Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्तियाँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्तियाँ
Bihar Board Class 12 Geography मानव बस्तियाँ Textbook Questions and Answers
(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
प्रश्न 1.
निम्न में से किस प्रकार की बस्तियाँ सड़क, नदी या नहर के किनारे होती है।
(क) वृत्ताकार
(ख) चौक पट्टी
(ग) रेखीय
(घ) वर्गाकार
उत्तर:
(ग) रेखीय
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सी एक आर्थिक क्रिया ग्रामीण बस्तियों की मुख्य आर्थिक क्रिया है।
(क) प्राथमिक
(ख) तृतीयक
(ग) द्वितीयक
(घ) चतुर्थ
उत्तर:
(क) प्राथमिक
प्रश्न 3.
निम्न में से किस प्रदेश में प्रलेखित प्राचीनतम नगरीय बस्ती रही है?
(क) चंगही की घाटी
(ख) सिंधु घाटी
(ग) नील घाटी
(घ) मेसोपोटामिया
उत्तर:
(घ) मेसोपोटामिया
प्रश्न 4.
2006 के प्रारंभ में भारत में कितने मिलियन सिटी थे?
(क) 40
(ख) 41
(ग) 42
(घ) 43
उत्तर:
(ग) 42
प्रश्न 5.
विकासशील देशों की जनसंख्या के सामाजिक ढाँचे के विकास एवं आवश्यकताओं की पूर्ति में कौन से प्रकार के संसाधन सहायक हैं?
(क) वित्तीय
(ख) मानवीय
(ग) प्राकृतिक
(घ) सामाजिक
उत्तर:
(घ) सामाजिक
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
प्रश्न 1.
आप बस्ती को कैसे परिभाषित करेंगे?
उत्तर:
एक स्थान जो साधारणतया स्थायी रूप से बसा हुआ हो उसे मानव बस्ती कहते हैं। मकानों का स्वरूप बदला जा सकता है, उनके कार्य बदल सकते हैं लेकिन बस्तियाँ समय एवं स्थान के साथ निरंतर बसती रहेंगी।
प्रश्न 2.
स्थान (साइट) एवं स्थिति (सिचुएसन) के मध्य अंतर बताएँ।
उत्तर:
नगरों के विस्तार में स्थान के अलावा उनकी स्थिति भी महत्त्वपूर्ण होती है। जो नगर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग के निकट स्थित हैं उनका विकास तेजी से होता है।
प्रश्न 3.
बस्तियों के वर्गीकरण के क्या आधार हैं?
उत्तर:
बस्तियों का वर्गीकरण उनकी आकृति एवं प्रतिरूपों के आधार पर किया जाता है। आकृति के आधार पर बस्तियों को
- संहत बस्ती
- प्रकीर्ण बस्ती में वर्गीकृत किया जाता है। प्रतिरूप के आधार पर बस्तियों को –
- रैखिक
- आयताकार
- वृताकार
- तारे के आकार
- टी आकार
- दोहरे ग्राम का प्रतिरूप आदि में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रश्न 4.
मानव भूगोल में मानव बस्तियों के अध्ययन का औचित्य बताएँ।
उत्तर:
मानव बस्ती का अध्ययन मानव भूगोल का मूल है क्योंकि किसी भी क्षेत्र में बस्तियों का रूप उस क्षेत्र के वातावरण से संबंध दर्शाता है। एक स्थान जो साधारणतया स्थायी रूप से बसा हुआ हो उसे मानव बस्ती कहते हैं।
(ग) निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती किसे कहते हैं? उनकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
ग्रामीण बस्ती अधिक निकटता से तथा प्रत्यक्ष रूप से भूमि से नजदीकी संबंध रखती हैं। यहाँ के निवासी अधिकतर प्राथमिक गतिविधियों में लगे होते हैं। जैसे-कृषि, पशुपालन एवं मछली पकड़ना आदि इनके प्रमुख व्यवसाय होते हैं। बस्तियों का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है।
1991 की भारतीय जनगणना में नगरीय बस्ती को इस प्रकार परिभाषित किया है। सभी स्थान जहाँ नगरपालिका, निगम, छावनी बोर्ड (कैंटोनमेंट बोर्ड) या अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति (नोटीफाइड टाउन एरिया कमेटी) हो एवं कम से कम 5000 व्यक्ति वहाँ निवास करते हों, 75 प्रतिशत पुरुष श्रमिक गैर कृषि कार्यों में संलग्न हों व जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो, ऐसे स्थान या क्षेत्र को नगरीय बस्ती कहेंगे।
ग्रामीण बस्तियों की विशेषताएं:
- इन बस्तियों के आधार मैदानी, पठारी, तटीय, वनिय तथा मरुस्थलीय होते हैं।
- इन बस्तियों के लोगों के कार्य प्राथमिक गतिविधियों पर आधारित होते हैं।
- ये बस्तियाँ रेखीय, आयाताकार, वृताकार, तारे के आकार, टी आकार, चौक पट्टी तथा दोहरे ग्राम वाला आकार लिए होती हैं।
- इन बस्तियों में सड़के आयताकार होती हैं जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।
- इन बस्तियों को इस प्रकार बसाया जाता है कि उसका मध्य भाग खुला होता है जिसमें पशुओं को रखा जाए ताकि वे जंगली जानवरों से सुरक्षित रहें।
- इस प्रकार की बस्तियों में मार्गों के सहारे मकान बन जाते हैं जहाँ तार के आकार की बस्तियाँ विकसित होती हैं।
- क्रॉस आकार की बस्तियाँ चौराहों से शुरू होती हैं।
नगरीय बस्तियों की विशेषता:
- अधिकतर कस्बे और नगर बड़े गाँव के विस्तृत रूप हैं।
- अपनी आदतों और व्यवहार में लोग अधिक ग्रामीण हैं जो उनके सामाजिक-आर्थिक, दृष्टिकोण, मकानों की बनावट और अन्य पक्षों में स्पष्ट दिखाई देता है।
- अधिकतर नगरों में अनेक मलिन बस्तियाँ हैं ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का परिणाम है।
- अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।
- जनसंख्या का सामाजिक पृथक्करण, जाति, धर्म, आय अथवा व्यवसाय के आधार पर किया जाता है।
प्रश्न 2.
विकासशील देशों में बस्तियों की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
विकासशील देशों में बस्तियों से संबंधित कई प्रकार की समस्याएँ हैं जैसे अवहनीय जनसंख्या का केंद्रीकरण, छोटे व तंग आवास एवं गलियाँ, पीने योग्य जल जैसी सुविधाओं की कमी। इसके अतिरिक्त इनमें आधारभूत ढाँचा जैसे बिजली, गंदे पानी की निकासी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि सुविधाओं की भी कमी होती है।
विकासशील देशों में अधिकतर शहर अनियोजित हैं अतः आने वाले व्यक्ति अत्यंत भीड़ की स्थिति पैदा कर देते हैं। विकासशील देशों के आधुनिक शहरों में आवासों की कमी बहुमंजिला मकान तथा गंदी बस्तियों की वृद्धि प्रमुख विशेषताएँ हैं। अनेक शहरों में जनसंख्या का बढ़ता भाग निम्न स्तरीय आवासों जैसे गंदी बस्तियों, अनाधिकृत बस्तियों में रहते हैं। भारत के अधिकांश मिलीयन सिटी 25 प्रतिशत निवासी अवैध बस्तियों में रहते हैं और ऐसे नगर अन्य नगरों की अपेक्षा दोगुनी तेजी से बढ़ रहे हैं। एशिया पेसिफिक देशों में नगरीय जनसंख्या का 60 प्रतिशत भाग अनाधिकृत बस्तियों में रहता है।
आर्थिक समस्याएँ:
विश्व के विकासशील देशों के ग्रामीण व छोटे नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के घटते अवसरों के कारण जनसंख्या का शहरों की तरफ पलायन हो रहा है।
सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ:
विकासशील देशों के शहर विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से ग्रस्त हैं।
पर्यावरण संबंधी समस्याएँ-विकासशील देशों में रहने वाली विशाल नगरीय जनसंख्या जल का केवल उपयोग ही नहीं करती वरन् जल एवं सभी प्रकार के व्यर्थ पदार्थों का निस्तारण भी करती है। विकासशील देशों के अनेक नगरों में पीने योग्य पानी की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति तथा घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना अत्यधिक कठिन है।
घरेलू एवं औद्योगिक कार्यों के लिए पंरपरागत ईंधन के व्यापक उपयोग के कारण वायु प्रदूषित महो जाती है। घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्ट को सामान्य मलव्यवस्था में डाल दिया जाता है जिससे अस्वास्थ्यकर दशाएँ पैदा होती है। बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार सृजन एवं आर्थिक अवसरों पर दबाव बढ़ गया है।
Bihar Board Class 12 Geography मानव बस्तियाँ Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
नगरों के प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर-नगरों के प्रमुख कार्यों में-वाणिज्य एवं व्यापार, परिवहन तथा संचार, खनन तथा औद्योगिक उत्पादन, रक्षा, प्रशासन, संस्कृति एवं मनोरंजन आते हैं।
प्रश्न 2.
संहत ग्रामीण बस्ती की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संहत ग्रामीण बस्ती में बहुत से घर एक-दूसरे के पास बने होते हैं। मूलत: ऐसी बस्ती का प्रारंभ एक छोटे पुरवे के रूप में दो रास्तों के कटान पर (चौराहा) अथवा एक जलाशय के समीप होता है। नए घरों के जुड़ने से इस पुरवे का आकार बढ़ता जाता है।
प्रश्न 3.
यूरोप में कौन-कौन सी नदियों के मैदानों में संहत बस्तियों के विशिष्ट स्वप देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
वोल्गा तथा डेन्यूब नदियों के मैदानों में।
प्रश्न 4.
एक अवैध बस्ती को परिभाषित करने वाली तीन विशेषताएँ कौन-सी होती हैं?
उत्तर:
- भौतिक
- सामाजिक
- वैधानिक।
प्रश्न 5.
भारत के कौन-कौन से तीन महानगर 2000 में दस लाख की जनसंख्या वाले थे?
उत्तर:
- मुंबई
- कोलकाता
- चेन्नई।
प्रश्न 6.
भारत में नगर को परिभाषित करने के लिए जनसंख्या आकार के अतिरिक्त दूसरा मापदंड क्या है?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या के आकार के अतिरिक्त जनसंख्या का घनत्व भी एक मापदंड है जिसके अनुसार एक नगर की जनसंख्या का घनत्व 4000 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर होना चाहिए।
प्रश्न 7.
उपनगरीकरण क्या हैं?
उत्तर:
एक-एक नवीन प्रवृति है जिसमें मनुष्य शहर के घने बसे क्षेत्रों से हटकर रहन-सहन की अच्छी गुणवत्ता की खोज में शहर के बाहर स्वच्छ एवं खुले क्षेत्रों में जा रहे हैं। बड़े शहरों के समीप ऐसे महत्त्वपूर्ण उपनगर विकसित हो जाते हैं, जहाँ से प्रतिदिन हजारों व्यक्ति अपने घरों से कार्यस्थलों की ओर आते जाते हैं।
प्रश्न 8.
आवास क्या है?
उत्तर:
आवास मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। यह एक झोंपड़ी, एक कोठरी, एक मकान, एक फ्लैट अथवा एक बड़ी हवेली कोई भी हो सकता है।
प्रश्न 9.
बस्तियों के अध्ययन में उनके आकार, प्रतिरूप, स्थल, स्थिति एवं कार्य जैसे प्रमुख पहलुओं का अध्ययन क्यों किया जाता है।
उत्तर:
क्योंकि वे आपस में एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।
प्रश्न 10.
संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्रामीण बस्ती के निर्धारण की ऊपरी सीमा कितनी है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्रामीण बस्ती के निर्धारण की ऊपरी सीमा 2500 की जनसंख्या है।
प्रश्न 11.
बस्तियों के आकार तथा कार्यों का संबंध किससे होता है?
उत्तर:
बस्तियों के आकार तथा कार्यों का संबंध बहुधा उनके स्थल तथा स्थिति से ही होता है। जो स्वयं भी उनके कार्यों द्वारा निर्धारित होते हैं।
प्रश्न 12.
भारतीय जनगणना के अनुसार नगरीय बस्ती को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1991 की भारतीय जनगणना के अनुसार, ‘सभी स्थान जहाँ नगर पालिका, निगम, छावनी बोर्ड या अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति हो एवं कम से कम 5000 व्यक्ति वहाँ निवास करते हों, 75 प्रतिशत पुरुष श्रमिक गैर कृषि कार्यों में संलग्न हों व जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो, ऐसे स्थान या क्षेत्र को नगरीय बस्ती कहेंगे’।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
शिक्षा नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
कई नगरों का विकास शिक्षा संबंधी सुविधाओं की उपस्थिति के कारण होता है। इन नगरों में विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय, छात्रावास, पुस्तकालय एवं खेलों के मैदानों की प्रचुरता होती है। भारत में शांति निकेतन, पिलानी, पन्त नगर और विश्व में ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज आदि शिक्षा नगरों के प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रश्न 2.
प्रशासनिक नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के नगर, देशों एवं राज्यों की राजधानियों तथा जिलों एवं अन्य प्रशासनिक इकाइयों के मुख्यालय होते हैं। ऐसे नगरों में सरकारी भवनों, संसद भवन, विधानसभा भवन, विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालय तथा अन्य सरकारी विभागों के मुख्यालय एवं न्यायालय होते हैं। इन नगरों में सरकारी कर्मचारी तथा अधिकारी अधिक संख्या में रहते हैं। दिल्ली, लंदन, चंडीगढ़ आदि प्रशासनिक नगरों के मुख्य उदाहरण हैं।
प्रश्न 3.
नगर की संरचना के विषय में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक नगर के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार का भू-उपयोग होता है। कुछ क्षेत्रों में वाणिज्य की प्रधानता होती है। जैसे दिल्ली में करोल बाग, कनाट प्लेस, चाँदनी चौक, नेहरू, प्लेस, सदर बाजार; कोलकाता में न्यू मार्केट तथा बड़ा बाजार; चेन्नई में माउंट रोड आदि। कुछ क्षेत्रों में उद्योग विकसित होता है तो कुछ क्षेत्र आवास के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ अन्य क्षेत्र उपनगरीय लक्षणों के होते हैं।
कुछ विद्वानों का विचार है कि नगर का विकास एक केन्द्रीय क्रोड से बाहर की ओर संकेन्द्रीय वृतों के रूप में होता है। दूसरे क्षेत्र में थोक व्यापार के अतिरिक्त हल्के उद्योग भी होते हैं। नगर की अधिकांश गंदी बस्तियाँ इसी क्षेत्र में पाई जाती हैं। तीसरे क्षेत्र में मजदूर तथा निम्न आय वर्ग के लोग निवास करते हैं।
इसका कारण यह है कि दूसरे क्षेत्र में स्थित उद्योगों में काम करने वाले लोग निकटवर्ती तीसरे क्षेत्र में ही रहते हैं। चौथे क्षेत्र में मध्यम तथा उच्च आय वर्ग के लोग रहते हैं। पाँचवे क्षेत्र में संभ्रात तथा अत्यधिक उच्च आय वर्ग के लोग रहते हैं। इनमें से अधिकतर के पास अपने निजी वाहन होते हैं। ये काम करने के लिए नगर के भीतरी भाग में प्रात:काल जाते हैं और सायंकाल निवास के लिए वापस इन क्षेत्रों में लौट आते हैं। नगर की यह संरचना स्थाई नहीं होती बल्कि अवस्था तथा आवश्यकता के अनुसार बदलती रहती है।
प्रश्न 4.
नगर की आकृति के विषय में संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरों की आकृति भिन्न-भिन्न होती है, जैसे-गोल, वर्गाकार, लम्बवत् आदि। नगर की आकृति पर उसकी स्थिति का बहुत प्रभाव पड़ता है। मैदानी भागों में बसे हुए नगर पर्वतीय नगरों से भिन्न होते हैं। नियोजित नगर सम आकृति वाले होते हैं, जबकि बिना नियोजन वाले नगर विषम आकृति के होते हैं। चंडीगढ़ तथा जयपुर नियोजित नगर हैं और सम आकृति वाले नगर हैं। प्राचीन नगरों में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता था और किले सदैव ऊँचे स्थानों पर बनाए जाते थे।
राजस्थान के अधिकांश नगर किले के चारों ओर विकसित हुए हैं। उत्तर प्रदेश के अधिकांश नगरों का विकास घंटाघर के चारों ओर हुआ। किसी नदी या सड़क के किनारे पर बसने वाले नगर लम्बाकार होते हैं क्योंकि वे किनारे के साथ-साथ रैखिक आकृति में विकसित होते हैं। हरियाणा में फरीदाबाद तथा उत्तर प्रदेश में मोदी नगर लंबाकार नगरों के अच्छे उदाहरण हैं।
प्रश्न 5.
नगरों को प्रशासनिक आधार पर किस प्रकार परिभाषित करते हैं?
उत्तर:
नगरों को प्रशासनिक आधार पर भी परिभाषित किया जाता है। उदाहरणतः भारत में वे सभी स्थान, जहाँ पर नगरपालिका, कार्पोरेशन, कैण्टोनमेंट बोर्ड अथवा नोटिफाइड टाउन एरिया कमेटी हैं, नगर कहलाते हैं। कुछ अन्य देशों में प्रशासनिक केन्द्रों को नगर माना गया है, चाहे वे आकार में कितने ही छोटे क्यों न हों। मध्य अमेरिकी देशों, जैसे-ब्राजील, बोलीविया आदि में छोटे-से-छोटे प्रशासनिक केन्द्र को भी नगर की संज्ञा दी जाती है। प्रत्येक नगर का अपना अलग व्यक्तित्त्व तथा रूप होता है जो नगर की स्थिति पर निर्भर करता है। नगर का रूप निम्नलिखित दो तथ्यों पर निर्धारित होता है –
- नगर की आकृति और
- नगर की संरचना।
प्रश्न 6.
अनधिकृत बस्तियों के विषय में संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अनाधिकृत बस्तियाँ सामान्यतः एक नगरीय क्षेत्र का आवासीय भाग हैं, जिसमें अत्यंत निर्धन लोग बसे होते हैं तथा जो अपनी निजी भूमि खरीदने में असमर्थ होते हैं। अतः वे लोग निजी अथवा सार्वजनिक खाली भूमि में बस जाते हैं। ऐसी बस्तियों के स्वरूप तथा नामों में एक देश से दूसरे देश में विभिन्नता पाई जाती है।
इन्हें सामान्यतः ‘शैंटी टाउन’ अथवा ‘अनियमित बस्तियों’ के नाम से जाना जाता है। बहुत से देशों में इन्हें भिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है, जैसे-रांचोज (वेनेजुएला), फवेलास (ब्राजील), केवेट्टटीस (म्यांमार), मलिन बस्ती या झुग्गी-झोंपड़ी (भारत), आदि। इनमें परंपरागत या अनियमित रूप से बनाये गये स्वनिर्मित मकानों में निवास करने वाले समुदायों को सम्मिलित किया जाता है।
ऐसी बस्तियाँ विकासशील देशों के नगरों का सामान्य लक्षण हैं तथा ऐसी बस्तियों का जन्म गरीबों के आवास की भारी आवश्यकता के फलस्वरूप होता है। इनमें विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा निर्मित छोटे और स्वरूप बदलते रहने वाले घर होते हैं। इनके सघन जमाव से पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ता है तथा गंभीर सामाजिक समस्याएँ पैदा होती हैं। ऐसी मलिन बस्तियाँ उस स्थिति में बनती हैं, जब स्थानीय प्रशासन अपने नियोजन में संपूर्ण समुदाय की आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल होता है। ऐसे क्षेत्र तेजी से बढ़ने वाले, असंरक्षित एवं अनियोजित विकास की विशेषता वाले हैं। भूमंडलीय स्तर पर यह एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।
प्रश्न 7.
ग्रामीण बस्तियों का भूमि से किस प्रकार का संबंध है?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों का भूमि से गहरा और प्रत्यक्ष संबंध है क्योंकि ग्रामीण बस्तियों में प्राथमिक कार्यों, जैसे-कृषि, पशुपालन, मत्स्य-पालन की प्रधानता होती है। ग्रामीण बस्तियों में मकानों तथा अन्य कार्यों कार विन्यास सीधा भूमि व प्रकृति से संबंधित होता है।
प्रश्न 8.
व्यापार एवं परिवहन नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राचीन काल के अधिकांश नगर व्यापार के केन्द्र के रूप में महत्त्वपूर्ण थे। जर्मनी का सेल डॉर्फ, कनाडा का विनिपेग, पाकिस्तान का लाहौर, ईराक का बगदाद, भारत में आगरा आदि सभी नगर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र रहे हैं। कुछ नगरों का विकास परिवहन नगरों के रूप में हुआ है। ऐसे नगरों का आधार दो प्रकार से परिवहन होते हैं। पत्तन नगर समुद्र तट पर स्थित आयात एवं निर्यात के केन्द्र हैं। जैसे भारत में मुंबई, मध्य पूर्व में आदन आदि। रेलमार्गों के केन्द्र (जंक्शन) आगे चलकर नगर बन जाते हैं। भारत में मुगलसराय तथा इटारसी ऐसे नगरों के उपयुक्त उदाहरण हैं।
प्रश्न 9.
बस्तियों की गोलाकार आकृति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
गोलाकार आकृति को वृत्तीय प्रतिरूप भी कहते हैं। जब कभी किसी झील या तालाब के किनारे मकान बन जाते हैं, तो गाँव की गोलाकार आकृति होती है। यह प्रतिरूप किसी हरे-भरे मैदान में भी मिलता है। ऐसे प्रदेश में गाँव के निवासी अपना मकान जल के समीप बनाना चाहते हैं। पश्चिमी बंगाल और उत्तर प्रदेश में इस प्रकार के गाँव बहुत मिलते हैं।
प्रश्न 10.
नगरों में मलिन बस्तियों में वृद्धि के क्या कारण हैं?
उत्तर:
नगरीय बस्तियों में अनियमितता, अनियोजिता तथा अनियंत्रित मलिन बस्तियों में वृद्धि के कारण हैं। बड़े नगरों में मलिन बस्तियाँ विशेष रूप से बढ़ती हैं। चिंता की बात यह है कि मलिन बस्तियाँ बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। भारतीय नगरों की एक चौथाई जनसंख्या मलिन बस्तियों में रहती है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत के 607 नगरों में मलिन बस्तियाँ हैं जिनमें लगभग 4 करोड़ व्यक्ति रहते हैं। मलिन बस्तियों को हटाने अथवा उन्हें साफ करने में स्थान तथा धन का अभाव सबसे बड़ी समस्या है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
अंतर स्पष्ट कीजिए:
- बस्तियों की स्थिति एवं स्थल
- संहत एवं प्रकीर्ण बस्तियाँ
- प्रशासनिक एवं सांस्कृतिक बस्तियाँ
- अवैध बस्तियाँ एवं मलिन बस्तियाँ।
उत्तर:
1. स्थल से तात्पर्य उस वास्तविक भूमि से है जिस पर बस्ती बनी हुई है। बस्ती की स्थिति से तात्पर्य उसके आस-पास के गाँवों के संबंध में उसकी अवस्थिति बताना है। बस्तियों के स्थल एवं स्थिति तथा उनके भवनों के प्रकारों का, भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक-विरासत के संबंध में अध्ययन किया जा सकता है।
चित्र: ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप
2. संहत ग्रामीण बस्तियों में बहुत से घर एक-दूसरे के पास बने होते हैं। मूलतः ऐसी बस्ती का प्रारंभ एक छोटे पुरवे के रूप में दो रास्तों के कटान पर (चौराहा) अथवा एक जलाशय के समीप होता है। नए घरों के जुड़ने पर इसके पुरवे का आकार बढ़ता जाता है। सामान्यतः ऐसी बस्तियाँ नदी घाटियों तथा उपजाऊ मैदानों में देखने को मिलती हैं। यहाँ मकान एक-दूसरे से सटे होते हैं तथा गलियाँ संकरी होती हैं। इस प्रकार की बस्तियों में मनुष्य सामाजिक रूप से एक-दूसरे से निकट से जुड़े होते हैं।
प्रकीर्ण बस्तियाँ प्रायः
पर्वतीय, पठारी तथा उच्च भूमि के क्षेत्रों में प्रकीर्ण या बिखरी हुई पाई जाती हैं। ये एक या दो घरों वाली बस्तियाँ होती हैं जिनमें रहने वाले लोग किसी एक सांस्कृतिक लक्षण जैसे गिरजाघर, मस्जिद अथवा मंदिर द्वारा एकसूत्र में बंधे होते हैं। अफ्रीका में ऐसी प्रकीर्ण बस्तियाँ बहुतायत से पायी जाती हैं। भारत में उत्तरी कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम तथा उत्तरी-पश्चिमी बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं। चीन के पर्वतीय प्रदेशों में प्रकीर्ण-पुरवे पाये जाते हैं।
3. प्रशासनिक नगर-राष्ट्रीय सरकारों के प्रशासनिक विभागों के मुख्यालय जैसे नई दिल्ली, कैनबरा, मास्को, बीजिंग, आदिस अबाबा, वाशिंगटन डी. सी., पेरिस, लंदन आदि राष्ट्रीय राजधानियाँ हैं। भारत में जयपुर, भोपाल, पटना तथा बंगलौर राज्यों के प्रशासनिक मुख्यालय (राजधानियाँ) हैं।
सांस्कृतिक नगर:
सांस्कृतिक नगर धार्मिक, शैक्षिक केन्द्र अथवा मनोरंजन या आमोद:
प्रमोद के केन्द्र होते हैं। अयोध्या, जेरुसेलम, मक्का, हरिद्वार, मदुरै एवं वाराणसी का महत्त्व है। अतः इन्हें धार्मिक नगर कहते हैं। कुछ स्थान शैक्षिक संस्थानों के लिए जाने जाते हैं, जैसे वाराणसी धार्मिक प्राचीन काल से ही धार्मिक नगर होने के साथ शिक्षा का बहुत बड़ा नगर रहा है। कैम्ब्रिज और इलाहाबाद अपने विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध हैं। मनोरंजन या आमोद-प्रमोद के नगरों में संयुक्त राज्य अमेरिका में लास वेगास, थाईलैंड में पट्टाया और भारत में दार्जिलिंग प्रसिद्ध हैं।
4. एक अवैध बस्ती को परिभाषित करने वाली तीन विशेषताएँ होती हैं –
- भौतिक
- सामाजिक तथा
- वैधानिक विशेषताएँ।
1. भौतिक विशेषताएँ:
इन अवैध बस्तियों में उनकी गैर-कानूनी स्थिति होने के कारण (अवैध-स्थिति के होने के कारण) यहाँ न्यूनतम आवश्यक स्तर की सेवाएँ तथा सुविधाएँ ही पायी जाती हैं। अतः इनमें जल आपूर्ति, स्वच्छता, बिजली, सड़कें तथा नालियों, विद्यालय, स्वास्थ्य केन्द्रों एवं बाजार विपणन स्थलों का अभाव होता है अथवा उनकी अनौपचारिक व्यवस्था होती है।
2. सामाजिक विशेषताएँ:
अधिकांश अवैध बस्तियों के घर निम्न आय वर्ग के लोगों के ही होते हैं। उनमें अधिकांश प्रवासी ही होते हैं, लेकिन उनमें बहुत से दूसरी तथा तीसरी पीढ़ी के यहीं जन्में लोग भी होते हैं।
3. वैधानिक विशेषताएँ:
इन बस्तियों में भू-स्वामित्व का अभाव होता है। अधिकतर अवैध बस्तियों तथा मलिन बस्तियों को समानार्थी शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जबकि वे एक-दूसरे से भिन्न शब्द हैं।
मलिन बस्तियाँ वे आवासीय क्षेत्र होते हैं जिनमें भौतिक एवं सामाजिक परिस्थितियाँ अत्यंत खराब होती हैं तथा उनमें पारिवारिक जीवन संतोषजनक नहीं होता है। मलिन बस्तियों की दशा का प्रमुख सूचक निकृष्ट आवासी व्यवस्था है, जिसका अर्थ है ऐसे घर जिनमें प्रकाश, वायु, शौचालय व स्थान आदि की सुविधाओं की अत्यन्त कमी पायी जाती है।
घर नमीयुक्त हुए खराब मरम्मत की स्थिति में होते हैं, इनमें परिवार की एकांत की सुविधा का अभाव होता है। इनमें आग लगने की प्रबल संभावना बनी रहती है। इनमें भूमि पर अत्यधिक भीड़ के कारण मनोरंजन के लिए खुले स्थलों का पूर्ण अभाव रहता है। धारावी (मुम्बई) भारत में एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती है। बसें केवल उनकी सीमा तक ही जाती हैं। ऑटोरिक्शा तक वहाँ नहीं जा सकते।
प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों की क्या-क्या समस्याएँ हैं? संक्षिप्त में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विकासशील देशों में ग्रामीण बस्तियों की मुख्य समस्याएँ गरीबी, बेरोजगारी तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सेनीटेशन, सफाई आदि जैसी आधुनिक सुविधाओं का अभाव है। विकासशील देशों में बहुत से ग्रामीण लोग कृषि पर निर्भर करते हैं, और यही उनका मुख्य व्यवसाय है। कृषि एक मौसमी व्यवसाय है। कृषक तथा कृषि मजदूर फसलों की बुआई तथा कटाई के समय ही व्यस्त रहते हैं वर्ष की शेष अवधि में उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। अधिकांश कृषकों के पास जमीन का छोटा-सा टुकड़ा होता है जा प्राय: अधिक उपजाऊ नहीं होता। इससे पैदा होने वाली फसल किसान के परिवार के सदस्यों के पेट की पूर्ति के लिए भी पर्याप्त नहीं होता।
खराब मौसम की स्थिति में फसल नष्ट हो जाती है और किसानों को गरीबी तथा भुखमरी का सामना करना पड़ता है। इससे तंग आकर ग्राम निवासी रोजगार की तलाश में नगरों की ओर प्रवास करते हैं। विकासशील देशों की अधिकांश ग्रामीण बस्तियों में पेयजल की सुविधा नहीं है। ग्रामवासियों के लिए पेयजल के नल अभी भी एक सुनहरे सपने के समान ही हैं। उन्हें प्राकृतिक जलाशयों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इन जलाशयों में जल प्रायः अशुद्ध होता है। विकासशील देशों की ग्रामीण बस्तियों में सफाई तथा सेनीटेशन की कोई विशेष व्यवस्था नहीं होती। खुली नालियों में गंदा पानी भरा रहता है और यत्र-तत्र कूड़े के ढेर लगे रहते हैं, इन पर मक्खी तथा मच्छर खूब पनपते हैं जो मलेरिया, हैजा, पीलिया, पेचिश आदि घातक बीमारियाँ फैलाते हैं। शिक्षा विशेषतया उच्च शिक्षा का पूर्ण अभाव होता है। इसी प्रकार से पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध नहीं होती।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
- बस्ती किसे कहते हैं?
- बस्तियों के वर्गीकरण के आधार क्या हैं?
- ग्रामीण बस्तियाँ क्या हैं?
- नगरीकरण किसे कहते हैं?
- विश्व में आज दस लाख या इससे अधिक जनसंख्या वाले महानगरों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
1. बस्ती मनुष्यों के आवासों के उस एक संगठित निवास स्थान को कहते हैं, जिसमें उनके रहने अथवा प्रयोग करने वाले भवनों तथा उनके आने-जाने के लिए बनाये रास्तों एवं गलियों को सम्मिलित किया जाता है। इनमें आखेटकों एवं चरवाहों के अस्थायी डेरे, स्थायी बस्ती जिसे गाँव कहते हैं, तथा एक वृहत् नगरीय समूह को सम्मिलित किया जाता है।
2. बस्तियों को सामान्यतः उनके आकार तथा प्रकार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रकार, बस्तियों को ग्रामीण तथा नगरीय अथवा गाँवों तथा नगरों में दो प्रकार से बाँटते हैं। ग्रामीण और नगरीय शब्द सापेक्ष हैं। ग्रामीण बस्ती को नगरीय बस्ती से अलग करने का कोई सार्वभौम मापदंड नहीं है विभिन्न देशों ने अपनी आवश्यकतानुसार अपने अलग-अलग मापदंड विकसित किए हैं।
3. ग्रामीण बस्तियाँ मुख्यतः प्राथमिक-कार्यों जैसे कृषि, मत्स्यन, खनन, वानिकी आदि से संबंधित होते हैं। कनाडा में 1000 से कम जनसंख्या वाले अधिवासों को ग्रामीण वर्ग में रखते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्रामीण बस्ती के निर्धारण की ऊपरी सीमा 2500 की जनसंख्या है। भारत में 5000 तक की जनसंख्या वाली बस्तियों को ग्रामीण बस्ती कहते हैं जबकि जापान में 30000 तक की जनसंख्या वाली बस्ती को ग्रामीण बस्ती कहा जाता है।
कुछ देशों में, जनसंख्या आकार के स्थान पर, वर्षा के कार्यों या स्तर को, ग्रामीण से नगरीय में अंतर करने का आधार माना जाता है। दोनों में मौलिक अंतर यह है कि एक ओर गाँव में अधिकांश लोग कृषि कार्यों में संलग्न होते हैं, तो दूसरी ओर नगरों में लोगों का मुख्य व्यवसाय गैर-कृषि कार्य अर्थात् उद्योग, वाणिज्य एवं सेवाएँ आदि होते हैं।
4. नगरों की वृद्धि के लिए स्थल तथा स्थिति से संबंधित आपस में जुड़े अनेक कारण उत्तरदायी होते हैं। जैसे खनिज संसाधनों के निकट खनन-शहरों का, तथा मत्स्यन-पत्तनों की स्थिति के लिए सुरक्षित लंगरगाहों का होना आवश्यक है। इसके विपरीत, औद्योगिक नगरों की स्थिति उन केन्द्रीय स्थानों पर हो सकती है, जहाँ विनिर्माण उत्पादों से संबंधित सभी कच्चे माल प्राप्त किये जा सकते हैं।
5. विश्व के बड़े नगरों के कालिक एवं क्षेत्रिक वितरण समय एवं स्थान के संदर्भ में तीव्रता से परिवर्तन हुए हैं। वर्ष 1920 के दशक में जहाँ संसार में मात्र 24 दस-लाखी महानगर थे। 1980 के दशक में उनकी संख्या बढ़कर 198 हो गई। आज 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरों की संख्या 350 हो गई है।
प्रश्न 4.
किसी बस्ती द्वारा नगरीय बस्ती निर्धारित करने के लिए विभिन्न देशों द्वारा प्रयुक्त मापदंडों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बस्तियों को ग्रामीण एवं नगरीय वर्गों में वर्गीकृत करने के अलग-अलग आधार होते हैं। वर्गीकरण के कुछ सामान्य आधारों में जनसंख्या का आकार, व्यावसायिक संरचना और प्रशासन अधिक प्रचलित हैं। जनसंख्या का आकार-एक बस्ती को नगर की परिभाषा के अंतर्गत सम्मिलित किये जाने के लिए लगभग संसार के सभी देशों ने जनसंख्या-आकार को महत्त्वपूर्ण आधार माना है। तो भी ग्रामीण बस्ती से नगरीय बस्ती को पृथक्, करने के लिए जनसंख्या-आकार के निर्धारण में बहुत अंतर पाया जाता है।
निम्न जनसंख्या घनत्व वाले देशों में सघन जनसंख्या वाले देशों की तुलना में ‘विभाजन की संख्या कम हो सकती है। उदाहरण के लिए डेनमार्क, स्वीडन तथा फिनलैंड में कोई स्थान जिसकी जनसंख्या 250 से अधिक है, नगर कहलाता है। आइसलैंड में यह संख्या 300 है जबकि मनाडा एवं वेनेजुएला में नगरीय बस्तियों की जनसंख्या 1000 होनी चाहिए। कोलम्बिया में 1500, अर्जेन्टाइना तथा पुर्तगाल में 2000, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा थाईलैड में 2500, भारत में 5000 तथा जापान में 30000 निवासियों की बस्तियाँ नगर कहलाने के योग्य मानी जाती हैं। भारत में जनसंख्या-आकार के अतिरिक्त जनसंख्या का घनत्व भी एक मापदंड है जिसके अनुसार एक नगर की जनसंख्या का घनत्व लगभग 400 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. होनी चाहिए।
व्यावसायिक संरचना:
कुछ देशों जैसे भारत में, जनसंख्या के आकार के अतिरिक्त नगर ही परिभाषा का आधार वहाँ की जनसंख्या के आर्थिक क्रियाकलाप भी हैं। इटली में एक बस्ती को नगर तभी कहा जाता है, जब वहाँ की 50 प्रतिशत से अधिक आर्थिक रूप से उत्पादक जनसंख्या गैर-कृषि कार्यों में संलग्न होती है। भारत में 75 प्रतिशत से अधिक कार्यशक्ति को गैर-कृषि क्रियाकलापों में लगे होने पर ही नगरी बस्ती कहा जाता है।
प्रशासनिक निर्णय:
कुछ देशों में एक बस्ती को नगर के रूप में वर्गीकृत करने के लिए उसके प्रशासन के स्वरूप को भी आधार माना जाता है। उदाहरणार्थ, भारत में, 5000 की. जनसंख्या से कम की बस्ती को भी नगरीय कहा जा सकता है यदि वह नगरपालिका, कैण्टोनमेंट बोर्ड अथवा नोटीफाइड एरिया है। लैटिन अमेरिकी देशों, ब्राजील तथा बोलिविया में छोटे-से-छोटा प्रशासनिक केन्द्र भी नगर कहलाता है, चाहे उसकी जनसंख्या कुछ भी हो।
अवस्थिति तथा आकृति रूप संबंधी आधार-अपनी अवस्थिति के आधार पर एक नगरीय बस्ती रैखिक, वर्गाकार, तारक या अर्द्ध-चंद्राकार आकृति की हो सकती है। भवनों की वास्तुकला एवं उनकी विशेषताएँ ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाती है। फिर भी, नगर की आकृति पर उसकी स्थिति तथा स्थल का बहुत प्रभाव पड़ता है।
विकसित एवं विकासशील देशों के वस्त्रों तथा नगरों में नियोजन तथा विकास में अत्यधिक अंतर पाया जाता है। विकसित देशों के अधिकांश कस्बे तथा नगर जहाँ सुनियोजित तथा सम-आकृति के हैं वहीं विकासशील देशों की नगरीय बस्तियाँ, कुछ को छोड़कर, बिना किसी नियोजन के बसी हैं तथा विषम आकृति की हैं। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ एक सुनियोजित नगर हैं, जबकि पटना का विकास अनियोजित नगर के रूप में हुआ है।
प्रश्न 5.
संसार में ग्रामीण बस्तियों के वितरण प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों में गलियों, मकानों तथा अन्य कार्यों का विन्यास, इनकी आकृति, पर्यावरण तथा संस्कृति से संबंधित होता है। सामान्यतः इनके तीन प्रतिरूप पाये जाते हैं। ये हैं –
- रैखिक
- गोलाकार या वर्गाकार
- रैखिक तथा क्रॉस आकृति की बस्तियाँ।
1. रैखिक:
ये बस्तियाँ सामान्यतः सड़कों, नदियों अथवा नहरों के किनारों पर पायी जाती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में, नदी के बाढ़ वाले मैदानों में भी इस प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं। पश्चिमी यूरोप के निचले क्षेत्रों में डाइक तथा तटबंधों पर रैखिक प्रतिरूप के गाँव पाये जाते हैं। भारत में ऐसे प्रतिरूप प्रमुख सड़कों तथा नदियों के साथ-साथ पाये जाते हैं।
2. गोलाकार या वर्गाकार प्रतिरूप:
गोलाकार ग्रामीण बस्तियाँ समतल भूमि पर किसी तालाब-पोखर, लाबाशंकु मुख, पहाड़ी की चोटी या एक पशु-कोरेल के चारों ओर पाई जाती है। उदाहरण के लिए पश्चिमी बंगाल में एक गाँव का किसी तालाब के चारों ओर पाया जाना सामान्य लक्षण है। अफ्रीका तथा यूरोप में, गोलाकार गाँवों को देखा जा सकता है। कहीं-कहीं भौतिक बाधाओं अथवा एक या दोनों ओर बढ़ने से प्रांस तारे की आकृति कर लेती हैं।
3. क्रॉस आकृति:
इस प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ सड़कों के चौराहों पर विकसित होती हैं। ये प्रारंभ में एक पुरवे के रूप में बसती हैं। बाद में सड़कों के किनारे मकानों के बढ़ते जाने से बस्ती का प्रतिरूप क्रॉस आकृति या तारे की आकृति के समान हो जाता है।
प्रश्न 6.
एक ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप किस प्रकार पर्यावरण दशाओं एवं भौतिक और सांस्कृतिक प्रभावों को प्रतिबिंबित करता है? समझाइये।
उसर:
बस्तियों के स्थल एवं स्थिति तथा उनके भवनों के प्रकारों, भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक-विरासत के संबंध में अध्ययन किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, एक गाँव किसी पहाड़ी पर अथवा नदी के किनारे पर स्थित हो सकता है। ऐसा स्थल वहीं होगा जहाँ जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो, तथा वह वर्षा ऋतु में बाढ़ से सुरक्षित हों। किसी निश्चित प्रदेश के आवास का स्वरूप वहाँ पर मानव के प्राकृतिक पर्यावरण से संबंधित उसके अधिक बोध को भी प्रतिबिंबित करता है।
बस्ती के कार्य, सहलग्नता, तथा भूमिका उस पृष्ठ प्रदेश की प्रकृति को दर्शाती है। जिससे बस्ती भरण-पोषण के साधन प्राप्त होते हैं एवं उसके संपूर्ण विकास का स्तर सुनिश्चित होता है। बस्तियों का वर्तमान स्वरूप एक लंबी अवधि के क्रमिक विकास का द्योतक है। इतिहास के सभी कालों में, कृषि एवं औद्योगिक-प्रौद्योगिक में होने वाले प्रत्येक नवीन परिवर्तन का संसार के सभी विकसित एवं विकासशील भागों में स्थित बस्तियों की संरचना तथा प्रतिरूपों पर प्रभाव पड़ता रहा है।
कृषि-युग में ग्रामीण बस्तियों का प्रभुत्व था। औद्योगिक क्रांति में छोटी-बड़ी सभी प्रकार की नगरीय बस्तियों का विकास हुआ। बदलती सांस्कृतिक तथा सामाजिक पद्धतियों की अधिवासों की संरचना एवं कार्यों में स्पष्ट झलक मिलती है। बस्तियों के अध्ययन में उनके आकार, आकृति, प्रतिरूप, स्थल, स्थिति एवं कार्य जैसे प्रमुख पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, क्योंकि वे आपस में एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।
प्रश्न 7.
विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों से संबंधित समस्याओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरों को आर्थिक वृद्धि के इंजन के रूप में देखा जाता है। लेकिन नगरीय जनसंख्या की तीव्र वृद्धि सुविधाओं के साथ-साथ समस्याओं को भी लाती है। नगरीकरण की प्रक्रिया में ग्रामीण तथा नगरीय दोनों प्रकार की बस्तियों पर दूरगामी प्रभाव डाले हैं। नगरीकरण को बहुधा ग्रामीण से नगरीय में परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है। लेकिन यह गाँवों के जनांकिकी वृद्धि की मात्र वह प्रक्रिया नहीं है जिससे कस्बों तथा नगरों की स्थापना होता है, वरन् इसमें दूसरे बहुत से सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों भरी जुड़े हुए हैं।
विकासशील देशों में परिवर्तन नगरीकरण की प्रक्रिया ने ग्रामीण क्षेत्रों की योग्य/समर्थ श्रम शक्ति को छीन लिया है। परिस्थितिकी के विकृत तथा सामाजिक प्रदूषण ने उनकी ऊर्जा को निचोड़ लिया है। इसके साथ ही, नगरीय बस्तियाँ भी आवास, परिवहन, स्वास्थ्य एवं अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की कमी से अत्यधिक प्रभावित हुई हैं। इन दोनों ही स्थानों (ग्राम व नगर) गुणवत्तायुक्त जीवन का ह्रास हुआ है। अफ्रीका में, केवल एक तिहाई घरों में पेयजल की व्यवस्था है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में मात्र 38 प्रतिशत नगरीय घरों को ही मल-जल प्रणाली से जोड़ा गया है।
विकासशील देशों के बहुत से नगरों में जनसंख्या का एक बढ़ता हिस्सा निम्न स्तरीय घरों, निवासों अथवा सड़कों पर रहना है। भारत के अधिकांश दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में चार में से एक शारीरिक अवैध बस्तियों में रहता है। जिससे नगर के शेष भागों की तुलना में दोगुनी हो रही है। प्रशांत एशिया क्षेत्र के देशों में ही, जो आर्थिक सफलतापूर्वक के लिए जाने जाते हैं। यह अनुमान था कि बीसवीं शताब्दी की समाप्ति पर इन देशों की लगभग 60 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या झुग्गी-झोंपड़ी या अवैध गंदी बस्तियों में निवास करती थी।
अनाधिकृत बस्तियाँ सामान्यतः
एक नगरीय क्षेत्र का आवासीय भाग है। जिसें अत्यंत निर्धन लोग बसे होते हैं तथा जो अपनी निजी भूमि खरीदने में असमर्थ होते हैं। अत: वे लोग निजी अथवा सार्वजनिक खाली भूमि पर बस जाते हैं ऐसी बस्तियों के स्वरूप तथा नामों एक देश से दूसरे देश में विभिन्नता पाई जाती है। उन्हें सामान्यतः शैण्टी टाउन्स अथवा अनियमित बस्तियों के नाम से भी जाना जाता है। बहुत से देशों में इन्हें भिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है। जैसे वेनेजुएला में रांजोच, ब्राजील में फेवलास, म्यंमार में के, वहिट्स तथा भारत में गंदी बस्ती, झुग्गी झोंपड़ी आदि।
इसमें परम्परागत या अनियमित रूप से बनाये गये स्वनिर्मित मकानों में निवास करने वाले समुदायों को सम्मिलित किया जाता है। ऐसी बस्तियाँ विकासशील देशों के नगरों का सामान्य लक्षण हैं तथा ऐसी बस्तियों का जन्म गरीबों द्वारा शरण की अत्यधिक आवश्यकता के फलस्वरूप होता है। इनमें विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा निर्मित छोटे, स्वरूप में बदलते रहने वाले घरों के सघन जमाव में परिस्थिति-तंत्र बिगड़ता है तथा गंभीर सामाजिक समस्या पैदा हो जाती है। ऐसी गंदी बस्तियाँ उस स्थिति में बनती है जब स्थानीय प्रशासन अपने नियोजन में संपूर्ण समुदाय की आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल होता है। ऐसे क्षेत्र तीव्र असंरचित एवं अनियोजित विकास की विशेषता वाले हैं। यह भूमंडलीय स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।
प्रश्न 8.
नगरों के कार्यात्मक वर्गीकरण का प्रत्येक प्रकारों से उपयुक्त उदाहरण देते हुए चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरों के अनेकों प्रकार्य होते हैं। कुछ नगरों में एक निश्चित प्रकार्य की अधिकता होती है, वह नगर उसी प्रकार्य के लिए जाना जाता है। उदाहरणार्थ, ऑक्सफोर्ड एक शैक्षिक नगर के रूप में जाना जाता है। वाराणसी एक धार्मिक केन्द्र के रूप में तथा वाशिंगटन डी. सी. एक प्रशासनिक नगर के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार प्रकार्यों के आधार पर कस्बों-शहरों तथा नगरों को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रशासनिक नगर:
राष्ट्रीय सरकारों के प्रशासनिक विभागों के मुख्यालय जैसे नई दिल्ली, कैनबरा, मास्को, बीजिंग, आदिस अबाबा, वाशिंगटन डी. सी. पेरिस, लंदन आदि राष्ट्रीय राजधानियाँ हैं। भारत में जयपुर, भोपाल, पटना तथा बंगलौर राज्यों के प्रशासनिक मुख्यालय (राजधानियाँ) हैं।
रक्षा नगर:
ये नगर सैनिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं। ये तीन प्रकार के हैं-किला नगर, छावनी नगर तथा नौसेना के केन्द्र।
सांस्कृतिक नगर:
सांस्कृतिक नगर धार्मिक, शैक्षिक केन्द्र अथवा मनोरंजन या आमोद-प्रमोद के केन्द्र होते हैं। अयोध्या, जेरुसेलम, मक्का, हरिद्वार, मदुरै एवं वाराणसी का धार्मिक महत्त्व है। अतः इन्हें धार्मिक नगर कहते हैं। कुछ स्थान शैक्षिक संस्थानों के लिए जाने जाते हैं, जैसे वाराणसी धार्मिक प्राचीन काल से ही धार्मिक नगर होने के साथ शिक्षा का बहुत बड़ा नगर रहा है। कैम्ब्रिज और इलाहाबाद अपने विश्वविद्यालयों के लिए प्रसिद्ध हैं। मनोरंजन या आमोद-प्रमोद के नगरों में संयुक्त राज्य अमेरिका में लास वेगास, थाइलैंड में पट्टाया तथा भारत में दार्जिलिंग प्रसिद्ध हैं।
औद्योगिक नगर:
खनन तथा विनिर्माण उद्योग प्रदेशों में, खनन तथा विनिर्माण नगरों का विकास हुआ है। काल गूर्ली, कूल गार्डी, धनबाद तथा खेतड़ी खनन के नगर हैं। जिन नगरों का विकास उद्योगों की स्थापना के कारण हुआ है, जैसे जमेशदपुर, कानुपर, दुर्गापुर, बर्मिघम, पिट्सबर्ग एवं यंग्सटउन आदि को औद्योगिक नगर कहते हैं।
व्यापार एवं परिवहन नगर:
प्राचीन काल के अधिकांश नगर व्यापार के केन्द्र के रूप में महत्त्वपूर्ण थे। जर्मनी का डुसेल डॉर्फ, कनाडा का विनिपेग, पाकिस्तान का लाहौर, ईराक का बगदाद, भारत में आगरा आदि सभी नगर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र रहे हैं। कुछ नगरों का विकास परिवहन नगरों के रूप में हुआ है। ऐसे नगरों का आधार दो प्रकार के परिवहन होते हैं। पत्तन नगर समुद्र तट पर स्थित आयात एवं निर्यात के केन्द्र हैं। जैसे-नीदरलैंड में रॉटरडम्, भारत में मुंबई तथा मध्य पूर्व में डाउन। रेलमार्गों के केन्द्र (जंक्शन) आगे चलकर नगर बन जाते हैं। भारत में मुगलसराय तथा इटारसी ऐसे नगरों के उपयुक्त उदाहरण हैं।
प्रश्न 9.
‘संसार में नगरीय जनसंख्या का वितरण तथा इसकी वृद्धि दर बहुत ही असमान है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक ओर जहाँ औद्योगीकृत देश अब पूर्णत:
नगरीय हो चुके हैं, विकासशील देशों में 40 प्रतिशत जनसंख्या बड़ी तेजी से नगरीय होने की प्रक्रिया में है। सन् 2020 तक इन प्रदेशों के 52 प्रतिशत लोग नगरों में निवास करने लगेंगे। विकासशील देशों में सन् 1945 से ही नगरीय जनसंख्या की वृद्धि तीव्र हुई है। इसके अतिरिक्त इन्हीं देशों में 1975 से बहुत बड़े नगरों अर्थात् मेगा नगर की संख्या में तीव्र वृद्धि अंकित की गई है। संयुक्त राष्ट्र परिमाश के अनुसार 80 लाख से अधिक जनसंख्या वाला नगरों को मेगा नगर कहते हैं। 1990 में विकसित देशों में 6 मेगानगर थे। जबकि विकासशील देशों में इनकी संख्या 14 हो गई थी तथापि, विकासशील देशों के भीतर भी नगरीय जनसंख्या के आकार, नगरीकरण की दर तथा मेगानगरों की वृद्धि में अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है।
विश्व नगरीकरण का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी वर्तमान वृद्धि की प्रवृति है। संसार के विकसित एवं विकासशील प्रदेशों में इस प्रकृति में बहुत स्पष्ट अंतर है। एशिया, इस प्रवृत्ति का सर्वाधिक नाटकीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। एक गाँवों वाला प्रदेश होते हुए आज एशिया बड़ी तेजी से कस्बों तथा नगरों का प्रदेश बन रहा है। 2000 ई. में इसकी नगरीय जनसंख्या 1.3 अरब थी, जो विगत पाँच दशकों में लगभग पाँच गुनी वृद्धि थी। विश्व की नगरीय जनसंख्या का 36 प्रतिशत भाग एवं विश्व के 30 में से 16 बृहत्तर आकार के नगर की स्थिति एशिया में ही है।
सन् 2030 के लिए एशिया की प्रक्षेपित जनसंख्या 4.9 अरब (53.4 प्रतिशत) के लगभग आधे लोग नगरीय क्षेत्रों में निवास करेंगे। लगभग सभी विकासशील देश में अप्रत्याशित दर से नगरीकरण में उच्च वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। पाकिस्तान में स्थित कराची महानगर की 1950 में 11 लाख की जनसंख्या की 2015 ई. तक 206 करोड़ हो जाने का अनुमान है।
इसी भाँति काहिरा, मुंबई, साओपोलो, लैगोस आदि प्रत्येक नगर की सन् 2015 के लिए प्रक्षेपित जनसंख्या 2 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। ऐसा अनुमान है कि 2015 में विश्व के 350 दस लाखी नगरों में से 153 एशिया में ही होंगे। यह भी अनुमान है कि 2015 में विश्व के 27 मेगानगरों (1 करोड़ से अधिक जनसंख्या के नगर) में से 15 एशिया में ही अवस्थित होंगे।
संसार के विकासशील प्रदेशों में नगरीय वृद्धि की प्रक्रिया विकसित प्रदेशों से भिन्न रही है। विकसित देशों में नगरीकरण में वृद्धि औद्योगिकरण के साथ-साथ हुई। विकासशील देशों में जनांकिकीय वृद्धि आर्थिक विकास से पहले से पहले हुई है। इन प्रदेशों में अप्रत्याशित नगरीय वृद्धि का मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी थी। इसकी तुलना में कस्बों तथा नगरों में संभावित रोजगार के आकर्षण कम प्रभावी थे।
5 लाख की जनसंख्या वाले नगर से 1 करोड़ (100 लाख) वाले महानगर बनने में लंदन को 190 वर्ष तथा न्यूयार्क को 140 वर्ष लगे थे। इसके विपरीत, मेक्सिको सिटी, साओपोलो, कोलकाता, सियोल तथा मुंबई सभी की जनसंख्या को 5 लाख से 100 लाख (1 करोड़) की वृद्धि के लिय मात्र 75 वर्षा से कम का समय लगा था। इन नगरों में अतिनगरीकरण अथवा अनियंत्रित नगरीकरण के परिणामस्वरूप झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियाँ बसी हैं, वहाँ नगरीय जीवन दुःखद हो गया है। लगभग 60 करोड़ से अधिक लोग आज नगरों में असुरक्षित जीवन दशाओं में जी रहे हैं। जबकि 30 करोड़ लोग नाटकीय जीवन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय जनगणना के अनुसार नगरीय बस्ती के लिए कम से कम कितने लोग निवास करते हों?
(A) 5 हजार
(B) 3 हजार
(C) 2 हजार
(D) 1 हजार
उत्तर:
(A) 5 हजार
प्रश्न 2.
मकान एक-दूसरे के समीप किस प्रकार की बस्ती में बनाए जाते हैं?
(A) प्रकीर्ण बस्ती
(B) संहत बस्ती
(C) ग्रामीण बस्ती
(D) नगरीय बस्ती
उत्तर:
(B) संहत बस्ती
प्रश्न 3.
मकान दूर-दूर किस प्रकार की बस्ती में बनाए जाते हैं?
(A) संहत बस्ती
(B) ग्रामीण बस्ती
(C) प्रकीर्ण बस्ती
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) प्रकीर्ण बस्ती
प्रश्न 4.
नियोजित बस्तियाँ किसके द्वारा बसाई जाती हैं?
(A) सरकार द्वारा
(B) लोगों के द्वारा
(C) प्राइवेट संगठन द्वारा
(D) अन्य द्वारा
उत्तर:
(A) सरकार द्वारा
प्रश्न 5.
गाँव की आकृति एवं प्रसार को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
(A) गाँव की स्थिति
(B) समीपवर्ती स्थलाकृति
(C) क्षेत्र का भूभाग
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी
प्रश्न 6.
ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
(A) विन्यास के आधार पर
(B) कार्य के आधार पर
(C) बस्तियों की आकृति के आधार पर
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी
प्रश्न 7.
ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप कैसा होता है?
(A) रैखिक
(B) आयताकर
(C) वृत्ताकार
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी
प्रश्न 8.
ग्रामीण बस्तियों की समस्या क्या है?
(A) जल की आपूर्ति
(B) शौचघर
(C) कूड़ा-कचरा निस्तारण सुविधा
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी
प्रश्न 9.
नगरीय क्षेत्र की श्रेणी में आने के लिए जनसंख्या के आकार की निचली सीमा सं.रा. अमेरिका एवं थाईलैंड में कितनी है?
(A) 2000
(B) 2500
(C) 5000
(D) 30000
उत्तर:
(B) 2500
प्रश्न 10.
डेनमार्क, स्वीडन एवं फिनलैंड में 250 व्यक्तियों की जनसंख्या वाले सभी क्षेत्र क्या कहलाते हैं?
(A) नगरीय क्षेत्र
(B) ग्रामीण क्षेत्र
(C) प्रशासनिक क्षेत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) नगरीय क्षेत्र
प्रश्न 11.
नगरीय क्षेत्रों के कार्य क्या हैं?
(A) यातायात
(B) मनोरंजन
(C) निर्माण कार्य
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी
प्रश्न 12.
जगन्नाथ पुरी, बनारस, जैरूसलम तथा मक्का किस प्रकार के नगर हैं?
(A) प्रशासनिक नगर
(B) सांस्कृतिक नगर
(C) व्यापारिक नगर
(D) परिवहन नगर
उत्तर:
(B) सांस्कृतिक नगर
प्रश्न 13.
दिल्ली, केनबरा, बीजिंग, अदीस अबाबा, वाशिंगटन एवं लंदन किस प्रकार के नगर हैं?
(A).व्यापारिक
(B) सांस्कृतिक नगर
(C) प्रशासनिक नगर
(D) परिवहन नगर
उत्तर:
(C) प्रशासनिक नगर
प्रश्न 14.
अदीस अबाबा किस देश की राजधानी है?
(A) यू. ए. ई.
(B) इथोपिया
(C) मंगोलिया
(D) अफ्रीका
उत्तर:
(B) इथोपिया
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
क्या आप शहर में रहते हैं? यदि नहीं तो क्या शहर की समीप रहते हैं? क्या आपका जीवन शहर से जुड़ा हुआ है?
(क) इसका क्या नाम है?
(ख) यह कब बसा?
(ग) इसकी यह स्थिति क्यों चुनी गई?
(घ) इसकी जनसंख्या कितनी है?
(ङ) यह कौन से कार्य करता है?
(च) अपने शहर को एक स्केच बनाकर उसमें किए जाने वाले कार्यों को पहचानिए। प्रत्येक विद्यार्थी चयनित शहर से जुड़ी हुई पाँच चीजों की सूची बनाए जो अन्यत्र नहीं पाई जाती हो। यह शहर की एक छोटी परिभाषा होगी जैसा कि विद्यार्थी इसे देखता है। कक्षा में इस सूची को एक-दूसरे से मिलाएं एवं देखें कि सूचियों के बारे में आपस में कितनी सहमति है।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें। नोट-विद्यार्थीगण जिस शहर में रहते हैं उस शहर के बारे में भी स्वयं तथ्य एकत्रित करके इस परियोजना को कर सकते हैं।
प्रश्न 2.
क्या आप किसी ऐसी युक्ति के विषय में सोच सकते हैं, जिसके प्रयोग से आप अपनी बस्ती में प्रदूषण कम करने में सहायता कर सकते हैं?
संकेत:
(अ) उचित कूड़ा-करकट निस्तारण
(ब) सार्वजनिक यातायात के साधनों का प्रयोग
(स) घरेलू पानी उपयोग का बेहतर प्रबंधन
(द) आस-पास के क्षेत्रों में वृक्षारोपण।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
भौगोलिक कुशलताएँ
प्रश्न 1.
संसार में रेखा मानचित्र पर वर्ष 1990 तथा 2000 के सभी 15 महानगरों (सारणी) की अवस्थिति उनके नाम सहित दर्शाइए।
चित्र: संसार के सबसे बड़े नगर (1990)
चित्र: संसार के सबसे बड़े नगर (2000)
प्रश्न 2.
सारणी का अध्ययन कीजिए तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- कितने नगरों को 1950 तथा 2000, दोनों वर्षों में स्थान मिला?
- 1950 के किन नगरों को वर्ष 2000 में स्थान नहीं मिला?
- वर्ष 2000 में किन नए नगरों को प्रवेश मिला?
- महाद्वीपों के आधार पर 1950 तथा 2000 के नगरों का वर्गीकरण करें।
- ऊपर दिए प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर आपने क्या निष्कर्ष निकाले हैं और आप उनकी व्याख्या कैसे करेंगे?
उत्तर:
1. 8 नगरों की 1950 व 2000 दोनों वर्षों में स्थान मिला। ये हैं – न्यूयार्क, टोकियो, शंघाई, ब्यूनस आयर्स, कोलकाता, लॉस एंजिल्स, मुंबई व मैक्सिको सिटी।
2. लंदन, राइन-रूर, पेरिस, शिकागो, मास्को, ओसाका, मिलान।
3. साओपोलो, बीजिंग, रियोडि-जेनेरो, जकार्ता, सीओल, काहिरा, चेन्नई।
4.
प्रश्न 3.
(क) ग्रामीण बस्तियों एवं नगरीय बस्तियों।
(ख) रैखिक बस्तियों तथा वृताकार ग्रामीण बस्तियों में अंतर बताइए।
उत्तर:
(क) ग्रामीण बस्तियाँ:
- यहाँ मुख्यत: कृषि तथा पशु-पालन पर निर्भर करते हैं।
- इन लोगों की क्रियाएँ ग्राम से बाहर तक फैली होती हैं।
- इन बस्तियों का आकार छोटा होता है।
- आधुनिक सुविधाएँ कम होती हैं।
- जनसंख्या घनत्व कम होता है।
- ग्रामीण बस्तियों में मकान बिखरे हुए होते हैं।
- ये प्रदेश कृषि प्रधान होते हैं।
- वायु प्रदूषण की समस्या नहीं है।
नगरीय बस्तियाँ:
- यहाँ लोगों का व्यवसाय निर्माण उद्योग, व्यापार तथा प्रशासन होता है।
- यहाँ मानवीय क्रियाएँ निर्मित क्षेत्र में सीमित होती हैं।
- इन बस्तियों का आकार बड़ा होता है।
- नगरों में परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाओं की अधिक सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
- जनसंख्या घनत्व अधिक होता है।
- नगरीय बस्तियों में संक्षिप्त निवास स्थल होता है।
- ये प्रदेश उद्योग प्रधान होते हैं।
- नगरीय क्षेत्रों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है।
(ख) रैखिक और वृत्ताकार ग्रामीण बस्तियाँ।
रैखिक बस्तियाँ:
- किसी मार्ग नदी या नहर के किनारे बसे गाँवों की आकृति रैखिक होती है।
- केरल के तटीय क्षेत्रों और दूनघाटी में ऐसी बस्तियाँ पाई जाती हैं।
वृत्ताकार ग्रामीण बस्तियाँ:
- झील तथा पहाड़ी जैसे लक्षणों को घेरकर बसी बस्तियों की आकृति गोलाकार हो जाती है।
- उत्तर प्रदेश की भीमताल और राजस्थान की सीवान बस्तियाँ अर्ध वृत्ताकार हैं।