Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 8 बचपन के दिन Text Book Questions and Answers and Summary.
BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 8 बचपन के दिन
Bihar Board Class 7 Hindi बचपन के दिन Text Book Questions and Answers
पाठ से –
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न –
(अ) भूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था।
(क) बिहार में,
(ख) उड़ीसा में,
(ग) तमिलनाडु में,
(घ) कर्नाटक में।
उत्तर:
(ग) तमिलनाडु में।
(ब) रामानन्द के पिता थे
(क) सरकारी सेवक, (ख) मंदिर के पुजारी, (ग) किसान, (घ) व्यवसायी।
उत्तर:
(ख) मंदिर के पुजारी ।
(स) अब्दुल कलाम के बचपन में कितने पक्के मित्र थे।
(क) दो, (ख) तीन, (ग) चार, (घ) पाँच।
उत्तर:
(ख) तीन ।
प्रश्न 2.
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को शिक्षा ग्रहण करने में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब को जिन-जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा उसमें प्रमुख थे—(i) धर्मवाद (सम्प्रदायवाद), (ii) सम्प्रदायवादी शिक्षक।
प्रश्न 3.
नये शिक्षक के द्वारा डॉ अब्दुल कलाम को उनके मित्र रामानन्द से अलग हटाकर बैठने को कहा गया। शिक्षक के इस व्यवहार पर अपनी राय तर्क सहित दीजिए।
उत्तर:
हमारे राय से शिक्षक का व्यवहार उचित नहीं था। क्योंकि इस प्रकार के व्यवहार वाले शिक्षक स्कूल में बच्चों के बीच साम्प्रदायिकता जातिवाद का विष बोते हैं। विद्यालय में सभी बच्चे बराबर हैं वे छात्र हैं, न कोई छात्र हिन्दू होता है और न मुसलमान न कोई सिख-ईसाई। सभी विद्यार्थी होते हैं। इस प्रकार के उच्च सोच रखने वाले ही शिक्षक योग्य शिक्षक होते हैं।
प्रश्न 4.
रामानन्द के पिता ने दोनों दोस्तों के प्रति भेद-भाव का व्यवहार करने वाले शिक्षक.से क्या कहा और ऐसा उन्होंने क्यों कहा?.
उत्तर:
रामानन्द के पिता ने दोनों दोस्तों के प्रति भेद-भाव का व्यवहार करने वाले शिक्षक से कहा-“उन्हें निर्दोष बच्चों के दिमाग में इस प्रकार की सामाजिक असमानता एवं सांप्रदायिकता का विष नहीं घोलना चाहिए।”
ऐसा उन्होंने इसलिए कहा कि योग्य शिक्षक बच्चों में भेद-भाव उत्पन्न नहीं करते । शिक्षकों को जाति, धर्म, सम्प्रदाय, गरीब-अमीर, ऊंच-नीच आदि भेद-भाव से सदैव अलग रहना चाहिए।
पाठ से आगे –
प्रश्न 1.
डॉ. अब्दुल कलाम के विज्ञान शिक्षक की पत्नी की सोच में क्या परिवर्तन हुआ, इस परिवर्तन के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर:
कलाम साहब के विज्ञान शिक्षक की पत्नी की सोच में परिवर्तन . हुआ। क्योंकि विज्ञान शिक्षक की पत्नी ने कलाम साहब को अपने रसोई में खिलाने से इन्कार कर गई थी। लेकिन बाद में पुनः उन्होंने कलाम को बुलाकर अपने रसोई में अपने हाथ से परोस कर खिलाईं थी । इस परिवर्तन का कारण निम्नलिखित रहे होंगे –
1. विज्ञान शिक्षक अपने श्रीमती जी को साम्प्रदायिक भावनाओं से समाज बँटता है, का ज्ञान दिये होंगे । अर्थात् “मानव को मानव समझो” इत्यादि का पाठ पढ़ाये होंगे।
अथवा
कलाम के विचार-भावनाओं से प्रभावित हुई होगी।
अथवा
दरवाजे पर आये हुए को निराश नहीं करना चाहिए, इत्यादि ।
व्याकरण –
प्रश्न 1.
वाक्य बनाइए –
गली, पाठशाला, शिक्षक, इच्छा, तीव्र।
उत्तर:
गली – यह गली दूर तक जाती है।
पाठशाला – राम की पाठशाला सुन्दर है।
शिक्षक – शिक्षक संस्कृत पढ़ाते हैं।
इच्छा – मानव को इच्छा मंजिल तक पहुँचाती है।
तीव्र – तीव्र धारवाली चाकू दो।
प्रश्न 2.
पर्यायवाची शब्द लिखिएधनी, घर, व्यक्ति, दिन, पत्ली।
उत्तर:
धनी-धनवान, सम्पन्न, सम्पत्तिवान ।
घर – गृह, आवास, भवन, निवास ।
व्यक्ति – आदमी, पुरुष, जन ।
दिन – दिवा, वार, दिवस।
पत्नी – भार्या, अर्धांगिणी, सहगामिनी।
बचपन के दिन Summary in Hindi
सारांश – प्रस्तुत पाठ “बचपन के दिन” भारत के राष्ट्रपति मिसाइल पुरुष ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने अपने बचपन की कुछ बातें बतायी हैं जिसमें तत्कालीन भारतीय समाज की कुछ विशेषताएँ तो कुछ कमजोरियां सामने आई हैं।
कलाम साहब का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम् कस्बे में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाबदीन और माता का नाम आशियम्मा थी। उनके माता पिता साधारण पढ़े-लिखे आदमी थे।
बचपन में कलाम साहब के तीन पक्के दोस्त थे–रामानन्द शास्त्री, अरविंदन और शिव प्रकाशन कलाम साहब टोपी पहनकर जनेऊधारी रामानन्द शास्त्री के साथ आगे बेंच पर बैठते थे। एक दिन एक नये शिक्षक आये। हिन्दू के साथ मुसलमान को बैठना उनको अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कलाम को उठाकर पीछे की बेंच पर बैठा दिया। रामानन्द काफी उदास हो रहा था। छुट्टी के बाद रामानन्द घर जाकर यह कहानी अपने पिता लक्ष्मण शास्त्री जी (जो रामेश्वरम् मंदिर के मुख्य पुजारी थे) से कहा। वे उसी समय नयें शिक्षक महोदय को बुलवाकर कहा-बच्चों के बीच साम्प्रदायिकता और असमानता का विष नहीं घोलना चाहिए शिक्षक महोदय में बदलाव आ गये।
कलाम साहब के प्राथमिक पाठशाला में विज्ञान के शिक्षक शिवं सुब्रह्मण्यम् अय्यर महोदय कट्टर ब्राह्मण होकर भी रूढ़िवादिता से अलग थेउनका विशेष समय कलाम के साथ बीतता था। वे कलाम से कहते थे”कलाम, मैं तुम्हें ऐसा बनाना चाहता हूँ कि तुम बड़े शहरी लोगों के बीच उच्च शिक्षित व्यक्ति के रूप में पहचाने जाओ।”
एक दिन उन्होंने अपने घर खाने पर कलाम साहब को बुलाया। उनकी पत्नी इस बात से परेशान थी कि-एक मुसलमान को भोजन पर आमंत्रित किया गया है। उन्होंने मुझे बाहर ही खाना खिला दिया। पुन: एक सप्ताह के बाद अय्यर साहब ने दोबारा कलाम को खाने पर बलाया तो कलाम साहब की हिचकिचाहट देख अय्यर साहब ने कहा-“इसमें परेशान होने की जरूरत : नहीं है। एक बार जब तुम व्यवस्था बदल डालने का फैसला कर लेते हो तो ऐसी समस्याएँ सामने आती ही हैं।
अगले सप्ताह जब रात्रि भोज में कलाम साहब अय्यर महोदय के घर पहुँचे तो उनकी पत्नी ने रसोईघर में ले जाकर अपने हाथों से रसोई परोस कर खाना खिलाई।
जब कलाम साहब की उम्र 15 साल की थी उनका नामांकन रामनाथपुरम् के श्वार्ट्ज हाई स्कूल में हुआ था। वहाँ एक शिक्षक आया दुरै सोलोमन बड़े स्नेही और खुले दिमाग वाले थे। वे,सदैव छात्रों का उत्साह बढ़ाया करते थे तथा कहा करते थे—“जीवन में सफल होने और परिणाम प्राप्त करने के लिए तुम्हें तीन शक्तिशाली ताकतों को समझना चाहिए. इच्छा, आस्था और उम्मीदें ।” उन्होंने ही कलाम साहब को सिखाया कि जो भी चीज चाहते हो उसके लिए तीव्र कामना होनी चाहिए फिर वह चीज अवश्य मिल जाता है। ‘वे ही कहा करते थे.”निष्ठा एवं विश्वास से तुम अपनी नियति को बदल सकते हो।”