Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions
Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 10 सूर्य (ओदोलेन स्मेकल)
सूर्य पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
वेदों में सूर्य के सम्बंध में क्या कहा गया है?
उत्तर-
वेदों में सूर्य को एक पहिए वाले रथ, जो सात शक्तिशाली घोड़ों से युक्त है; पर सवार देवता कहा गया है। पलक झपकते ही 364 लीग की द्रुत गति से प्रकाशमंडल में वह घूमता रहता है। ऋग्वेद में सूर्य को ईश्वर का सबसे सुन्दर दुनिया कहा गया है। साथ ही दैविक सूर्य” की संप्रभुता का आदर करने की सलाह दी गई है। वेदों में सूर्य को ऊर्जा तथा प्रकाश का अक्षय भंडार माना गया है। उसे धरती का संचालक भी बताया गया है।
इस प्रकार सूर्य समस्त संसार का संचालन करने वाले सर्वशक्तिमान देवता हैं जो ऊर्जा तथा प्रकाश का अपरिमित भंडार ब्रह्माण्ड को प्रदान कर रहे हैं।
प्रश्न 2.
भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता कौन थे? पाठ में सूर्य के जन्म के संबंध में दो कथाओं का उल्लेख हैं, उन्हें संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
भारतीय पौराणिक गाथाओं में वर्णित है कि सूर्य के माता-पिता अदिति और कश्यप थे। अदिति को आठ सन्ताने थीं। उनकी आठवीं संतान अंडे की आकृति की थी। अतः उसका नाम मार्तंड रखा गया। मार्तंड का अर्थ मृत अंडे का पुत्र होता है। उसका परित्याग कर दिया गया। वह आसमान में चला गया। उसने अपने को वहाँ महिमामंडित कर लिया।
दूसरी कथा के अनुसार अदिति ने एक अवसर पर अपने पहले सात पुत्रों से कहा कि वे बह्माण्ड की सृष्टि करें। माता का आदेश कोई सन्तान पूरी नहीं कर सका। इसका कारण यह था कि उन्हें केवल जन्म के विषय में जानकारी थी। वे मृत्यु से पूर्णतया अनभिज्ञ थे। जीवनचक्र की स्थापना हेतु अमरत्व की आवश्यकता नहीं थी। इस कारण वे लोग माँ की इच्छा का पालन नहीं कर सके। निराश होकर अन्त में अदिति ने मंर्तंड से यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने तत्काल दिन और रात का सृजन कर दिया जो दिन जीवन एवं मृत्यु के प्रतीक थे। उक्त दोनों कथाएँ हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित हैं। यह घटनाएँ प्रतीकात्मक हैं।
प्रश्न 3.
दिन और रात किसके प्रतीक हैं?
उत्तर-
दिन तथा रात हमारे दैनिक जीवन की गतिविधियों से संबंधित हैं। दिन में हम अपने समस्त कार्यों का निष्पादन करते हैं, जबकि रात्रि में पूर्ण विश्राम करते हैं। – हमारे ‘जीवन चक्र’ के दो अंग हैं-‘दिन और रात’ यह दोनों जीवन और मृत्यु के प्रतीक हैं। दिन हम जागृत अवस्था में अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, किन्तु रात्रि में हम शयन कक्ष में बिस्तर पर निन्द्रा में निमग्न होकर निष्क्रिय तथा निश्चेष्ट हो जाते हैं। यह एक प्रकार से जीवन और मृत्यु का प्रतीक है।
प्रश्न 4.
संज्ञा कौन थी? छाया से उसका क्या संबंध है? दोनों की संतानों का नाम लिखें।
उत्तर-
‘संज्ञा’ विश्वकर्मा की पुत्री थी। संज्ञा को सरन्यु के नाम से भी पुकारा जाता था। संज्ञा की तीन सन्तानें थीं, मनु वैवश्यत (सूर्यवंश के संस्थापक), यम (मृत्यु का देवता), और यमुना (नदी)। संज्ञा सूर्य के प्रचंड तेज को सहन नहीं कर पाई। अतः उसने अपनी छाया को सूर्य के निकट छोड़ दिया तथा स्वयं अश्विनी अर्थात् घोड़ी का रूप धारण कर तप करने के लिए प्रस्थान किया। दीर्घकाल तक छाया ने संज्ञा के छद्म रूप का अभिनय किया, किन्तु अन्ततः यह रहस्य खुल गया। सूर्य से छाया को तीन पुत्र उत्पन्न हुए-शनि, सावर्षि मनु और तपत्ति।
संज्ञा के प्रेम में दीवाना सूर्य ने उसे सारे ब्रह्मांड में दूढ़ना प्रारंभ किया। अश्व का रूप धारण कर वे संज्ञा के पास पहुंच गए। संज्ञा को सूर्य से दो संतानें हुई। जो अश्विनी कुमार कहलाते हैं, इनमें एक का नाम वासत्य तथा दूसरे का दक्ष है।
प्रश्न 5.
विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काटकर किन वस्तुओं का निर्माण किया?
उत्तर-
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काट डाला। उसे उन्होंने विभाजित कर दिया। उससे उनके द्वारा विष्णु का सुदर्शनचक्र, शिव का त्रिशूल, यम का दण्ड, स्कंद की माला तथा कुबेर की गदा का निर्माण किया गया।
प्रश्न 6.
वर्ष के बारहों महीनों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं। महीनों के नाम के साथ उस नामों को लिखें। साथ ही बारहों महीनों के तद्भव-देसी नाम भी लिखें।
उत्तर-
वर्ष के बारहों महीनों में सूर्य के अलग-अलग नाम हैं। उन नामों का विवरण इस प्रकार है
तत्सम्/तद्भव/देसी – सूर्य के नाम
- चैत्र/चैत – धावा
- वैशाख-बैसाख – अर्थमा
- ज्येष्ठ-जेठ – मित्र
- आषाढ़-आसाढ़ – वरुण
- श्रावण-सावन – इन्द्र
- भाद्रपद-भादो – विवस्वान
- आश्विन-आसिन/क्वाँर – पूष
- कार्तिक-कातिक – व्रतू
- मार्गशीर्ष-अगहन – अशु
- पौष-पूस – भग
- माध-माघ – त्वष्टा
- फाल्गुन-फागुन – विष्णु
प्रश्न 7.
पाठ में सूर्य के कई कार्यों की जानकारी दी गई है। उन कार्यों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं, इनकी सूची बनाएँ।
उत्तर-
सूर्य सम्पूर्ण ब्रह्मांड का संचालन करता है। संसार का अस्तित्व ही उसकी उपस्थिति पर निर्भर है। रात एवं दिन का निर्माण भी सूर्य के कारण ही होता है। इस प्रकार सूर्य संसार को अपनी ऊर्जा से शक्ति एवं सामर्थ्य प्रदान करता है एवं प्रकाश से प्रकाशित करता है।
सूर्य के कई काम हैं तथा प्रत्येक काम के लिए वे सविता कहलाते हैं। विश्व का कल्याण करने के लिए, उनके अलग नाम हैं। उनका एक काम हर वस्तु को उत्प्रेरित करना है, इस कार्य के लिए उन्हें पूषण नाम से संबोधित करते हैं। उगते सूरज को वैवस्वत कहा जाता है। उनका एक दुष्ट रूप भग है।
इस प्रकार सूर्य के विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग नाम हैं।
सूर्य के विभिन्न कार्यों हेतु ‘अलग-अलग नामों की सूची इस प्रकार है सूर्य के कार्य कार्य के आधार पर सूर्य के नाम
- (i) हर वस्तु को उत्प्रेरित करने का काम – (i) सविता
- (ii) विश्व-कल्याण का कार्य – (ii) पूषण
- (iii) संसार को प्रकाश एवं ऊर्जा प्रदान करना – (iii) वैवस्तव
- (iv) उसका दुष्ट रूप प्रदान करते, उगता सूरज – (iv) भग
प्रश्न 8.
विभिन्न देशों और समाजों में सूर्य के अलग-अलग नाम प्रचलित हैं नीचे एक सूची दी जा रही है, उसमें रिक्त स्थानों की पूति करें।
उत्तर-
विभिन्न देशों और समाजों में सूर्य को अलग-अलग नाम से संबोधित किया जाता है। उस की विस्तृत तालिका निम्नांकित है
- देश/समाज – सूर्य के नाम
- प्राचीन मिस्र – हमीकुस या होरूस
- फारस – मिथरा
- आसीरिया – मीरोदाक
- फिनिशिया – अपोलो
प्रश्न 9.
रोम सम्राट् ऑरीलिया ने सूर्य मन्दिर को क्यों नष्ट नहीं किया?
उत्तर-
रोम सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोविया के विद्रोह का दमन करने के लिए सेना द्वारा हमला किया। उसे परास्त कर बंदी बना लिया गया। उसकी दर्शनीय राजधानी पामीरा को ध्वस्त कर दिया गया। किन्तु सम्राट ने वहाँ भव्य मंदिर बनवा दिया। इसका कारण सूर्यदेव का अजेय होना था। सम्पूर्ण ब्रह्मांड में उनकी उपासना की जाती है तथा वे संसार को ऊर्जा एवं प्रकाश से समृद्ध किए हुए हैं।
प्रश्न 10.
मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म दिवस कब है?
उत्तर-
मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्मदिन 25 दिसम्बर माना जाता था। उस दिन को वे धूमधाम से मनाया करते थे।
प्रश्न 11.
प्राचीन मिस्र के चित्रों मे शरद के सूर्य के सिर पर सिर्फ एक केश दिखाया जाता है, क्यों?
उत्तर-
मिस्र के प्राचीन काल के चित्रों में शरद ऋतु के सूर्य के सिर पर केवल एक केश दिखाया जाता है। इसका कारण उनकी यह मान्यता रही है कि इस ऋतु में सूर्य कमजोर पड़ जाते हैं।
प्रश्न 12.
सूर्य मन्दिर के अवशेष भारत पाकिस्तान में कहाँ-कहाँ मिले हैं?
उत्तर-
सूर्य मंदिर के भग्नावशेष भारत के श्रीनगर के निकट मार्तंड नामक स्थान पर मिले हैं। पाकिस्तान के मुलतान में सूर्य मंदिर के अवशेष हैं।
प्रश्न 13.
मैक्समूलर ने सूर्य के संबंध में क्या लिखा है?
उत्तर-
मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि वैदिक ऋचाओं में सूर्य का धीरे-धीरे प्रकाशवान तारा से बदल जाने के क्रमिक विकास को देखा जा सकता है। सूर्य द्वारा सब कुछ देखा और जाना जाता है। इसलिए उससे इस बात का आग्रह किया जाता है कि उसके द्वारा जो देखा या जाना जाता है, उसे वह क्षमा करके भूल जाए. इन्द्र, वरुण, सावित्री या द्यौ में जो भी है।
प्रश्न 14.
राम ने शक्ति प्राप्त करने के लिए किस स्रोत का पाठ किया था?
उत्तर-
अगस्त्य मुनि द्वारा कहने पर राम ने शक्ति प्राप्त करने के लिए “आदित्य हृदय” स्त्रोत का पाठ किया था।
प्रश्न 15.
अद्वय और सदावृध शब्दों के क्या अर्थ हैं?
उत्तर-
ऋग्वेद में अदिति के लिए अद्वय हुआ तथा सदावृध शब्दों का प्रयोग किया गया है। अद्वय का अर्थ होता है,-“जो दो न हो” और सदावृध का अर्थ है,-“जो सदा बढ़ता रहे।”
प्रश्न 16.
मयूर कवि कौन थे? उनकी रचना का क्या नाम है?
उत्तर-
‘मयूर’ कवि सम्राट हर्षवर्द्धन के दरबारी कवि थे। वे सूर्यापासक थे। सूर्य की प्रशंसा में उन्होंने ‘सूर्य-शतकम्’ की रचना की है।
सूर्य भाषा की बात।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें सूर्य, घोड़ा, धरती, रात, तालाब
उत्तर-
- सूर्य – सोम, दिनकर, रवि, भास्कर, सविता. पतंग।
- घोड़ा – अश्व, घोटक, बाजि, सैन्धव।
- धरती – पृथ्वी, अवनि, घरित्री, घटा, रावरी।
- तालाब – सर, सरोवर, तड़ाग, पुष्कर, जन्नाशय।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें प्रतिनिधित्व, पौराणिक, प्रसन्नता, वैज्ञानिक, स्वस्तिक, दैविक।
उत्तर-
- शब्द – प्रत्यय
- प्रतिनिधित्व – त्व
- पौराणिक – इक
- प्रसन्नता – ता
- वैज्ञानिक – इक
- दैनिक – इक
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के समास विग्रह करें। महिमामण्डित, जीवन-चक्र, त्रिदेव, सूर्यपूजा, सूर्यवंश।
उत्तर-
- महिमामण्डित – महिमा से मंडित।
- जीवन – चक्र – जीवन का चक्र।
- त्रिदेव – तीन देवताओं का समूह।
- सूर्यपूजा – सूर्य की पूजा।
- सूर्यवंश – सूर्य का वंश।
प्रश्न 4.
इस पाठ में बहुत सारे संज्ञा पद हैं। संज्ञा के विभिन्न भेदों को ध्यान में रखकर प्रत्येक भेद के तीन-तीन उदाहरण चुनकर लिखें।
उत्तर-
ज्ञातव्य है कि संज्ञा के पाँच प्रमुख भेद होते हैं-जातिवाचक संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, भाववाचक संज्ञा, द्रव्यवाचक संज्ञा और समूहवाचक संज्ञा।
प्रस्तुत पाठ में प्रयुक्त संज्ञा के विभिन्न भेदों के तीन-तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- जातिवाचक संज्ञा – घोड़ा, बच्चा, मनुष्य
- व्यक्तिवाचक संज्ञा – सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु
- भाववाचक संज्ञा – अमरत्व, आभा, पुजा
- द्रव्यवाचक संज्ञा – अंडा, पानी, मिट्टी
- समूहवाचक संज्ञा – सभा, गुच्छा, मेला।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
सूर्य लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखक ओदोलेन स्मेकल का संक्षेप में जीवनी लिखें।
उत्तर-
ओदोलेन स्मेकल का जन्म 18 अगस्त, 1928 में चेकोस्लोवाकिया में हुआ था। उन्होंने चेकोस्लोवाक्रिया की राजधानी प्राहा के चार्ल्स के विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. तथा पी-एच. डी. किया। इसके बाद वे इसी विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक बन गए। आगे चलकर इन्होंने हिन्दी में रचनाएँ की। इन्हें भारत सरकार द्वारा विश्व हिन्दी पुरस्कार 1979 में सम्मानित किया गया। ये भारत में चेकोस्लोवाकिया के राजदूत भी रहे। प्रथम तथा द्वितीय हिन्दी सम्मेलनों में इन्होंने सक्रिय सहयोग किया।
प्रश्न 2.
सूर्य के नामों को लिखों।
उत्तर-
सूर्य के बारह नाम हैं जो बारह महीने पर आधारित है। ये नाम इस प्रकार हैं-
- धावा
- अर्थमा
- मित्र
- वरुण
- इन्द्र
- विवस्वान
- पूष
- ऋतु
- अंशु
- भग
- त्वष्टा
- विष्णु।
सूर्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सूर्य नामक निबंध किसकी रचना है?
उत्तर-
सूर्य नामक पाठ ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखी गयी है।
प्रश्न 2.
‘प्रेमचंद का गोदान’ नामक निबंध किसके द्वारा लिखी गयी है?
उत्तर-
‘प्रेमचंद का गोदान’ ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखी गयी है।
प्रश्न 3.
विश्वकर्मा की पुत्री कौन थी?
उत्तर-
विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा थी।
प्रश्न 4.
हमारे जीवन चक्र के दो अंग कौन हैं?
उत्तर-
हमारे जीवन चक्र के दो अंग दिन और रात हैं। लेखक के अनुसार ये दोनों जीवन के प्रतीक हैं।
प्रश्न 5.
सूर्य किसका संचालन करता है?
उत्तर-
सूर्य सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का संचालन करता है। संसार का अस्तित्व सूर्य पर निर्भर है।
प्रश्न 6.
कार्य के आधार पर सूर्य के नाम लिखें।
उत्तर-
कार्य के आधार पर सूर्य के नाम इस प्रकार हैं-
- सविता
- पूषण
- वैवस्वत
- भग।
प्रश्न 7.
भारत में सूर्य की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर-
भारत में हिन्दू धर्म के लोग सूर्य की पूजा करते हैं, क्योंकि यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को संचालित करता है। साथ ही, पूजा करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।
सूर्य वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ
प्रश्न 1.
‘सूर्य के रचनाकार हैं
(क) ओदोलेन स्मेकल
(ख) हरिशंकर परसाई
(ग) कृष्णा सोवती
(घ) कुमार गंधर्व
उत्तर-
(क)
प्रश्न 2.
ओदोलेन स्मेकल की रचना है?
(क) सूर्य
(ख) पृथ्वी
(ग) स्त्री
(घ) महिमा
उत्तर-
(क)
प्रश्न 3.
ओदोलेन स्मेकल का जन्म हुआ था?
(क) 14 अगस्त, 1928
(ख) 15 अगस्त, 1926
(ग) 14 सितम्बर, 1926
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)
प्रश्न 4.
‘ओदोलेन स्मेकान’ भारत द्वारा किस वर्ष विश्व हिन्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए?
(क) 1924
(ख) 1935
(ग) 1979
(घ) 1975
उत्तर-
(ग)
प्रश्न 5.
‘ओदोलेन स्मेकान’ किस विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. तथा पी.एच.डी. किए?
(क) पटना विश्वविद्यालय से
(ख) कोलकाता विश्वविद्यालय से
(ग) काशी विश्वविद्यालय से
(घ) ग्राहा के चार्ल्स विश्वविद्यालय
उत्तर-
(घ)
प्रश्न 6.
‘ओदोलेन स्मेकान’ अभिरुचि किस विषय में थी?
(क) अमेरीकी स्वतंत्रता
(ख) रूस का साम्यवाद
(ग) आधुनिक भारत
(घ) चीन का साम्यवाद
उत्तर-
(ग)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 1.
ओदोलेन स्मेकल भारत विद्याविद् यूरोपीय विद्वानों की परंपरा की एक………..थे।
उत्तर-
आधुनिक कड़ी।
प्रश्न 2.
हिन्दी भाषा और साहित्य से वे………..धरातल पर जुड़े हुए थे?
उत्तर-
शैक्षणिक तथा रुचिगत।
प्रश्न 3.
संज्ञा…………की पुत्री थी।
उत्तर-
विश्वकर्मा।
प्रश्न 4.
संज्ञा को………….के नाम से भी पुकारा जाता है।
उत्तर-
सरन्यु।
प्रश्न 5.
ऋग्वेद में सूर्य को ईश्वर का सबसे…………कहा गया है।
उत्तर-
सुन्दर दुनिया।
प्रश्न 6.
अदिति को………..सन्तानें थीं।
उत्तर-
आठ।
प्रश्न 7.
उनकी आठवीं संतान………….की थी।
उत्तर-
अंडे की आकृति।
प्रश्न 8.
मार्तण्ड का अर्थ…………..का पुत्र होता है।
उत्तर-
मृत अंडे।
प्रश्न 9.
अदिति के सभी पुत्री………….पूर्णतया अनभिज्ञ थे।
उत्तर-
मृत्यु से।
प्रश्न 10.
सूर्य से छाया को तीन पुत्र……………उत्पन्न हुए।
उत्तर-
शनि, सावर्षि, मनु और तपत्ति।
प्रश्न 11.
संज्ञा को सूर्य से दो…………संतानें हुईं।
उत्तर-
वासत्य औश्र दक्ष।
प्रश्न 12.
विश्वकर्म ने सूर्य की आभा से अंश को काटकर…………..निर्माण किया।
उत्तर-
विष्णु का सुदर्शन चक्र शिव का त्रिशूल तथा कुवेर की गदा का।
सूर्य लेखक परिचय – ओदोलेन स्मेकल (1928)
भारतीय विद्याविद् यूरोपीय विद्वान ओदोलेन स्मेकन का जन्म 18 अगस्त, 1928 ई० में यूरोप के चेकोस्लोवाकिया देश के ओलोमोउत्स नगर से सटे गाँव ‘लोशोव’ में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चेकोस्लोवाकिया की राजधानी में हुई। तदनंतर प्राहा के चार्ल्स विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. तथा पी. एच. डी. की। पुनः वहीं से उन्होंने लोक साहित्य, ग्राम उपन्यास तथा अनुकरणात्मक शब्दों पर शोध कार्य भी संपन्न किया।
स्मेकल कई वर्षों तक प्राहा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक रहे तथा दस से अधिक वर्षों तक भारत विद्या विभागाध्यक्ष के पद पर भी सुशोभित रहे। उन्होंने संसार के अनेक देशों एवं भारत की कई बार सांस्कृतिक यात्राएँ की, जिससे भारत के अनेक विशिष्ट व्यक्तियों, हिन्दी लेखकों, कवियों तथा राजनेताओं से उनका प्रत्यक्ष संपर्क हुआ। उन्होंने प्रथम तथा द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलनों में सक्रिय सहयोग किया था।
बहुभाषाविद् स्मेकल की विशेष अभिरुचि का विषय आधुनिक भारत था। चूंकि आधुनिक भारत प्राचीन भारत का ही विकसित रूप है, अतः इसे समझने के लिए इसके स्वर्णिम अतीत की जानकारी अपेक्षित है। विद्वान् स्मेकल इस बात को समझते थे। हिन्दी भाषा से और वे शैक्षणिक तथा रुचिगत धरातल पर संबंध थे। उनके लिए हिन्दी ही भारत को जानने-समझने का प्रधान माध्यम थी, फिर भी वे इस बहुभाषी और बहुजातीय राष्ट्र की दूसरी भाषाओं तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक विविधताओं की ओर से भी उदासीन नहीं रहे।
वस्तुत: उनके अंदर इस देश को गहराई से और समग्रता से जानने-समझने की उत्कट इच्छा थी। इसकी पुष्टि उनकी कविताओं और निबंधों से होती है। इसी प्रक्रिया में उन्होंने भारतीय धर्म-संस्कृति से संबंधित प्रमुख प्रतीकों का अध्ययन किया था। उनका यह अध्ययन सूचनात्मक और सतही मात्र नहीं, प्रत्युत् उसमें ज्ञेय तत्त्वों को अनुभव प्रत्यक्ष करने की अभिलाषा थी। इस प्रकार वास्तव में ओदोलेन स्मेकल भारत विद्याविद् यूरोपीय विद्वानों की परंपरा की एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कड़ी थे।
उनकी प्रमुख रचनाओं में प्रेमचन्द का गोदान, आधुनिक हिन्दी कविता का संकलन, भारतीय लोककथाएँ, भारत के नवरूप, ये देवता कहाँ से आए (निबंध), तेरे दान किए गीत, नमो नमो भारतमाता (कविता-संकलन) आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने चेक से हिन्दी एवं हिन्दी से चेक भाषाओं में अनेक अनुवाद भी किये। ये सारे कृतित्व भारत और हिन्दी के . ति उनके गहरे अनुराग को पुष्ट-प्रमाणित करते हैं। आखिर तभी तो वे भारत सरकार द्वारा विश्व हिन्दी पुरस्कार (1979 ई०) से सम्मानित-पुरस्कृत किये गये थे।
सूर्य पाठ का सारांश
ओदोलेन स्केवेल लिखित ‘सूर्य’ शीर्षक निबंध में सूर्य की महत्ता का वर्णन है। चेकोस्लोवाकिया यूरोप) के गाँव लोशोव में जन्मे स्कवेल ने भारत के गौरवशाली इतिहास का गहन अध्ययन किया। हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान भी स्मेकल द्वारा हमारे पौराणिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया गया तथ उससे संबंधित अनेक ग्रंथ उनके द्वारा लिखे गए। भारतीय धर्म-संस्कृति एवं सांस्कृतिक विविधताओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं को जानने-समझने की उनकी उत्कृष्ट लालसा थी। उनके द्वारा लिखी पुस्तक “कहाँ से आए देवता” में सूर्य के विषय में विश्व के विभिन्न देशों में प्रचलित मिथकों तथा भारत के पौराणिक ग्रंथों में वर्णित महत्वपूर्ण तथ्यों का विवरण है।
‘ओदोनेल स्मेकल’ लिखित ‘सूर्य’ शीर्षक निबंध में ‘सूर्य’ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का विवेचन है। निःसन्देह सूर्य सम्पूर्ण ब्राह्माण्ड की गतिविधियों को संचालित करता है। सूर्य की न केवल भारत में ही पूजा-उपासना की जाती रही है, वरन् विश्व के अन्य प्राचीन धर्मों तथा समाजिक-संस्कृतियों में भी सूर्य पूजित होते रहे हैं। भारतीय पूजा-उपासना की प्राचीन-परम्परा तथा सार्वभौमिकता पर भी सम्यक् प्रकाश डाला गया है।
वेदों में एक पहिए सात शक्तिशाली घोड़ों के रथ पर सवार सूर्य का वर्णन है। रथ पर. सवार होकर घूमते हुए वह समस्त संसार की गतिविधियों पर नजर रखता है। वह वेदों की साकार आत्मा और “त्रिदेव” का प्रतिनिधि है। अदिति एवं कश्यप की संतान सूर्य आकाशमंडल में विराजकर संसार में नवजीवन का संचार कर रहा है। सूर्य के विषय में हमारे पौराणिक ग्रंथों में अनेक गाथाएँ हैं। सूर्य की पूजा बारहों महीने होती है। उनकी आराधना की अनेक पद्धतियां हैं।
आसीरीयाई, आकेदी, फिनिशियाई, ग्रीक, रोमन आदि सभ्यता एवं संस्कृति के भी मुख्य देवता सूर्य ही थे। विभिन्न देशों के धर्मग्रंथों में सूर्य के भिन्न नाम हैं। बेंद-अवस्ता में सूर्य को ‘हवर’ तथा ग्रीक भाषा में ‘हीलीऔस” कहा जाता है। ईसाईयों ने इन धार्मिक अवधारणाओं में से कुछ को अंगीकृत किया तथा उस आधार पर 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस डे’ मानने ले, जबकि इसके पूर्व वे 6 जनवरी को मनाते थे। निथराइयों की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। वैसे हर मिथक में सूर्य को योद्धाओं का देवता माना गया है।
प्राचीन भारत में सूर्य मंदिरों को आदित्य गृह कहा जाता था। श्रीनगर के पास मार्तड तथा पाकिस्तान के मुलतान में सूर्य के भग्नावशेष हैं। सूर्य की विधिवत् पूजा अब केवल बिहार में ही बड़े पैमाने पर होती है जो दीपावली के छठे दिन ‘षष्ठी’ व्रत के रूप में मनायी जाती है।
वैसे अफगानिस्तान में आर्य नामक जाति के नाम से अभी भी कुछ लोग रहते हैं, जो सूर्य, अग्नि, इन्द्र आदि देवताओं की उपासना वैदिक रीति से करते हैं।
सूर्य कठिन शब्दों का अर्थ।
लीग-स्थल पर तीन मील और समुद्र पर लगभग साढ़े तीन मील का नाम। परित्याग-छोड़ देना। बखूबी-विशेषताओं के साथ। सृजन-निर्माण। सारथि-रथ हाँकने वाला। अंश-हिस्सा। स्कंद-कंद। उत्प्रेरित-बढ़ावा देना। स्वस्तिक-एक प्रकार का प्रतीक। सम्प्रदाय-किसी मत के अनुयायिों की मण्डली। पुष्करिणी-छोटा तालाब। अर्ध्य-समर्पण। अक्षुण्ण-सुरक्षित। जेंद अवेस्ता-प्राचीन फारसी धर्म ग्रंथ जिसकी भाषा वेदों से मिलती-जुलती है।
सूर्य महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या
1. रोम सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोंबिओ को परास्त करके बंदी बना लिया तो उसकी खूबसूरत राजधानी पामीरा को ध्वस्त कर दिया गया लेकिन वहाँ के सूर्य मंदिर को आलीशान बनवा दिया। क्योंकि सूर्यादेव अजेय हैं।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ सांदोलेन स्मेकल द्वारा लिखित सूर्य नामक पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने सूर्य की महत्ता का विवेचन किया है और एक दृष्टांत प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह कहा है कि जब रोमन सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोंबिया को परासा कर दिया तो उन्हें बंदी बना लिया और उनकी राजधानी पानी को भी नष्ट कर दिया गया।
इसके बावजूद वहाँ के सूर्य मंदिर को भव्य बनाया गया। क्योंकि वे यह मानते थे कि सूर्यदेव अजेय हैं जिनपर मनुष्य विजय नहीं प्राप्त कर सकता।
2. वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भण्डार और धरती पर जीवन का संचालक बताया गाय है। रामायण में भी सूर्य की उपासन करने का विधान है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखित सूर्य नामक पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में वेदों में सूर्य की महत्ता का जो वर्णन हुआ है उसको उजागर किया गया है और यह बतलाया गया है कि वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भण्डार तथा धरती पर जीवन का संचालक माना गया है। वेदों के अनुसार सूर्य की सम्प्रभुता का आदर करना चाहिए। इसी प्रकार का विचार रामायण में भी व्यक्त किया गया है। रामायण में अगस्तमुनि ने राम से यह कहा था कि उन्हें आदित्य हृदय स्त्रोत के द्वारा सूर्य की उपासना करना चाहिए। वास्तव में, वेद और रामायण दोनों में ही सूर्य की सम्प्रभुता और उसकी महत्ता को स्वीकार किया गया है।