Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय
Bihar Board Class 12 Economics व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ –
1. क्या उत्पादित किया जाए एवं कितनी मात्रा में:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था को खाद्य सामग्री, आवास अथवा विलासिता पूर्ण वस्तुओं के उत्पादन के लिए चयन करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में प्रत्येक अर्थव्यवस्था को कृषि व उद्योग उत्पादों के बीच चयन करना पड़ता है। कि किनका उत्पादन अधिक व किनका उत्पादन कम मात्रा में किया जाए। अन्य शब्दों में उपभोक्ता वस्तुओं व पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन के बारे में चयन करना पड़ता है।
2. इन वस्तुओं का उत्पादन किस प्रकार किया जाए:
वस्तुओं के उत्पादन की दो प्रकार की तकनीक (श्रम प्रधान एवं पूंजी प्रधान) होती है। प्रत्येक अर्थव्यवस्था श्रम प्रधान अथवा पूंजी प्रधान तकनीक का प्रयोग करके उत्पादन कर सकती है। अर्थव्यवस्था को यह चयन करना पड़ता है कि उत्पादन के लिए इन तकनीकों का किस अनुपात में प्रयोग किया जाए।
3. किसके लिए वस्तुओं का उत्पादन क्या जाए:
इस समस्या का संबंध उत्पादन को अर्थव्यवस्था में विभिन्न व्यक्तियों में किस प्रकार आबंटित किया जाए, किसको उत्पादन का अधिक व किसको उत्पादन का कम भाग बांटा जाए। प्राथमिक आवश्यकताएँ जैसे प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ, रोटी, कपड़ा व मकान सभी को आसानी व मुक्त रूप से उपलब्ध हो या नहीं यह समस्या अर्थव्यवस्था को हल करनी पड़ती है।
प्रश्न 2.
अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निश्चित संसाधनों एवं तकनीकी स्टाक के ज्ञान से वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन की विभिन्न संभावनाओं के संयोजन को उत्पादन संभावना कहते हैं।
प्रश्न 3.
सीमांत उत्पादन संभावना क्या है?
उत्तर:
सीमांत उत्पादन संभावना वक्र निश्चित संसाधनों व तकनीकी ज्ञान के पूर्ण उपयोग से दो वस्तुओं के उत्पादन की विभिन्न मात्राओं को रेखाचित्र की सहायता से दर्शाता है। यह वक्र एक वस्तु की किसी निश्चित मात्रा के बदले दूसरी वस्तु की अधिकतम संभावित मात्रा तथा दूसरी वस्तु की मात्रा को दर्शाता है। उत्पादन संभावना वक्र पर स्थित प्रत्येक बिन्दु संसाधनों के पूर्ण उपयोग को दर्शाते हैं। उत्पादन संभावना के अन्दर स्थित बिन्दु संसाधनों के अपूर्ण उपयोग को दर्शाते हैं इस स्थिति में कुछ संसाधन या तो बेकार पड़े रहते हैं या उनका पूर्ण उपयोग नहीं किया जाता है।
प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु का दो मुख्य शाखाओं (व्यष्टि व समष्टि) के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है। विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए बाजार में व्यक्गित आर्थिक इकाइयों के व्यवहार का अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है। इस शाखा में व्यक्तियों के संव्यवहारों के आधार पर वस्तु की कीमत व मात्रा का निर्धारण के निर्धारण सिद्धान्त का अध्ययन किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र में सामूहिक आर्थिक इकाइयों के संव्यवहारों का अध्ययन किया जाता है। जैसे- सामूहिक माँग, सामूहिक पूर्ति, रोजगार आदि। अर्थशास्त्र की इस शाखा में इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़ने का प्रयास किया जाता है। अर्थव्यवस्था में आय। उत्पाद का स्तर क्या है? कुल उत्पाद का आंकलन किस प्रकार किया जाता है? यह शाखा पूरी अर्थव्यवस्था को एक इकाई मानकर अध्ययन करती है।
प्रश्न 5.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था के भेद को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक केन्द्रीयकृत अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का नियोजन एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है। उपभोग, उत्पादन व निवेश के महत्त्वपूर्ण निर्णय केन्द्रीय सत्ता द्वारा लिये जाते हैं। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में संसाधनों के उचित बंटवारे का प्रयास किया जाता है। केन्द्रीय सत्ता अन्तिम वस्तुओं के न्यायोचित आबंटन के लिए हस्तक्षेप करती है। एक बाजार अर्थव्यवस्था में सभी महत्त्वपूर्ण आर्थिक निर्णय बाजार शक्तियों के आधार पर तय होते हैं। इस अर्थव्यवस्था में आर्थिक एजेन्ट मुक्त रूप से उत्पादों का विनियम करते हैं। इस प्रकार की व्यवस्था में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
प्रश्न 6.
सकारात्मक आर्थक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से अभिप्राय उस विश्लेषण से है जिसमें हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न तंत्र किस प्रकार से कार्य करते हैं। यह विश्लेषण विभिन्न आर्थिक तंत्र के क्रियाकलापों का मूल्यांकन करता है।
प्रश्न 7.
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से अभिप्राय उस विश्लेषण से जिसमें हम यह अध्ययन करते हैं कि कोई तंत्र वांछनीय है अथवा नहीं। इसका संबंध इन प्रश्नों से होता है – क्या वांछनीय है? क्या वांछनीय नहीं है? क्या होना चाहिए? क्या नहीं होना चाहिए?
प्रश्न 8.
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र:
- यह शाखा व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों का अध्ययन करती है।
- कीमत सिद्धांत एवं संसाधन के आबंटन की समस्या का अध्ययन इस शाखा में किया जाता है।
- माँग व आपूर्ति इस शाखा के प्रमुख उपकरण हैं।
- इसमें उपभोक्ता सन्तुलन, उत्पादक सन्तुलन आदि का विश्लेषण किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र:
- समष्टि में सामूहिक आर्थिक इकाइयों का अध्ययन किया जता है।
- इस शाखा में आय एवं रोजगार निर्धारण सिद्धांत का अध्ययन किया जाता है।
- सामूहिक माँग व सामूहिक पूर्ति इस शाखा के प्रमुख उपकरण हैं।
- इसमें आय एवं रोजगार के साम्य निर्धारण का अध्ययन किया जाता है।
Bihar Board Class 12 Economics व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
वस्तु का अर्थ लिखो।
उत्तर:
वस्तु से अभिप्राय भौतिक चीजों से होता है जिनका उपयोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 2.
सेवा का अर्थ लिखो।
उत्तर:
सेवा से अभिप्राय अभौतिक चीजों से है जिनका प्रयोग आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए किया जाता है।
प्रश्न 3.
‘एक व्यक्ति’ का अर्थ लिखो।
उत्तर:
‘एक व्यक्ति’ से अभिप्राय निर्णय लेने वाली इकाई से होता है।
प्रश्न 4.
क्या संसाधन आवश्यकताओं की तुलना में असीमित होते हैं?
उत्तर:
नहीं, संसाधन आवश्यकताओं की तुलना में सीमित होते हैं।
प्रश्न 5.
उन चीजों की सूची बनाइए जिनकी ग्रामीण लोगों को प्रतिदिन आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
भोजन, वस्त्र, आवास, परिवहन एवं अन्य सेवाएँ।
प्रश्न 6.
एक व्यक्ति को प्रतिदिन गाँव में कुछ लोगों के पास अपने श्रम का विदोहन करते के लायक भी संसाधन नहीं होते हैं।
उत्तर:
गाँव में एक व्यक्ति को प्रतिदिन जिन चीजों की जरूरत पड़ती है उनकी सूची लम्बी होती है।
प्रश्न 7.
क्या यह कथन सत्य है कि गांव में कुछ लोगों के पास अपने श्रम का विदोहन करने के लायक भी संसाधन नहीं होते हैं।
उत्तर:
हाँ, भूमिहीन श्रमिकों के पास अपने श्रम का विदोहन करने लायक भी संसाधन नहीं होते हैं।
प्रश्न 8.
अतिरिक्त उत्पादन का इस्तेमाल क्या होता है?
उत्तर:
अतिरिक्त उत्पादन का इस्तेमाल अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं का विनियम करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 9.
एक व्यक्ति अपने संसाधनों का क्या करता है?
उत्तर:
संसाधनों का प्रयोग अपनी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 10.
दुर्लभता की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
एक व्यक्ति के पास संसाधन, उनकी आवश्यकताओं की तुलना में कम होते हैं, इसे दुर्लभता कहते हैं।
प्रश्न 11.
‘एक प्रतिदर्श’ क्या समाहित करने का प्रयास करता है?
उत्तर:
‘एक प्रतिदर्श’ वास्तविकता की आवश्यक विशेषताओं का समाहित करने का प्रयास करता है।
प्रश्न 12.
विनियम की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति के लिए उत्पादन में विशिष्ट एवं उपभोग में विविधता की खाई को पाटने में विनियम प्रक्रिया उपयोगी होती है।
प्रश्न 13.
आधुनिक समाज में प्राथमिक आर्थिक एजेन्ट या निर्णायक इकाई कौन होती है?
उत्तर:
उपभोक्ता एवं उत्पादक आधुनिक समाज में प्राथमिक आर्थिक एजेन्ट होते हैं।
प्रश्न 14.
उत्पादक का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
वह इकाई जो वस्तु या सेवा का उत्पादन करती है, उसे उत्पादक कहते हैं।
प्रश्न 15.
चयन करने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
दुर्लभता चयन का मुख्य कारण है।
प्रश्न 16.
संसाधनों की दुर्लभता का सामना कौन करता है?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को दुर्लभता की समस्या का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 17.
सर्वोत्कृष्ट उपयोग में संसाधनों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
उत्तर:
संसाधन दुर्लभ होते हैं इसलिए इनका इस्तेमाल सर्वोत्कृष्ट रूप में किया जाता है।
प्रश्न 18.
सामग्री का अर्थ बताइए।
उत्तर:
वस्तुओं एवं सेवाओं को सामग्री (द्रव्य) कहते हैं।
प्रश्न 19.
उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं का अर्थ लिखो।
उत्तर:
वे वस्तुएँ एवं सेवाएँ जिनका उपयोग उपभोग के लिए किया जाता है, उपभोक्ता वस्तु कहलाती है।
प्रश्न 20.
साधन आगत या उत्पादन साधन का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
वे वस्तुएँ जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं को उत्पन्न करने के लिए किया जाता है उत्पादन साधन कहलाते हैं।
प्रश्न 21.
उपभोक्ता का अर्थ लिखो।
उत्तर:
वह व्यक्ति जो सन्तुष्टि पाने के लिए वस्तुओं या सेवाओं का उपयोग करता है, उपभोक्ता कहलाता है।
प्रश्न 22.
समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाकलापों का नियोजन कौन करता है?
उत्तर:
केन्द्रीय सत्ता समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाकलापों का नियोजन करती है।
प्रश्न 23.
एक बाजार अर्थव्यवस्था संसाधनों का वितरण किस प्रकार करती है?
उत्तर:
एक बाजार अर्थव्यवस्था संसाधनों का वितरण मुक्त संव्यवहारों के माध्यम से करती है।
प्रश्न 24.
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या का अर्थ लिखो।
उत्तर:
विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए दुलर्भ संसाधनों का आबंटन अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या कहलाती है।
प्रश्न 25.
एक अर्थव्यवस्था कब सन्तुलन में कही जाती है?
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था उस समय सन्तुलन में मानी जाती है जब अर्थव्यवस्था के प्राथमिक एजेन्टों की सभी योजनाएँ पूरी हो जाती है।
प्रश्न 26.
किस अर्थ में एक उपभोक्ता विवेकशील होता है?
उत्तर:
एक उपभोक्ता इस अर्थ में विवेकशील होता है कि व उपभोग के लिए वस्तुओं का चयन अपनी रूचि व अभिरूचियों के अनुसार करता है।
प्रश्न 27.
एक उत्पादक कब विवेकशील होता है?
उत्तर:
जब एब उत्पादक को इस बात का स्पष्ट आंकलन होता है कि उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर संभावित बिक्री से उसे कितना लाभ प्राप्त होगा तब उसे विवेकशील कहा जाता है।
प्रश्न 28.
एक बाजार कब सन्तुलन में होता है?
उत्तर:
जब किसी कीमत स्तर पर बाजार में वस्तु की माँगी गई मात्रा, उसकी बाजार में की गई पूर्ति के बराबर होती है तब बाजार सन्तुलन में होता है।
प्रश्न 29.
साम्य कीमत का अर्थ लिखो।
उत्तर:
वह कीमत स्तर जिस पर किसी वस्तु की माँगी गई मात्रा व पूर्ति की गई मात्रा समान होती है, साम्य कीमत कहलाती है।
प्रश्न 30.
साम्य मात्रा का अर्थ लिखो।
उत्तर:
बाजार में साम्य कीमत पर खरीदी गई व बेची गई मात्रा को साम्य मात्रा कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं अर्थव्यवस्था की तुलना कीजिए।
उत्तर:
वास्तविक रूप से एक अर्थव्यवस्था ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक जटिल एवं व्यापक होती है। लेकिन एक ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सरल रूप में अर्थव्यवस्था की सरलीकृत तस्वीर समाहित होती है। दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं के मुद्दे एवं समस्याएँ एक जैसी होती हैं केवल उनके क्षेत्र का अन्तर होता है।
प्रश्न 2.
आर्थिक समस्याओं का समाधान करने हेतु किन विधियों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
आर्थिक समस्याओं का समाधान निम्नलिखित ढंग से किया जाता है –
- अपने लक्ष्यों को केन्द्रित करके विभिन्न व्यक्ति / इकाई मुक्त संव्यवहार द्वारा बाजार तंत्र की भाँति आर्थिक समस्याओं को हल कर सकती हैं।
- नियोजन के माध्यम से भी आर्थिक समस्याओं को हल किया जा सकता है। नियोजन का कार्य केन्द्रीय सत्ता जैसे ग्राम-पंचायत या सरकारी अधिकारी कर सकते हैं।
प्रश्न 3.
एक छोटी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मूल रूप में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
एक छोटी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मूल रूप से निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है –
- गाँव के सीमित संसाधनों का आबंटन
- उत्पादित अन्तिम वस्तुओं का आबंटन
प्रश्न 4.
वस्तु एवं सेवाओं में भेद लिखिए।
उत्तर:
वस्तुएँ:
- वस्तुएँ भौतिक होती हैं जिनका उपयोग आवश्यकताओं को सन्टुष्ट करने के लिए होता है।
- वस्तुओं का भण्डारण किया जा सकता है।
- वस्तुओं के उत्पादन काल एवं उपभोग काल में अन्तर पाया जाता है। उनका पहले उत्पादन किया जाता है इसके बाद उपभोग किया जाता है।
- जैसे-भोजन सामग्री, फर्नीचर, पंखा आदि।
सेवाएँ:
- सेवाएँ अभौतिक होती हैं जिनका उपयोग आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए होता है।
- सेवाओं का भण्डारण नहीं किया जा सकता है।
- सेवाओं के उत्पादन काल एवं उपभोग काल में कोई अंतर नहीं होता है। सेवाएँ जैसे ही उत्पन्न होती हैं उसी समय उनका उपभोग किया जाता है।
- जैसे-अध्यापक की सेवाएँ, डॉक्टर की सेवाएँ, वकील की सेवाएँ आदि।
प्रश्न 5.
एक सरल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संसाधनों एवं आवश्यकताओं की तुलना कीजिए एवं अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
किसी भी व्यक्ति के पास संसाधन उसकी आवश्यकताओं की तुलना में असीमित नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए एक ग्रामीण परिवार अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से सीमित मात्रा में ही खाद्य सामग्री का उत्पादन कर सकता है। अत: वह परिवार खाद्य सामग्री के जरिए विनियम प्रक्रिया के द्वारा अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं को सीमित मात्रा मे ही प्राप्त कर सकता है। अतः प्रत्येक परिवार को उपलब्ध वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा में उपभोग के लिए चयन करना पड़ता है।
प्रश्न 6.
क्या होगा जब एक गाँव में गेहूं का उत्पादन करने वाली इकाइयाँ गेहूँ का जरूरत से ज्यादा उत्पादन करती हैं?
उत्तर:
यदि गाँव में लोगों को उतनी गेहूँ की मात्रा की आवश्यकता नहीं होती है जिनका गाँव की उत्पादन इकाइयाँ गेहूँ का उत्पादन करती हैं तो या तो गाँव के लोग अतिक्ति उत्पादन से अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं का विनियम करेंगे। अथवा गेहूँ के उत्पादन से कुछ संसाधनों को हटाकर उन वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में लगा सकती है जिनकी गाँव में माँग अधिक होगी।
प्रश्न 7.
यदि एक गाँव में गेहूँ के उत्पादन की मात्रा उसकी मांग की तुलना में कम है तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि एक गाँव में गेहूँ की उत्पादन मात्रा उसकी माँग की तुलना में कम है तो गाँव के लोग अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं में लगे संसाधनों का पुनर्वितरण कर सकते हैं। वे उन वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन से कुछ साधन हटा सकते हैं जिनकी माँग तुलनात्मक रूप से कम होगी और उनका उपयोग गेहूँ के उत्पादन में कर सकते हैं अथवा अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं के अधिशेष उत्पादन का विनियम करके उसके बदले में गेहूँ प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 8.
एक गाँव के संसाधनों के बारे में टिप्पणी कीजिए और उनका वितरण किस प्रकार से किया जाता है?
उत्तर:
एक गाँव के लोगों को सामूहिक आधार पर जितने संसाधनों की आवश्यकता होती है उनकी तुलना में उनकी उपलब्धता सीमित होती है। पसन्द एवं नापसन्द का ध्यान रखकर गाँव के लोग विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने के लिए सीमित संसाधनों का उचित प्रकार से वितरण करते हैं ताकि उनकी आवश्यकताएं पूरी हो सकें।
प्रश्न 9.
प्रतिदर्श को परिभाषित करें।
उत्तर:
वास्तविक बाजार की सरलीकृत तस्वीर को प्रतिदर्श कहते हैं। बाजार का प्रतिदर्श वास्तविक बाजार की विशेषताओं को केन्द्रीकृत रूप में दर्शाता है। दूसरे शब्दों में प्रतिदर्श, वास्तविक तस्वीर की आवश्यक विशेषताओं को प्रतिबिम्बित करता है। एक प्रतिदर्श, वास्तविक जटिल प्रारूप को सरल रूप में पेश करता है।
प्रश्न 10.
उत्पादन साधनों का अर्थ लिखिए। उत्पादन साधनों के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
वे वस्तुएँ एवं सेवाएँ जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने के लिए किया जाता है उन्हें उत्पादन के साधन कहते हैं।
उत्पादन के साधनों को दो वर्गों में बाँटा जाता है –
- साधन आगत/मुख्य साधन/प्राथमिक साधन-भूमि एवं श्रम।
- मध्यवर्ती वस्तुएँ/गैर साधन आगत/गौण साधन-उत्पादित वस्तु जो अन्य वस्तुओं के उत्पादन में काम आती हैं। जैसे- मिठाई बनाने में चीनी, टायर के विनिर्माण में रबर आदि।
प्रश्न 11.
उपभोग एवं उत्पादन वस्तुओं की परिभाषा दीजिए। प्रत्येक के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तु:
वे वस्तुएँ जिनका उपयोग उपभोग के लिए किया जाता है, उपभोक्ता वस्तु कहलाती हैं। जैसे – भोजन सामग्री, वस्त्र आदि।
उत्पादक वस्तु:
वे वस्तु जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने के लिए होता है। जैसे – मशीन, कच्चा माल आदि।
प्रश्न 12.
एक व्यक्ति के स्वामित्व में कुछ मात्रा में ही वस्तुएँ होती हैं। समझाइए।
उत्तर:
एक व्यक्ति को जितनी वस्तुओं की आवश्यकता होती है न तो उनकी मात्रा में उसके पास उपलब्ध होती हैं और न ही वह उन सबका उत्पादन कर सकता है। वह केवल उपलब्ध साधनों में से कुछ को ही अपने स्वामित्व में रख सकता है अथवा उत्पादन कर सकता है। इस प्रकार वस्तुओं के स्वामित्व एवं उत्पादन के मामले में प्रत्येक व्यक्ति विशिष्ट होता है जबकि उपलब्ध एवं उत्पादित सभी वस्तुओं की अर्थव्यवस्था में एक लम्बी श्रृंखला होती है।
प्रश्न 13.
विशिष्ट उतपादन एवं व्यापक उपभोग के बीच की खाई को किस तरह भरा जाता है?
उत्तर:
संसाधनों की दुर्लभता एवं आवश्यकताओं की असीमितता के कारण उत्पादन विशिष्टता एवं उपभोग की विविधता में काफी अन्तर होता है। इस अन्तर को पूरा करने के लिए विनियम प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में उपभोग, उत्पादन एवं विनियम क्रियाएँ बाजार में सतत् रूप से चलती है।
प्रश्न 14.
एक अर्थव्यवस्था के संसाधनों के बारे में टिप्पणी करें।
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था अथवा व्यक्ति के पास उपलब्ध संसाधन आवश्यकताओं की तुलना में सीमित एवं दुर्लभ होते हैं। अतः कोई भी अर्थव्यवस्था अथवा व्यक्ति उपलब्ध सीमित व दुर्लभ संसाधनों से सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती/सकता है। वह रूचियों के आधार पर कुछ आवश्यकताओं का चयन करके अपनी अधिक से अधिक आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने का प्रयास करता है। संसाधन मानवकृत एवं प्राकृतिक दो प्रकार के होते हैं। प्राकृतिक संसाधन सीमितता के अलावा गैरपुरूत्पादनीय भी होते हैं।
प्रश्न 15.
अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था के संसाधन सीमित होते हैं। अर्थव्यवस्था वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने के लिए उपलब्ध संसाधनों को वैकल्पिक आधार पर प्रयोग कर सकती है। संसाधनों का विभिन्न वस्तुओं के लिए उत्पादन में अनेक प्रकार से आबंटन करके अर्थव्यवस्था उत्पादन के विभिन्न समुच्चय प्राप्त कर सकती है। संसाधनों की दी गई मात्रा से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन की संभावनाओं को उत्पादन संभावनाएँ कहते हैं।
प्रश्न 16.
एक उदाहरण की सहायता से विवेकशीलता को समझाइए।
उत्तर:
संसाधनों की दुर्लभता के कारण व्यक्ति संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का प्रयास करता है। यह माना जाता है कि प्रत्येक उपभोक्ता को वस्तुओं के उपलब्ध समुच्चयों के बारे में, अभिरूचियों के बारे में स्पष्ट जानकारी होती है। इस अर्थ में उपभोक्ता विवेकशील माना जाता है क्योंकि आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए वह अपनी रूचियों के अनुसार चयन करता है अतः संसाधनों का उपयोग करने में वह विवेकशील होता है और अपनी अधिकतम आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करता है।
प्रश्न 17.
बाजार का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
व्यवस्थाओं का कोई भी समुच्चय जिससे लोगों को आर्थिक क्रियाओं को मुक्त रूप से संचालित करने की आजादी होती है, उसे बाजार कहते हैं। एक बाजार में एक व्यक्ति अपने अधिशेष उत्पादन को उन लोगों को बेच सकता है जिन्हें उसकी वस्तुओं की आवश्यकता होती है। विक्रय से प्राप्त मुद्रा का उपयोग वह व्यक्ति उन वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय करने के लिए कर सकता है, जिनकी उसे आवश्यकता होती है।
प्रश्न 18.
उन स्थितियों के उदाहरण दीजिए जिनमें क्रेता एवं विक्रेता आपस में एम-दूसरे से व्यवहार करते हैं।
उत्तर:
बाजार में क्रेता एवं विक्रेता विभिन्न स्थितियों में एक-दूसरे से व्यवहार कर सकते हैं। उनमें से कुछ स्थितियाँ निम्नलिखित हैं।
- एक ग्रामीण चौक में
- शहर के सुपर बाजार में
- दूरभाष के माध्यम से
- इंटरनेट के जरिए एवं
- ई-मेलिंग के जरिए
प्रश्न 19.
यह कहना कहाँ तक न्यायोचित है कि कोई भी अकेला क्रेता बाजार में किसी वस्तु की कीमत का निर्धारण नहीं कर सकता है।
उत्तर:
एक वस्तु बाजार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं की विशाल संख्या होती है। बाजार में क्रय-विक्रय की गई वस्तु की कुल मात्रा का एक क्रेता नगण्य मात्रा में ही क्रय करता है अतः अकेला क्रेता बाजार में नगण्य रूप में महत्त्व रखता है। अतः अकेला क्रेता बाजार में वस्तु की कीमत का निर्धारण नहीं कर सकता है। उसे बाजार द्वारा तय की गई कीमत स्वीकार करनी पड़ती है। एक विक्रेता बाजार में प्रचालित कीमत पर वस्तु की क्रय की गई मात्रा को ही निर्धारित कर सकता है।
प्रश्न 20.
एक अकेला क्रेता अथवा विक्रेता अपने दम पर वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता है। आप सहमत हैं? समझाइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र में बाजार से अभिप्राय उस क्षेत्र से है जहाँ एक वस्तु के अधिक क्रेता एवं विक्रेता एक-दूसरे से संव्यवहार करते हैं। बहुत-सी वस्तुओं के बाजार इस प्रकार के नहीं होते हैं। अधिकांश वस्तु बाजारों में जहाँ एक वस्तु का विक्रय करने वाले विक्रेताओं की संख्या कम होती है वहाँ अकेला विक्रेता वस्तु की कीमत एवं विक्रय की जाने वाली मात्रा दोनों को कुछ हद तक प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए एकाधिकारी बाजार में एक वस्तु का अकेला विक्रेता होता है। एकाधिकारी इस बाजार में वस्तु की विक्रय की जाने वाली मात्रा एवं कीमत दोनों को प्रभावित कर सकता है। पूर्ण प्रतियोगी बाजार में जहाँ क्रेता एवं विक्रेताओं की विशाल संख्या होती है, अकेला विक्रेता वस्तु की मात्रा एवं कीमत किसी को भी प्रभावित नहीं कर सकता है।
प्रश्न 21.
उन प्रश्नों के उदाहरण दीजिए जिनका समष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन किए जाने वाले प्रमुख प्रश्न हैं –
- संसाधनों के बेरोजगार होने के क्या कारण हैं?
- सामान्य कीमत स्तर क्यों बढ़ता है?
- क्या अर्थव्यवस्था के सभी संसाधनों का पूर्ण विदोहन हो रहा है?
- आय का सन्तुलन स्तर कैसे निर्धारित किया जाए?
- सामूहिक पूर्ति का निर्धारण कैसे क्यिा जाए?
- अर्थव्यवस्था में सामूहिक पूर्ति का स्तर कया है?
प्रश्न 22.
सकारात्मक एवं आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से अभिप्राय किसी तंत्र के कार्य का मूल्यांकन करना है जबकि आदर्शात्मक विश्लेषण से अभिप्राय किसी तंत्र की वांछनीयता या अवांछनीयता के बारे में मूल्याकन करने से होता है। सकारात्मक एवं आदर्शात्मक मुद्दे केन्द्रीय आर्थिक समस्याओं के अध्ययन में घनिष्ठ रूप से संबंधित होते हैं। एक के प्रभाव में दूसरे को समझना संभव नहीं होता है। अतः दोनों प्रकार के विश्लेषण एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
प्रश्न 23.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कुछ महत्त्वपूर्ण व्यष्टि अर्थशास्त्र के विषय निम्नवत हैं –
- एक वस्तु की माँग
- एक वस्तु की आपूर्ति
- एक वस्तु की कीमत का निर्धारण
- एक फर्म का सम्य
- एक वस्तु की उत्पादन लागत
- एक फर्म को प्राप्त लागत
प्रश्न 24.
एक बाजार अर्थव्यवस्था के द्वारा केन्द्रीय समस्याओं को हल करने के तरीके के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
एक बाजार अर्थव्यवस्था में विभिन्न आर्थिक इकाइयाँ मुक्त रूप से आपस में संव्यवहार करती हैं। अतः विवेकशील आर्थिक इकाइयों के संव्यवहार से बाजार की समस्याएँ स्वतः हल हो जाती हैं। मूल आर्थिक समस्याओं का निराकरण विकेन्द्रीयकृत हल होता है अर्थात् समस्याओं का हल केन्द्रीय सत्ता नहीं करती है बल्कि सब मिलकर करते हैं। समाजवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का हल नियोजन के माध्यम से केन्द्रीय सत्ता करती है।
प्रश्न 25.
एक अर्थव्यवस्था सन्तुलन के कब कही जाती है?
उत्तर:
कोई अकेली आर्थिक इकाई सन्तुलन प्राप्त नहीं कर सकती है। बाजार अर्थव्यवस्था में विवेकशील व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयाँ अपने हित के अनुरूप आर्थिक क्रियाओं का संचालन करके स्वतः ही आर्थिक समस्याओं को हल करती हैं और सन्तुलन की अवस्था को प्राप्त करती हैं। अदृश्य शक्तियाँ क्रियाशील होकर सन्तुलन की अवस्था को प्राप्त करती है। प्रत्येक, आर्थिक इकाई इस प्रकार से कार्य करती है जो दूसरी आर्थिक इकाइयों के साथ मिलान करने लायक हो। संसाधनों के आबंटन एवं उनकी उपलब्धता के आधार पर ही अन्तिम वस्तुओं का आबंटन आधारित होता है। जब अर्थव्यवस्था कोई भी परिवर्तन नहीं चाहती है तब उसे सन्तुलन में माना जाता है।
प्रश्न 26.
अर्थशास्त्र की दो मुख्य शाखाओं के नाम लिखिए, उनके अर्थ भी लिखिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु का मुख्य रूप से दो शाखाओं के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है, जो निम्नवत हैं –
- व्यष्टि अर्थशास्त्र, व
- समष्टि अर्थशास्त्र
व्यष्टि अर्थशास्त्र-अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसमें व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, उसे व्यष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं। यह शाखा यह प्रदर्शित करती है कि विभिन्न आर्थिक इकाइयाँ आपसी व्यवहार के द्वारा किस प्रकार से वस्तु की मात्रा एवं कीमत का निर्धारण करती हैं। समष्टि अर्थशास्त्र-अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसमें सामूहिक आर्थिक इकाइयों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, उसे समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं। इस शाखा में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को एक आर्थिक इकाई के रूप में अध्ययन किया जाता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
एक बाजार होता है –
(A) व्यवस्थाओं का कोई भी समुच्चय जो लोगों को आपस में मुक्त रूप से व्यवहार करने की अनुमति प्रदान करता है।
(B) व्यवस्थाओं का कोई भी समुच्चय जो लोगों को आपस में मुक्त रूप से व्यवहार करने के अनुमति प्रदान नहीं करता है।
(C) व्यवस्थाओं का कोई भी ऐसे समुच्चय जो लोगों को आपस में बंधन मुक्त व्यवहार करने की अनुमति प्रदान करता है।
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(A) व्यवस्थाओं का कोई भी समुच्चय जो लोगों को आपस में मुक्त रूप से व्यवहार करने की अनुमति प्रदान करता है।
प्रश्न 2.
एक व्यक्ति के पास संसाधन होते हैं –
(A) असीमित
(B) सीमित
(C) न तो असीमित, न सीमित
(D) या तो सीमित या असीमित
उत्तर:
(B) सीमित
प्रश्न 3.
लोग प्रयास करते हैं –
(A) अपने संसाधनों का सबसे बेकार उपयोग करने का
(B) अपने संसाधनों का अच्छा उपयोग करने का
(C) अपने संसाधनों का सर्वोच्य रूप से उपयोग करने का
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(C) अपने संसाधनों का सर्वोच्य रूप से उपयोग करने का
प्रश्न 4.
उपभोग के वक्त विभिन्न वस्तुओं का चयन करते वक्त एक उपभोक्ता विवेकशील होता है –
(A) जब वह रूचि व अभिरुचियों के अनुरूप चयन करता है
(B) जब वह रूचि व अभिरुचियों के विरूद्ध चयन करता है
(C) जब वह अपने रिश्तेदारों की रूचि-अभिरुचियों के अनुरूप चयन करता है
(D) जब वह अपनी भावनाओं के अनुरूप चयन करता है
उत्तर:
(D) जब वह अपनी भावनाओं के अनुरूप चयन करता है
प्रश्न 5.
वह तालिका जिसमें उपभोक्ता द्वारा विभिन्न कीमतों पर माँगी गई मात्राओं को दर्शाया जाता है, उसे कहते हैं –
(A) बाजार माँग अनुसूचि
(B) उपभोक्ता माँग अनुसूचि
(C) बाजार पूर्ति अनुसूचि
(D) उत्पादक पूर्ति अनुसूचित
उत्तर:
(B) उपभोक्ता माँग अनुसूचि
प्रश्न 6.
वह तालिका जिसमें उत्पादक द्वारा विभिन्न कीमतों पर बेची गई मात्राओं को दर्शाया जाता है, उसे कहते हैं –
(A) बाजार माँग अनुसूचि
(B) उपभोक्ता माँग अनुसूचि
(C) बाजार पूर्ति अनुसूचि
(D) उत्पादक पूर्ति अनुसूचित
उत्तर:
(D) बाजार पूर्ति अनुसूचि
प्रश्न 7.
विभिन्न कीमतों पर बाजार में मौजूद सभी उत्पादकों द्वारा बेची जाने वाली मात्राओं को दर्शाने वाली तालिका को कहते हैं।
(A) व्यक्तिगत माँग अनुसूचि
(B) व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूचि
(C) बाजार पूर्ति अनुसूचि
(D) बाजार माँग अनुसूचि
उत्तर:
(C) बाजार पूर्ति अनुसूचि
प्रश्न 8.
विभिन्न कीमतों पर बाजार में मौजूद सभी उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली मात्राओं को दर्शाने वाली तालिका को कहते हैं –
(A) व्यक्तिगत माँग अनुसूचि
(B) व्यक्तिगत पूर्ति अनुसूचि
(C) बाजार पूर्ति अनुसूचि
(D) बाजार माँग अनुसूचि
उत्तर:
(C) बाजार पूर्ति अनुसूचि
प्रश्न 9.
जिस कीमत पर वस्तु की माँगी गई मात्रा व पूर्ति की गई मात्रा दोनों समान होती हैं, उस कीमत को कहते हैं –
(A) साम्य मांगी गई मात्रा
(B) साम्य पूर्ति की गई मात्रा
(C) साम्य कीमत
(D) लागत
उत्तर:
(C) साम्य कीमत
प्रश्न 10.
अवसर लागत का वैकल्पिक नाम है –
(A) आर्थिक लागत
(B) साम्य कीमत
(C) सीमांत लागत
(D) औसत लागत
उत्तर:
(A) आर्थिक लागत