Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

1. संज्ञा-पद की परिभाषा देते हुए व्युत्पत्ति के विचार से उसके भेद बताएँ।
परिभाषा-किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा भाव का, चाहे वह अनुभूत हो या कल्पित, बोध करानेवाले विकारी शब्द को संज्ञा कहते हैं।

भेद-व्युत्पत्ति के विचार से संज्ञा के तीन भेद होते हैं-रूढ़, यौगिक और योगरूढ़। रूढ़ संज्ञा-पद वह है जिसका खंड नहीं किया जा सकता और खंड करने पर जिसके अलग-अलग खंडों का कोई अर्थ नहीं निकलता; जैसे-राख, लाल, पीला आदि। यौगिक संज्ञा-पद वह है जो दो सार्थक शब्दों या खंडों के मेल से बना होता है और इसके संपूर्ण पद अर्थ होने के साथ-साथ इसके प्रत्येक खंड का भी सुनिश्चित अर्थ होता है; जैसे-पाठशाला (पाठ + शाला), राजकुमार (राजा + कुमार), देशभक्ति (देश + भक्ति) आदि। योगरूढ़ संज्ञा-पद वह है जो दो सार्थक खंडों के योग से बना होकर भी ‘अर्थ-विशेष’ का बोध कराने के लिए ‘रूढ’ हो गया है। जैसे-लंबोदर (लंबा पेटवाला)-गणेश, चक्रपाणि (जिसके हाथ में चक्र हो)-विष्णु, पंकज (पाँक से उत्पन्न हो जो वह)-कमल।

2. अर्थ के विचार से संज्ञा-पद के भेद सोदाहरण बताएँ।
अर्थ के विचार से संज्ञा-पदों के सामान्यतया पाँच भेद बताए जाते हैं-
(क) व्यक्तिवाचक-राम, मोहन, गंगा, पटना
(ख) जातिवाचक-मनुष्य, नदी, पहाड़
(ग) समूहवाचक-सेना, गुच्छा, वर्ग
(घ) द्रव्यवाचक-सोना, धान, दूध
(ङ) भाववाचक-करुणा, क्रोध, वात्सल्य इत्यादि।

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व्यक्तिवाचक संज्ञा-पद किसी विशेष व्यक्ति अथवा वस्तु का ज्ञान कराता है। उदाहरणार्थ-राम, मोहन, गंगा और हिमालय व्यक्ति-विशेषों, नदी-विशेष एवं पहाड़-विशेष का ज्ञान कराते हैं।

जातिवाचक संज्ञा-पद किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु का ज्ञान न कराकर उसकी संपूर्ण जाति का ज्ञान कराता है। उदाहरण के लिए-‘मनुष्य’ कहने से सभी मनुष्यों का, ‘नदी’ कहने से सभी नदियों का एवं ‘पर्वत’ कहने से सभी पर्वतों का ज्ञान होता है।

समूहवाचक संज्ञा-पद किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के समूह अथवा परंपरा का ज्ञान कराता है। उदाहरणार्थ, ‘सेना’ से सैनिकों के समूह का, ‘गुच्छा’ से फलों के गुच्छे का और ‘वर्ग’ से छात्रों के किसी समुदाय का ज्ञान होता है।

द्रव्यवाचक संज्ञा-पद ऐसी वस्तुओं का ज्ञान करता है जिन्हें व्यवहार में मापा या तौला जा सकता है। यह माप-तौल उस वस्तु की मात्रा की होती है। उदाहरण के लिए सोना, धान, दूध आदि ऐसी ही वस्तुएँ हैं।

भाववाचक संज्ञा-पद किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के स्वभाव या गुण का ज्ञान कराता है। इनकी अनुभूति तो की जा सकती है, पर इन्हें बाहरी आँखों से देखा नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए करुणा, क्रोध, वात्सल्य आदि शब्द प्राणियों के उस स्वभाव या प्रकृति का ज्ञान कराते हैं, जिन्हें हम देख तो नहीं सकते, परन्तु अनुभव कर सकते हैं।

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संज्ञा-पद का ‘लिंग’

1. संज्ञा-पद के लिए ‘लिंग’ से क्या तात्पर्य है? इसके कितने भेद हैं?
संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति अथवा वस्तु की स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो उसे पुरुष ‘लिंग’ कहते हैं। संज्ञ के ‘स्त्रीलिंग’ अथवा ‘पुल्लिग’ होने से उसके स्त्रीवर्ग अथवा पुंवर्ग के होने का बोध होता है।

‘लिंग’ के भेद-हिन्दी भाषा में लिंग के दो भेद माने गए हैं-स्त्रीलिंग और पुलिंग। जो शब्द-रूप संज्ञा के स्त्रीवर्ग के होने की सूचना देते हैं उन्हें स्त्रीलिंग कहा जाता है। जो शब्द-रूप संज्ञा के पुरुष वर्ग के होने की सूचना देते हैं उन्हें पुलिंग कहा जाता है।

कुछ प्रमुख स्त्रीलिंग-पुलिंग संज्ञा-पद

  • पुलिंग – स्त्रीलिंग
  • अभिनेता – अभिनेत्री
  • इन्द्र – इन्द्राणी
  • नर – नारी
  • कवि – कवयित्री
  • नर्तक – नर्तकी
  • कान्त – कान्ता
  • नाग – नागिन  Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद
  • गायक – गायिका
  • निदेशक – निदेशिका
  • पति – पत्नी
  • ऊँट – ऊँटनी
  • चोर – चोरनी
  • कनिष्ठ – कनिष्ठा
  • चौधरी – चौधरानी/चौधराइन
  • चौबे – चौबाइन
  • ज्येष्ठ – ज्येष्ठा
  • छात्र – छात्रा
  • ठाकुर – ठाकुरानी/ठकुराइन
  • जेठ – जेठानी
  • बाल – बाला  Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद
  • डॉक्टर – डॉक्टरनी
  • बालक – बालिका
  • तरुण – तरुणी
  • बूढ़ा – बूढ़िया
  • संरक्षक – संरक्षिका
  • पड़ोसी – पड़ोसिन
  • दादा – दादी
  • संपादक – संपादिका
  • दास – दासी
  • सभापति – सभानेत्री
  • भाई – बहन
  • सम्राट – सम्राज्ञी
  • मामा – मामी
  • मेम – साहब
  • मोर – मोरनी
  • ससुर – सास
  • राजा – रानी
  • सुत – सुता  Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद
  • क्षस – राक्षसी
  • सूर्य – सूर्या/सूरी
  • रुद्र – रुद्राणी
  • पंडित – पडिताइन
  • लेखक – लेखिका
  • पाठक – पाठिका
  • वाचक – वाचिका
  • पितामह – पितामही
  • विद्वान – विदुषी
  • विधाता – विधात्री
  • पुरुष – स्त्री
  • प्रेमी – प्रेमिका/प्रेयसी
  • हरिण – हरिणी

2. वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग-
निर्णय से क्या तात्पर्य है? वाक्य में शब्द-विशेष का प्रयोग कर कितने प्रकार से लिंग-निर्णय किया जा सकता है?

लिंग-निर्णय से तात्पर्य यह होता है कि कोई विशेष संज्ञा-पद पुलिंग वर्ग का है अथवा स्त्रीलिंग वर्ग का, इसका वाक्य में उस पद के सम्यक् प्रयोग द्वारा-निर्णय कराना।

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लिंग-निर्णय कैसे करें-किसी संज्ञा-शब्द का लिंग-निर्णय तीन प्रकार से किया जा सकता है-

(क) विशेषण-पद प्रयोग द्वारा
(ख) रांबंधसूचक पद द्वारा
(ग) क्रिया-पद द्वारा

जिस संज्ञा-शब्द का लिंग-निर्णय करना होता है उसके आगे किसी ऐसे विशेषण-पद को रखना चाहिए जो उसका ‘लिंग’ निश्चित कर दे। जैसे-

  • श्याम अच्छा ‘लड़का’ है।
  • उसे सुनहला ‘मौका’ मिला है।
  • नई ‘चाल’ चली गई।
  • अभी आई ‘खबर’ क्या है?

उपर्युक्त वाक्यों में गहरे काले अक्षरों में छपे शब् विशेषण-पद हैं जो ‘लड़का’, ‘मौका’, ‘चाल’ एवं ‘खबर’ शब्दों का क्रमशः पुलिंग एवं स्त्रीलिंग होना सूचित करते हैं।

संज्ञा-शब्द के (जिसका लिंग-निर्णय करना हो) आगे आनेवाले संबंधवाचक पदों द्वारा भी लिंग-निर्णय होता है। संबंधवाचक (किसी वस्तु या प्राणी का दूसरी वस्तु या प्राणी से संबंध या नाता बतानेवाले) पद नौ हैं-का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी। इसमें की, री, नी संबंध वाचक पद अपने बाद आनेवाले संज्ञा-पदों का स्त्रीलिंग होना सूचित करते हैं एवं का-के, रा-रे, ना-ने संबंधवाचक पद अपने बाद आनेवाले संज्ञा-पदों का पुलिंग होना। यह दिए जा रहे कतिपय उदाहरणों से स्पष्ट हो सकेगा।

  • मोहन का कमरा है।
  • मोहन के भाई हैं
  • मोहन की किताब हैं।
  • मेरा कमरा है।
  • मेरे भाई हैं।
  • मेरी किताब है।
  • अपना कमरा है।
  • अपने भाई हैं।
  • अपनी किताब है।

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उपर्युक्त उदाहरणों में ‘कमरा’ एवं ‘भाई’ संज्ञा-पदों का पुलिंग होना का-के, रा-रे, ना-ने संबंधवाचक पदों द्वारा सूचित हो रहा है एवं ‘किताब’ संज्ञा-पद का स्त्रीलिंग होना की, री, नी संबंधवाचक पदों द्वारा।

कर्ता के स्थान पर आए संज्ञा-शब्दों के क्रिया-पदों द्वारा भी उनका लिंग-निर्णय किया जा सकता है। जैसे-

  • दूर तक ‘घास’ फैली है।
  • ‘चील’ आसमान में उड़ती है।
  • उनके कानों पर ‘जूं’ न रेंगी।
  • ‘साँझ’ धीरे-धीरे घिर आई।
  • ‘बारिश’ जोरों से होने लगी।
  • ‘समझ’ तो जैसे मारी गई है।

उपर्युक्त वाक्यों में गहरे काले अक्षरों में छपे क्रिया-पदों द्वारा उनसे संबद्ध वाक्यों में कर्ता के रूप में आए क्रमशः ‘घास’, ‘चील’, ‘नँ’, ‘साँझ’, ‘बारिश’ एवं ‘समझ’ संज्ञा-पदों का स्त्रीलिंग होना स्पष्ट सूचित होता है।

उपर्युक्त तीन साधनों के अतिरिक्त वाक्य-प्रयोग द्वारा किसी संज्ञा-विशेष के लिंग-निर्णय का और कोई साधन नहीं है। यदि तीनों में किसी एक का भी सहारा लिए बिना ही (शब्द-विशेष के) लिंग-निर्णय का प्रयास किया जाएगा तो वह बेकार ही होगा। उदाहरण के लिए-

  • वह घास पर बैठा है।
  • बाज एक पक्षी है।

इन वाक्यों से ‘घास’ एवं ‘बाज’ संज्ञा-पदों का लिंग-निर्णय नहीं होता है। कारण, इनके आगे न तो कोई विशेषण-पद आया है, न संबंधवाचक पद और न ये ‘कर्ता’ के रूप में ही आए हैं कि इनका संबंध क्रिया-पदों से हो और उनके द्वारा लिंग-निर्णय हो।

कुछ प्रमुख संज्ञा-पदों का वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय-

अनाज (पुं.)-आजकल अनाज महँगा है।
अफवाह (स्त्री.)-यह अफवाह जोरों से फैल रही है।
अभिमान (पुं.)-किसी भी बात का अभिमान न करें।
अमावस (स्त्री.)-पूनम के बाद फिर अमावस आई।
अरहर (स्त्री.)-खेतों में अरहर लगी थी।
अश्रु (पु.)-उनके नयनों से अश्रु झरते रहे।
आँगन (पु.)-घर का आँगन चौड़ा है।
आँख (स्त्री.)-उसकी आँखों में लगा काजल धुल गया।
आँचल (पु.)-माँ ने आँचल पसारा।
आग (स्त्री.)-आग जलने लगी।
आकाश (पुं.)-आकाश स्वच्छ था।

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आत्मा (स्त्री.)-उनकी आत्मा प्रसन्न थी।
आदत (स्त्री.)-दूसरों को गाली बकने की आदत अच्छी नहीं।
आयु (स्त्री.)-गीता की आयु तेरह साल की है।
आशा (स्त्री.)-मेरी आशा पूर्ण हुई।
ओस (स्त्री.)-रातभर ओस गिरती रही।
औषधि (स्त्री.)-यह औषधि अच्छी है।
इज्जत (स्त्री.)-बड़ों की इज्जत करो।
इत्र (पुं.)-उन्होंने बहुत बढ़िया इत्र लाया है।
इलायची (स्त्री.)-इलायची महँगी हो गई है।
ईंट (स्त्री.)-नींव की ईंट हिल गईं।
उपहार (पु.)-मेरा उपहार स्वीकार करें।
उपाय (पुं.)-आखिर इसका क्या उपाय है?
उपेक्षा (स्त्री.)-हर बात की उपेक्षा ठीक नहीं होती।
उलझन (स्त्री.)-उलझन बढ़ती ही जा रही है।
कचनार (पुं.)-कचनार फुला गया।
कपूर (पुं.)-कपूर हवा में उड़ गया।

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कमर (स्त्री.)-उसकी कमर टूट गई।
कमल (पु.)-तालाब मे कमल खिला है।
कसक (स्त्री.)-उनके दिल में एक कसक छुपी थी।
कसम (स्त्री.)-मैं अपनी कसम खाता हूँ
कसर (स्त्री.)-अब इसमें किस बात की कसर है?
कमीज (स्त्री.)-मेरी कमीज फट गई है।
किताब (स्त्री.)-उसकी किताब पुरानी है।
कीमत (स्त्री.)-इस चीज की कीमत ज्यादा है।
कुशल (स्त्री.)-अपनी कुशल कहें।
कोयल (स्त्री.)-डाली पर कोयल कूक रही है।
कोशिश (स्त्री.)-हमारी कोशिश जारी है।
काँग्रेस (स्त्री.)-इस चुनाव में काँग्रेस जीत गई।
खाट (स्त्री.)-उसकी खाट टूट गई।
खटमल (पु.)-उसकी बिछावन पर कई खटमल नजर आ रहे थे।
खड़ाऊँ (स्त्री.)-मेरी खड़ाऊँ कहाँ है?
खंडहर (पुं.)-नालंदा के खंडहर मशहूर हैं।
खबर (स्त्री.)-आज की नई खबर क्या है।
खीर (स्त्री.)-आज खीर अच्छी बनी है।
खेत (पु.)-यह गेहूँ का खेत है।

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खेल (पु.)-आपका खेल अच्छा होता है।
ग्रंथ (पु.)-यह कौन-सा ग्रंथ है?
गरदन (स्त्री.)-उसकी गरदन सुंदर है।
गीत (पु.)-उसका गीत पसंद आया।
गोद (स्त्री.)-उसकी गोद भर गई
घबराहट (स्त्री.)-आपकी इस घबराहट का कारण क्या है?
घर (पुं.)-उसका घर बंगाल में है।
घास (स्त्री.)-यहाँ की घास मुलायम है।
घी (पुं.)-घी महँगा होता जा रहा है।
घूस (स्त्री.)-दारोगा ने घूस ली थी।
घोंसला (पुं.)-चिड़ियों का घोंसला उजड़ गया।
चना (पु.)-इन दिनों चना महँगा है।।
चमक (स्त्री.)-कपड़े की चमक फीकी पड़ गई है।
चर्चा (स्त्री.)-आपकी इन दिनों बड़ी चर्चा है।
चश्मा (पु.)-उसका चश्मा खो गया।
चाँदी (स्त्री.)-चाँदी महँगी हो गई है।
चादर (स्त्री.)-चादर मैली हो गई।

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चाल (स्त्री.)-घोड़े की चाल अच्छी है।
चिराग (पु.)-रात भर चिराग जलता रहा।
चिंतन (पु.)-गाँधीजी का चिंतन गंभीर था।
चीज (स्त्री.)-मुझे हर भली चीज पसंद है।
चील (स्त्री.)-चील आसमान में उड़ती है।
चुंगी (स्त्री.)-विदेशी माल पर काफी चुंगी लगा दी गई।
चोला (पु.)-उनका यह चोला पुराना हो गया।
चुनाव (पुं.)-आप चुनाव समाप्त हुआ।
चोंच (स्त्री.)-मैना की चोंच टूट गई।
चौकी (स्त्री.)-वहाँ चौकी डाल दी गई।
छत (स्त्री.)-मकान की छत नीची है।
जंजीर (स्त्री.)-यह लोहे की जंजीर है।
जमानत (स्त्री.)-मोहन की जमानत मंजूर हो गई।
जहाज (पुं.)-जहाज चला जा रहा था।
जमुना (स्त्री.)-जमुना (नदी) भी हिमालय से ही निकलती है।
जीभ (स्त्री.)-उसकी जीभ ऐंठ रही थी।
नँ (स्त्री.)-उनके कानों पर जूं न रेंगी।
जेब (स्त्री.)-किसी ने मेरी जेब काट ली।
जेल (पु.)-पटना का जेल बहुत बड़ा है।

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जोंक (स्त्री.)-जोंक उसके अंगूठे से चिपकी थी।
झंझट (स्त्री.)-व्यर्थ की झंझट में कौन पड़े?
झील (स्त्री.)-आगे दूर तक नीली झील फैली थी।
टीका (पु.)-उन्होंने चंदन का टीका लगाया।
(स्त्री.)-पंडितजी ने ‘संस्कृत’ की टीका लिखी है।
टेबुल (पु.)-मेरा टेबुल पिछले कमरे में लगा दो।
ठंढक (स्त्री.)-रात में काफी ठंढक थी।
ढेर (पु.)-वहाँ फूलों का ढेर लगा था।
ढोल (पु.)-दूर का ढोल सुहावना होता है।
तनखाह (स्त्री.)-आपकी तनखाह कितनी है?
तरंग (स्त्री.)-नदी की एक तरंग उठी।
तराजू (पु.)-बनिए का तराजू टूट गया था।
तलवार (स्त्री.)-वीर की तलवार चमक उठी।
तलाक (पु.)-उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया।
तस्वीर (स्त्री.)-यह तस्वीर किसने बनाई है?
ताँता (पु.)-आनेवालों का तांता लगा ही रहा।
ताकत (स्त्री.)-हर आदमी अपनी ताकतभर ही काम कर सकता है।
ताला (पु.)-मकान के दरवाजे पर ताला लटक रहा था।
ताज (पुं.)-उनके सर पर ताज रखा गया।

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तारा (पु.)-आसमान में तारा चमक रहा था।
ताबीज (पु.)-फकीर ने अपना ताबीज मुझे दिया।
तिथि (स्त्री.)-परसों कौन-सी तिथि थी?
तिल (पुं.)-अच्छा तिल बाजार में नहीं मिलता।
तीर्थ (पु.)-रामेश्वरम हिन्दुओं का तीर्थ है।
तीतर (पुं.)-आहट पाकर तीतर उड़ गया।
तेल (स्त्री.)-चमेली का तेल ठंढा होता है।
तोप (स्त्री.)-किले को लक्ष्य कर तोप दागी गई।
तोहफा (पु.)-शादी का तोहफा लाजवाब था।
तौलिया (पुं.)-मेरा नया तौलिया कहाँ है?
थकान (स्त्री.)-चलने से काफी थकान हो आई थी।
थाल (पुं.)-पूजा का थाल सामने पड़ा था।
दंड (पु.)-उसे चोरी का दंड मिला।।
दया (स्त्री.)-मूझे उसपर बड़ी दया आई।
दंपति (पु.)-दंपति अब सानंद थे।
दफ्तर (पुं.)-दफ्तर दस बजे के बाद खुलता है।
दरबार (पुं.)-राजा का दरबार लगा हुआ था
दर्शन (पुं.)-बहुत दिनों के बाद आपके दर्शन हुए।
दलदल (स्त्री.)-इस ओर गहरी दलदल है।

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दवा (स्त्री.)-हर मर्ज की दवा नहीं होती।
दही (पुं.)-अपनी दही को कौन खट्टा कहता है।
दहेज (पुं.)-उसे बहुत दहेज मिला था।
दाल (स्त्री.)-इस बार उसकी दाल न गली।
दावात (स्त्री.)-दावात उलट गई।
दीप (पुं.)-दीप जगमगा उठा।
दीवार (स्त्री.)-दीवारें ढह गई थीं।
दीमक (स्त्री.)-किताब में दीमक लग गई।
दुःख (पु.)-उन्हें इस बात का गहरा दु:ख है।
दुनिया (स्त्री.)-दुनिया तेजी से बढ़ती जा रही है।
दूज (स्त्री.)-फिर भैयादूज आई तो बहन से भेंट हुई।
दूब (स्त्री.)-हरी-भरी दूब बड़ी प्यारी लगती है।
देवता (पुं.)-साहित्य के देवता आजकल मौन हैं।
देशाटन (पुं.)-आपका देशाटन कैसा रहा?
दोपहर (स्त्री.)-दोपहर हो आई थी
दौलत (स्त्री.)-भगवान ने उन्हें खूब दौलत दी है।
धनिया (पुं.)-धनिया फिर महँगा हो गया
धातु (स्त्री.)-खान से अनेक प्रकार की धातुएँ निकलती हैं।
धूप (स्त्री.)-धूप अब तेज हो चली है।
धूल (स्त्री.)-आपके चरणों के धूल भी पावन है।।

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धोखा (पु.)-जीवन में हर किसी को धोखा होता है।
नकल (स्त्री.)-हर चीज की नकल अच्छी नहीं होती।
नमक (पुं.)-समुद्र के पानी से निकाला गया नमक जल्द गल जाता है।
नमाज (स्त्री.)-उन्होंने भोर की नमाज पढ़ी।
नशा (पुं.)-धन का नशा जल्द चढ़ता है।
नसीहत (स्त्री.)-मैने उसकी नसीहत का कभी बुरा नहीं माना।
नयन (पुं.)-खुशी का समाचार सुनकर नयन खिल उठे।
नहर (स्त्री.)-अकाल से लड़ने के लिए चारों ओर नहरें खोदी जा रही हैं।
नदी (स्त्री.)-यह नदी तिरछी होकर बहती है।
नाक (स्त्री.)-इन लड़कों ने प्रथम श्रेणी लाकर विद्यालय की नाक रख ली।
नाव (स्त्री.)-वह छोटी नाव थी।
नाखून (पुं.)-उसके नाखून बढ़े हुए हैं।
निमंत्रण (पु.)-आपका निमंत्रण मिला था।
निराशा (स्त्री.)-इस बात से उन्हें गहरी निराशा हुई।
निशा (स्त्री.)-निशा बीच चली गई।
नींद (स्त्री.)-उसे नींद आ गई।
नींबू (पुं.)-नीबू निचोड़ा गया, पर रस न निकला।
नींव (स्त्री.)-मकान की नींव ही कमजोर थी।
नीलम (पुं.)-रास्ते की धूल में नीलम पड़ा था।
नेत्र (पुं.)-विषाद से उनके नेत्र बंद थे।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

नौका (स्त्री.)-नौका तरंगों से खलती रही
पंछी (पुं.)-पंछी आसमान में उड़ रहा था।
पक्षी (पुं.)-डाल पर पक्षी बैठा था।
पतंग (स्त्री.)-पतंग हवा से बातें करने लगी।
पतझड़ (स्त्री.)-पतझड़ आई तो पीले पत्ते झड़ने लगे।
पताका (स्त्री.)-उनके यश की पताका विदेशों में भी फहराने लगी।
पनघट (पु.)-पनघट आज सूना नहीं था।
परंपरा (स्त्री.)-इस देश में ऋषि-मुनियों की परंपरा लगी रही है।
परख (स्त्री.)-गुणों की परख गुणवान ही कर सकते हैं।
परछाईं (स्त्री.)-सुबह की परछाईं लंबी दीखती है।
परदा (पु.)-आँखों पर पड़ा अज्ञान का परदा हट गया।
परवाह (स्त्री.)-यहाँ कौन किसकी परवाह करता है।
पराजय (स्त्री.)-असत्य की पराजय होगी ही, चाहे जब हो।
परीक्षा (स्त्री.)-जीवन में सभी की परीक्षा होती है।
पलंग (पु.)-उन्होंने हाल में ही नया पलंग खरीदा है।
पवन (पु.)-उनचास पवन एक साथ बहने लगे।
पहचान (स्त्री.)-गुणी व्यक्ति की पहचान में मुझसे भूल नहीं हो सकती।
पहिया (पुं.)-गाड़ी के पहिए टूट गए हैं।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

पाठशाला (स्त्री.)-इस गाँव में एक बड़ी पाठशाला है।
पानी (पुं.)-बाढ़ का पानी अब तेजी से उतर रहा है।
पीठ (स्त्री.)-मैने उसकी पीठ ठोक दी।
पीतल (पुं.)-यह पीतल काफी चमक रहा है।
पुकार (स्त्री.)-न्याय की पुकार आज कोई नहीं सुनता।
पुड़िया (स्त्री.)-बाबाजी ने जादू की पुड़िया खोली।
पुल (पुं.)-पटना में गंगा नदी पर दूसरा पुल बनेगा।
पुलिस (स्त्री.)-पुलिस रातभर गश्त लगाती रही।
पुष्य (पुं.)-उस वृंत पर ही पुष्प खिला था।
पुस्तक (स्त्री.)-यह किसकी पुस्तक है?।
पुस्तकालय (पुं.)-उस गाँव में एक भी पुस्तकालय नहीं है।
पोशाक (स्त्री.)-सेनापति की पोशाक भड़कीली थी।
प्रकृति (स्त्री.)-प्रकृति हिमालय की गोद मे रम्य अठखेलियाँ कर रही थी।
प्रगति (स्त्री.)-देश की प्रगति उसके नागरिकों पर ही निर्भर करती है।
प्रत्यय (पुं.)-‘लड़कपन’ मे कौन प्रत्यय जुटा हुआ है।
प्रभात (पु.)–प्रभात हुआ और सुनहली आभा फैल गई।
प्रश्न (पुं.)-इस बार पूछे गए प्रश्न सरल थे।
प्रांगण (पुं.)-घर का प्रांगण विशाल था।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

प्राण (पुं.)-पुत्र के लिए माता के प्राण व्याकुल थे।
प्रार्थना (स्त्री.)-भगवान की प्रार्थना बेकार नहीं जाती।
प्रेरणा (स्त्री.)-सद्गुरु की प्रेरणा पाकर शिष्य पढ़ने लगे।
प्याज (पु.)-इन दिनों प्याज महँगा होता जा रहा है।
प्यास (स्त्री.)-मुझे जोरों की प्यास लगी थी।
फसल (स्त्री.)-खेतों में फसल लहलहा उठी।
फैशन (पुं.)-आजकल हर दिन कोई-न-कोई नया फैशन निकलता है।
फैसला (पुं.)-जज साहब ने अपना फैसला सुना दिया।
फौज (स्त्री.)-दोनों ओर की फौजें आमने-सामने खड़ी थीं।
बंदूक (स्त्री.)-शेर का लक्ष्य कर बंदूक दाग दी गई।
बचत (स्त्री.)-आज की बचत कल के लिए फायदेमंद होगी।
बचपन (पुं.)-बचपन जो बीता तो चंचलता भी जाती रही।
बटेर (स्त्री.)-इशारा पाते ही बटेरें लड़ने लगीं।
बताशा (पुं.)-पानी में गिरते ही बताशा गल गया।
बधाई (स्त्री.)-उसकी सहायता पर मैंने बधाई दी।
बनावट (स्त्री.)-इस वस्तु की बनावट बड़ी भली है।
बर्फ (स्त्री.)-रातभर बर्फ गिरती रही।
वसंत (पु.)-पतझड़ गई तो वसंत आया।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

बाढ़ (स्त्री.)-आज बाढ़ आई और कल उतर गई।
बात (स्त्री.)-छोटी-सी बात पर इतना विचार ठीक नहीं।
बालू (पुं.)-चारों ओर बालू-ही-बालू छाया था।
बुलबुल (स्त्री.)-डाल पर बैठी बुलबुल गाती रही।
बुखार (पुं.)-शाम होते-होते उसे बुखार लग गया था
बूंद (स्त्री.)-अमृत की एक बूंद काफी है।
भक्ति (स्त्री.)-सच्ची भक्ति ही मोक्ष दिलवाती है।
भजन (पुं.)-वे रात-दिन भगवान का भजन करते हैं।
भय (पुं.)-झगड़ालुओं से सभ्य जनों को भय होता ही है।
भाग्य (पुं.)-सभी को अपना-अपना भाग्य होता है।
भीख (स्त्री.)-आपसे वह दया की भीख माँगती है।
भीड़. (स्त्री.)-धीरे-धीरे भीड़ बढ़ती चली गई।
भूख (स्त्री.)-मन की भूख अन्न से नहीं मिटती।
भूत (स्त्री.)-धनी बनने का भूत सबके सिर पर सवार है।
भूल (स्त्री.)-छोटी-सी भूल की इतनी बड़ी सजा।
भेंट (स्त्री.)-बहुत दिनों बाद आपसे भेंट हुई।
मंजिल (स्त्री.)-हमारी मंजिल हमारे सामने है।
मंत्र (पृ.)-योगी ने वशीकरण मंत्र पढ़ा।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

मखमल (स्त्री.)-फर्श पर मखमल बिछी थी।
मजाक (पुं.)-आपका मजाक मुझे पसंद आया।
मटर (पुं.)-हरे पटर का स्वाद निराला था।
मन (पु.)-आपके मन की बात मैं कैसे जानें।
मलमल (स्त्री.)-उन्होंने ढाके की मलमल चाही थी।
मशाल (स्त्री.)-क्रांति की मशाल जलती रहेगी।
मशीन (स्त्री.)-मशीन चल रही है।
मस्जिद (स्त्री.)-कहीं मस्जिदें खड़ी हैं, कहीं मंदिर।
माँग (स्त्री.)-श्रमिकों की मांग पूरी होनी चाहिए।
माँ-बाप (पुं.)-उनके माँ-बाप परेशान थे।
माला (स्त्री.)-मणियों की माला टूटकर बिखरी थी।
माया (स्त्री.)-सब प्रभु की माया है।
मिठास (स्त्री.)-उसकी बोली में शहद-सी मिठास है।
मुक्ति (स्त्री.)-माया में पड़े रहनेवालों को मुक्ति कहाँ मिलती है।
मुलाकात (स्त्री.)-आपसे मेरी पहली मुलाकात हुई।
मुस्कान (स्त्री.)-होठों पर मीठी मुस्कान फैल रही है।
मुँह (पु.)-उसका मुँह तो बहुत सुंदर है।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

मुहर (स्त्री.)-आपकी बातों पर सच्चाई की मुहर लगी है।
मूंग (स्त्री.)-उसने मेरी छाती पर मूंग दली।
मूंछ (स्त्री.)-दादाजी की मूंछों के बाल सफेद हैं।
मृत्यु (स्त्री.)-बेचारे गरीब की मृत्यु हो गई।
मेघ (पुं.)-आसमान में मेघ छाए थे।
मेहँदी (स्त्री.)-उसके हाथों में मेहँदी लगी थी।
मैल (स्त्री.)-उनके पैरों पर मैल जम गई थी।
मोड़ (पु.)-घाटी में कई तीखे मोड़ हैं।
मोती (पुं.)-उसकी चूड़ियों में मोती जड़ें थे।
मोह (पुं.)-उनका मोह टूट चुका था।
यश (पु.)-उनका यश फैलता चला गया।
यात्रा (स्त्री.)-यात्रा बड़ी सुखद रही।
याद (स्त्री.)-भला मेरी याद आपको क्यों आए।
यादगार (पुं.)-आज की रात यादगार है।
रकम (स्त्री.)-इस थोड़ी रकम से क्या होगा?
रजाई (स्त्री.)-उन्होंने रजाई ओढ़ ली।
रत्न (पुं.)-उस राजा के पास अनूठे रत्न थे।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

रश्मि (स्त्री.)-वातायन से सुनहली रश्मियाँ झाँकने लगीं।
राख (स्त्री.)-कोयले की राख से बरतन साफ करो।
रात (स्त्री.)-पूरम की रात सुहानी होती है।
रामायण (स्त्री.)-उन्होंने सारी रामायण बाँच डाली।
रिश्वत (स्त्री.)-ऑफिसर ने रिश्वत ली थी।
रूमाल (पु.)-उसका रूमाल खो गया था।
रेशम (पुं.)-यह बड़ा अच्छा रेशम है।
लगन (स्त्री.)-अध्ययन में आपकी लगन अपूर्व है।
लगाम (स्त्री.)-इक्केवाले ने लगाम ढीली कर दी।
लड़कपन (पु.)-लड़कपन बीता, जवानी आई।
लय (स्त्री.)-गायक की लय अपूर्व थी।
ललकार (स्त्री.)-शत्रु की ललकार सुनकर वीरों की भुजाएँ फड़क उठीं।
लाज (स्त्री.)-परमात्मा ने मेरी लाज रख ली।
लालच (पुं.)-धन का लालच बुरा होता है।
लाश (स्त्री.)-लाश लावारिस पड़ी थी।
लीक (स्त्री.)-वे पुरानी लीक पर चलनेवाले थे।
लू (स्त्री.)-दोपहर में तीखी लू चल रही थी।
वस्तु (स्त्री.)-हर वस्तु भली नहीं होती।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

वायु (स्त्री.)-मंद-मंद वायु बह रही थी।
विधि (स्त्री.)-प्रयोग की यही विधि सर्वोत्तम है।
विनय (स्त्री.)-आशा है, मेरी विनय स्वीकार होगी।
वियोग (पुं.)-उसका वियोग असह्य था
विवेक (पुं.)-मनुष्य को अपना विवेक नहीं खोना चाहिए।
विस्मय (पुं.)-उसे देख सेठजी के विस्मय का ठिकाना न रहा।
वेतन (पुं.)-कर्मचारियों का वेतन बढ़ना चाहिए।
वेदना (स्त्री.)-उन्हें विदाई में वेदना ही मिली।
व्यायाम (पुं.)-उसने बहुत-से व्यायाम सीखे हैं।
शका (स्त्री.)-उसके मन में शंका घर कर गई थी।
शक (स्त्री.)-हर बात पर शक करना अच्छा नहीं होता।
शक्ति (स्त्री.)-सेना की शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ती गई।
शक्ल (स्त्री.)-उनकी शक्ल खराब हो गई थी।
शतरंज (स्त्री.)-शतरंज बिछा दी गई थी।
शपथ (स्त्री.)-उन्होंने देश की मानरक्षा की शपथ ली
शरण (स्त्री.)-सच्चे भक्त केवल परमात्मा की शरण खोजते हैं।
शरबत (पु.)-शरबत काफी मीठा बना है।
शराब (स्त्री.)-शराब किसी का लाभ नहीं करती।
शरारत (स्त्री.)-बच्चे की शरारत का बुरा नहीं मानना चाहिए।
शर्म (स्त्री.)-ऐसा आचरण करते हुए रउसे थोड़ी भी शर्म न आई।
शस्त्र (पुं.)-शस्त्र हाथ से गिर चुका था।
शहद (पुं.)-शहद मीठा है।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

शहनाई (स्त्री.)-उनके द्वार पर शहनाई बज रही थी।
शाम (स्त्री.)-धीरे-धीरे शाम हुई और तारे निकलने लगे।
शिकायत (स्त्री.)-आपकी शिकायतें हमने सुनी है।
शुल्क (पुं.)-परीक्षा का शुल्क बढ़ा दिया गया है।
शृंगार (पुं.)-कल्पना काव्य का श्रृंगार करती है।
शोक (पु.)-उनकी मृत्यु का समाचार पाकर मुझे बड़ा शोक हुआ।
श्मशान (पुं.)-श्मशान दूर पड़ता था।
संगठन (पुं.)-उसमें आपस का संगठन बढ़ता गया।
संगम (पुं.)-गंगा-यमुना का संगम कितना लुभावना है।
संचय (पुं.)-उन्होंने बड़े यल से धन का संचय किया था।
संतान (स्त्री.)-हम अपने महान पूर्वजों की संतान हैं।
संधि (स्त्री.)-युद्धरत राष्ट्रों में पुनः संधि हो गई।
संध्या (स्त्री.)-संध्या गहराई ओर आसमान धुंधला पड़ गया।
संन्यास (पुं.)-किशोरावस्था में ही यह संन्यास कैसा?
संसद् (स्त्री.)-ग्रीष्मकालीन संसद् फिर बैठ रही है।
सत्याग्रह (पुं.)-गाँधीजी ने सर्वप्रथम अफ्रीका में सत्याग्रह किया था।
सपना (पुं.)-आपका सपना पूरा हुआ।
सपूत (पुं.)-पं. जवाहरलाल भारतमाता के सपूत थे।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

सबक (पु.)-इस घटना से उन्हें अच्छा सबक मिला।
समस्या (स्त्री.)-हर के सामने रोजी-रोटी की समस्या है।
समाचार (पुं.)-आपकी पदोन्नति का समाचार मिला था।
समाधि (स्त्री.)-महात्मा की समाधि समीप ही थी।
समिति (स्त्री.)-मुझे आपकी समिति का निर्णय मान्य होगा।
समीप (पुं.)-विद्वानों के समीप बैठना चाहिए।
समीर (.)-शीतल, मंद, सुवासित समीर बहने लगा।
सम्मेलन (पुं.)-वह सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ था।
सरसों (स्त्री.)-खेतों में पीली सरसों फूली थी।
सराय (स्त्री.)-यहाँ से कुछ दूर पर ही सराय पड़ती थी।
सरोवर (पुं.)-कर्पूर-सा उज्ज्वल सरोवर शांत था।
सलाह (स्त्री.)-आप दोनों में क्या सलाह हो रही है?
साँस (स्त्री.)-वह अपनी आखिरी साँस तक संघर्ष करता रहा।
साहस (पुं.)-तेनसिंह का साहस प्रशंसनीय है।
सिक्का (पुं.)-अब नए सिक्के ही ज्यादा चलते हैं।
सितारा (पुं.)-उनकी तकदीर का सितारा इस समय अपनी बुलंदी पर है।
सीप (पुं.)-समुद्र से निकलनेवाले सभी सीपों से मोती नहीं मिलते।
सुगंध (स्त्री.)-इस फूल की सुगंध अच्छी है।
सुझाव (पुं.)-आपका सुझाव अच्छा रहा।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

सुरंग (स्त्री.)-जमीन के नीचे एक लंबी सुरंग थी।
सुलह (स्त्री.)-लड़ाई के बाद दोनों में सुलह हो गई।
सुषमा (स्त्री.)-पहाड़ी क्षेत्र में प्रकृति की सुषमा निराली थी।
सूद (पुं.)-इस महीने तक आपका कुल सूद कितना हुआ?
सेना (स्त्री.)-भारतीय सेना आगे बढ़ती गई।
सौंदर्य (पु.)-उसके सौंदर्य के आगे सबकुछ फीका है।
सौभाग्य (पुं.)-आपके सौभाग्य का क्या कहना।
सौरभ (पुं.)-कुसुमों का सौरभ मदमस्त बना रहा था।
स्नेह (पुं.)-उनका निश्छल स्नेह नहीं भुलाया जा सकता।
स्वर्ग (पुं.)-इस विपत्ति ने उनके घर का स्वर्ग नष्ट कर दिया।
स्वागत (पुं.)-अपने अतिथियों का स्वागत करना चाहिए।
स्वार्थ (पुं.)-अपना स्वार्थ सिद्ध करना सभी चाहते हैं।
हड़ताल (स्त्री.)-कारखाने में फिर हड़ताल हो गई।
हथेली (स्त्री.)-उसकी हथेली मेहँदी से रची थी।
हवा (स्त्री.)-हवा मंद-मंद बहती रही।
हार (पुं.)-उन्होंने सोने का हार भेंट किया।
(स्त्री.)-सत्य की क्या कभी हार हो सकती है?
हालत (स्त्री.)-उनकी हालत बिगड़ती जा रही है।
हींग (स्त्री.)-मुलतानी हींग अच्छी होती है।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

हीरा (पुं.)-धूल में पड़ा हीरा चमक रहा था।
होड़ (स्त्री.)-जीवन में आज प्रगति की होड़ मची है।
होली (स्त्री.)-रंगभरी होली आ गई।
होश (स्त्री.)-डाकू को सामने देख सेठजी के होश उड़ गए।

संज्ञा-पद का ‘वचन’

1. संज्ञा-पद के वचन से क्या तात्पर्य है? ‘वचन’ के कितने भेद होते हैं? सोदाहरण बताएँ।

जिससे किसी संज्ञा की एक संख्या अथवा एक से अधिक संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।

‘वचन’ के भेद-‘वचन’ के दो भेद माने जाते हैं-
(क) एकवचन
(ख) बहुवचन

किसी संज्ञा-शब्द के जिस रूप से उसके द्वारा संकेतित वस्तु या व्यक्ति की केवल एक संख्या का ज्ञान हो उसे ‘एकवचन’ कहते हैं। इसी प्रकार, किसी संज्ञा-पद के जिस रूप से उसके द्वक्षरा संकेतित वस्तु या व्यक्ति की एक से अधिक संख्या का ज्ञान हो उसे ‘बहुवचन’ कहते हैं।

उदाहरण-

  • एकवचन – बहुवचन
  • लड़का – लड़के
  • लड़का खेल रहा है। – लड़के गा रहे हैं।

यहाँ ‘लड़का’ और ‘पुस्तक’ से एक लड़का और एक पुस्तक का बोध होता है और लड़के’ तथा ‘पुस्तकें से कई लड़के तथा कई पुस्तकों का बोध होता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण संज्ञा-पद

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