Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 2 नया कानून

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 2 नया कानून (सआदत हसन मंटो)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 2 नया कानून (सआदत हसन मंटो)

नया कानून पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘नया कनून’ के आधार पर मंगू का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
‘नया कानून’ कहानी का नायक मंगू एक कोचवान है। वह घोड़ा चला कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। मंगू अन्य कोचवानों की अपेक्षा अधिक जागरूक और – स्वाभिमानी है। वह देश-विदेश की जानकारी अड्डे के अन्य कोचवानों को देता रहता है।

देश गुलाम था। मुंगू भी गुलामी का दंश झेल रहा था गोरे को वह देखना नही चाहता है। उसकी आकृति से ही उसे घृणा थी। जब कभी वह किसी गोरे के सुखी-सफेद चेहरे को देखता तो उसे मितली-सी आ जाती। वह कहा करता था कि उनके लाल झुर्रियों से भरे चेहरे को देखकर उसे वह लाश याद आ जाती है, जिसके जिस्म पर से ऊपर की झिल्ली गल-गलकर झड़ रही हैं।

जब कभी किसी शराबी गोरे से उसका झगड़ा हो जाता तो सारा दिन उसकी तबीयत खिन्न रहती और गोरे को गाली देता रहता। वह कहा कहता-“आग लेने आए थे। अब घर के मालिक ही बन गए हैं। नाक में दम कर रखा है। इन बन्दरों के औलाद ने। ऐसे रोब गाँठते हैं, जैसे हम उनके बाबा के नौकर हों।” इस तरह स्पष्ट हो जाता है कि मंगू गोरे से घूणा करता था।

मंगू गोरों के अत्याचार से ऊब चुका था। वह चाहता था कि कोई दूसरा भले ही आ जाए लेकिन ये गोरे लोग हिन्दुस्तान छोड़ दें। एक दिन एक सवारी से उसे जानकारी मिलती है कि नया कानून ‘इण्डियन ऐक्ट’ पहली अप्रैल से लाग होना। मंगू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह सोचता था कि नया कानून आने से उसे अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति मिल जाएगी इस बात की वह अन्य कोचवानों से भी कहता है।

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नया कानून को वह ‘रूस वाले बादशाह’ के असर का नतीजा समझता था। मंगू स्वभाव से बहुत जल्दबाज था। वह हर चीज का असली रूप देखने के लिए न सिर्फ इच्छुक था, अपितु उसे खोजता भी रहता था। तभी तो उसकी पत्नी उसके इस तरह की बेकरारियों को देखकर प्रायः कहा करती थी-“अभी कुआँ खोदा भी नहीं गया और तुम प्यास से बेहाल हो रहे हो।”

पहली अप्रैल को ‘नया कानून’ का प्रभाव देखने जब मंगू सड़क पर निकला तो उसे कुछ भी नयापन नहीं दिखाई पड़ा। अपनी घोड़ागाड़ी से सड़कों पर इधर-उधर दौड़ रहा था। एक गोरा ने उसे इशारा किया। मंगू ने पाँच रुपये किराया बताया। इस पर गोरा ने उसे दो-तीन बेंत लगा दी। मंगू को गोरे से वैसे ही नफरत थी। बेत पड़ते ही चोटिले सर्प जैसे उस गोरे पर मंग ने वार कर दिया और पागलों की तरह उसे पीटता रहा।

आखिर पुलिस के दो सिपाहियों ने किसी तरह उसे रोक पाया और पकड़ कर थाने ले गया। मंगू थाने जाते समय और थाना में भी नया कानून, नया कानून की रट लगा रहा था। उसका सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था। मंगू में ईमानदारी पूरी तरह भरी हुई है। वह पक्का देशभक्त है और गुली की जंजीर को तोड़ फेंकने की बेसब्री उसमें है। गोरे को वह देखना नहीं चाहता। बगैर अपशब्द के उसका नाम तक नहीं लेता।

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नया कानून पाठ का सारांश – सआदत हसन मंटो (1912-1955)

प्रश्न-
सआदत हसन मंटो द्वारा लिखित ‘नया कानून’ नामक पाठ का सारांश.लिखें।
उत्तर-
सआदत हसन मंटो (1912-1955) उर्दू साहित्य के अन्तर्गत सर्वाधिक चर्चित कहानीकार के रूप में मान्य हैं। उर्दू साहित्य में यथार्थवाद का नया दौर उन्हीं के कहानी-लेखन से आरंभ होता है। उनकी प्रमुख कहानियाँ है। उनकी प्रमुख कहानियाँ हैं-लाइसेंस, खोल दो, हतक, काली सलवार, टोबा टेक सिंह आदि।

‘नया कानून’ कहानीकार मंटो की एक यथार्थवादी कहानी है। गुलामी की पृष्ठभूमि में विचरित इस कहानी में आजादी मिलने के साथ लागू होने वाले नये कानून की प्रतीक्षा को केन्द्र में रखकर समाज के निचले तबके का प्रतिनिधि मंगू तांगेवाले को माध्यम बनाकर कहानीकार ने नये कानून के प्रति एक उमंगभरी उत्सुकता को बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से दर्शाया है।

मंगू एक तांगेवाला है। अपने अड्डे पर वह तांगेवालों के बीच सर्वाधिक अक्लमंद और दीन-दुनिया की खबर रखने वाला अत्यंत सजग व्यक्ति है। यह सजगता उसके स्तर की सीमा में है। वह तांगे चलाता हुआ तांगे में बैठे सवारियों में 1 अप्रैल से लागू होने वाले नये कानून के बारे में सुनता है। यह सुनकर वह मन-ही-मन काफी उत्साहित होता है। वह सोचता है कि अब गोरों की हुकूमत इस देश पर नहीं रहेगी तो उनके जुल्म भी नहीं हसने पड़ेंगे।

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समाज से मंगू को बेहद नफरत थी जिसका कारण उनके द्वारा ढोया जाने वाला जुर्म था जो मंगू खुद भी अपने तांगा चलाने के क्रम में झेल चुका था। अपने नांगे पर सवार मारवाड़ियों में नये कानून के लागू होने के साथ भावी परिवर्तन की होनेवाली बातचीत मंग ने काफी गंभीरता से सुनी थी। मारवाड़ियों की बात से प्रसन्न होकर पहली अप्रील के आने का बेसब्री से इंतजार करता है।

पहली अप्रील को मंगू उत्साह और खुशी से भर अपने तांगे में घोड़ों को जोतकर बाहर निकलता है । बाजारों का चक्कर लगाते हुए वह देखता है कि सबकुछ पूर्ववत है बदला कुछ भी नहीं है। हर काम पूर्ववत् अपने समय से होता हुआ देखकर जैसे वह बेचैन होता है।

अचानक किसी सवारी ने मंगू को अपनी ओर बुलाया। वह सवारी कोई दूसरा नहीं वह गोरा ही था जो पूर्व में एक दिन उसकी पिटाई कर चुका था। मंगू को नई उजरी गोरे के रूप में दिखायी दी। मंगू को उससे नफरत हुई फिर न चाहते हुए यह सोचकर दि इनके पैसे छोड़ना भी बेवकूफी है वह चलने को तैयार हो गया। घोड़े को चाबुक दिखलाकर वह तांगे चलाते हुए आगे बढ़ा। अपने इस सवारी से उसने व्यंग्य अंदाज में पूछा ‘साहब बहादुर, कहाँ जाना माँगता है?’ गोरे ने सिगरेट का धुआँ निगलते हुए जवाब दिया-“जाना मांगटा या फिर गड़बड़ करेगा?”

यह सुनकर मंगू को वह सवारी साफ तौर पर वही गोरा समझ में आया। गोरा को भी पिछले वर्ष की घटना मंगू की बात सुनते ही याद हो आयी । फिर क्या था हीरा मंडी का भाड़ा पाँच रुपये होने की बात मंगू के मुख से सुनते ही गोरे ने मंगू को अपनी छड़ी से तांगे से नीचे उतरने का इशारा किया। गोरा की तरफ मंगू ऐसे देखने लगा जैसे वह गोरा की पीस डालना चाह रहा हो। आखिरकार नाटे कद के गोरे को उसने चूंसा मार पलक झपकते ही गोरे की ठोड़ी के नीचे जमने के बाद गोरे को खुद से परे हटा तांगे से नीचे उतरकर उसकी धड़ाधड़ पिटाई करनी शुरू दी।

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गोरा खुद को मंगू के वजनी घूसों से बचाने लगा। मंगू ने इस बार खुद पिटाई न खाकर गोरे की पिटाई जी भरकर की और यह कहते हुए कि-“पहली अप्रैल को भी वही अकड़ पहली अप्रैल को भी वही अकड़ फूं … अब हमारा राज है बच्चा।” गोरा उस्ताद मंगू की पकड़ में था जिससे गोरे को छुड़ाना तत्क्षण पहुंचे दो सिपाहियों के लिए मुश्किल हो रहा था।

अंत में मंगू गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया जहाँ वह पागल की तरह चिल्लाता रहा-‘नया कानून, नया कानून’ किन्तु उसकी एक नहीं सुनी गई। हवालात में उसे बंद कर दिया गया।

प्रस्तुत कहानी में उस्ताद मंगू के चरित्र के मनोवैज्ञानिक चित्रण के माध्यम से आजादी मिलने के साथ लागू होने वाले नये कानून की प्रतीक्षा से उत्पन्न उमंग भरी उत्सुकता को दर्शाया गया है। कथ्य, शिल्प और भाषा सभी दृष्टियों से यह कहानीकार मंटो की सर्वोत्कृष्ट कहानी है।

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