Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 7 दीपोत्सवः Text Book Questions and Answers, Summary.
BSEB Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सवः
Bihar Board Class 7 Sanskrit दीपोत्सवः Text Book Questions and Answers
अभ्यासः
मौखिकः
प्रश्न 1.
निम्नलिखिताः उत्सवाः कस्मिन् भारतीये मासे आयोज्यन्ते ?
- होलिकोत्सवः – फाल्गुने
- सरस्वतीपूजनम् – माघे
- रक्षाबन्धनम् । – श्रावणे
- सूर्य पष्ठी (छठव्रतः) – कार्तिके
- दुर्गापूजा – आश्विने
प्रश्न 2.
प्रदूषणविषये पञ्च वाक्यानि वदत ।।
उत्तराणि-
वर्षाकाल में बढ़े हुए कीट-पतंगों का पहले तेल की बती से विनाश होता था। उनसे वातावरण शुद्ध होता था । आज तो हमलोग मोमबत्ती और विद्युतदीपों का प्रयोग करते हैं। उल्लास प्रकट करने के लिए पटाखे चलाते हैं । इनसे वातावरण में दूषित पदार्थ बढ़ते हैं। कीड़े नहीं नष्ट होते हैं । वातावरण विषयुक्त हो जाता है । ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है । अत: सावधान होना चाहिए । अपनी रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा करना श्रेष्ठ कर्त्तव्य है।
प्रश्न 3.
दशभारतीयभाषाणां नामानि वदत ।
उत्तराणि-
- हिन्दी
- मैथिली
- भोजपुरी
- मगही
- बंगाली
- मराठी
- पंजाबी
- तमिल
- तेलगू
- राजस्थानी ।
प्रश्न 4.
मञ्जूषातः शब्दं चित्वा रिक्तस्थनानि पूरयत –
(भ्रमराः, राष्ट्रगानं, पठामः, संस्कृतस्य, रावणं)
- रामचन्द्रः ………………………………… हतवान् ।
- वयं सप्तमवर्गे
- फातिमा ………………………………… गायति ।
- ………………… उद्यानेषु भ्रमन्ति ।
- कालिदासः ……………………. महाकविः आसीत् ।।
उत्तराणि-
- रावणं
- पठामः
- राष्ट्रगानं
- भ्रमराः
- संस्कृतस्य ।
प्रश्न 5.
रिक्तस्थानानि पूरयत –
प्रश्न (क)
- कपाटः – कपाटायाम् – ……………..
- लतया – …………………. – लताभिः
- लतायाम् – ……………….. – ………………..
- ………………… – कक्षयोः – कक्षासु ।
- गृहस्य – ………………… – पठन्तु
उत्तराणि-
- कपाटः – कपाटायाम् – कपाटे:
- लतया – लताभ्याम् – लताभिः
- लतायाम् – लतयोः – लतासुह
- कक्षायाम् – कक्षयोः – कक्षासु
- गृहस्य – गृहयोः – गृहाणाम्
प्रश्न (ख)
- पठतु – ………………… – …………………
- ……………. – पठतम् – …………………..
- पठानि – ………………. – ………………..
उत्तराणि-
- पठतु – पठताम् – पठतु
- पठ – पठतम् – पठत
- पठानि – पठाव – पठाम
प्रश्न 6
संस्कृतभाषायाम् उत्तराणि लिखत –
- दीपोत्सवः कस्मिन् मासे भवति ?
- जनाः सुधया कानि लिम्पन्ति ?
- बाला: किं किं लब्ध्वा प्रसीदन्ति ?
- त्वं कस्मिन् वर्गे पठसि ?
- तव विद्यालये कियन्तः प्रकोष्ठाः सन्ति ?
- अधुना पर्यावरणं कीदृशम् अस्ति ?
- घर्षणेन का दहति ?
उत्तराणि-
- दीपोत्सवः अश्विने मासे भवति ।
- जनाः सुधया गृहाणि लिम्पन्ति ।
- बाला: नववस्त्रं मिष्टान्नञ्च लब्ध्वा प्रसीदन्ति ।
- अहं सप्तमे वर्ग पठसि |
- तव विद्यालये एकादशः प्रकोष्ठाः सन्ति ।
- अधुना पर्यावरण प्रदूषितं अस्ति ।
- घर्षणेन अग्निशलाका दहति ।
प्रश्न 7.
रिक्तस्थानानि पूरयत –
(इदं, अयं, इयं, सः, .सा, तत्)
प्रश्न (क)
- ………….. पुस्तकम् ।
- ………….. पुस्तकम् ।
- ………….. बालकः ।
- ………….. बालकः ।
- ………….. लेखनी ।
उत्तराणि-
- तत् पुस्तकम् ।
- इदं पुस्तकम् ।
- अयं बालकः ।
- सः बालकः ।
- सा लेखनी ।
- इयं लेखनी ।
प्रश्न (ख)
- अस्य ……………….. | बालकस्य / बालकयो : ।
- तस्मिन् ………………. । विद्यालये । विद्यालयस्य ।
- ………….. पर्वणि । अस्य / अस्मिन् ।
- तस्मै ………………… | बालकेन / बालकाय ।
- ………………… वर्गात् । कस्मात् । केभ्यः ।
- ……………. कक्षायाम् । तस्यां । तस्मिन् ।
उत्तराणि-
- अस्य बालकस्य ।
- तस्मिन् विद्यालये ।
- अस्मिन् पर्वणि ।
- तस्मै बालकाय ।
- कस्मात् वर्गात् ।
- तस्यां कक्षायाम् ।
प्रश्न 8.
वर्गपहेलीतः धातुरूपं निस्सारयत –
उत्तराणि-
- पठति – पठतः – पठन्ति ।
- पठसि – पठथ: – पठथ
- पठामि – पठावः – पठामः
प्रश्न 9.
हिन्द्याम् अनुवदत -.
- अस्माकं देशे बहवः समारोहाः भवन्ति ।
- भारतस्य संस्कृतिः प्राचीना समृद्धा चास्ति ।
- नार्यः यत्र पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
- सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् ।।
- पाण्डवाः पञ्च भ्रातरः आसन् ।
उत्तराणि-
- हमारे देश में अनेक समारोह होते हैं।
- भारत की संस्कृति प्राचीन और समृद्ध है।
- जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवताओं का वास होता है।
- सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए ।
- पाण्डव पाँच भाई थे ।
प्रश्न 10.
दुर्गापूजा’ पर्व का वर्णन करें।
उत्तराणि-
दुर्गापूजा का पर्व आसुरी प्रवृत्तियों पर दैवी प्रवृत्तियों की विजय का पर्व है। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर राम और रावण (सत और असत) की अलग-अलग प्रवृत्तियाँ हैं । इन दो अलग प्रवृत्तियों में निरंतर संघर्ष चलता रहता है । हम दुर्गापूजा इसीलिए मनाते हैं कि हम हमेशा अपनी सद्प्रवृत्तियों से ‘ असद्प्रवृत्तियों को मारते रहें । दुर्गापूजा को ‘दशहरा’ भी कहा जाता है; क्योंकि राम ने दस सिरवाले रावण (दशशीश) को मारा था ।
दुर्गापूजा का महान् पर्व लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (प्रथमा तिथि) को कलश-स्थापना होती है और उसी दिन से पूजा प्रारंभ हो जाती है । दुर्गा की प्रतिमा में सप्तमी को प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है । उस दिन से नवमी तक माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक की जाती है। श्रद्धालु प्रतिपदा से नवमी तक ‘दुर्गासप्तशती’ या ‘रामचरितमानस’ का पाठ करते हैं। कुछ लोग ‘गीता’ का भी पाठ करते हैं । कुछ श्रद्धालु हिंदू भक्त नौ दिनों तक ‘निर्जल उपवास’ करते हैं और अपने साधनात्मक चमत्कार से लोगों को अभिभूत कर देते हैं । सप्तमी से नवमी तक खूब चहल-पहल रहती है ।
देहातों की अपेक्षा शहरों में विशेष चहल-पहल होती है । लोग झंड बाँध-बाँधकर मेला देखने जाते हैं । शहरों में बिजली की रोशनी में प्रतिमाओं की शोभा और निखर जाती है। विभिन्न पजा-समितियों की ओर से इन तीन रातों में गीत, संगीत और नाटकों के विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शहरों की कुछ समितियाँ इस अवसर पर ‘व्यंग्य और क्रीड़ामूर्तियों’ की स्थापना करती हैं। इस दिन लोग अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं । इस दिन नीलकंठ (चिड़िया) का दर्शन शुभ माना जाता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखितानां समानार्थकशब्दानां मेलनं कुरुत –
(क) रावण: – (i) राघव:
(ख) रामचन्द्र – (ii) दीपावली
(ग) दीपोत्सवः – (iii) श्री:
(घ) लक्ष्मीः – (iv) सदनम्
(ङ) गृहम् – (v) दशाननः
उत्तराणि-
(क) – (v)
(ख) – (i)
(ग) – (ii)
(घ) – (iii)
(ङ) – (iv)
Bihar Board Class 7 Sanskrit दीपोत्सवः Summary
[प्रस्तुत पाठ में प्रसिद्ध भारतीय उत्सव दीपावली का वर्णन है। इसकी प्राचीन परम्परा वर्षाकाल में उत्पन्न दृषित तत्त्वों के विनाश तथा हर्षोल्लास प्रकट करने के ०देश्य की पूर्ति करती थी। आज आनन्द का प्रकाश तो है किन्तु दीपकों के स्वरूप बदलने तथा पटाखा आदि के अनियन्त्रित प्रयोग से वायुमंडल दूषित हो जाता है। अतः इसके मनाने का स्वरूप बदलना चाहिए ।
अस्माकं समारोहेषु दीपोत्सव: विशिष्ट:…………..दीपानां मालाः शोभन्ते ।
शब्दार्थ-नाम्ना : नाम से । ज्ञायते – जाना जाता है । विपणिषु । बाजारों में । चत्वरेषु = चौराहों पर, चबूतरों पर । आपणेषु – दुकानों में ।
सरलार्थ-हमारे त्यौहारों में दीपोत्सव विशिष्ट त्यौहार है । दीपोत्सव दीपावली या दिवाली नाम से जाना जाता है । प्रकाश का यह उत्सव बच्चों के मन को हर लेता है । घरों में, हाटों में, चौराहों पर, बाजारों में दीपों की माला शोभती हैं ।
कार्तिकमासस्य अमावस्यायां ……………… सर्वत्र निर्मलता निवसति ।
शब्दार्थ-शारदीयः = शरत्कालीन । कीटपंतगानाम् = कीड़ों-फतिंगों का । सुधया (सुधा + तृतीया) = चूने से । लिम्पन्ति – लीपते । लीपती हैं । कपाटः – किवाड़। गवाक्षः = खिडकी । रञ्जयन्ति – रंगते. / रंगती हैं । इतस्ततः – इधर-उधर । प्रक्षिप्तम् – बिखरा । बिखरे (को) । अपद्रव्यम् – कूड़ा-करकट । अपसारयन्ति = दूर हटाते । हटाती हैं। सरलार्थ-कार्तिक महीने के अमावस्या तिथि को प्रतिवर्ष भारतीय इस उत्सव का आयोजन करते हैं/मनाते हैं । यह शरद्कालीन उत्सव है ।
वर्षा ऋतु में सभी जगह वर्षा के प्रभाव से गंदगी और कीड़े-मकोड़े फैल जाते हैं। जब शरद् ऋतु आती है तो लोग अपने घरों और आस-पास की सफाई करते हैं। वे घरों को चूने से लेपते हैं। किबाड़ और खिड़कियों को रंगते हैं । इधर-उधर फैले कूड़ा-करकट दूर हटाते हैं । सभी जगह स्वच्छता रहती है।
नवं वस्त्रं मिष्टान्नं च ………..सर्वत्र बन्धुभाव: विराजते ।
शब्दार्थ-नवम् – नया । मिष्टान्नम् – मिठाई । मुदिताः – प्रसन्न,खश । सरलार्थ-नए कपड़े और मिठाइयाँ प्राप्त करके बच्चियाँ प्रसन्न होती हैं। वे पटाखे विस्फोट करके आनन्द का अनुभव करते हैं । लोग परस्पर शुभकामनाएँ देते हैं । सर्वत्र बन्धुता की भावना विराजमान रहती है।
रावणवधानन्तरं रामचन्द्रस्य ………. केचन देवी कालिकां पूजयन्ति ।
शब्दार्थ-जनश्रुतिः – जन-प्रसिद्धि । तदा प्रभृति = तब से । निस्सारयन्ति – निकालती / निकालते हैं । सरलार्थ-रावण के वध के बाद रामचन्द्र के अयोध्या आगमन पर प्रथम दीवोत्सव का आयोजन हुआ था । ऐसी जनश्रुति है । तब से हमलोग इसका आयोजन करते हैं । इस पर्व में लोग अपने घरों को दीपमालाओं से सजाते हैं। धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं । गरीबी को निकालते हैं । यह रात सुखरात्रि के नाम से विख्यात है । मिथिला और बंगाल में कुछ लोग कालिका देवी की पूजा करते हैं ।
वर्षाकाले वृद्धिम् उपगतानां ………..स्वरक्षणाय पर्यावरणरक्षणं परमं कर्तव्यम् ।
शब्दार्थ-वर्तिका – बत्ती । परमम् = सबसे बड़ा । लब्वा = प्राप्त करके । आयाति – आता है । वृद्धिम् उपगतानाम् (वृद्धिम् उपगतानाम्) – बढ़े हुए का । वर्धते = बढ़ता है । सावधानेन – सावधानी से । भवितव्यम् – होना चाहिए । समायोजयन्ति = मनाते हैं । रावणवधानन्तरम् (रावणवध अनन्तरम्) = रावण के वध के बाद । पर्वणि – पर्व में ।
अलङ्कुर्वन्ति = सजाते हैं । प्रसारः = फैलाव, वृद्धि । सरलार्थ-वर्षाकाल में बढ़े हुए कीट-पतंगों का पहले तेल की बती से विनाश होता था । उनसे वातावरण शुद्ध होता था । आज तो हमलोग मोमबत्ती और विद्युतदीपों का प्रयोग करते हैं। उल्लास प्रकट करने के लिए पटाखे चलाते हैं । इनसे वातावरण में दूषित पदार्थ बढ़ते हैं। कीड़े नहीं नष्ट होते हैं । वातावरण विषयुक्त हो जाता है । ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है। अत: सावधान होना चाहिए। अपनी रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा करना श्रेष्ठ कर्त्तव्य है।
व्याकरणम्
सन्धि-विच्छेदः
- दीपोत्सव = दीप + उत्सवः (गुणं सन्धि)
- प्रकाशोत्सवः = प्रकाश + उत्सवः (गुण सन्धि)
- प्रसारश्च = प्रसारः + च (विसर्ग सन्धि)
- इतस्ततः = इत: + ततः (विसर्ग सन्धि)
- मिष्टान्नम् = मिष्ट + अन्नम् (दीर्घ सन्धि)
- अयोध्यागमने = अयोध्या + आगमने (स्वर सन्धि)
- निस्सारयन्ति = निः + सारयन्ति (विसर्ग सन्धि)
प्रकृति-प्रत्यय-विभागः ज्ञायते –