस विधि के अंतर्गत गणक अनुसूची (प्रश्नावली) लेकर स्वयं सूचक के पास जाता है। गणक सूचक को पहले सारी बातें समझा देता है और फिर उनसे सूचना एकत्रित करता है। यह विधि उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होती है जहाँ सूचक अशिक्षित हो। जटिल व कठिन प्रश्नों के उत्तर सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं: परंतु यह विधि बहुत महँगी है। गणक पक्षपाती भी हो सकते है और यदि गुणक कुशल नहीं है तो प्राप्त सूचना गलत भी हो सकती है।
3. गणकों को प्रशिक्षण देना (Training for Enumerators):
गणकों को प्रशिक्षण देना बहुत ही आवश्यक है, ताकि वे प्रश्नों को अच्छी तरह स्वयं समझ सकें और सूचकों को समझ सकें।
4. छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण (Pilot Surveys):
यदि अनुसंधान विस्तृत क्षेत्र का करना है तो यह अच्छा होगा कि विस्तृत क्षेत्र का अनुसंधान करने से पूर्व छोटे पैमाने पर सर्वेक्षण कर लिया जाए। ऐसा करने से प्रश्नों की उपयुक्तता के बारे में जाए। ऐसा करने से प्रश्नों की उपयुक्तता के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी और बड़े पैमाने पर होने वाली सर्वेक्षण की लागत का पता चल जाएगा।
प्रश्न 4.
जनगणना विधि द्वारा क्षेत्र में सर्वेक्षण से आप किस प्रकार की त्रुटियों (विभ्रमों) की आशा करते हैं?
उत्तर:
जनगणना विधि द्वारा क्षेत्र सर्वेक्षण से हम निम्नलिखित प्रकार की त्रुटियों की आशा करते हैं –
1. माप की गलतियाँ या त्रुटियाँ (Errors of measurement):
सर्वेक्षण में माप की गलती हो सकती है। दूसरे शब्दों में जब हम किसी व्यक्ति की आयु या आय के विषय में पूछते हैं तो वह अपनी आयु (विशेषतः अशिक्षित व्यक्ति) अनुमान से बताएँगे और कहेंगे लिख लो 30-35 वर्ष। आय के विषय में बताएँगे कि उनकी मासिक आय 2000-3000 रुपए है। इस प्रकार अनुमानित आयु या माप की गलतियाँ कहलाती हैं।
2. प्रश्नावली के कुछ प्रश्नों का गलत समझना या गलत अर्थ (Misunderstanding and misinterpreting some questions of the questionnaire):
जनगणना विधि में बहुत ही गुणकों की नियुक्ति की जाती है और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है, परंतु सारे गणक एक जैसी कुशलता वाले नहीं होते, और कुछ लापरवाह भी होते हैं। अतः वे प्रश्नावली के कई प्रश्नों को गलत समझते हैं या उनका गलत अर्थ लगाते हैं। ऐसी अवस्था में विभ्रम उत्पन्न हो सकती है। कई बार सूचक को भी प्रश्न ठीक ढंग से समझ नहीं आता है और वह गलत उत्तर देकर जान बचाता है।
3. लेखन त्रुटि (Recording mistakes):
कई बार गणक सूचक की सूचनाओं के लेखन में गलती कर बैठता है। उदाहरण के लिए, वह 31 के स्थान पर 13 लिख सकता है। कई बार लेख इतना गंदा होता है कि वह पढ़ा नहीं जाता और तालिका बनाने वाला लिखित उत्तरों को कंप्यूटर की फाइल में गलत बढ़ा देता है।
4. उत्तर न मिलने से त्रुटि (Errors of non-responses):
ये गलतियाँ या त्रुटियाँ उस समय उत्पन्न होती हैं, जब सूचक प्रश्नावली को भरने से इंकार करता है या गणक के बार-बार उससे मिलने जाने पर भी वह उपलब्ध नहीं होता।
5. गणितीय विभ्रम या त्रुटियाँ (Arithmetic errors):
कई प्रश्नों में थोड़ी-सी गणित या गणितीय गणना की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी अवस्था में गणना करने में गलती हो सकती है। उदाहरण के लिए, प्रश्नावली में एक प्रश्न है, ‘गत माह भोजन पर कुल कितना खर्च हुआ? ऐसी अवस्था में परिवार के मुखिया को गेहूँ, चावल, नमक, चीनी, दूध आदि पर होने वाले खर्चों को जोड़ना पड़ेगा। उससे जोड़ लगाने में गलती हो सकती है। मदों और उनकी कीमतों को याद करने में उसे गलती हो सकती है। ऐसी गलतियों को गणितीय गलतियाँ कहते हैं।
प्रश्न 5.
प्रतिचयन और अप्रतिचयन त्रुटियों में अंतर बताइए।
उत्तर:
प्रतिचयन और प्रतिचयन में अंतर
प्रश्न 6.
एक व्यक्ति ने एक प्रश्नावली तैयार करने के लिए निम्न प्रश्न बनाए हैं। ये प्रश्न दोषपूर्ण हैं। उनके स्थान पर अच्छे प्रश्न बनाएँ।
- आप एक महीने में पुस्तकों पर कितने रुपए खर्च करते हैं?
- आप अच्छा लगने के लिए अपनी आय का कितना प्रतिशत कपड़ों पर खर्च करते हैं?
- क्या आप नहीं सोचते कि धूम्रपान निषेध होना चाहिए।
- क्या आप कॉलेज के पश्चात् नौकरी करेंगी या गृहिणी बनेंगी?
- आपको इस उच्च कोटि की चाय की सुगंध कैसी लगी?
उत्तर:
प्रश्न 7.
एक आदर्श प्रश्नावली में क्या-क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:
एक आदर्श प्रश्नावली में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –
- सीमितता (Limitations): अच्छी प्रश्नावली वही मानी जाती है जो गागर में सागर भरे अर्थात् प्रश्न केवल विषयानुकूल ही हों।
- सरल व स्पष्ट (Simple and clear): प्रश्नावली में प्रश्न सीमित के साथ सरल व स्पष्ट भाषा में हों।
- उचित क्रम (Systematic order): प्रश्न आपस में जुड़े होने चाहिए और क्रम से होने चाहिए। ऐसा न हो कि बच्चों की संख्या पूछने के बाद, फिर यह पूछे कि आप शादीशुदा हैं? यह निरर्थक एवं हास्यास्पद प्रश्न होगा।
- उचित व सम्मानजनक प्रश्न (Proper and respectable questions): प्रश्न सम्मनजनक होने चाहिए जिससे कि सूचक के स्वाभिमान को ठेस न लगे। यह पूछना कि आप जुआ खेलते हैं, उचित नहीं है।
- प्रश्नों के प्रकार (Kinds of questions):
- (क) वैकल्पिक प्रश्न (Alternative question): ये वे प्रश्न हैं जिनका उत्तर हाँ या ना, गलत या सही दिशा में दिया जा सकता है।
- (ख) बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple-alternative questions): ये ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर कई हो सकते हैं, जैसे-आपने स्कूल क्यों खोला है? धन कमाने को, यश कमाने को या गरीब बच्चों की सहायता के लिएं? आदि।
- (ग) विशिष्ट प्रश्न (Specific question): ऐसे प्रश्न तब करने चाहिए जबकि कोई विशिष्ट जानकारी प्राप्त करनी हो, जैसे-किसी की मासिक आय।
- (घ) खुले प्रश्न (Open questions): ये ऐसे प्रश्न तब करने चाहिए जबकि सूचक इनका उत्तर मनमर्जी से दे। जैसे-नशाबंदी, दहेज प्रथा पर रोक।
- निर्देश (Direction): प्रश्नावली में यह भी ठीक-ठीक लिखा होना चाहिए कि प्रश्नावली को भेजने की अंतिम तारीख क्या है तथा उत्तर कैसे हों।
- प्रश्न के नीचे की टिप्पणी (Footnot after the questions): प्रश्नावली में दिए गए प्रश्नों में से किसी प्रश्न का अधिक विश्लेषण चाहिए तो ऐसे प्रश्नों के नीचे टिप्पणी अवश्य लिख देनी चाहिए।
- प्रश्नावली की पूर्व जाँच (Pre-checking of questionnaire): प्रश्नावली को सूचकों तक भेजने से पहले पूर्ण रूप से जाँच कर लेनी चाहिए। कोई किसी तरह की कमी न हो।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
यदि हम किसी आर्थिक या सामाजिक समस्या का अध्ययन करना चाहते हैं तो हमें –
(a) रुपयों की आवश्यकता होती है
(b) कुछ चरों से संबंधित आँकड़ों की जरूरत होती है
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कुछ चरों से संबंधित आँकड़ों की जरूरत होती है
प्रश्न 2.
क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा संग्रहीत आँकड़े कहलाते हैं –
(a) प्राथमिक आंकड़े
(b) द्वितीयक आँकड़े
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्राथमिक आंकड़े
प्रश्न 3.
प्राथमिक आँकड़े अन्वेशणकर्ता द्वारा
(a) स्वयं एकत्र किए जाते हैं
(b) स्वयं एकत्र नहीं करवाये जाते हैं
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) स्वयं एकत्र किए जाते हैं
प्रश्न 4.
जो आँकड़े अन्वेषणकर्ता द्वारा स्वयं एकत्र एवं संशोधित नहीं किए जाते, कहलाते हैं –
(a) मौलिक आँकड़े
(b) द्वितीयक आँकड़े
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) द्वितीयक आँकड़े
प्रश्न 5.
सभी प्रकाशित आँकड़े कहलाते हैं –
(a) द्वितीयक आँकड़े
(b) प्राथमिक आँकड़े
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्राथमिक आँकड़े
प्रश्न 6.
जो वास्तविक आँकड़े एकत्र करने क्षेत्र में जाता है, उसे कहते हैं –
(a) गणनाकार
(b) पर्यवेक्षक
(c) अन्वेषक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) गणनाकार
प्रश्न 7.
उत्तरदाता प्रश्नावली के प्रश्नों का उत्तर देकर –
(a) वास्तविक आँकड़े प्रदान नहीं करता है
(b) वास्तविक आँकड़े प्रदान करता है
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वास्तविक आँकड़े प्रदान करता है
प्रश्न 8.
जनगणना विधि में दिए गए क्षेत्र की –
(a) सभी व्यक्तिगत इकाइयाँ शामिल की जाती हैं
(b) विशिष्ट इकाइयाँ शामिल की जाती हैं
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सभी व्यक्तिगत इकाइयाँ शामिल की जाती हैं
प्रश्न 9.
प्रतिदर्शी विधि में दिए गए क्षेत्र की –
(a) सभी व्यक्तिगत इकाइयाँ शामिल की जाती हैं
(b) विशिष्ट इकाइयाँ शामिल की जाती हैं
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) विशिष्ट इकाइयाँ शामिल की जाती हैं
प्रश्न 10.
क्षेत्रीय कार्य की योजना में आँकड़ों के संग्रह के लिए अपनाई जाती है –
(a) गणना विधि
(b) प्रतिदर्श विधि
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों