Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 10 बिहार दर्शन-2 Text Book Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 10 बिहार दर्शन-2
Bihar Board Class 6 Social Science बिहार दर्शन-2 Text Book Questions and Answers
अभ्यास
प्रश्न 1.
खाली जगहों को भरें
- तख्त श्री हरमंदिर …………. में स्थित है।
- शेरशाह का मकबरा ………….. कोणीय है।
- ग्रैंडकोर्ड रेलवे ………… को जोड़ती है।
- गोलघर का निर्माण …………. में करवाया।
- दीदारगंज में ………… की मूर्ति मिली।
उत्तर-
- पटना सिटी
- अष्ट
- दिल्ली-हावड़ा
- जान गॉलस्टिन ने 1776 ई
- यक्षिणी।
प्रश्न 2.
सही मिलान करें –
- लंगर – नि:शुल्क भोजन
- पटना संग्रहालय – सासाराम
- गोलघर – राजेन्द्र कक्ष
- रोहतास – अनाज का भंडारण
उत्तर-
- लंगर – नि:शुल्क भोजन
- पटना संग्रहालय – राजेन्द्र कक्ष
- गोलघर – अनाज का भंडारण
- रोहतास – सासाराम
प्रश्न 3.
सही कथनों में सही (✓) का चिह्न लगाएँ एवं गलत कथन में गलत (✗) का चिह्न लगाएँ
- शेरशाह को हराकर हुमायूँ ने भारत की गद्दी पर कब्जा किया। – (✗)
- पटना का गोलघर कैप्टन जान गॉलस्टीन ने बनवाया था। – (✓)
- पत्थर की मूर्ति “यक्षिणी” पटना के दीदारगंज में मिली थी। – (✓)
- गुरुगोविन्द सिंह का जन्म स्थल तख्त श्री हरमंदिर जी कहलाता है। – (✓)
प्रश्न 4.
बताइये –
प्रश्न (क)
गोलघर कहाँ है ? इसका निर्माण क्यों करवाया गया ?
उत्तर-
गोलघर पटना के गाँधी मैदान के पश्चिम में स्थित है। इसका निर्माण कैप्टन जान गॉलस्टीन ने 1776 ई में अनाज के सुरक्षित भंडारण के उद्देश्य से करवाया था ताकि दुर्भिक्ष काल या अकाल के समय इस अनाज से ‘मदद पहुँचाई जाये। जिससे सभी को अनाज की समस्याओं का सामना करना नहीं पड़े।
प्रश्न (ख)
शेरशाह कौन थे? इनका मकबरा कहाँ है?
उत्तर-
शेरशाह के बचपन का नाम फरीद खाँ था जो युवा काल में ही – अपने संरक्षक की रक्षा करते हुए शेर को तलवार से एक ही बार में दो टुकड़े कर दिये थे। तभी से उसे शेरशाह के नाम से पुकारा जाने लगा। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अफगान शासक शेरशाह का मकबरा स्थित है। यह मकबरा अष्टकोणीय है। जो लाल पत्थरों से बना हुआ है। यह मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है।
प्रश्न (ग)
अगर आप पटना संग्रहालय जायेंगे तो आपको कौन-कौन सी चीजें नजर आएंगी?
उत्तर-
पटना संग्रहालय का भवन राजस्थानी शैली में बना हुआ है। संग्रहालय के बगीचे में सामने ही तोप रखे हैं, चारों ओर कई बड़ी-बड़ी दुर्लभ मूर्तियाँ भी हैं। मुख्य भवन में जाते ही एक विशाल पेड़ देखने को मिलेगा। जो लगभग 50000 वर्ष पुराना है। उसकी लकड़ियाँ अब पत्थरनुमा हो गई हैं।
यह पत्थरनुमा जीवाश्म के उदाहरण हैं। यहाँ भगवान बुद्ध और जैन तथा मौर्यकाल की महत्वपूर्ण मूर्तियों, सिक्कों और बर्तनों को भी देखते हैं। पटना संग्रहालय में ही आगे बढ़कर जाने पर एक राजेन्द्र कक्ष बना हुआ है। यहाँ राष्ट्रपति के रूप में राजेन्द्र प्रसाद को मिले हुए उपहारों को भी देख सकते हैं जो उनकी स्मृति के रूप में रखा हुआ है।
प्रश्न (घ)
गुरुगोविन्द सिंह का जन्म-स्थान आज किस नाम से प्रसिद्ध है? वहाँ सिक्ख क्यों आते हैं?
उत्तर-
गुरुगोविन्द सिंह का जन्म-स्थान आज तख्त श्री हरमंदिर साहब गुरुद्वारा के नाम से प्रसिद्ध है। सफेद संगमरमर से बना हुआ है। यह सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। गुरुगोविन्द सिंह के जन्मदिवस पर यहाँ मेला लगता -है। यहाँ देश-विदेश के सिक्ख भाग लेने आते हैं। इस पवित्र स्थल के अंदर गुरुग्रंथ साहिब रखा हुआ है और गुरुवाणी पढ़ी जाती है। यहाँ लंगर भी चलता
Bihar Board Class 6 Social Science बिहार दर्शन-2 Notes
पाठ का सारांश
बिहार दर्शन-2 में बच्चों ने मिलकर रविवार के दिन सासाराम स्थित शेरशाह का मकबरा, पटना के गोलघर, संग्रहालय तथा पटना सिटी स्थित तख्त मंदिर साहेब घूमने गये।
अगले दिन सभी बच्चे सासाराम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 के किनारे रोहतास का जिला मुख्यालय है और यहाँ से दिल्ली-हावड़ा जोड़ने वाली ग्रैंडकोर्ड रेलवे लाइन भी गुजरती है। इस प्रकार, सभी बच्चे तैयार हो गये बस के द्वारा दर्शनीय स्थलों को देखने।
प्रधानाचार्य ने बाल सभा में बच्चों को बताया कि रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में अफगान शासक शेरशाह का मकबरा स्थित है।
शेरशाह ने हुमायूँ को हराकर भारत की गद्दी पर कब्जा कर लिया था । यह मकबरा शेरशाह ने अपने जीवनकाल में ही बनवाना प्रारंभ करा दिया था। यह मकबरा अष्टकोणीय है जो लाल पत्थरों से बना हुआ है। मकबरे की छत गोल गुम्बद के रूप में है। यह मकबरा एक तालाब के बीचों-बीच हे और वहाँ तक जाने के लिए बीचों-बीच एक पुलिया मुख्य द्वार से मकबरा तक बनी हुई है।
यह मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है और इसके कर्मचारी इसकी देख-रेख करते हैं। फिर सभी लोग पटना के गोलघर देखने के लिए गये। यह जगह पटना के गाँधी मैदान के पश्चिम में स्थित है। गोलघर की गोल दीवारों पर एक सूचना पट्ट लगी है जिसमें गोलघर के सम्बन्ध में कई जानकारियाँ दी गई हैं। उसमें लिखा है कि इसका निर्माण कैप्टन जान गॉलस्टीन ने 1776 ई. में अनाज को सुरक्षित भंडारण के उद्देश्य से करवाया था ताकि दुर्भिक्ष या अकाल के समय इस अनाज से मदद पहुँचाई जा सके ।
इसकी दीवारें 12 फीट मोटी और 96 फीट ऊँची है। इसके शीर्ष पर चढ़ने के लिए दोनों ओर से सीढियाँ बनी हुई हैं। सीढियाँ को चढ़कर ही गोलकर ऊपर जाया जाता है। वहाँ से पूरा पटना दिखाई देता है उत्तर दिशा में गंगा नदी बिल्कुल पास से बहती है । दूर पूरब में महात्मा गाँधी सेतु दिखाई पड़ता है।
गाँधी मैदान का विहंगम खुला क्षेत्र और एक किनारे पर स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल तथा चारों ओर ऊँची इमारतें बहुत ही आकर्षक लगती हैं। गोलघर के निकट में ही पटना संग्रहालय स्थित है। यहाँ स्कूली बच्चों को रियायती दुर पर प्रवेश टिकट मिलता है। टिकट लेने के बाद हमलोग अंदर गए। चारों और बड़ा-सा बगीचा है और बीच में संग्रहालय का भवन है। यह भवन राजस्थानी शैली में बना है। संग्रहालय का भवन के बगीचे में सामने ही तोच रखे हैं। ये तोपे अंग्रेजी शासन की हैं। चारों ओर कई बड़ी-बड़ी दुर्लभ मूर्तियाँ भी देखने को मिलती हैं।
भवन में मुख्य द्वार से जाते ही एक विशाल पेड़ है जो लगभग 5000 वर्ष पुराना है और उसकी लकड़ियाँ अब पत्थरनुमा हो गई हैं।
यह पत्थरनुमा वृक्ष जीवाश्म का उदाहरण है। संग्रहालय में भगवान बुद्ध और जैन तथा मौर्यकाल की महत्वपूर्ण मूर्तियों, सिक्कों और बर्तनों की कतार हैं। सभी वस्तुओं के पास नाम सहित उनकी आयु, उपयोगिता लिखी हुई है, जिसे पढ़कर उसके बारे में समझा जा सकता है। वहाँ एक राजेन्द्र कक्ष बना हुआ।
यहाँ राष्ट्रपति के रूप में राजेन्द्र प्रसाद को मिले उपहारों एवं वस्तुओं को स्मृति के रूप में रखा गया है। हाँ, हमें संग्रहालय में रखे गए चीजों को बर्बाद नहीं करना चाहिए संग्रहालय में हर जगह सूचनाएँ लिखी हुई हैं। हर कमरे में दीवार पर कैमरे लगे हुए हैं। अगर कोई छुएगा तो कैमरे में उसकी तस्वीर आ जाएगी।
यहाँ पत्थर की एक सुंदर-सी मूर्ति थी जिस पर ‘दक्षिणी’ लिखा हुआ था। वह मूर्ति दीदारगंज में मिली थी। वह मूर्ति बहुत ही चमक रही थी और उसके गले में एक हार भी था। इमलोगों ने घूमकर सारा संहालय देखा।
संग्रहालय देखने से इतिहास की समझ बनती है। इस प्रकार हमलोगों ने बिहार के दार्शनिक स्थलों को देखा और बहुत-सी ज्ञानवर्द्धक रोचक बातें जानने को मिली । हमने गोलघर, पटना संग्रहालय, तख्त हरमंदिर साहेब के दर्शन भी किये।