Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 2 जन्तुओं में पोषण Text Book Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 2 जन्तुओं में पोषण
Bihar Board Class 7 Science जन्तुओं में पोषण Text Book Questions and Answers
अभ्यास
प्रश्न 1.
खाली स्थानों को भरिए:
(a) मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि ……………….. है।
(b) मनुष्य में भोजन का पाचन ……………….. में शुरू होकर ……………….. में पूरा होता है।
(c) आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं ……………….. का प्राव होता है जो भोजन क्रिया करते हैं।
(d) मनुष्य में पोषण के मुख्य चरण ……………….. और ……………….. हैं।
(e) अमीबा अपने भोजन को ……………….. की सहायता से ग्रहण करता है।
उत्तर:
(a) यकृत
(b) मुख गुहिका, मलद्वार
(c) श्लेष्मा
(d) मुख गुहिका. ग्रास नली, आमाशय, छोटी आंत और बड़ी आँत ।
प्रश्न 2.
सही विकल्प पर (✓) का चिह्न लगाइए –
(a) कुतरने में सहायता करने वाला दाँत –
(i) कृन्तक
(ii) रदनक
(iii) अग्रचर्वणक
(iv) चर्वणक
उत्तर:
(ii) रदनक
(b) लार, मंड (स्टार्च) को बदलता है –
(i) माल्टाज
(ii) ग्लूकोज
(iii) संलुलांज
(iv) लैक्टोज
उत्तर:
(ii) ग्लूकोज
(c) पित्त रस का स्राव होता है –
(i) यकृत
(ii) अग्न्याशय
(iii) आमाशय
(iv) छोटी आँत
उत्तर:
(i) यकृत
(d) वसा का पूर्णरूपेण पाचन होता है –
(i) आमाशय
(ii) अग्न्याशय
(ii) बड़ी आँत
(iv) छोटी आँत ।
उत्तर:
(iv) छोटी आँत ।
(e) जल का अवशोषण मुख्यतः होता है
(i) ग्रसिका
(ii) बड़ी आँत
(iii) छोटी आँत
(iv) आमाशय
उत्तर:
(ii) बड़ी आँत
प्रश्न 3.
सत्य और असत्य कथनों को चिह्नित कीजिए
(i) आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव होता है।
(i) पित्त रस में प्रोटीन का पाचन होता है।
(iii) प्रोटीन का पाचन मुख से आरंभ हो जाती है।
(iv) जुगाली करने वाले निगली हुई घास को पुनः अपने मुख में लाकर धीरे-धीरे चबाते हैं।
उत्तर:
(i) सत्य
(ii) असत्य
(iii) असत्य
(iv) सत्य
(v) असत्य ।
प्रश्न 4.
कॉलम A के कथनों का मिलान कॉलम B से कीजिए –
उत्तर:
(a) (iii)
(b) (iv)
(c) (v)
(d) (ii)
(e) (i)
प्रश्न 5.
आहारनाल के किन भागों द्वारा ये कार्य होते हैं –
- ‘भोजन का चबाना
- जीवाणु नष्ट होना
- उपयोगी पदार्थों का अवशोषण
- मल का निकास।
उत्तर:
- मुख गुहिका
- आमाशय
- बडी आँत
- मलद्वार ।
प्रश्न 6.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
- मानव शरीर में पाया जानेवाला कठोरतम पदार्थ ।
- पचे भोजन का अवशोषण करने वाली अँगली जैसी संरचनाएँ।
- घास खाने वाले जन्तुओं में सेलुलोज पाचन का स्थान ।
- अमीबा में भोजन पाचन का स्थान ।
- भोजन के अवयवों से उपयोगी पदार्थ संश्लेषण की प्रक्रिया ।
उत्तर:
- इनेमल
- दीर्घराम या रसांगुल
- रूमेन
- खाद्यधानी
- जटिल पदार्थों का बनना ।
प्रश्न 7.
कारण बताइए
(a) मनुष्य में सेलुलोज का पाचन नहीं होता है।
(b) अमीबा के खाद्यधानी में भोजन का पाचन होता है।
(c) वायुनली तथा भोजन नली का संबंध ग्रसनी से है फिर भी भोजन वायुनली में नहीं जाता है।
उत्तर:
(a) मनुष्य में सेलुलोज का पालन नहीं होता क्योंकि मनुष्य के शरीर में रूमन नहीं होता है और जगाल करने की प्रक्रिया नहीं करता है। सेलुलोज का पाचन जीवाणुओं की सहायता से रूमेन में होता है । गाय, भैंस, बकरी घास चरने वाले जानवरों में रूमेन होता है और सेलुलोज जो एक प्रकार का कार्वोहाइड्रेट है, का पाचन होता है।
(b) भोजन को पकड़ने के लिए अमीबा अपने पादाभों को विकसित करता – है और चारों तरफ घेरकर विकसित पादाभ आपस में मिलकर एक हो जाते हैं और भोजन खाद्यधानी में बंद होकर कोशिका के अंदर नला जाता है जहाँ पाचक रसों का स्राव होता है और खाद्य पदार्थ सरल पदार्थों में बदल जाता है। इस प्रकार भोजन का पाचन होता है।
(c) वायुनली और भोजन नली का संबंध ग्रसनी से है। वायनली के ऊपर एक मांसल संरचना होती है जिसे इपीग्लोटिस कहते हैं। यह वाल्व की तरह – काम करती है। जब भोजन करते हैं तो वायुनली को ढंक लेती है और भोजन नली में चला जाता है। तेजी से खाने या बातें करने पर भोजन वायु नली में कुछ कण चले जाते हैं जिससे छींक का हिचकी आती है।
प्रश्न 8.
छोटी आंत में किन ग्रंथियों के स्राव आते हैं। पाचन में उनकी क्या भूमिका है?
उत्तर:
छोटी आंत में यकृत अग्न्याशय ग्रंथियाँ होती हैं यकृत आमाशय के ऊपरी भाग में दाहिनी ओर स्थित है इससे पित्तरस स्रावित होती है। पित्तरस वसा का पाचन करती है। अग्न्याशय यह अमाशय के ठीक नीचे रहता है। इससे अग्न्याशिक रस निकलता है जो वसा, कार्बोहाइड्रेट और वसा को सरल रूप में परिवर्तित करती है। छोटी आंत की दीवारों से भी स्रावित आँत रस जो आंशिक रूप से पचे भोजन को पूर्ण रूप से पचा देता है।
प्रश्न 9.
अमीबा में पोषण की प्रक्रिया मानव से भिन्न है? क्यों?
उत्तर:
मानव बहुकोशिकीय जीव है जबकि अमीबा एक कोशिकीय जीव है। मानव में भोजन का पाचन कई चरणों में. जैसे मख गहिका में. ग्रासनली. अमाशय छोटी आँत, मलाशय और गुदा द्वार, पचित भोजन का रसगुलों द्वारा ग्रहण एवं मिलने की प्रक्रिया होती है। अवशोषित भोजन रुधिर वाहिकाओं की सहायता से शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचता है और जटिल पदार्थों का निर्माण होता है। अमीबा में भोजन ग्रहण पादाभ की सहातया से होता है और भोजन का पाचन खाद्यधानी में होता है। पाचक रसों का स्राव खाद्यधानी में ही होता है और सरल पदार्थों में बदलकर भोजन अवशोषित कर अमीबा की वृद्धि संख्या में मदद करता है।
प्रश्न 10.
मनुष्य में पाये जाने वाले दाँत तथा उनके कार्यों को लिखें।
उत्तर:
मनुष्य में पाये जाने वाले मुख्य दाँत कृतक, रदनक, अग्रचवर्णक और चवर्णक।
- कंतक – कृतक दाँते आगे की ओर चौड़ा होता है जो काटने के काम आता है।
- रदनक – रदनक दाँत भोजन को फाड़ने का कार्य करता है।
- अग्रचवर्णक – कटे हुए भोजन को पीसने और चबाने का कार्य करता है।
- चवर्णक – ये भी भोजन को अच्छी तरह से चबाने और पीसने का कार्य करता है।
प्रश्न 11.
मनुष्य के पाचनतंत्र का नामांकित चित्र बनाए
उत्तर:
Bihar Board Class 7 Science जन्तुओं में पोषण Notes
पोषण सभी जन्तुओं की अनिवार्य आवश्यकता है। पोषण के लिए जीव पौधों पर निर्भर करते हैं। जीव को अपने स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास के लिए पोषण की जरूरत होती है। जीव-जन्तुओं के पोषण में पोषण की अनिवार्यता भोजन अंतर्ग्रहण का तरीका और शरीर में उपयोग करना है। भिन्न-भिन्न जीव-जन्तुओं का भोजन और पोषण का तरीका भिन्न-भिन्न है। पोषण एक जटिल प्रक्रिया है। पोषण में भोजन का पाचन, भोजन ग्रहण, अवशोषण शरीर का विकास, वृद्धि और अंत में अपचित भोजन का निष्कासन होता है। स्वपोषी और विषमपोषी मुख्य दो वर्गों में जन्तुओं को बाँटा गया है। जीव-जन्तुओं की शारीरिक बनावट में अन्तर होता है । भोजन ग्रहण करने का तरीका अलग होता है, कुछ फूलों के रस चूसते हैं तो कोई कीड़े-मकोड़े को चुनकर तो कोई चबाकर तो कोई निगलकर अपना भोजन ग्रहण करते हैं।
मनुष्य भी जीव है। अन्य जीवों की तरह मनुष्य भी भोजन ग्रहण करता है, ग्रहित भोजन का पाचन, पचित भोजन का अवशोषण शारीरिक विकास और निष्कासन करता है। मनुष्य पाचन तंत्र निम्नलिखित प्रक्रियाओं के बाद होता है जो इस प्रकार है-सबसे पहले भोजन मुख गुहिका में जाता है जहाँ भोजन को दाँतों द्वारा काटकर चबाकर, लार ग्रंथी से निकले लार द्वारा गीला होकर ग्रास नली से होते हुए अमाशय में जाता है। अमाशय के आंतरिक भाग में पाचक रस, शलेष्मा तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सावित होता है ! श्लेष्मा आमाशय के आंतरिक स्तर को सुरक्षा प्रदन करता है। जीवाणुओं को नष्ट करने पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मदद करता है।
पाचक रस भोजन के प्रोटीन भाग को अमीनो अम्ल में तोड़ देता है। जब भोजन का पाचन पूरा हो जाता है तो भोजन छोटी आँत में जाता है। छोटी आँत लगभग 6-7 मीटर लंबी नली है। इसमें यकृत (Liver) अग्न्याशय (Pancreas) और स्वयं की दीवारों से स्राव होता है। यकृत मानव की सबसे बड़ी ग्रंथि है जो अमाशय के दाहिनी ओर है, पित्तरस को सावित करती है जहाँ वसा का पाचन होता है।
अमाशय के नीचे अग्न्याशय हल्के पीले रंग की ग्रंथि हैं इससे स्रावित द्रव प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और वसा को छोटे रूपों में बदल देती है। छोटी आंत से निकली स्रावित पचे हुए भोजन को पूर्णतः पचा देती है और छोटी आंत इस प्रकार छोटी आँत में भोजन कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज प्रोटीन अमीनो अम्ल और वसा, वसा अम्ल में परिणत हो जाता है और स्वांगीकरण की क्रिया होती है। जो भोजन नहीं पचता वह बड़ी आँत में जाता है। इसकी लम्बाई लगभग 1.5 मीटर होती है। यहाँ अपचित भोजन जल और कुछ लवणों का अवशोषण होता है और बचा पदार्थ मलाशय में और फिर गुदा द्वारा मल के रूप में बाहर निकलता है।
इसी प्रकार घास चरने वाली गाय, भैंस, बकरी का भी पाचन तंत्र होता है जो मानव से भिन्न होता है। घास में सेलुलोज अधिक पाया जाता है जो कार्बोहाइड्रेट है। घास खाने वाले पशु का आमाशय विशेष प्रकार का होता है। इसे चार भागों में बाँटा गया है। रूमेन प्रथम अमाशय जहाँ भोजन इकट्ठा होता है और भोजन का आंशिक पाचन होता है। ये जुगाल करते हैं और सेलुलोज का पाचन करते हैं। अमाशय के बाद भोजन छोटी और उसके बाद बड़ी आँत में जाता है। छोटी और बड़ी आँत के बीच अंधनाल होता है जहाँ जीवाणु होते हैं । जहाँ सेलुलोज का पाचन होता है। कुछ लवणों को अवशोषित कर अपचित पदार्थ मलाशय में जमा होता है और गुदा द्वारा समय-समय पर बाहर निकलता है।
अमीबा एक कोशिकीय प्राणी है। इसके कोशिका के चारों ओर कोशिका झिल्ली होती है। इसके अन्दर द्रव रहता है जिसे कोशिका द्रव कहते हैं। इसमें एक केन्द्रक’ और खाली स्थान जिसे धानियाँ कहते हैं, रहता है। अमीबा अपना लगातार आकार और स्थिति बदलता है। एक पादप जो भोजन पकड़ने में सहायता करता है।
जब अमीबा के पास भोजन होता तो पादाभ की सहायता से इसे जकड़ लेता है और आपस में मिलकर एक हो जाता है और भोजन कोशिका के अन्दर चला जाता है। खाद्यधानी में पाचक रस निकलता है जो भोजन को सरल बना देता है और पचा भोजन अवशोषित करता है। अपचा पदार्थ कोशिका द्वारा बाहर हो जाता है। इसकी वृद्धि, विकास, संख्या में वृद्धि तेजी से होती है।