Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास
Bihar Board Class 11 Geography पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Text Book Questions and Answers
(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या पृथ्वी की आयु को प्रदर्शित करती है?
(क) 46 लाख वर्ष
(ख) 4600 मिलियन वर्ष
(ग) 13.7 अरब वर्ष
(घ) 13.7 खरब वर्ष उत्तर
उत्तर:
(ख) 4600 मिलियन वर्ष
प्रश्न 2.
निम्न में कौन-सी अवधि सबसे लम्बी है ………………..
(क) इओन (Eons)
(ख) कल्प (Period)
(ग) महाकल्प (Era)
(घ) युग (Epoch)
उत्तर:
(क) इओन (Eons)
प्रश्न 3.
निम्न में कौन सा-तत्त्व वर्तमान वायुमण्डल के निर्माण व संशोधन में सहायक नहीं है?
(क) सौर पवन
(ख) गैस उत्सर्जन
(ग) विभेदन
(घ) प्रकाश संश्लेषण
उत्तर:
(क) सौर पवन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से भीतरी ग्रह कौन से हैं …………………
(क) पृथ्वी व सूर्य के बीच पाए जाने वाले ग्रह।
(ख) सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह।
(ग) वे ग्रह जो गैसीय हैं।
(घ) बिना उपग्रह वाले ग्रह।
उत्तर:
(ख) सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के बीच पाए जाने वाले ग्रह।
प्रश्न 5.
पृथ्वी पर जीवन निम्नलिखित में से लगभग कितने वर्षों पहले आरम्भ हुआ।
(क) 1 अरब 37 करोड़ वर्ष पहले
(ख) 460 करोड़ वर्ष पहले
(ग) 38 लाख वर्ष पहले
(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले।
उत्तर:
(घ) 3 अरब, 80 करोड़ वर्ष पहले।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
पार्थिव ग्रह चट्टानी क्यों हैं?
उत्तर:
ये ग्रह पृथ्वी की भाँति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं। पार्थिव ग्रह जनक तारे के बहुत नजदीक होने के कारण और अत्यधिक तापमान के कारण इनकी गैसें संघनित नहीं हो पाई और घनीभूत भी न हो सकी। ये ग्रह छोटे होने के कारण उनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी कम रही जिसके फलस्वरूप इनसे निकली हुई गैस इन पर रुकी नहीं रह सकी।
प्रश्न 2.
पृथ्वी की उत्पत्ति संबंधित दिये गए तर्कों में निम्न वैज्ञानिकों के मूलभूत अंतर बताएँ –
(क) कान्ट व लाप्लेस
(ख) चैम्बरलेन व मोल्टेन
उत्तर:
(क) कान्ट व लाप्लेस की परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ जो कि सूर्य की युवा अवस्था से संबद्ध थे।
(ख) चैम्बरलेन व मोल्टेन ने कहा कि ब्रह्मांड में एक अन्य भ्रमणशील तारा सूर्य के पास से गुजरा। इसके परिणामस्वरूप तारे के गुरुत्वाकर्षण से सूर्य-सतह से सिगार के आकार का कुछ पदार्थ निकलकर अलग हो गया। यह पदार्थ सूर्य के चारों तरफ घूमने लगा और यहीं पर धीरे-धीरे संघनित होकर ग्रहों के रूप में परिवर्तित हो गया।
प्रश्न 3.
विभेदन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की उत्पत्ति के दौरान और उत्पत्ति के तुरंत बाद अत्यधिक ताप के कारण, पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण ही हल्के और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के कारण अलग होना शुरू हो गए । इसी अलगाव से भारी पदार्थ (जैसे लोहा), पृथ्वी के केन्द्र में चले गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गए। समय के साथ यह और ठंडे हुए और ठोस रूप में परिवर्तित होकर छोटे आकार के हो गए। अंततोगत्वा यह पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गए। हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक होने की इस प्रक्रिया को विभेदन (Differentiation) कहा जाता है।
प्रश्न 4.
प्रारंभिक काल में पृथ्वी के धरातल का स्वरूप क्या था?
उत्तर:
प्रारंभ में पृथ्वी, चट्टानी गर्म और वीरान ग्रह थी जिसका वायुमण्डल विरल था जो हाइड्रोजन व हीलीयम से बना था।
प्रश्न 5.
पृथ्वी के वायुमंडल को निर्मित करने वाली प्रारम्भिक गैसें कौन-सी थीं?
उत्तर:
हाइड्रोजन व हीलीयम।
(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
बिग बैंग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्न अवस्थाओं में हुआ है –
1. आरम्भ में वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्मांड बना है, अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे। जिसका आयतन अत्यधिक सक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था ।
2. बिग बैंग की प्रक्रिया में इस अति छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ। इस प्रकार की , विस्फोट प्रक्रिया से वृहत् विस्तार हुआ । वैज्ञानिकों का विश्वास है कि बिग बैंग की घटना आज
से 13.7 अरब वर्षों पहले हुई थी। ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई। विस्फोट (Bang) के बाद एक सेकेंड के अल्पांश के अंतर्गत ही वृहत् विस्तार हुआ। इसके बाद विस्तार की गति धीमी पड़ गई। बिग बैंग होने के आरम्भिक तीन मिनट के अंतर्गत ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ।
3. बिग बैंग के कारण 3 लाख वर्षों के दौरान, तापमान 4500° केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया। ब्रह्मांड के विस्तार का अर्थ है आकाशगंगाओं के बीच की दूरी में विस्तार का होना। हॉयल (Hoyle) ने इसका विकल्प ‘स्थिर अवस्था संकल्पना’ (Steady State Concept) के नाम से प्रस्तुत किया । इस संकल्पना के अनुसार ब्रह्मांड किसी भी समय में एक ही जैसा रहा हैं। यद्यपि ब्रह्मांड के विस्तार संबंधी अनेक प्रमाणों के मिलने पर वैज्ञानिक समुदाय अब ब्रह्मांड विस्तार सिद्धांत के ही पक्षधर हैं।
प्रश्न 2.
पृथ्वी के विकास संबंधी अवस्थाओं को बताते हुए हर अवस्था या चरण को संक्षेप में वर्णित करें।
उत्तर:
पृथ्वी की संरचना परतदार है । वायुमण्डल के बाहरी छोर से पृथ्वी के क्रोड तक जो पदार्थ हैं वे एक समान नहीं हैं। वायुमंडलीय पदार्थ का घनत्व सबसे कम है। पृथ्वी की सतह से इसके भीतरी भाग तक अनेक मंडल हैं और हर एक भाग के पदार्थ की अलग विशेषताएँ हैं। उल्काओं के अध्ययन से हमें इस बात का पता चलता है कि बहुत से ग्रहाणुओं के इकट्ठा होने से ग्रह बने हैं, पृथ्वी की रचना भी इसी प्रक्रम के अनुरूप हुई है। जब पदार्थ गुरुत्वबल के कारण संहत हो रहा था, तो इन इकट्ठा होते पिंडों ने पदार्थ को प्रभावित किया । इससे अत्यधिक ऊष्मा उत्पन्न हुई। यह क्रिया जारी रही और उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने लगा।
ऐसा पृथ्वी की उत्पत्ति के समय और उत्पत्ति के तुरंत बाद में हआ। अधिकता के कारण हल्के और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के कारण अलग होना शुरू हो गए । इसी अलगाव से भारी पदार्थ (जैसे लोहा), पृथ्वी के केन्द्र में चले गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गए तथा पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गए। चंद्रमा की उत्पत्ति के समय, भीषण संघट्ट (Giant impact) के कारण, पृथ्वी का तापमान पुन: बढ़ा या फिर ऊर्जा उत्पन्न हुई और यह विभेदन का दूसरा चरण था।
विभेदन की इस प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में अलग हो गया जैसे-पर्पटी (Crust) प्रवार (Mantle), बाह्य क्रोड (Outer core) और आंतरिक क्रोड (Inner core) वर्तमान वायुमंडल के विकास की तीन अवस्थाएँ हैं। इसकी पहली अवस्था में आदिकालिक वायुमंडलीय गैसों का हास है। दूसरी अवस्था में, पृथ्वी के भीतर से निकली भाप एवं जलवाष्प ने वायुमंडल की संरचना को जैव प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (Photo-synthesis) ने संशोधित किया। ऐसा माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पहले आरंभ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भू-वैज्ञानिक काल मापक्रम से ज्ञात किया जा सकता है।
Bihar Board Class 11 Geography पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
एक भारतीय वैज्ञानिक का नाम बातइए जिसने सूर्य-केन्द्रित परिकल्पना प्रस्तुत की।
उत्तर:
आर्यभट्ट
प्रश्न 2.
सूर्य केन्द्रित सौर मण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
सौर मण्डल जिसका केन्द्र सूर्य है, सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
प्रश्न 3.
भू-केन्द्रित परिकल्पना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इससे अभिप्राय है कि पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र था तथा सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह, आदि पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं।
प्रश्न 4.
ऐसे दार्शनिक का नाम बताओं जिसके अनुसार पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र थी।
उत्तर:
यूनानी दार्शनिक अरस्तू
प्रश्न 5.
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का स्रोत क्या है ?
उत्तर:
संश्लेषण क्रिया से महासागरों में ऑक्सीजन का बढ़ना।
प्रश्न 6.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
लगभग 4.44 अरब वर्ष पूर्व।
प्रश्न 7.
The Big Splat से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक बड़े पिण्ड का पृथ्वी से टकराना।
प्रश्न 8.
बाहरी ग्रह कौन-से हैं ?
उत्तर:
वृहस्पति, शनि, अरुण, कुबेर।
प्रश्न 9.
आन्तरिक ग्रह कौन-से हैं ?
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल।
प्रश्न 10.
तारों का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले।
प्रश्न 11.
प्रकाश वर्ष में प्रकाश कितनी दूरी तय करता है?
उत्तर:
9.461 x 1012 किमी।
प्रश्न 12.
आधुनिक समय में सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-सा है?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त (विस्तृत ब्रह्माण्ड परिकल्पना)।
प्रश्न 13.
जींस और जैफरी का कौन-सा सिद्धान्त है?
उत्तर:
द्वैतारिक सिद्धान्त।
प्रश्न 14.
1950 ई० में रूस के किस वैज्ञानिक ने नीहारिका परिकल्पना में संशोधन किया?
उत्तर:
ओटो शिमिड ने।
प्रश्न 15.
अभिनव तारे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूर्य की अपेक्षा लाखों गुणा अधिक प्रकाशमय तारा।
प्रश्न 16.
सूर्य से बाहर निकले जीह्वाकार पदार्थ का क्या आकार है?
उत्तर:
सिगार के आकार का।
प्रश्न 17.
किस वैज्ञानिक ने संघट्ट परिकल्पना प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जेम्स जीन्स तथा जेफ्रीज ने।
प्रश्न 18.
किस दार्शनिक ने नीहारिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जर्मनी के दार्शनिक एमैनुल कान्त ने।
प्रश्न 19.
उस अद्वितीय ग्रह का नाम लिखें जहाँ जीवन मौजूद है।
उत्तर:
पृथ्वी।
प्रश्न 20.
बाह्य ग्रहों के नाम लिखें।
उत्तर:
वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, कुबेर।
प्रश्न 21.
आन्तरिक ग्रहों के नाम लिखें।
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल ग्रह।
प्रश्न 22.
सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
उत्तर:
9
प्रश्न 23.
पृथ्वी के वायुमण्डल को निर्मित करने वाली प्रारम्भिक गैसें कौन सी थीं।
उत्तर:
पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान, पृथ्वी के अंदरुनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले । इसी से आज के वायुमंडल का उद्भव हुआ। आरम्भ में वायुमण्डल में जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन व अमोनिया अधिक मात्रा में और स्वतंत्र ऑक्सीजन बहुत कम थी। वह प्रक्रिया जिससे पृथ्वी के भीतरी भाग से गैसें धरती पर आई, इसे गैस उत्सर्जन (Degassir.g) कहा जाता है।
प्रश्न 24.
वर्तमान वायुमण्डल के विकास की अवस्थाएँ बताएँ।
उत्तर:
वर्तमान वायुमण्डल के विकास की तीन अवस्थाएँ हैं –
- इसकी पहली अवस्था में आदिकालिक वायुमण्डलीय गैसों का न रहना है।
- दुसरी अवस्था में पृथ्वी के भीतर से निकली भाप एवं जलवाष्प ने वायुमण्डल के विकास में सहयोग किया।
- अन्त में वायुमण्डल की संरचना को जैव मण्डल की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (Photosynthesis) ने संशोधित किया।
प्रश्न 25.
महासागरों की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
अधिक संघनन के कारण पृथ्वी पर अत्यधिक वर्षा हुइ। पृथ्वी के धरातल पर वर्षा का जल गर्तों में इकट्ठा होने लगा जिससे महासागर बने । महासागर पृथ्वी की उत्पत्ति से 50 करोड़ सालों के अन्तर्गत बने । इससे पता चलता है कि महासागर 400 करोड़ साल पुराने हैं।
प्रश्न 26.
सौरमंडल क्या है? इसकी रचना कब हुई?
उत्तर:
हमारे सौरमण्डल में नौ ग्रह हैं। जिस नीहारिका को सौर मण्डल का जनक माना जाता है उसके ध्वस्त होने व क्रोड के बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्ष पहले हुई व ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 अरब वर्ष पहले बने । हमारे सौर मण्डल में सूर्य (तारा), 9 ग्रह, 63 उपग्रह, लाखों छोटे पिण्ड जैसे क्षुद्र ग्रह (ग्रहों के टुकड़े) (Asterodis), धूमकेतु (Comets) एवं वृहत् मात्रा में धूलकण व गैसें हैं।
प्रश्न 27.
प्रकाश वर्ष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रकाश वर्ष (Light Year) समय का नहीं वरन् दूरी का माप है। प्रकाश की गति 3 लाख कि० मी० प्रति सेकण्ड है। विचारणीय है कि एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा. वह एक प्रकाश वर्ष होगा। वह 9.461 x 1012 किमी के बराबर है। पृथ्वी व सूर्य की औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख, 98 हजार किलोमीटर है। प्रकाश वर्षको सन्दर्भ में यह प्रकाश वर्ष का केवल 8.311 मिनट है।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
आन्तरिक तथा बाहरी ग्रहों की तुलना करें।
उत्तर:
इन नौग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह (Inner Planets) कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य व छुद्रग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं। अन्य पाँच ग्रह बाहरी ग्रह (Outer Planets) कहलाते हैं। पहले चार ग्रह पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहे जाते हैं। इसका अर्थ है कि ये ग्रह पृथ्वी की भाँति ही शैलों और धातुओं से बने हैं अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं। अन्य पाँच ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन (Jovian) ग्रह कहलाते हैं। जोवियन का अर्थ है बृहस्पति (Jupiter) की तरह । इनमें से अधिकतर पार्थिव ग्रहों से विशाल हैं और हाइड्रोजन व हीलियम से बना सघन वायुमण्डल युक्त हैं। सभी ग्रहों का निर्माण लगभग 4.6 अरब साल पहले एक ही समय में हुआ।
प्रश्न 2.
चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत करें।
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी की तरह चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत किए गए हैं।
1. सन् 1883 ई० में सर जार्ज डार्विन (Sir George Darwin) ने सझाया कि प्रारम्भ में पृथ्वी व चन्द्रमा तेजी से घूमते एक ही पण्डि थे। यह परा पिण्ड डंबल (बीच से पतला व किनारों से मोटा) की अकृति में परिवर्तित हुआ और अंततोगत्वा टूट गया। उनके अनुसार चन्द्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ जहाँ आज प्रशांत महासागर एक गर्त के रूप में मौजूद हैं।
2. यद्यपि वर्तमान समय के वैज्ञानिक इनमें से किसी भी व्याख्या को स्वीकार नहीं करते। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव (giant impact) का नतीजा है जिसे द बिग स्पलैट (The big splat) कहा गया है। ऐसा मानना है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह के 1 से 3 गुणा बड़े आकार का पिण्ड पृथ्वी से टकराया। इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया । टकराव से अलग हुआ यह पदार्थ फिर पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा और क्रमशः आज का चन्द्रमा बना। यह घटना या चन्द्रमा की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्षों पहले हई।
प्रश्न 3.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक सतह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। पुनः बनने में सक्षम था) और निर्जीव पदार्थों को जीवित तत्त्व में परिवर्तित कर सका । हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं।
300 करोड़ साल पुरानी भूगर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्मदर्शी संरचना आज की शैवाल (Blue green algae) की संरचना से मिलती जुलती है। यह कल्पना की जा सकती है कि इससे पहले समय में साधारण संरचना वाली शैवाल रही होगी। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पहले आरम्भ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सारा भवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 4.
ओटोशिमिड द्वारा संशोधित सिद्धान्त पर नोट लिखें।
उत्तर:
1950 ई० में रूस के ऑटो शिमिड (Otto schmidt) व जर्मनी ने कार्ल वाइजास्कर (Carml weizascar) ने नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) में कुछ संशोधन किया, जिसमें नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूलकणों की बनी थी। इन कणों के घर्षण व टकराने (Collusion) से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि (Acceretion) प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ।
प्रश्न 5.
ग्रहों का सूर्य से दूरी, घनत्व तथा अर्द्धव्यासकी दृष्टि से तुलनात्मक वर्णन करें।
उत्तर:
दूरियाँ खगोलीय एकक में हैं। अर्थात् अगर पृथ्वी की मध्यम दूरी 14 करोड़ 95 लाख 98 हजार किमी एक एकक के बराबर है तो बाकी ग्रहों की सूर्य से दूरी ………………..।
@ घनत्व ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर (gm/cm3)
# अर्द्धव्यास : अगर भूमध्यसागर अर्द्धव्यास 6378.137 किमी = 1 है तो ……………….
प्रश्न 6.
तारों के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर:
तारों का निर्माण-प्रारम्भिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरम्भिक भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बलों में भिन्नता आई, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ का एकत्रण हुआ। यह एकत्रण आकाशगंगाओं के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है। आकाशगंगाओं का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हजारों प्रकाश वर्षों में (Light years) मापी जाती है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हजार से 1 लाख 50 हजार वर्ष के बीच हो सकता है।
एक आकशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका (Nebula) कहा गया । क्रमशः इस बढ़ती हुई नीहारिका में गैस के झुण्ड विकसित हुए। ये झुण्ड बढ़ते-बढ़ते घने गैसीय पिण्ड बने जिनसे तारों का निर्माण आरम्भ हुआ। ऐसा विश्वास किया जाता है कि तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले हुआ।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें –
(i) नीहारिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
धीमी गति से चक्राकार घूमते गैस के बादल को नीहारिका कहते हैं। इसमें गर्म गैसीय पदार्थ तथा धूल गैस के बादल होते हैं।
(ii) ग्रहाणु क्या हैं?
उत्तर:
सूर्य तथा गुजरते तारे के टकराव के कारण गैसीय पदार्थ एक फिलामेंट के रूप में पूर्व-स्थित सूर्य से निकल कर बाहर आ गया। यह जिह्वा आकार के पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गए। ये टुकड़े ठंडे पिंडों के रूप में उड़ते सूर्य के चारें ओर कक्षाओं में घूमने लगे इन्हें ग्रहाणु (Planetesimals) कहते हैं ।
(iii) सर्वप्रथम किसने नीहारिका परिकल्पना को प्रस्तावित किया?
उत्तर:
नीहारिका परिकल्पना सर्वप्रथम जर्मनी के दार्शनिक एमैनुल कांट ने 1755 में प्रस्तुत की।
(iv) आदि तारा (प्रोटोस्टार) क्या है?
उत्तर:
गर्म गैसों के बादल से बनी नीहारिका में विस्फोट से अभिनव तारे की उत्पत्ति हुई। इसके सघन भाग अपने ही गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से विखण्डित हो गए। सघन क्रोड विशाल तथा अधिक गर्म हो गया। इसे आदि तारा (Proto Star) कहते हैं जो अन्त में सूर्य बन गया ।
प्रश्न 8.
पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धि दिए गए तर्कों में निम्न वैज्ञानिक के मूलभूत अन्तर बताइए – (क) कान्त व लाप्लेस (ख) चैम्बरलेन व मोल्टन।
उत्तर:
कान्त व लाप्लेस के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल (नीहारिका) से हुई परन्तु चैम्बरलेन व मोल्टन के अनुसार द्वैतारक सिद्धान्त के अनुसार एक भ्रमणशील तारे के सूर्य से टकराने से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित किसी एक सिद्धांत का वर्णन करें।
उत्तर:
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित सन् 1755 में जर्मन दार्शनिक एमैनुल काण्ट ने यह परिकल्पना की कि धीमी गति से चक्राकार घूमते गैस के बादल, जिन्हें निहारिका कहा गया अनेक पृथक-पृथक गोलाकार पिण्डों में निर्दिष्ट तरीके से संघनित हुए हैं। सन् 1796 में फ्रांसिसी लाप्लास ने लगभग इसी प्रकार के सिद्धान्त का प्रस्ताव दिया । काण्ट एवं लाप्लास के अनुसार गैस का मूल पिंड ठंढा होकर सिकुड़ने लगा । कोपीय संवेग के संरक्षण नियमानुसार इसके घूर्णन गति में वृद्धि हुई। इस प्रकार केन्द्रीय गैस पिंड से गैसीय पदार्थों के क्रमिक छल्ले अपकेन्द्रीय बल द्वारा अलग होते हैं। अंतिम चरण में छल्ले संघनित होकर ग्रहों में बदल गये। अर्थात् काण्ट लाप्लास ने पृथ्वी के उत्पत्ति के सम्बन्ध में जो सिद्धान्त दिये हैं निहारिका सिद्धांत (Nebular Hybothesis) कहलाता है। यह एक तारक सिद्धांत ग्रहों की उत्पत्ति को समझाने का प्रयत्न करते हैं। निहारिका सिद्धांत गरुत्वाकर्षण पर आधारित है।
काण्ट एवं लाप्लास का निहारिका सिद्धांत –
- काण्ट के अनुसार आदि पदार्थ अन्तरिक्ष में बिखरा पड़ा था।
- इस आदि पदार्थ का जन्म परा प्रकृति से हुआ था।
- अन्तरीक्ष में धीमी गति से चक्राकार घूमते गैस के बादल को निहारिका (Nebula) कहा गया है।
- प्रारंभ में यह पदार्थ ठंढा तथा गतिहीन था, परन्तु यह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण गर्म गतिशील हो गया। फ्रांसीसी गणितज्ञ लाप्लास ने भी इसी प्रकार की परिकल्पना 1796 में प्रस्तुत किया।
- कोणीय संवेग के नियमानुसार इस निहारिका की परिभ्रमण गति बढ़ गयी।
- इस प्रभाव के मध्य भाग से लगातार छल्ले (Rings) अलग होने लगे। कलान्तर में छल्ले संघनित होकर ग्रह बन गया। अवशिष्ट भाग सूर्य के रूप में रह गया।
आलोचना –
- यह पहला सिद्धान्त पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित होने के कारण सराहा गया।
- किसी बाह्य शक्ति के बिना गतिहीन निहारिका में गति नहीं उत्पन्न हो सकती।
- इस आलोचना के बावजूद काण्ट ने कहा “मुझे पर्याप्त पदार्थ राशि दो जिससे इस ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है तो मैं एक नया ब्रह्मांड बना कर दिख सकता हूँ।
प्रश्न 2.
ग्रहों की उत्पत्ति सम्बन्धी नीहारिका परिकल्पना का वर्णन करें।
उत्तर:
नीहारिका परिकल्पना (Nebular Hypothesis)-एक तारक सिद्धान्त ग्रहों की सिद्धान्त है। 1755 में एमैनुल कांत नामक जर्मन दार्शनिक ने एक परिकल्पना प्रस्तुत की। यह परिकल्पना न्यूटन के गुरुत्वाकषर्ण (Newton’s Law of Gravitation) पर आधारित है।
परिकल्पनाकी रूप – रेखा (Qutlines of Hypothesis) –
- कान्ट के अनुसार आदि पदार्थ अन्तरिक्ष में बिखरा हुआ था।
- इस आदि पदार्थ का जन्म परा-प्रकृति से हुआ था।
- आन्तरिक्ष में धीमी गति से चक्राकार घूमते गैस के बादल को नीहारिका (Nebula) कहा गया।
- प्रारम्भ में यह पदार्थ ठंडा तथा गतिहीन था। परन्तु यह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण गर्म तथा गतिशील हो गया । फ्रांसीसी गणितज्ञ लाप्लास ने भी लगभग इसी प्रकार की परिकल्पना 1796 में प्रस्तुत की।
- कोणीस संवेग के नियमानुसार इस नीहारिका की परिभ्रमण गति बढ़ गई तथा विकेन्द्रीय शक्ति भी अधिक हो गई।
- इस प्रभाव के मध्य भाग से लगातार छल्ले (Rings) अलग होने लगे। कालान्तर में छल्ले संघनित होकर ग्रह बन गए । अवशिष्ट भाग सूर्य के रूप में रह गया।
आलोचना (Criticism) –
- यह पहला सिद्धान्त होने के कारण सराहा गया।
- किसी बाह्य शक्ति के बिना गतिहीन नीहारिका में गति उत्पन्न नहीं हो सकती।
- इस आलोचना के बावजूद कान्ट ने कहा मुझे पर्याप्त पदार्थ राशि दो मैं विश्व का निर्माण करके बता दूँगा। (Give me matter and I can create the earth)।
प्रश्न 3.
सौर मण्डल के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सौर मण्डल में कई तारा पुंज या मंदाकिनियां (Galaxies) हैं। पृथ्वी की मंदाकिनी को आकाश गंगा (Milky Way) कहते हैं । पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य तथा अन्य ग्रहों के साथ ही एक समय पर हुई। सौर मण्डल का विकास (Evoluation of Solar System)
सौर मण्डल की उत्पत्ति एक अभिनव तारे (Super Nova) – से हुई। ऐसा होयल ने सुझाव दिया है। पूर्व स्थित गैस के बादल में विस्फोट से अभिनव तारे की उत्पत्ति हुई । एक अभिनव तारा सूर्य की तुलना में कई मिलियन गुणा अधिक प्रकाशमय है। इस अभिनव तारे का तापमान तथा दबाव बहुत अधिक हो गया। इससे आण्विक प्रतिक्रिया (Nuclear Reaction) का आरम्भ हुआ। मेघ में उपस्थित कुछ हाइड्रोजन का संगलन हीलियम में हुआ जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा विमुक्त हुई।
अभिनव तारे में विस्फोट से प्रघाती तरंगें (Shock) – उत्पन्न हुई जिन्होंने मेघ के अधिक सघन भाग को धक्का दिया और इससे वे अपने ही गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से विखंडित हो गए। सघन क्रोड (Dense Core) अधिक बड़ा तथा गर्म होता गया। इसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से अधिक-से-अधिक पदार्थ इसकी ओर आकर्षित हुए। इस प्रक्रिया से गर्म क्रोड आदि तारे (Protostar) के रूप में विकसित हुआ जो कालान्तर में सूर्य बन गया।
गणा तथा दोष (Merits and Demerits) –
- यह परिकल्पना अभिनव तारे में सघन तथा हल्के पदार्थों को होना समझाता है।
- परिभ्रमण गति के बढ़ने से ग्रहों में कोणात्मक गति अधिक है।
- इससे यह समझा जा सकता है कि ग्रहों में 98% भाग ऑक्सीजन एल्यूमीनियम आदि से बना है जबकि केवल 1% भाग हाइड्रोजन तथा हीलियम से बना है।