Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद Questions and Answers

प्रश्न-
क्रिया किसे कहते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जिस शब्द या पद से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं। उदाहरणतया निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त काले पद देखिए
चिड़िया आकाश में उड़ रही है।
मोहन पार्क में दौड़ता है।
विनोद दूध अवश्य पीता है।
तुमने शाम को किताब दी थी।
बर्फ पिघल रही है।
तुम्हारी किताब मेज पर है।
ये सभी पद किसी-न-किसी कार्य के करने (दौड़ना, पीना, देना, पिघलना) या होने (उड़ना, होना) के सूचक हैं। अत: ये क्रिया-पद हैं।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

धातु

प्रश्न
धातु की परिभाषा देते हुए उसे उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-क्रिया के मूल अंश को धातु कहते हैं।जैसे-पढ़, लिख, सो, रो, हँस, खेल, देख आदि।
स्पष्टीकरण – पढ़ धातु से अनेक क्रिया-रूप बनते हैं। जैसे-
पदूंगा, पढ़ता है, पढ़ा, पढ़ रहा होगा, पढ़े, पढ़ो, पढ़ना चाहिए, पढ़ा था, पढ़िए, पढ़ी थी आदि।
परंतु इन सब में सामान्य रूप है-‘पढ़’। यही मूल धातु है।
मूल धातु की पहचान मूल धातु की पहचान का एक तरीका है—मूल धातु का प्रयोग ‘तू’ के साथ आज्ञार्थक क्रिया के रूप में किया जाए। जैसे-
तू खा, तू पी, तू हँस, तू खेल आदि।
इनमें खा, पी, हँस, खेल आदि मूल धातु हैं।
क्रिया के सामान्य रूप धातु में ‘ना’ प्रत्यय लगाने से क्रिया के सामान्य रूप बन जाते हैं। जैसे-
पढ़ + ना = पढ़ना; सो + ना = सोना; हँस + ना = हँसना; खेल + ना = खेलना आदि।

क्रिया के भेद : अकर्मक-सकर्मक

प्रश्न-
क्रिया के कितने भेद होते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मुख्य रूप से क्रिया दो प्रकार की होती है-
(क) अकर्मक और (ख) सकर्मक।
(क) अकर्मक क्रिया…वाक्य में प्रयोग करते समय जिस क्रिया में कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे
हँसना, रोना, उठना, गिरना, ठहरना, रुकना, बैठना, चलना, झुकना, जागना, ऊँघना, छींकना, जीना, मरना, टूटना, आना, जाना, दौड़ना आदि।
अकर्मक क्रिया का प्रभाव सीधे कर्ता पर पड़ता है। उदाहरणतया-
श्याम दौड़ता है।
यहाँ ‘दौड़ना’ क्रिया का फल सीधे कर्ता श्याम पर पड़ रहा है। दूसरे, इस वाक्य में कोई ‘कर्म’ नहीं है। न ही उसकी आवश्यकता है।
अन्य उदाहरण
पक्षी उड रहे हैं।
शीला रोएगी।
बच्चे हँस रहे हैं।
सुभाषचंद्र बोस देश के लिए उठ खड़े हुए।
कितने नेता लालच के कारण गिर जाते हैं।
गाड़ी ठहर गई है।
वह तुम्हारे लिए रुका हुआ है।
गाड़ी में सीधे बैठो।
आओ, दिल्ली चलें।
कुछ पाना है तो डाको।
अतिथि जाग गया है।
बच्चे बड़ी देर से ऊँध रहे हैं।
सर्दी के कारण सभी छींक रहे हैं।
वह घर आ चुका है।
मेहमान जा चुके हैं।
चोर-चोरी करते-करते मर गया।
नेहरू जी 14 नवंबर के दिन जन्मे।
गिलास मेरे हाथों से टूट गया।
सुशीला बहुत तेज दौड़ती है।

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(ख) सकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के प्रयोग में ‘कर्म’ की आवश्यकता पड़ती है और उसका सीधा प्रभाव कर्म पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरणतया-
अनुराग ने पुस्तक खरीदी।
‘खरीदी’ क्रिया के प्रयोग में ‘कर्म’ (पुस्तक) की आवश्यकता अनिवार्य रूप से बनी हुई है। अगर ‘पुस्तक’ का लोप कर दिया जाए तो अर्थ अस्पष्ट या अपूर्ण रह जाएगा। उदाहरणतया अनुरांग ने खरीदी। इस वाक्य में जिज्ञासा बनी ही हुई है कि क्या खरीदी ? दूसरे, ‘खरीदी’ क्रिया का फल पुस्तक पर पड़ रहा है। अतः यह सकर्मक क्रिया है।
कुछ महत्त्वपूर्ण सकर्मक क्रियाएँ इस प्रकार हैं-
देख, सुन, पढ़, लिख, कर, हो, कह, सूंघ, खा, पी, ले, दे, मार, छोड़, काट, पीट, तोड़, बेच आदि। इन्हीं से बनने वाली प्रेरक क्रियाएँ भी सकर्मक होती हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 01

सकर्मक क्रिया के कुछ वाक्य-प्रयोग
शीला ने संतरा खाया।
उसने बच्चे को संतरा खिलाया।
मोहन दुध पी रहा है।
माँ मोहन को दध पिला रही है।
लड़के फिल्म देखते हैं।
अध्यापक बच्चों को फिल्म दिखा रहे हैं।
मैंने कहानी सुनी।
मैंने बच्चों को कहानी सुनाई/सुनवाई।
मैंने उपन्यास पढ़ा।
मैंने लोगों को उपन्यास पढ़वाया/पढ़ाया।
उसने कविता लिखी।
उसने लड़कियों से कविता लिखवाई।
मैंने परिश्रम किया।
मने सबसे परिश्रम करवाया।
अध्यापक ने कठोर वचन कहे/कहलवाए।
मैंने फल संचा।

अकर्मक-सकर्मक के भेद

प्रश्न-
अकर्मक क्रिया के भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
अकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है-
(क) स्थित्यर्थक पर्ण अकर्मक क्रिया – यह क्रिया बिना कर्म के पूर्ण अर्थ देती है और कर्ता की स्थिर दशा का बोध कराती है। जैसे-
श्याम सो रहा है। (सोने की दशा)
मोहन हँसता है। (हँसने की दशा)
श्यामा रो रही है। (रोने की दशा)

खिलना, अनुभव करना आदि ऐसी ही क्रियाएं हैं। अस्तित्ववाची क्रियाएं भी इसी भेद के . अंतर्गत आती हैं। जैसे—’परमात्मा है। यहाँ ‘है’ क्रिया स्वयं में पूर्ण तथा स्थित्यर्थक है।

(ख) गत्यर्थक पर्ण अकर्मक क्रिया यह क्रिया भी बिना कर्म के पूर्ण होती है और कर्ता . की गतिमान दशा का बोध कराती है।

उदाहरणतया-
मोहन दिल्ली जा रहा है।
यहाँ ‘जा रहा है’ क्रिया कर्ता की गतिमान दशा की द्योतक है। यह बिना कर्म के भी पूर्ण अर्थ व्यक्त कर रही है। अतः यह गत्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया है। कुछ अन्य उदाहरण
चिड़िया आकाश में उड़ रही है।
सोहन कमरे से निकल रहा है।
सूरज पश्चिम में डूबेगा।

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(ग) अपूर्ण अकर्मक क्रिया- अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ वे होती हैं जिन्हें ‘कर्म’ की तो आवश्यकता नहीं होती किंतु कर्ता से संबंधित किसी-न-किसी ‘पूरक’ शब्द की अवश्य आवश्यकता होती है। पूरक शब्द के बिना वाक्य अधूरा बना रहता है। उदाहरणतया

‘मैं हूँ।’
यह वाक्य कर्ता और क्रिया की दृष्टि से पूरा है। परंतु इसमें ‘मैं’ से संबंधित किसी पूरक की कमी है। पूरक के लगते ही वाक्य पूर्ण हो जाएगा। जैसे-

मैं स्वस्थ हूँ।
‘स्वस्थ’ पूरक से वाक्य स्वयं में पूरा हो गया है। कुछ अन्य उदाहरण देखिए –
मोहन (होशियार) है।
श्याम (वकील) बनेगा
पड़ोसी (चालाक) निकला।

होना, बनना, निकलना आदि अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ हैं। इनमें कर्ता-पूरक की आवश्यकता होती है। इसलिए इन्हें ‘कर्तृपक’ या ‘उद्देश्यपूरक’ भी कहा जाता है।

प्रश्न
सकर्मक क्रिया के भेदों का परिचय कीजिए।
उत्तर-
सकर्मक क्रिया के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं. .
(क) पूर्ण एककर्मक क्रियाएँ- इन्हें सामान्यतः ‘सकर्मक क्रिया’ के नाम से जाना जाता है। इन क्रियाओं में एक कर्म की आवश्यकता होती है। उदाहरणत:

कुत्ते ने बकरी को काटा।

यहाँ ‘काटा’ क्रिया ‘कर्म’ (बकरी को) के बिना अधूरी है, तथा इस कर्म के समावेश से अर्थ भी पूरा हो गया है। अब और किसी कर्म की आवश्यकता नहीं रही है। इसलिए यह ‘पूर्ण एककर्मक क्रिया’ है। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
सीमा खाना खा रही है।
दर्जी कपड़े सिएगा।
अब्दुल पत्र लिखेगा।

(ख) पूर्ण हिकर्मक क्रियाएँ- पूर्ण द्विकर्मक क्रियाएँ वे होती हैं जिनमें दो कर्मों की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ-
संतोष ने बेटे को पता बताया था।
इस वाक्य में दो कर्म हैं-बेटे को’ तथा ‘पता’। यदि इनमें से एक कर्म हटा लिया जाए . . तो अर्थ अस्पष्ट रह जाएगा। अन्य उदाहरण देखिए-
मोहन ने सोहन को अपनी घड़ी दी।
शीला ने रमा को गाना सुनाया।
राम ने मोहन को किताब दी।
विनोद ने मनोज को कार बेची।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

प्रायः देना, लेना, बताना आदि प्रेरणार्थक क्रियाएं इसी कोटि के अंतर्गत आती हैं। ‘देना’ क्रिया
में दो कर्म नहीं होते। एक कर्म जैसे ‘मोहन को’ संप्रदान कारक के अंतर्गत आता है। परंतु मोटे . तौर पर उसे कर्म मान लिया जाता है।

(ग) अपूर्ण सकर्मक क्रियाएँ – ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें कर्म रहते हुए भी कर्म के किसी पूरक शब्द की आवश्यकता बनी रहती है। वरना अर्थ अपूर्ण रहता है। चुनना, मानना, समझना, बनाना आदि ऐसी ही क्रियाएँ हैं। उदाहरणतया –
सोहन अमित को मूर्ख समझता है।.
इस वाक्य में अमित को’ कर्म है। परंतु यह कर्म अकेले अधूरा अर्थ देता है। ‘मूर्ख’ पूरक के आने पर अर्थ स्पष्ट होता है। ‘मूर्ख’ का संबंध ‘अमित’ (कर्म) से होने के कारण हम उसे ‘कर्मपूरक’ कहते हैं। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
छात्रों ने दीपक को अपना प्रतिनिधि चुना।
वह तुम्हें मित्र मानता है।
सभी लड़के इंद्रपाल को पागल बनाते हैं।

अकर्मक-सकर्मक में परिवर्तन (अंतरण)
क्रियाओं का अकर्मक होना या सकर्मक होना प्रयोग पर निर्भर करता है, न कि उनके धातु-रूप पर। यही कारण है कि कभी-कभी अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं
और कभी सकर्मक क्रियाएँ अकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे-

पढ़ना (सकर्मक)-श्याम किताब पढ़ रहा है।
पढ़ना (अकर्मक) श्याम आठवीं में पढ़ रहा है।
खेलना (सकर्मक)-बच्चे हॉकी खेलते हैं। .
खेलना (अकर्मक)-बच्चे रोज खेलते हैं।

“हँसना’, ‘लड़ना’ आदि कुछ अकर्मक क्रियाएँ सजातीय कर्म आने पर सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे-
बाबर ने अनेक लड़ाइयाँ लड़ीं।
वह मस्तानी चाल चल रहा था।
ऐंठना, खुजलाना आदि क्रियाओं के दोनों रूप मिलते हैं। जैसे-
पानी में रस्सी ऐंठती है। (अकर्मक)
नौकर रस्सी ऐठ रहा है। (सकर्मक)
उसका सिर खुजलाता है। (अकर्मक)
वह अपना सिर खुजलाता है। (सकर्मक)

संयुक्त क्रिया

प्रश्न
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं ? उसके भेद लिखिए।
उत्तर
दो या दो से अधिक धातुओं के योग से बनी हुई क्रियाएँ संयुक्त क्रिया कहलाती हैं। जैसे—मैं पढ़ लिया करता हूँ।
वह बढ़ता चला आ रहा है।
उसे आने दिया जा सकता है।
उपर्युक्त उदाहरणों में एकाधिक क्रिया-पदों के योग से क्रिया का कार्य संपन्न हुआ है। अतः ये संयुक्त क्रियाएँ हैं।

भेद- संयुक्त क्रियाएँ जिन-जिन क्रियाओं के मेल से बनती हैं, वे चार प्रकार की होती हैं मुख्य क्रिया, सहायक क्रिया, संयोजी क्रिया और रंजक क्रिया।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

मुख्य क्रिया- संयुक्त क्रियाओं में एक क्रिया मुख्य होती है। वह कर्ता या कर्म के मुख्य व्यापार को लक्षित करती है। उदाहरणतया उपर्युक्त उदाहरणों में पढ़, बढ़ता और आने मुख्य क्रियाएँ हैं।

सहायक क्रिया- मुख्य क्रिया के अतिरिक्त क्रिया के अन्य पक्षों-काल, वृत्ति, पक्ष, वाच्य आदि की सूचना देने वाले क्रिया-रूपों को सहायक क्रिया कहते हैं। इन्हें संयोजी क्रिया तथा रंजक क्रिया नाम के अन्य दो भेदों में भी बाँटा जा सकता है।

संयोजी क्रियाएँ संयोजी क्रियाएँ मुख्य क्रिया के पक्ष, वृत्ति और वाच्य की सूचना देती हैं।
(क) पक्ष का उद्घाटन करने वाले कुछ उदाहरण देखिए-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 1

(ख) संयोजी क्रियाएँ कर्ता की इच्छा, अनिच्छा, विवशता या समर्थता आदि वृत्तियों को भी प्रकट करती हैं। उदाहरणतया-
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(ग) संयोजी क्रियाएँ वाक्य के वाच्य का भी बोध कराती हैं। प्रायः ‘जा’ धातु से वाच्य का प्रकटीकरण होता है। उदाहरणतया-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 3

(घ) अनुमति देने में भी हिंदी में संयोजी क्रिया ‘दे’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 4

रंजक क्रियाएँ – रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ को रजित करती हैं अर्थात् विशिष्ट अर्थ-छवि प्रदान करती हैं। सामान्यत: ये आठ हैं—आना, जाना, उठना, बैठना, लेना; देना, पड़ना, डालना आदि। उदाहरणतया-

1.आना रो आना, कर आमा, बन आना। (अनायासता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- दुखिया का करुण-क्रंदन सुनकर मुझे रुलाई आ गई।
मैं पानी भरने गई थी, उल्टे बाल्टी दान कर आई।

2. जाना पी जाना, आ जाना, खाना (क्रियापूर्णता/शीघ्रता का भाव)
वाक्य प्रयोग गर्मी के मारे मैं तीन-चार कैंपा-कोला पी गया। .
मैं जा रहा हूँ, तुम जल्दी आ जाना।
तुम यहाँ आकर बैठ जाओ।

3. उठना रो उठना, गा उठना, चिल्ला उठना (आकस्मिकता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- लक्ष्मण-मूर्छा का दृश्य देखकर मेरा हृदय रो उठा।
चोर के हाथ में चाकू देखकर मैं सहायता के लिए चिल्ला उठा।

4. बैठना मार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठना। (आकस्मिकता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- गुस्से में आकर मैं बच्चे को मार बैठा।
लाभ के चक्कर में मैं अपना नुकसान कर बैठा।

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5. लेना-पी लेना, सो लेना, ले लेना। (क्रियापूर्णता/क्विशता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- उसने दूध पी लिया है।(क्रियापूर्णता)
मजबूरी में उसने जहर का चूंट पी लिया। (विवशता)

6. देना-चल देना, रो देना, फेंक देना। (क्रियापूर्णता/विवशता का भाव)
वाक्य-प्रयोग– बालक बैग उठाकर स्कूल चल दिया।
स्कूल से आकरे बालक ने बैग एक और फेंक दिया।
उसे मोहन आता दिखाई दिया।

7. पडना रो पड़ना, हँस पड़ना, चौंक पड़ना। (स्वतः/शीघ्रता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- बच्चा माँ की मृत्यु का समाचार सुनकर रो पडा। .
सामने से अचानक आए शेर को देखकर मैं चौंक पड़ा।
वह विद्यालय की ओर चल पडा।

8. डालना-मार डालना, तोड़ डालना, काट डालना। (बलात्भाव/क्रिया-पूर्णता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- राम ने रावण को मार डाला।
गुस्से में आई भीड़ ने सरकारी ढाँचे को तहस-नहस कर डाला।

9.मरना-डूब मरना।
वाक्य-प्रयोग-माँ ने दुत्कारते हुए कहा- डूब मर! नकल करने से अच्छा तू डूब मरता।

10. मारना-लिख मारा।
वाक्य-प्रयोग–आजकल के अनाड़ी पत्रकार बिना आने-बूझे कुछ-का-कुछ लिख मारते हैं।

11.निकलना चल निकलना।
वाक्य-प्रयोग-यह नया समाचार-पत्र भी चल निकला है।

12. बसना-चल बसना।
वाक्य-प्रयोग पिछले वर्ष मोहन के पिताजी चल बसे थे।

13. लगना आरंभधोतका
वाक्य-प्रयोग मोहन विद्यालय जाने लगा।

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संयुक्त क्रियाओं के बारे में कछ महत्त्वपूर्ण बातें
1. कहीं-कहीं संयुक्त क्रिया के दोनों पदों का क्रम तथा रूप बदलने पर उनके अर्थ में – परिवर्तन आ जाता है। उदाहरणतया
(क) मोहन ने उसे मार दिया। (जान से मार दिया)
(ख) मोहन ने उसे दे मारा। (अचानक चोट कर दी)

2. निषेधात्मक वाक्यों में मुख्य क्रिया के साथ रंजक क्रिया का प्रयोग नहीं होता। यथा-
उसे भूख लग आई। – उसे भूख नहीं लगी।
मोहन चिल्ला उठा। – मोहन नहीं चिल्लाया।
सुरेश ने काम कर दिया। – सुरेश ने काम नहीं किया।

संयुक्त क्रिया में से मुख्य क्रिया की पहचान –
संयुक्त क्रिया में से मुख्य क्रिया की पहचान करना सावधानी का काम है। उदाहरणतया-
मैं पढ़ लेता हूँ।

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यहाँ ‘पढ़’ और ‘लेता’ में से मुख्य क्रिया की पहचान करनी है। इसके लिए प्रश्न करें कि कर्ता (मैं) क्या करता है ? ‘पढ़ने का काम’ या लेने का काम’। उत्तर मिलेगा पढ़ने का काम। अतः यहाँ मुख्य क्रिया हुई ‘पढ़ना’। ‘लेता हूँ’ सहायक क्रिया हुई।
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