Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 2 Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

Bihar Board Class 10 History समाजवाद एवं साम्यवाद Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लग उनमें सही का चिह्न लगायें।

प्रश्न 1.
रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ?
(क) 1861
(ख) 1862
(ग) 1863
(घ) 1864
उत्तर-
(क) 1861

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 2.
रूस में जार का अर्थ क्या होता था ?
(क) पीने का बर्तन .
(ख) पानी रखने का मिट्टी का पात्र
(ग) रूस का सामन्त
(घ) रूस का सम्राट
उत्तर-
(घ) रूस का सम्राट

प्रश्न 3.
कार्ल मार्क्स का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) इंगलैंड
(ख) जर्मनी
(ग) इटली
(घ) रूस
उत्तर-
(ख) जर्मनी

प्रश्न 4.
साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ?
(क) रूस
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) क्यूबा
उत्तर-
(क) रूस

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 5.
यूटोपियन समाजवादी कौन नहीं था? ।
(क) लुई ब्लां
(ख) सेंट साइमन
(ग) कार्ल मार्क्स
(घ) रॉबर्ट ओवन
उत्तर-
(ग) कार्ल मार्क्स

प्रश्न 6.
“वार एंड पीस’ किसकी रचना है ?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) टॉलस्टाय
(ग) दोस्तोवस्की
(घ) ऐंजल्स
उत्तर-
(ख) टॉलस्टाय

प्रश्न 7.
बोल्शेविक क्रांति कब हुई ?
(क) फरवरी 1947
(ख) नवंबर 1917
(ग) अप्रैल 1917
(घ) अक्टूबर 1905
उत्तर-
(ख) नवंबर 1917

प्रश्न 8.
लाल सेना का गठन किसने किया था ?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) स्टालिन
(ग) ट्रॉटसकी
(घ) करेंसकी
उत्तर-
(ग) ट्रॉटसकी

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 9.
लेनिन की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 1921
(ख) 1922
(ग) 1923
(घ) 1924
उत्तर-
(घ) 1924

प्रश्न 10.
ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुआ था ?
(क) रूस और इटली
(ख) रूस और फ्रांस
(ग) रूस और इंगलैंड
(घ) रूस और जर्मनी
उत्तर-
(घ) रूस और जर्मनी

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें :

प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के समय शासक…………..था।
उत्तर-
जार निकालेस II

प्रश्न 2.
बोल्शेविक क्रांति का नेतृत्व……………ने किया था।
उत्तर-
लेनिन

प्रश्न 3.
नई आर्थिक नीति…………….ई. में लागू हुआ था।
उत्तर-
1921

प्रश्न 4.
राबर्ट ओवन………….”का निवासी था।
उत्तर-
ब्रिटेन

प्रश्न 5.
वैज्ञानिक समाजवाद का जनक……………..को माना जाता है।
उत्तर-
कार्ल मार्क्स

निम्नलिखित समूहों का मिलान करें :
Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद - 1
उत्तर-
1. (ख)
2. (घ)
3. (ङ)
4. (ग)
5. (क)।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
राष्ट्रवाद क्या है ?
उत्तर-
ऐसी व्यवस्था जिसमें उत्पादन के सभी साधनों पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
खूनी रविवार क्या है?
उत्तर-
जार की सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये। इसलिए, 9 जनवरी, 1905 को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3.
अक्टूबर क्रांति क्या है ?
उत्तर-
1917 की रूस की महान क्रांति को अक्टूबर क्रांति भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर एवं आम गरीब लोग शामिल होते हैं।

प्रश्न 5.
क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर-
क्रांति के पूर्व किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी वे करों के बेल्म से दबे थे।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-

  • जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन-रूस में एक राजनीतिक संरचना स्थापित की थी। गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गयी और जनता की स्थिति बाद से बदतर होती गयी।
  • कृषकों की दयनीय स्थिति कृषकों के पास पूँजी का अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे। ऐसे में किसानों के पास क्रांति के सिवाय कोई चारा नहीं था।

प्रश्न 2.
रूसीकारण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी?
उत्तर-
सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओं का देश था। यहाँ मुख्यतः स्लाव जाति के लोग रहते थे। इनके अतिरिक्त फिन, पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी थे। वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलते तथा इनका रस्म-रिवाज भिन्न-भिन्न था। परन्तु रूस के अल्पसंख्यक जार-निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गयी रूसीकरण की नीति से परेशान थे। इसके अनुसार देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति को लादने का प्रयास किया गया। इससे अल्पसंख्यकों में हलचल मच गयी और 1868 ई. में इस नीति के विरुद्ध पोलो ने विद्रोह किया तो निर्दयतापूर्वक उसका दमन किया गया। इससे रूसी राजतंत्र के प्रति उनका आक्रोश बढ़ता गया।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 3.
साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे ?
उत्तर-
कार्ल मार्क्स ने एंगल्स के साथ मिलकर 1848 में एक साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। इसमें आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। इसने पूँजीवाद का विरोध कर वर्गहीन समाज * की स्थापना में महत्वपूर्ण योग दिया।

प्रश्न 4.
नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धान्तों के साथ समझौता था, कैसे ?
उत्तर-
लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक एवं व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने यह स्पष्ट देखा कि तत्काल प्रभाव से पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ पूँजीवाद से टकराना संभव नहीं है अतः उसने एक नई आर्थिक नीति की घोषणा की जिसमें मार्क्सवादी मूल्यों
को भी तरजीह दिया ताकि पूँजीवाद और समाजवाद दोनों के बीच संतुलन बना रहे।

प्रश्न 5.
प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया, कैसे?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण बना क्योंकि युद्ध के मध्य जार द्वारा सेनापति का कमान अपने हाथों में लेने के कारण जरीना और उसके तथाकथित गुरु रासपुटिन (पादरी) जैसा निकृष्टतम व्यक्ति को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गयी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर-
रूसी क्रांति के कारण निम्नलिखित हैं-

  • जार की निरंकुशता-जार निकोलस II जिसके शासनकाल में क्रांति हुई, वह दैवी अधिकारों में विश्वास करता था। उसे आम लोगों की कोई चिन्ता नहीं थी। उसके द्वारा नियुक्त अफसरशाही व्यवस्था अस्थिर, जड़ और अकुशल थी। अतः जनता की स्थिति बद से बदतर होती गयी।
  • कृषकों की दयनीय स्थिति कृषकों के पास पूँजी का अभाव था तथा वे करों के बोझ से दबे हुए थे। ऐसे में उनके पास क्रांति के सिवाय कोई चारा नहीं था।
  • मजदूरों की दयनीय स्थिति मजदूरों को अधिक काम के बदले कम मजदूरी मिलती थी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था, उन्हें कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे। वे अपने मांगों के समर्थन में हड़ताल भी नहीं कर सकते थे।
  • औद्योगिकीकरण की समस्या-रूस में राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था। यहाँ औद्योगिकीकरण के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे। अतः । चारों ओर असंतोष था।
  • रूसीकरण की नीति—जार निकोलस द्वितीय ने विभिन्नताओं का ख्याल न करते हुए देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति को लादने का प्रयास किया, जिससे जनता में राजतंत्र के प्रति असंतोष बढ़ने लगा।
  • विदेशी घटनाओं का प्रभाव क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय ने आर्थिक सुधारों का युग आरम्भ किया। तत्पश्चात 1904-05 के रूस-जापान युद्ध ने रूस में प्रथम क्रांति और प्रथम विश्वयुद्ध ने बॉल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

मार्क्सवाद का प्रभाव तथा बुद्धिजीवियों का योगदान लियो टॉलस्टाय, दोस्तोवस्की, तुर्गनेव जैसे चिंतक वैचारिक क्रांति को प्रोत्साहन दे रहे थे, रूस के औद्योगिक मजदूरों पर कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारों का पूर्ण प्रभाव था। रूस का पहला साम्यवादी प्लेखानोव जारशाही का अंत कर साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना चाहता था। उसने 1898 में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। 1903 में साधन एवं अनुशासन के मुद्दे पर पार्टी में फूट पड़ गयी। बहुमत वाला दल बोल्शेविक सर्वहारा क्रांति का पक्षधर था जबकि मेनशेविक मध्यवर्गीय क्रांति के पक्षधर थे। 1901 में सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी का गठन हुआ जो किसानों की मांगों को उठाता था। इस प्रकार मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित मजदूर एवं किसानों के संगठन रूस की क्रांति का एक महान कारण साबित हुए।

प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय–रूसी सेनाओं की हार को ध्यान में रखते हुए जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया जिससे उनके खिलाफ षड्यंत्र का मौका मिला और राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गई।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 2.
नई आर्थिक नीति क्या है ?
उत्तर-
लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने स्पष्ट रूप से देखा कि तत्काल प्रभाव से समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ सारी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है। इसीलिए 1921 ई. में उसने एक नई नीति की घोषणा की जिसे नई आर्थिक नीति कहते हैं। इसकी प्रमुख बातें निम्नांकित थीं-

  • किसानों से अनाज ले लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया। बचा हुआ अनाज किसान का था और वह इसका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था।
  • यद्यपि यह सिद्धांत कायम रखा गया कि जमीन राज्य की है फिर भी व्यवहार में जमीन किसान की हो गई।
  • 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया।
  • उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया। निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में विभिन्न इकाइयों को काफी छूट दी गई।
  • विदेशी पूँजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई।
  • व्यक्तिगत संपत्ति और जीवन की बीमा भी राजकीय एजेंसी द्वारा शुरू किया गया।
  • विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।
  • ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।

प्रश्न 3.
रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर-

  • इस क्रांति के पश्चात् श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा इसने अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया।
  • रूसी क्रांति के बाद विश्व विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में विभाजित हो गया। साम्यवादी विश्व एवं पूँजीवादी विश्व। इसके पश्चात् यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया। पूर्वी एवं पश्चिमी यूरोपा धर्मसुधार आंदोलन के पश्चात् और साम्यवादी क्रांति से पहले यूरोप में
    वैचारिक आधार पर इस तरह का विभाजन नहीं देखा गया था।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् पूँजीवादी विश्व तथा सोवियत रूस के बीच शीतयुद्ध की शुरूआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच शस्त्रों की होड़ चलती रही।
  • रूसी क्रांति के पश्चात् आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मॉडल आया। आगे पूँजीवादी देशों ने भी परिवर्तित रूप में इस मॉडल को अपना लिया। इस प्रकार स्वयं पूँजीवाद के चरित्र में भी परिवर्तन आ गया।
  • इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया और अफ्रीका के देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक समर्थन प्रदान किया।

प्रश्न 4.
कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धान्तों का वर्णन करें।
उत्तर-
कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई. को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे, जिन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। मार्क्स ने बोन वि. वि. में विधि की शिक्षा ग्रहण की परन्तु 1836 में वे बर्लिन वि. वि. चले आए जहाँ उनके जीवन को एक नया मोड़ मिला। मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित थे। 1843 में उन्होंने बचपन की मित्र जेनी से विवाह किया। उन्होंने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मांण्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का गहन अध्ययन किया। कार्ल मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई. में फ्रेडरिक एंगेल्स से हुई जिनसे जीवन भर उनकी गहरी मित्रता बनी रही। एंगेल्स के विचारों एवं रचनाओं से प्रभावित होकर मार्क्स ने भी श्रमिक के कष्टों एवं उनकी कार्य की दशाओं पर गहन विचार करना आरंभ कर दिया। मार्क्स ने एंगेल्स के साथ मिलकर 1948 ई. में एक साम्यवादी घोषणापत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। उपर्युक्त घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। मार्क्स विश्व के उन गिने-चुने चिंतकों में एक हैं जिन्होंने इतिहास की धारा को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। मार्क्स ने 1867 ई. में ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” कहा जाता है।

मार्क्स ने कुछ सिद्धांत दिए जो निम्नलिखित हैं

  • द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
  • वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
  • इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
  • मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
  • राज्यहीनं व वर्गहीन समाज की स्थापना।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 5.
यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर-
यूटोपियन (स्वप्नदर्शी) समाजवादियों के विचार निम्न हैं

  • सेंट साइमनवे प्रथम यूटोपियन समाजवादी एवं फ्रांसीसी विचारक थे जिसने समाज को निर्धन वर्ग के भौतिक एवं नैतिक उत्थान के लिए कार्य करने और लोगों को एक दूसरे का शोषण करने के बदले मिलजुलकर काम करने की बात कही। उसने घोषित किया ‘प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार’। आगे यही समाजवाद का मूलभूत नारा बन गया।
  • चार्ल्स फौरिपर वह आधुनिक औद्योगिकवाद का विरोधी था तथा उनका मानना था कि श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना चाहिए।
  • लई ब्लांफ्रांसीसी यूरोपियन चितकों में एकमात्र व्यक्ति जिसने राजनीति में भी हिस्सा लिया। उनका मानना था कि आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है।
  • ब्रिटिश उद्योगपति राबर्ट ओवन वह सबसे महत्वपूर्ण यूटोपियन चिन्तक, जिसने बताया कि संतुष्ट श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक हं।

Bihar Board Class 10 History समाजवाद एवं साम्यवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
1854-56 के क्रीमिया युद्ध में किसकी हार हुई थी?
उत्तर-
रूस की।

प्रश्न 2.
रूसी क्रांति किसके नेतृत्व में हुई थी?
उत्तर-
1917 की रूसी क्रांति बोल्शेविक दल के नेता लेनिन के नेतृत्व में हुई थी।

प्रश्न 3.
जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या 1881 ई० में किसने की?
उत्तर-
1881 में जार एलेक्जेंडर की हत्या निहिलस्टों ने कर दी।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 4.
रूस के सम्राट को क्या कहा जाता था?
उत्तर-
रूस के सम्राट को जार कहा जाता था।

प्रश्न 5.
रूस में किस राजवंश का शासन था ?
उत्तर-
रूस में रोमोनोव वंश का शासन था।

प्रश्न 6.
रूस की संसद का क्या नाम था ?
उत्तर-
रूस की संसद का नाम ड्यूमा था।

प्रश्न 7.
रूस में कृषि-दासता की प्रथा किस वर्ष समाप्त हुई।
उत्तर-
रूस में कृषि दासता की प्रथा 1861 ई. में समाप्त हुई।

प्रश्न 8.
रासपुटिन कौन था ?
उत्तर-
रासपुटिन एक बदनाम और रहस्यमय पादरी था।

प्रश्न 9.
वार एंड पीस उपन्यास के लेखक कौन थे?
उत्तर-
वार एंड पीस उपन्यास के लेखक लियो टॉल्सटाय थे।

प्रश्न 10.
रूस में कृषि-दासता की प्रथा किसने समाप्त की?
उत्तर-
1861 तक रूस में किसानों के कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं था। अधिकांश किसान बँधुआ मजदूर थे। वे सामंतों के अधीन थे और जमीन से बंधे हुए थे। 1861 में क्रमिया युद्ध की पराजय के पश्चात जार एलेक्जेंडर द्वितीय ने इस बंधुआ प्रथा का अंत करके किसानों को मुक्ति दी। इसलिए उसे ‘मुक्तिदाता जार’ कहा जाता है। इस प्रकार कृषि-दासता (serfdom) का अंत हुआ।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 11.
साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ था ?
उत्तर-
साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग रूस में हुआ था। रूसी क्रांति ने पुरान राजनीतिक व्यवस्था को नष्ट कर समाजवाद तथा साम्यवाद के आधार पर नए रूस का निर्माण किया। फलतः, इसका प्रभाव दुनिया के कोने-कोने में पड़ा और हर जगह साम्यवाद का नारा पुरानी व्यवस्था को गंभीर चुनौती देने लगा।

प्रश्न 12.
किसने सुधार के लिए आतंकवाद का सहारा लिया ?
उत्तर-
रूस में एक नागरिक वर्ग ऐसा था जो चाहता था कि रूस में सुधार आंदोलन चलाया जाए। इन्होंने निहिलिस्ट आंदोलन आरंभ किया तथा ये निहिलिस्ट के नाम से जाने जाते थे। ये निहिलिस्ट स्थापित व्यवस्था को आतंक का सहारा लेकर समाप्त करना चाहते थे। 1881 में जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या निहिलिस्टों ने कर दी।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
समाजवादी दर्शन क्या है ?
उत्तर-
समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। समाजवादी शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहते हैं। समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।

प्रश्न 2.
रॉबर्ट ओवेन का संक्षिप्त परिचय दें?
उत्तर-
इंगलैंड में समाजवाद का प्रवर्तक रॉबर्ट ओवेन को माना जाता है। इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप श्रमिकों के शोषण को रोकने हेतु ओवेन ने एक आदेश समाज की स्थापना का प्रयास किया। उसके स्कॉटलैंड को न्यू लूनार्क नामक स्थान पर एक आदर्श कारखाना और मजदूरों के आवास की व्यवस्था की। इसमें श्रमिकों को अच्छा भोजन, आवास और उचित मजदूरी देने की व्यवस्था की गयी। श्रमिकों की शिक्षा, चिकित्सा की भी व्यवस्था की गई। साथ ही काम के घंटे घटाए गए और बल मजदूरी समाप्त की गयी। ओवेन के इस प्रयास से मुनाफा में वृद्धि हुई इससे वह संतुष्ट हुआ।

प्रश्न 3.
1917 ई० की क्रांति के समय रूस में किस राजवंश का शासन था? इस शासन का स्वरूप क्या था ?
उत्तर-
1917 ई की क्रांति के पूर्व रूस में रोमोनोव वंश का शासन था। इस वंश के शासन का स्वरूप स्वेच्छाचारी राजतंत्र था। इस वंश के शासकों ने स्वेच्छाचारी राजतंत्र की स्थापना की। रूस का सम्राट जार अपने आपको का ईश्वर का प्रतिनिधि समझता था। वह सर्वशक्तिशाली था। राज्य की सारी शक्तियाँ उसी के हाथों में केन्द्रित थी। उसकी सत्ता पर किसी का नियंत्रण नहीं था। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। प्रजा जार और उसके अधिकारियों से भयभीत और त्रस्त रहती थी।

प्रश्न 4.
निहिलिज्म से आप क्या समझते हैं ? रूस पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
रूसी नागरिकों का एक वर्ग ऐसा था जो चाहता था कि रूस में सुधार आन्दोलन जार के द्वारा किए जाएँ। जार एलेक्जेंडर द्वितीय ने कई सुधार कार्यक्रम भी चलाए, परंतु इससे सुधारवादी संतुष्ट नहीं हुए। इनमें से कुछ ने निहिलिस्ट आंदोलन आरंभ किया। ये निहिलस्ट के नाम से जाने जाते थे। ये स्थापित व्यवस्था को आतंक का सहारा लेकर समाप्त करना चाहते थे। 1881 में जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या निहिलस्टों ने कर दी। इन निहिलिस्टो के विचारों से प्रभावित होकर क्रांतिकारी जारशाही के विरुद्ध एकजुट होने लगे।

प्रश्न 5.
बौद्धिक जागरण ने रूसी क्रांति को किस प्रकार प्रभावित किया ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रूस में बौद्धिक जागरण हुआ जिसने लोगों को निरंकुश राजतंत्र के विरुद्ध बगावत करने की प्रेरणा दी। अनेक विख्यात लेखकों और बुद्धिजीवियों लियो टॉलस्टाय, ईरान तुर्गनेव, फ्योदोर दोस्तोवस्की, मैक्सिम गोर्की ने अपनी रचनाओं द्वारा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था का विरोध कर एक नए प्रगतिशील समाज के निर्माण का आह्वान किया। रूसी लोग विशेषतः किसान और मजदूर, कार्ल मार्क्स के दर्शन से गहरे रूप से प्रभावित हुए। वे शोषण और अत्याचार विरुद्ध संघर्ष करने को तत्पर हो गए।

प्रश्न 6.
मेन्शिविकों और बोल्शेविको के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से रूस में राजनीतिक दलों का उत्कर्ष हुआ। कार्ल मार्क्स के एक प्रशंसक और समर्थक लेखानीव ने 1883 में रूसी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। इस दल ने मजदूरों को संघर्ष के लिए संगठित करना आरंभ किया। 1903 में संगठनात्मक मुद्दों को लेकर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी दो दलों में विभक्त हो गया। मेन्शेविक (अल्पमत वाले) तथा वोल्शेविक (बहुमत वाले) मेन्शेविक संवैधानिक रूप से देश में राजनीतिक परिवर्तन चाहते थे तथा मध्यवर्गीय क्रांति के समर्थक थे। परंतु बोल्शेविक इसे असंभव मानते थे तथा क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाना चाहते थे जिसमें मजदूरों की विशेष भूमिका हो।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 7.
रूस में प्रति-क्रांति क्यों हुई ? बोल्शेविक सरकार ने इसका सामना कैसे किया ?
उत्तर-
बोल्शेविक क्रांति की नीतियों से वैसे लोग व्यग्र हो गए जिनकी संपत्ति और अधिकारों को नई सरकार ने छीन लिया था। अतः सामंत, पादरी, पूँजीपति नौकरशाह सरकार के विरोधी बन गए। वे सरकार का तख्ता पलटने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें विदेशी सहायता भी प्राप्त थी। लेनिन ने प्रति क्रांतिकारियों का कठोरतापूर्वक दमन करने का निश्चय किया। इसके लिए चेका नामक विशेष पुलिस दस्ता का गठन किया गया। इसने निर्मतापूर्वक हजारों षड्यंत्रकारियों को मौत के घाट उतार दिया। चेका के लाल आतंक ने षड्यंत्रकारियों की कमर तोड़ दी।

प्रश्न 8.
कौमिण्टर्न की स्थापना क्यों की गई? इसका क्या महत्व था ?
उत्तर-
मार्क्सवाद का प्रचार करने एवं विश्व के सभी मजदूरों को संगठित करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों के साम्यवादी दलों के प्रतिनिधि मास्को में एकत्रित हुए। सभी देशों की साम्यवादी पार्टियों का एक संघ बनाया गया जो कोमिण्टर्न कहलाया। इसका मुख्य कार्य विश्व में क्रांति का प्रचार करना एवं साम्यवादियों की सहायता करना था। कौमिण्टर्न का नेतृत्व रूस के साम्यवादी दल के पास रहा। लेनिन के इस कार्य से पूँजीवादी देशों में बेचैनी फैल गयी। रूस से मधुर संबंध बनाने को वे बाह्य हो गए। इंगलैंड ने 1921 में रूस से व्यापारिक संधि कर ली। 1924 तक इटली, जर्मनी, इंगलैंड ने रूस की बोल्शेविक सरकार को मान्यता प्रदान कर दी।

प्रश्न 9.
नई आर्थिक नीति (NEP) पर एक टिप्पणी लिखें?
उत्तर-
लेनिन ने 1921 में एक नई आर्थिक नीति (NEP) लागू की। इसके अनुसार सीमित रूप से किसानों और पूँजीपतियों को व्यक्तिगत संपत्ति रखने की अनुमति दी गई। यह नीति कारगर हुई।
खेती की पैदावार बढ़ी तथा उद्योग-धंधों में भी उत्पादन बढ़ा। इससे रूस समृद्धि के मार्ग पर ‘ आगे बढ़ा। नई आर्थिक नीति की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(i) किसानों से अनाज की जबरन उगाही बन्द कर दी गई। अनाज के बदले उन्हें निश्चित कर देने को कहा गया। शेष अनाज का उपयोग किसान अपनी इच्छानुसार कर सकता था।
(ii) सैद्धांतिक रूप से जमीन पर राज्य का अधिकार मानते हुए भी व्यावहारिक रूप से किसानों को जमीन का स्वामित्व दिया गया।

प्रश्न 10.
कम्युनिस्ट इंटरनेशनल का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
कम्युनिस्ट इंटरनेशनल एक संस्था थी जिसकी स्थापना प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 में हुई थी। इस संस्था का उद्देश्य साम्यवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करना था। इसके प्रभाव से अनेक देशों में साम्यवादी संगठनों की स्थापना हुई। साथ ही, अनेक प्रजातंत्रीय देशों में राजनीतिक समानता के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक समानता लाने का भी प्रयास किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के आरंभ होने पर इस संस्था को भंग कर दिया गया।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 11.
‘सोवियत’ से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
रूस में राजनीतिक संगठन के सबसे निचले स्तर पर स्थानीय समितियाँ थी जिन्हें ‘सोवियत’ कहा जाता था। आरंभ में यह मजदूरों के प्रतिनिधियों की परिषद थी जिसकी स्थापना हड़तालों के संचालन के लिए की गई थी, पर शीघ्र ही यह राजनतिक सत्ता का उपकरण बन गई। मजदूरों की भाँति किसानों की परिषदों या सोवियतों का निर्माण हुआ। भी सोवियतों के प्रतिनिधि एक राष्ट्रीय कांग्रेस का संगठन करते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजवाद क उदय और विकास को रेखांकित करें।
उत्तर-
समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का लगातार शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्ग विहीन समाज की स्थापना करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देती है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। अतः समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अन्तर्गत उत्पादन के सभी साधनों, कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।

समाजवादी विचारधारा की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी के प्रबोधन आन्दोलन के दार्शनिकों के लेखों में ढूँढे जा सकते हैं। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी थे, जिनमें सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए लुई ब्लां तथा रॉबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। समाजवादी आंदोलन और विचारधारा मुख्यतः दो भागों में विभक्त की जा सकती है – (i) आरंभिक समाजवादी अथवा कार्ल मार्क्स के पहले के समाजवादी (ii) कार्ल मार्क्स के बाद के समाजवादी। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी या “स्वप्नदर्शी” (Utopian) समाजवादी कहे गए। वे उच्च और अव्यावहारिक आदर्श से प्रभावित होकर “वर्ग संघर्ष” की नहीं बल्कि “वर्ग समन्वय” की बात करते थे। दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक जो ‘साम्यवादी’ कहलाए ने वर्ग समन्वय के स्थान पर “वर्ग संघर्ष” की बात कही। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे “वैज्ञानिक समाजवाद” कहा जाता है।

19वीं शताब्दी में समाजवादी विचारधारा का तेजी से प्रसार हुआ। फ्रांस में लुई ब्लाँ ने सामाजिक कार्यशालाओं की स्थापना कर पूँजीवाद की बुराइयों को समाप्त करने की बात कही। जर्मनी भी समाजवादी विचारधारा से अपने को अलग नहीं रख सका। रूस में भी समाजवाद ने अपनी जड़ें जमा ली। कार्ल मार्क्स ने आरंभिक समाजवादियों से प्रेरणा लेकर ही नई समाजवादी व्याख्या प्रस्तुत की।

प्रश्न 2.
साम्यवाद के जनक कौन थे ? समाजवाद और साम्यवाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
साम्यवाद के जनक फेडरिक एंगेल्स तथा कार्ल मार्क्स थे। समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समान को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का लगातार शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्ग विहीन समाज की स्थापना करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। अतः समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है। आरंभिक समाजवादियों में सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लां तथा रॉबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी या स्वप्नदर्शी थे। वे उच्च और अव्यवहारिक आदर्श से प्रभावित होकर ‘वर्ग संघर्ष’ की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय’ की बात करते थे।

दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक साम्यवादी कहलाए जो वर्ग समन्वय के स्थान पर “वर्ग संघर्ष” की बात की। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे “वैज्ञानिक समाजवाद” कहा जाता है। मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो अथवा साम्यवादी घोषणापत्र प्रकाशित किया। मार्क्स ने पूंजीवाद की घोर भर्त्सना की ओर श्रमिकों ने हक की बात उठाई। मजदूरों को अपने हक के लिए लड़ने को उसने उत्प्रेरित किया। मार्क्स ने अपनी विख्यात पुस्तक दास कैपिटल का प्रकाशन 1867 में किया जिले “समाजवादियों का बाइबिल” कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद के नाम से विख्यात हुआ। मार्क्स का मानना था कि मानव ‘इतिहास वर्ग संघर्ष’ का इतिहास है। इतिहास उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण के लिए दो वर्गों में चल रहे निरंतर संघर्ष की कहानी है।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

प्रश्न 3.
1917 की रूसी क्रांति के प्रमुख कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
बीसवीं शताब्दी के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रूस की क्रांति थी। इस क्रांति ने रूस के सम्राट जार के एकतंत्रीय निरंकुश शासन का अंत कर मात्र लोकतंत्र की स्थापना का ही प्रयत्न नहीं किया अपितु सामाजिक आर्थिक और व्यवसायिक क्षेत्रों में कुलीनों पूँजीपतियों और जमींदारों की शक्ति का अंत किया तथा मजदूरों और किसानों की सत्ता को स्थापित किया। इस क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासनः- 1917 से पूर्व रूस में रोमनोव राजवंश का शासन था। इस समय रूस के सम्राट की जार कहा जाता था। जार निकोलस-II जिसके शासनकाल में क्रांति हुई राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। उसे प्रजा के सुखः-दुख के प्रति कोई चिन्ता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही बनायी थी वह अस्थिर जड़ और अकुशल थी।

(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति- रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषक ही थे, परन्तु उनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। 1861 ई. में जार एलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी, परन्तु इससे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। खेत छोटे थे जिनपर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। पूँजी का अभाव तथा करों के बोझ के कारण किसानों के पास क्रान्ति के सिवाय कोई विकल्प नहीं था।

(iii) औद्योगिकरण की समस्या – रूसी औद्योगीकरण पश्चिमी पूँजीवादी औद्योगीकरण से भिन्न था। यहाँ कुछ ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उद्योगों का संकेद्रण था। यहाँ राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था। अतः उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ गई थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे। अतः चारो ओर असंतोष व्याप्त था।

(iv) रूसीकरण की नीति- सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओं का देश था। यहाँ मुख्य रूप से स्लाव जाति के लोग रहते थे। इनके अतिरिक्त किन पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के भी लोग थे। रूस का अल्पसंख्यक समूह जार निकोलस-II द्वारा जारी की गई समीकरण की नीति से परेशान था। इसके अनुसार जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। 1863 में इस नीति के विरुद्ध पोोले ने विद्रोह किया जिसे निर्दयतापूर्वक दबा दिया गया लेकिन रूसी राजतंत्र के विरुद्ध उनका आक्रोश बढ़ता गया।

(v) विदेशी घटनाओं का प्रभाव- रूस की क्रांति में विदेशी घटनाओं की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण थी। सर्वप्रथम क्रीमिया के युद्ध 1854-56 में रूस की पराजय ने उस देश में सुधारों का युग आरम्भ किया। तत्पश्चात 1904-05 के रूस-जापान युद्ध ने रूस में पहली क्रांति को जन्म दिया और अंततः प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने बोल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

(vi) बौद्धिक कारण- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रूस में बौद्धिक जागरण हुआ.जिसने लोगों को निरंकुश राजतंत्र के विरूद्ध बगावत करने की प्रेरणा दी। अनेक विख्यात लेखकों एवं बुद्धिजीवियों लियो टॉल्सटाय, तुर्गनेव फ्योदोर दोस्तोवस्की, मैक्सिम गार्की ने अपनी रचनाओं द्वारा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था का विरोध कर एक नए प्रगतिशील समान के निर्माण का आह्वान किया। रूसी लोग विशेषतः किसान और मजदूर कार्ल मार्क्स के दर्शन सभी गहरे रूप से प्रभावित हुए। साम्यवादी घोषणा-पत्र और दास कैपिटल द्वारा मार्क्स ने सामाजिक विचारधारा और वर्ग-संघर्ष के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। मार्क्स के विचारों से श्रमिक वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ और वे शोषण और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने को तत्पर हो गए।

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

Bihar Board Class 10 History समाजवाद एवं साम्यवाद Notes

  • समाजवादी भावना का उदय मूलत: 18वों शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप हुआ था।
  • ऐतिहासिक दृष्टि से आधुनिक समाजवाद का विभाजन दो चरणों में किया जा सकता है- मार्क्स से पूर्व का समाजवाद एवं मार्क्स के बाद का समाजवाद।
  • मार्क्सवादी विचारकों ने इन्हें क्रमशः यूटोपियन एवं वैज्ञानिक समाजवाद का नाम दिया।
  • अधिकतर यूटोपियन विचारक फ्रांसीसी थे जो क्रांति के बदले शांतिपूर्ण परिवर्तन में विश्वास रखते थे। अर्थात् वे वर्ग संघर्ष के बदले वर्ग समन्वय के हिमायती थे।
  • प्रमुख यूटोपियन समाजवादी थे लुई-जलां, रॉबर्ट ओवन, चार्ल्स फौरियर इत्यादि।
  • कार्ल मार्क्स का जन्म 3 मई, 1818 ई. को जर्मनी के राइन प्रांत के टियर नगर में हुआ।
  • 1917 में रूस में बोल्शेविक क्रांति हुई, उस समय रूस का शासक जार निकोलस द्वितीय था।
  • 9 जनवरी, 1905 को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन जार की सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये।
  • लेनिन ने 1921 ई. NEP (नई आर्थिक नीति) की घोषणा की थी।
  • औद्योगिक क्रांति सबसे पहले इंगलैंड में हुई थी जिसके द्वारा समाज में पूँजीपति वर्ग एवं मजदूर वर्ग का उदय हुआ।
  • समाजवाद शब्द का पहला प्रयोग 1827 में हुआ।
  • सेंट साइमन (फ्रांस के) रॉबर्ट ओवेन (इंगलैंड के) आरंभिक समाजवादी थे जो आदर्शवादी थे। इसलिए उन्हें “स्वप्नदर्शी समाजवादी” (Utopian Socialists) कहा जाता है। * चार्टिस्ट आंदोलन ब्रिटेन में हुआ था।
  • कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी के राइन प्रांत के टियर नगर में एक यहूदी परिवार में 5 मई, 1818 को हुआ था।
  • 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो (CommunistManifesto) । अथवा साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया।
  • मार्क्स ने अपनी विख्यात पुस्तक दास कैपिटल का प्रकाशन 1867 में किया। इसे ‘समाजवादियों का बाइबिल’ कहा जाता है।
  • लंदन में 1864 में मार्क्स के प्रयासों से प्रथम इंटरनेशनल (अंतर्राष्ट्रीय संघ) की स्थापना हुई।
  • 1889 में पेरिस में द्वितीय इंटरनेशनल की बैठक हुई।
  • ‘चेका’ गुप्त पुलिस संगठन था।
  • ट्रॉटस्की के नेतृत्व में एक विशाल लाल सेना’ गठित की गई।
  • लेनिन ने 1921 ई. में एक नई आर्थिक नीति (NEP) लागू की। .
  • सोवियत संघ का विघटन दिसम्बर, 1991 ई० में हुआ।
  • लेनिन ने 1919 में मास्को में थर्ड इंटरनेशनल की स्थापना की।
  • शीतयुद्ध पूँजीवादी गुट का नेता संयुक्त राज्य अमेरिका तथा साम्यवादी गुट का नेता सोवियत संघ के बीच हुआ था।

Leave a Comment

error: Content is protected !!