Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 3 वैद्युतरसायन
Bihar Board Class 12 Chemistry वैद्युतरसायन Text Book Questions and Answers
पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 3.1
निकाय Mg2+ | Mg का मानक इलेक्ट्रोड विभव आप किस प्रकार ज्ञात करेंगे?
उत्तर:
निकाय M2+ | Mg का मानक इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने के लिए एक सेल स्थापित करते हैं, जिसमें एक इलेक्ट्रोड Mg | MgSO4 (1M), एक मैग्नीशियम के तार को IM MgSO4 विलयन में डुबोकर व्यवस्थित करते हैं तथा मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड Pt. H2 (1 atm) | H+ (1M) को दूसरे इलेक्ट्रोड की भाँति व्यवस्थित करते हैं (चित्र)।
सेल का वि० वा० बल मापते हैं तथा वोल्टमीटर में विक्षेप की दिशा को भी नोट करते हैं। विक्षेप की दिशा प्रदर्शित करती है कि इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह मैग्नीशियम इलेक्ट्रोड से हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड की ओर है अर्थात् मैग्नीशियम इलेक्ट्रोड पर आक्सीकरण तथा हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है। अतः सेल को निम्नवत् व्यक्त किया जा सकता है –
प्रश्न 3.2
क्या आप एक जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट का विलयन रख सकते हैं?
उत्तर:
अब हम यह जाँच करेंगे कि निम्नलिखित अभिक्रिया होगी अथवा नहीं –
Zn(s) + CuSO4 (aq) → ZnSO4 (aq) + Cu(s)
सेल को इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –
चूँकि \(\boldsymbol{E}_{\mathbf{1}}^{\Theta}\) धनात्मक है; अतः अभिक्रिया होगी तथा हम जिंक के पात्र में कॉपर सल्फेट नहीं रख सकते हैं।
प्रश्न 3.3
मानक इलेक्ट्रोड विभव की तालिका का निरीक्षण कर तीन ऐसे पदार्थ बताइए जो अनुकूल परिस्थितियों में फेरस आयनों को आक्सीकृत कर सकते हैं।
उत्तर:
फेरस आयनों के आक्सीकरण का अर्थ है –
केवल वे पदार्थ Fe2+ को Fe3+ में आक्सीकृत कर सकते हैं जो प्रबल आक्सीकरण हों तथा जिनका धनात्मक अपचायक विभव 0.77 V से अधिक हो जिससे सेल अभिक्रिया का वि०वा० बल धनात्मक प्राप्त हो सके। यह स्थिति उन तत्वों पर लागू हो सकती है जो विद्युत-रासायनिक श्रेणी में Fe3+ | Fe2+ से नीचे स्थित हैं; उदाहरणार्थ – Br, Cl तथा I.
प्रश्न 3.4
pH = 10 के विलयन के सम्पर्क वाले हाइड्रोजन इलैक्ट्रोड के विभव का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के लिए,
H+ + e– → \(\frac{1}{2}\) H2
अब नर्नस्ट समीकरण के अनुसार,
प्रश्न 3.5
एक सेल के emf का परिकलन कीजिए, जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है।
दिया गया है:
गणना:
सेल अभिक्रिया:
Ni(s) + 2Ag+ (0.02 M) →Ni2+ (0.160 M) + 2Ag(s) के लिए नस्ट समीकरण से –
प्रश्न 3.6
एक सैल जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है,
2Fe+3 (aq) + 2I– (aq) → 2Fe2+ (aq) + I2 (s) का 298 K ताप पर E0(cell) = 0.236 V है। सैल अभिक्रिया की मानक गिब्ज ऊर्जा एवं साम्य स्थिरांक का परिकलन कीजिए।
हल:
हम जानते हैं कि
प्रश्न 3.7
किसी विलयन की चालकता तनुता के साथ क्यों घटती है?
उत्तर:
विलयन के एकांक आयतन में उपस्थित आयनों की संख्या को चालकता कहते हैं। विलयन की तनुता के साथ प्रति एकांक आयतन आयनों की संख्या घटती है जिससे चालकता भी घटती है।
प्रश्न 3.8
जल की \(\Lambda^{\circ} m\) ज्ञात करने का एक तरीका बताइए।
उत्तर:
अनन्त तनुता पर NaOH, HCl तथा NaCl मोलर चालकताएँ ज्ञात होने पर अनन्त तनुता पर जल की A°m ज्ञात की जा सकती है।
प्रश्न 3.9
0.025 mol L-1 मेथेनोइक अम्ल की चालकता 46.1 S cm2 mol-1 हैं। इसकी वियोजन मात्रा एवं वियोजन स्थिरांक का परिकलन कीजिए। दिया गया है कि –
हल:
= 349.6 + 54.6
= 404.2 S cm mol-1
दिया है:
प्रश्न 3.10
यदि एक धात्विक तार में 0.5 ऐम्पियर की धारा 2 घंटों के लिए प्रवाहित होती है तो तार में से कितने इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे?
हल:
Q (कूलॉम) = i (ऐम्पियर) × t(s)
= (0.5 ऐम्पियर) × (2 × 60 × 60s)
= 3600 C
996500C का प्रवाह 1 मोल इलेक्ट्रॉन अर्थात् 6.02 × 1023 इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के तुल्य होता है।
∴ 3600 C के तुल्य इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह
\(\frac{6.02 \times 10^{23}}{96500}\) × 3600
= 2.246 × 1022 इलेक्ट्रॉन
प्रश्न 3.11
उन धातुओं की एक सूची बनाइए जिनका वैद्युत अपघटनी निष्कर्षण होता है।
उत्तर:
Na, Ca, Mg तथा Al.
प्रश्न 3.12
निम्नलिखित अभिक्रिया में \(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) आयनों के एक मोल के अपचयन के लिए कूलॉम में विद्युत की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + 14H+ + 6e– → 2Cr3+ + 7H2O
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया से,
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) आयनों के एक मोल को 6 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
∴ F = 6 × 96500 C
= 579000 C
अत: Cr3+ में अपचयन के लिए आवश्यक विद्युत
= 579000C
प्रश्न 3.13
चार्जिंग के दौरान प्रयुक्त पदार्थों का विशेष उल्लेख करते हुए लेड-संचायक सैल की चार्जिंग क्रियाविधि का वर्णन रासायनिक अभिक्रियाओं की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
चार्जिंग के दौरान सैल वैद्युत अपघटनी सेल की भाँति कार्य करती है। रिचार्जिंग के दौरान निम्न अभिक्रियायें होती हैं –
कैथोड पर:
PbSO4(s) + 2e– → Pb(s) + SO42- (aq)
ऐनोड पर:
PbSO4 (s) + 2H2O (l) → PbO2 (s) + SO42- (aq) + 4H+ (aq) + 2e –
परिणामी अभिक्रिया:
2PbSO4(s) + 2H2O(l) → Pb(s) + PbO2 (s) + 4H+ (aq) + 2SO42- (aq)
प्रश्न 3.14
हाइड्रोजन को छोड़कर ईंधन सेलों में प्रयुक्त किए जा सकने वाले दो अन्य पदार्थ सुझाइए।
उत्तर:
मेथेन (CH4), मेथेनॉल (CH3OH)।
प्रश्न 3.15
समझाइए कि कैसे लोहे पर जंग लगने का कारण एक विद्युत रासायनिक सेल बनना माना जाता है।
उत्तर:
लोहे की सतह पर उपस्थित जल की परत वायु के अम्लीय ऑक्साइडों, जैसे : CO2, SO2 आदि को घोलकर अम्ल बना लेती है जो वियोजित होकर H+ आयन देते हैं:
H2O + CO2 → H2CO3 ⇄ 2H+ + CO32- आयनों की उपस्थिति में, लोहा कुछ स्थलों पर से इलेक्ट्रॉन खोना प्रारम्भ कर देता है तथा फेरस आयन बना लेता है। अतः ये स्थल ऐनोड का कार्य करते हैं –
Fe(s) → Fe2+ (aq) 2e–
इस प्रकार धातु से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन अन्य स्थलों पर पहुँच जाते हैं। जहाँ H+ आयन तथा घुली हुई ऑक्सीजन इन इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण कर लेती है तथा अपचयन अभिक्रिया हो जाती है। अतः ये स्थल कैथोड की भाँति कार्य करते हैं –
O2(g) + 4H+ (aq) 4e– → 2H2O (l)
सम्पूर्ण अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है –
2Fe(s) = O2(g) + 4H+ (aq) → 3Fe2+(aq) + 2H2O (l)
इस प्रकार लोहे की सतह पर विद्युत रासायनिक सेल बन जाता है। फेरस आयन पुनः वायुमण्डलीय ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत होकर फेरिक आयनों में परिवर्तित हो जाते हैं जो जल अणुओं से संयुक्त होकर जलीय फेरिक ऑक्साइड Fe2O3. xH2O बनाते हैं। यह जंग कहलाता है।
Bihar Board Class 12 Chemistry वैद्युतरसायन Additional Important Questions and Answers
अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 3.1
निम्नलिखित धातुओं को उस क्रम में व्यवस्थित कीजिए जिसमें वे एक-दूसरे को उनके लवणों के विलयनों में से प्रतिस्थापित करती हैं।
Al, Cu, Fe, Mg एवं Zn
उत्तर:
Mg, Al, Zn, Fe, Cu
प्रश्न 3.2
नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती हुई अपचायक क्षमता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
K+|K = – 2.93V, Ag+ | Ag = 0.80V,
Hg2+ | Hg = 0.79V
Mg2+ | Mg = – 2.37V, Cr3+ | Cr = – 0.74V
उत्तर:
ऑक्सीकरण विभव उच्च होने से यह तात्पर्य है कि उस धातु का सरलता से ऑक्सीकरण हो जाएगा अर्थात उसकी अपचायक क्षमता अधिक होगी। अत: धातुओं की अपचायक क्षमता का बढ़ता क्रम निम्नलिखित है –
Ag < Hg < Cr < Mg < K
प्रश्न 3.3
उस गैल्वेनी सेल को दर्शाइए जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
Zn(s) + 2Ag+ (aq) → zn2+ (aq) + 2Ag(s) अब बताइए –
- कौन-सा इलेक्ट्रॉड ऋणात्मक अवेशित है।
- सेल में विद्युत-धारा के वाहक कौन से हैं।
- प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रिया क्या
उत्तर:
सेल को निम्नांकित चित्र के अनुसार व्यवस्थित करते हैं। सेल को निम्नलिखित प्रकार दर्शाया जाएगा –
- ऐनोड (जिंक इलेक्ट्रोड) ऋणावेशित होगा।
- सेल में विद्युत धारा के वाहक इलेक्ट्रॉन हैं।
- इलेक्ट्रोडों पर होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –
प्रश्न 3.4
निम्नलिखित अभिक्रियाओं वाले गैल्वेनी सेल का मानक सेल-विभव परिकलित कीजिए।
- 2Cr(s) + 3Cd2+ (aq) → 2Cr+ (aq) + 3Cd
- Fe2+ (aq) + Ag+ (aq) → Fe3+ (aq) + Ag(s)
उपरोक्त अभिक्रियाओं के लिए \(\Delta_{r} G^{\Theta}\) एवं साम्य स्थिरांकों की भी गणना कीजिए।
गणना –
= -0.40 V – (-0.74 V)
= + 0.34 V
ΔrGΘ = – nFEΘ(सेल)
= – 6mol × 96500 C mol-1
= -196860 J mol-1
= -196.86 KJ mol-1
ΔrGΘ = 2.303 RT log Kc
Kc = Antilog 34.5014
= 3.173 × 104
2.
= -2985 CV mol-1mol-1
= -2895 J mol-1
= -2895 KJ mol-1
ΔrGΘ = – 2.303 RT log Kc
= -2895 = -2.303 × 8.314 × 298 × log Kc
log Kc = 0.50704
Kc = Antilog (0.5074)
= 3.22
प्रश्न 3.5
निम्नलिखित सेलों की 298K पर नेर्नस्ट समीकरण एवं emf लिखिए।
- Mg(s) | Mg2+ (0.001 M) || Cu2+ (0.0001 M) | Cu(s)
- Fe(s) | Fe2+ (0.001 M) || H+ (1 M) | H2 (g)(1 bar) | Pt(s)
- Sn(s) | Sn2+ (0.050 M) || H+ (0.020 M) | H2(g) (1 bar) | Pt(s)
- Pt(s) | Br2(1) | Br– (0.010 M) || H2 + (0.030 M) | H2(g) (1 bar) | Pt (s)
हल:
1. सेल अभिक्रिया:
Mg + Cu2+ → Mg2+ + Cu (n = 2)
नेन्स्ट समीकरण:
2. सेल अभिक्रिया:
3. सेल अभिक्रिया:
4. सेल अभिक्रिया:
2Br– + 2H+ → Br2 + H2
नेस्ट समीकरण:
इस प्रकार ऑक्सीकरण हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड पर आक्सीकरण पर तथा अपचयन Br2 इलेक्ट्रोड होगा।
E(सेल) = 1.2887
प्रश्न 3.6
घड़ियों एवं अन्य युक्तियों में अत्यधिक उपयोग में आने वाली बटन सेलों में निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
Zn(s) + Ag2O (s) + H2O (l) → Zn2+ (aq) + 2Ag(s) + 2OH– (aq)
अभिक्रिया के लिए ∆rGΘ एवं EΘ ज्ञात कीजिए।
हल:
Zn ऑक्सीकृत तथा Ag2O अपचयित होता है। (Ag+ आयन, Ag में परिवर्तित होते हैं)
= 0.344 + 0.76
= 1.104
तथा ∆GΘ = -nFEΘ(सेल)
= – 2 × 96500 × 1.104 J
= -2,13 × 105 J
प्रश्न 3.7
किसी विद्युतअपघट्य के विलयन की चालकता एवं मोलर चालकता की परिभाषा दीजिए। सान्द्रता के साथ इनके परिवर्तन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विद्युतअपघट्य के विलयन की चालकता : यह प्रतिरोध R का व्युत्क्रम होता है तथा उस सरलता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिससे धारा किसी चालक में प्रवाहित होती है।
c = \(\frac{1}{R}\) = \(\frac{A}{ρl}\) (∵R = ρ \(\frac{A}{l}\))
k = \(\frac{A}{l}\)
यह k विशिष्ट चालकत्व है।
चालकता का SI मात्रक सीमेन्ज है जिसे प्रतीक ‘S’ से निरूपित किया जाता है तथा यह ohm-1 या Ω-1 के तुल्य होता है।
मोलर चालकता (Molar conductivity):
वह चालकता जो 1 मोल विद्युतअपघट्य को विलयन में घोलने पर समस्त आयनों द्वारा दर्शाई जाती है, मोलर चालकता कहलाती है, इसे \(\Lambda_{m}\) (लैम्ब्डा) से व्यक्त किया जाता है। यदि विद्युत अपघट्य विलयन के V cm3 में विद्युतअपघट्य के 1 मोल हों, तब
Am = K × V
इसकी इकाई ohm-1 cm2 mol-1 या δ cm2 mol-1 है।
सान्द्रता के साथ चालकता तथा मोलर चालकता में परिवर्तन –
विद्युतअपघट्य की सान्द्रता में परिवर्तन के साथ-साथ चालकता एवं मोलर चालकता दोनों में परिवर्तन होता है। दुर्बल एवं प्रबल दोनों प्रकार के विद्युतअपघट्यों की सान्द्रता घटाने पर चालकता सदैव घटती है। इसकी इस तथ्य से व्याख्या की जा सकती है कि तनुकरण करने पर प्रति इकाई आयतन में विद्युतधारा ले जाने वाले आयनों की संख्या घट जाती है।
किसी भी सान्द्रता पर विलयन की चालकता उस विलयन के इकाई आयतन का चालकत्व होता है, जिसे परस्पर इकाई दूरी पर स्थित एवं इकाई अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के मध्य रखा गया हो। यह निम्नलिखित समीकरण से स्पष्ट है –
G = \(\frac{k A}{l}\) = k (A एवं l दोनों ही उपयुक्त इकाइयों m या cm में हैं) किसी दी गई सान्द्रता पर एक विलयन की मोलर चालकता उस विलयन के V आयतन का चालकत्व है, जिसमें विद्युतअपघट्य का एक मोल घुला हो तथा जो एक-दूसरे से इकाई दूरी पर स्थित, A अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले दो इलेक्ट्रोडों के मध्य रखा गया हो। अतः
\(\Lambda_{m}\) = \(\frac{k A}{l}\)
चित्र – जलीय विलयन में ऐसीटिक अम्ल (दुर्बल विद्युत अपघट्य) एवं पोटैशियम क्लोराइड (प्रबल विद्युतअपघट्य) के लिए मोलर चालकता के विपरीत c1/2 का आलेख
चूँकि l = 1 तथा A = V (आयतन, जिसमें विद्युतअपघट्य का. एक मोल घुला है।)
\(\Lambda_{m}\) = KV
सान्द्रता घटने के साथ मोलर चालकता बढ़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह कुल आयतन (V) भी बढ़ जाता है जिसमें एक मोल विद्युतअपघट्य उपस्थित होता है। यह पाया गया है कि विलयन के तनुकरण पर आयतन में वृद्धि K में होने वाली कमी की तुलना में कहीं अधिक होती है।
प्रबल विद्युतअपघट्य – प्रबल विद्युतअपघट्यों के लिए, \(\Lambda_{m}\) का मान तनुता के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है एवं इसे निम्नलिखित समीकरण द्वारा निरूपित किया जा सकता है –
\(\Lambda_{m}\) = \(\Lambda_{m}^{0}\) – A c1/2
यह देखा जा सकता है कि यदि \(\Lambda_{m}\) को c1/2 के विपरीत आरेखित किया जाए (चित्र) तो हमें, एक सीधी रेखा प्राप्त होती है जिसका अंत: खंड \(\Lambda_{m}^{0}\) एवं ढाल – ‘A’ के बराबर है।
दिए गए विलायक एवं ताप पर स्थिरांक ‘A’ का मान विद्युतअपघट्य के प्रकार, अर्थात् विलयन में विद्युतअपघट्य के वियोजन से उत्पन्न धनायन एवं ऋणायन के आवेशों पर निर्भर करता है। अतः, NaCl, CaCl2, MgSO4 क्रमश: 1-1, 2-1 एवं 2-2 विद्युतअपघट्य के रूप में जाने जाते हैं। एक प्रकार के सभी विद्युतअपघट्यों के लिए ‘A’ का मान समान होता है।
प्रश्न 3.8
298K पर 0.20M KCI विलयन की चालकता 0.0248 S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता का परिकलन कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, मोलरता 0.20 M, चालकता (K) = 0.0248 S cm-1
प्रश्न 3.9
298 K पर एक चालकता सेल जिसमें 0.001 M KCI विलयन है, का प्रतिरोध 1500 Ω है। यदि 0.001 M KCI विलयन की चालकता 298K पर 0.146 × 10-3 s cm-1 हो तो सेल स्थिरांक क्या है?
हल:
हम जानते हैं कि सेल स्थिरांक = चालकता × प्रतिरोध
= (0.146 × 10-3 S cm-1) × (1500 Ω)
= 0.219 cm-1
प्रश्न 3.10
298 K पर सोडियम क्लोराइड की विभिन्न सान्द्रताओं पर चालकता का मापन किया गया जिसके आँकड़े निम्नलिखित हैंसान्द्रता –
सभी सान्द्रताओं के लिए \(\Lambda_{m}\) का परिकलन कीजिए एवं \(\Lambda_{m}\) तथा c1/2 के मध्य एक आलेख खींचिए। \(\Lambda_{m}^{0}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
सभी सान्द्रताओं के लिए Am का परिकलन आगे तालिका में दिखाया गया है –
= 124.0 Scm2mol-1
प्रश्न 3.11
0.00241 M ऐसीटिक अम्ल की चालकता 7.896 × 10-5 S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता को परिकलित कीजिए। यदि ऐसीटिक अम्ल के लिए \(\Lambda_{m}^{0}\) का मान 390.5 S cm2 mol-1 हो तो इसका वियोजन स्थिरांक क्या है?
हल:
वियोजन स्थिरांक
प्रश्न 3.12
निम्नलिखित के अपचयन के लिए कितने आवेश की आवश्यकता होगी?
- 1 मोल Al3+ को Al में
- 1 मोल Cu2+ को Cu में
- 1 मोल MnO4– को Mn2+ में
हल:
1. इलेक्ट्रोड अभिक्रिया निम्न प्रकार से दी जा – सकती है
Al3+ + 3e– → Al
अतः 1mol Al3+ को Al में अपचयन के लिए आवश्यक आवेश की मात्रा = 3 फैराड,
= 3 × 96500C
= 289500C
2. इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार से दी जा सकती है –
Cu2+ + 2e– → Cu
अतः 1 mol Cu2+ को Cu में के अपचयन के लिए आवश्यक आवेश की मात्रा = 2 फैराडे
= 2 × 96500 C
= 193000C
3. इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार से दी जा सकती है –
MnO4– → Mn2+
Mn7+ + 5e– → Mn2+
अतः 1 mol MnO4– के अपचयन के लिए आवश्यक आवेश की मात्रा = 5 F
= 5 × 96500 C
= 482500C
प्रश्न 3.13
निम्नलिखित को प्राप्त करने के लिए कितने फैराडे विद्युत की आवश्यकता होगी?
- गलित CaCl2 से 20.0 g Ca
- गलित Al2O3 से 40.0 g Al
हल:
1. Ca2+ + 2– → Ca
चूँकि 1 mol Ca अर्थात् 40 g Ca को विद्युत की आवश्यकता है = 2F
∴ 20g Ca को विद्युत की आवश्यकता होगी = 1F
2. Al3+ + 3e– → Al
चूँकि 1 mol Al अर्थात् 27 g Al की विद्युत की आवश्यकता है% 3F
∴ 40 g Al को विद्युत की आवश्यकता होगी = \(\frac{3}{27}\) × 40
= 4.44 F
प्रश्न 3.14
निम्नलिखित को ऑक्सीकृत करने के लिए कितने कूलॉम विद्युत आवश्यक है?
- 1 मोल H2O को O2 में।
- 1 मोल Fe0 को Fe2O3 में।
गणना:
1. 1 mol H2O2 के लिए इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है –
H2O → H2 + \(\frac{1}{2}\)O2
अर्थात् O2- → \(\frac{1}{2}\)O2 + 2e–
∴ आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2 फैराडे
= 2 × 96500C
= 193000C
2. 1 मोल Feo के लिए इलेक्ट्रोड अभिक्रिया इस प्रकार से दी जाती है –
FeO → \(\frac{1}{2}\)Fe2O3
अब Fe2+ → Fe3+ + e–
अतः अभीष्ट विद्युत की मात्रा = 1 फैराडे
= 96500C
प्रश्न 3.15
Ni(NO3)2 के एक विलयन का प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के बीच 5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करते हुए 20 मिनट तक विद्युत-अपघटन किया गया। Ni की कितनी मात्रा कैथोड पर निक्षेपित होगी?
हल:
प्रवाहित की गई विद्युत की मात्रा
= (5 A) × (20 × 60 s)
= 6000 C
Ni2+ + 2e– → Ni
अब चूँकि 2F अर्थात् 2 × 96500C, Ni निक्षेपित करता है = 1 mol
= 58.7g
∴ 6000 C, Ni निक्षेपित करेगा
= \(\frac{58.7}{2 \times 96500}\) × 6000 = 1.825 g
प्रश्न 3.16
ZnSO4, AgNO3, एवं CuSO4 विलयन वाले तीन विद्युत-अपघटनी सेलों A, B, C को श्रेणीबद्ध किया गया एवं 1.5 ऐम्पियर की विद्युत धारा, सेल B के कैथोड पर 1.45 g सिल्वर निक्षेपित होने तक लगातार प्रवाहित की गई। विद्युत धारा कितने समय तक प्रवाहित हुई? निक्षेपित कॉपर एवं जिंक का द्रव्यमान क्या होगा?
हल:
Ag+ + e– → Ag
108g Ag निक्षेपित होता है = 1F = 96500C
∴ 1.45 g Ag निक्षेपित होगा = \(\frac{96500}{108}\) × 1.45
= 1295.6 × C
या t = \(\frac{Q}{I}\) = \(\frac{1295.6}{1.5}\)
= 863.75
= 14 min 24s
Cu2+ + 2e– → Cu
अर्थात् 2 × 96500C, Cu निक्षेपित करता है = 63.5 g
अतः 1295.6C. Cu निक्षेपित करेगा = \(\frac{63.5 \times 1295.6}{2 \times 96500}\)
= 0.4263g
इसी प्रकार, Zn2+ + 2e– → Zn
निक्षेपित जिंक का द्रव्यमान = \(\frac{65.4 \times 1295.6}{2 \times 96,500}\)
= 0.44g
प्रश्न 3.17
तालिका 3.1 (पाठ्य पुस्तक) में दिए गए मानक इलैक्ट्रोड विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या निम्नलिखित अभिकर्मकों के बीच अभिक्रिया संभव है?
- Fe3+ (aq) और I– (aq)
- Ag+ (aq) और Cu(s)
- Fe3+ (aq) और Br– (aq)
- Ag(s) और Fe3+ (aq)
- Br2 (aq) और Fe3+ (aq)
उत्तर:
सेल अभिक्रिया का वि० वा० बल धनात्मक होगा।
1. Fe3+ (aq) + I– (aq) → Fe2+(aq) + \(\frac{1}{2}\)I2
सेल को निम्न प्रकार से निरूपित कर सकते हैं –
= 0.54 – 0.77V
= – 0.23V
∴ अभिक्रिया का वि० वा० बल ऋणात्मक है
∴ अभिक्रिया सम्भव नहीं है।
2. Ag+ (aq) + Cu → Ag(s) + Cu2+ (aq)
निम्न प्रकार से निरूपित कर सकते हैं –
अर्थात् Cu | Cu2+ (aq) || Ag+ (aq) | Ag
= 0.80V – 0.34V
= 0.46V
∵ अभिक्रिया का वि० वा० बल धनात्मक है।
∵ अभिक्रिया सम्भव है।
3. Fe3+ (aq) + Br– (aq) → Fe2+ (aq) + \(\frac{1}{2}\)Br2
निम्न प्रकार से निरूपित कर सकते हैं –
अर्थात् Br2 (aq) | Br– (aq) || Fe2+ (aq) | Fe3+ (aq)
= 0.77V – 1.09V
= 0.32V
∵ अभिक्रिया का वि० वा०बल ऋणात्मक है
∵ अभिक्रिया सम्भव नहीं है।
4. Ag(s) + Fe3+ + (aq) → Ag+ (aq) + Fe2+ (aq)
सेल को निम्न प्रकार से निरूपित कर कर सकते हैं –
अर्थात् Ag+ (aq) | Ag(s) || Fe2+ (aq) | Fe3+ (aq)
= 0.77V – 0.80V
= – 0.03V
∵ अभिक्रिया का वि० वा० बल ऋणात्मक है
∵ अभिक्रिया सम्भव नहीं है।
5. \(\frac{1}{2}\)Br2 (aq) + Fe2+ (aq) || Br– + Fe3+
निम्न प्रकार से निरूपित कर सकते हैं –
= 1.09V – 0.77
= 0.32V
∵ अभिक्रिया का वि० वा० बल धनात्मक है
∵ अभिक्रिया सम्भव है।
प्रश्न 3.18
निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए विद्युतअपघटन से प्राप्त उत्पाद बताइए:
- सिल्वर इलैक्ट्रोडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
- प्लैटिनम इलैक्ट्रोडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
- प्लैटिनम इलैक्ट्रोडों के साथ H2SO4 का तनु विलयन
- प्लैटिनम इलैक्ट्रोडों के साथ CuCl2 का जलीय विलयन
उत्तर:
1. सिल्वर इलैक्ट्रोडों के साथ AgNO3 के जलीय विलयन का विद्युतअपघटन
कैथोड पर:
चूँकि Ag+ आयनों का डिस्चार्ज विभव H+ आयनों से कम होता है, अत: H+ आयनों का निक्षेपणन होकर Ag+ आयन Ag की भांति निक्षेपित होंगे।
ऐनोड पर: Ag → Ag+ + e–
ऐनोड का Ag घुलकर विलयन में Ag+ आयन देगा।
2. प्लैटिनम इलैक्ट्रोडों के साथ AgNO3 के जलीय विलयन का विद्युतअपघटन
कैथोड पर:
उपर्युक्त खण्ड (i) की भांति Ag+ आयदन Ag की तरह निक्षेपित होंगे।
ऐनोड पर:
OH– (aq) → OH + e–
4OH → 2H2O(l) + O2 (g)
NO–3 आयनों की तुलना में OH– आयन डिस्चार्ज होंगे जो विघटित होकर O2 देते हैं।
3. प्लैटिनम इलैक्ट्रोडों के साथ H2SO4 के तनु विलयन का विद्युत अपघटन
H2SO4 (aq) → 2H+ (aq) + SO2-4 (aq)
H2O H+ + OH–
कैथोड पर:
H+ + e– → H
H + H → H2(g)
ऐनोड पर:
OH– → OH– + e–
4OH → 2H2O(l) + O2(g)
अतः कैथोड पर H2 तथा ऐनोड पर O2 मुक्त होगी।
4. प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ Cucl2 के जलीय विलयन का विद्युतअपघटन
CuCl2 (s) + (aq) → Cu2+ (aq) + 2Cl– (aq)
H2O H+ + OH–
कैथोड पर:
Cu2+ + 2e– → Cu2+ (aq) + 2Cl– (aq)
H2O H+ + OH–
ऐनोड पर:
अत: कैथोड पर Cu निक्षेपित होगा तथा ऐनोड पर Cl2 मुक्त होगी।