Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण पर्यायवाची, विलोम तथा श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण पर्यायवाची, विलोम तथा श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण पर्यायवाची, विलोम तथा श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द Questions and Answers
(क) पर्यायवाची या समानार्थी शब्द
एक ही अर्थ को प्रकट करने वाले एकाधिक शब्द पर्यायवाची कहलाते हैं। यूँ तो किसी भाषा में कोई दो शब्द समान अर्थ के नहीं होते। उनमें सूक्ष्म-सा अंतर अवश्य होता है। परंतु अर्थ के स्तर पर अधिक निकट होने वाले शब्दों को समानार्थी कहा जाता है। उदाहरणतया-अश्व, हय और तुरंग-तीनों घोड़े के लिए प्रयुक्त होते हैं। अतः ये पर्यायवाची शब्द हैं।
परंतु स्मरणीय बात यह है कि अर्थ में समानता होते हुए भी पर्यायवाची शब्द प्रयोग में सर्वधा एक-दूसरे का स्थान नहीं ले सकते। जैसे –
मृतात्माओं के तर्पण के लिए ‘जल’ शब्द का प्रयोग उपयुक्त है, ‘पानी’ का नहीं। जबकि दोनों समानार्थक (पर्यायवाची) हैं। प्रत्येक पर्यायवाची अपनी अर्थगत विशिष्टता लिए हुए होता है।
यहाँ कुछ शब्दों के पर्यायवाची शब्द दिए जा रहे हैं –
शब्द – पर्याय
अनुपम – अतुलनीय, अद्वितीय, अतुल, अपूर्व, अनूठा, अतुल
अमृत – सुधा, अगरल, अमिय, पीयूप, जीवनोदक
अंसुर – राक्षस, दानव, दैत्य, निशिचर, निशाचर, रजनीचर
आँख – नयन, लोचन, चक्षु, नेत्र, अक्षि, दृग
आकाश – गगन, व्योम, नभ, अंबर, आसमान
आग – अग्नि, वह्नि, अनल, पावक, दहन, ज्वलन, कृशानु
आनंद – सुख, प्रसन्नता, आह्लाद, उल्लास, हर्ष, मोद; आमोद प्रमोद
आम – आम्र, रसाल, सहकार, चूत, अमृतफल, अतिसौरभ।
इच्छा – चाह, कामना, अभिलाषा, आकांक्षा, मनोरथ, मनोकामना, स्मृहा
इंद्र – सुरेंद्र, सुरपति, देवराज, शचीपति, मघवा
इन्द्राणी – इन्द्रवधू, शची पुलोमजा
कपड़ा – वस्त्र, वसन पट, परिधान, अंबर, चीर ।
कमल – पंकज, नलज, पद्म, अरविंद, उत्पल, सरसिज, शतदल, इंदीवर
कामदेव – काम, मदन, अनंग, मार, मन्मथ, कंदर्प, स्मर रतिपति, मनसिज
किताब – पुस्तक, पोथी, ग्रंथ
किरण – रश्मि, मयूख, अंशु, कर, मरीचि
कुबेर – अलकापति यक्षरज किन्नरपति, किन्नरेश, धनद, धनाधिप
गंगा – जाह्नवी, भागीरथी, मंदाकिनी, देवनदी, देवापगा, त्रिपथगा, सुरापगा
गणेश – लंबोदर, गजानन, गजवदन, गणपति, मूषिकवाहन, विनायक
घर – गृह, सदन, धाम, गेह, भवन, आलय, निलय, आगार, निकेत
घोड़ा – अश्व, हय, घोटक, तुरंग, बाजि, सैंधव
चाँद – चंद्र, चंद्रमा, इंदु, कलाधर, सुधांशु, हिमांशु, शशि, राकेश, सोम
चतुर – कुशल, योग्य, होशियार, सयाना, प्रवीण, निपुण, दक्ष, पटु, नागर
जंगल – वन, कानन, विपिन, अरण्य, बनानी
जल – पानी, नीर, वारि, अग्यु, सलिल, तोय, उदक, पथ
जमुना – यमुना, कालिंदी कृष्णा, तरणिजा, रविसुता, रवितनया, रविनंदिनी
तालाब – सरोवर, तड़ाग, सर, हृद, जलाशय, पद्माकर, सरिण, पुष्कर
दास – सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, भृत्य, किंकर, परिचारक
दुःख – पीड़ा, कष्ट, वलेश, वेदना, संताप
दुर्गा – काली, चंडी, गौरी, कल्याणी, चंद्रिका, कालिका, अभया, शाम्भवी
देवत – देव, सुर, अमर, निर्जर, विबुध, त्रिदश, जीर्वाण
धन – दौलत, संपत्ति, ऐश्वर्य, संपत्, संपदा, विभूति, वित्त, द्रव्य
नदी – सरिता, प्रवाहिनी, तरंगिणी, तटिनी, आपगा, निम्नगा
नरक – रौरव, यमपुरी, यमालय, यमलोक, कुंभीपाक
नयन – अक्षि, आँख, नेत्र, चक्षु, दृग, लोचन
नाव – नौका, तरी, जलयान, डोंगी, पतंग, तरणी
पंडित – सुधी, विद्वान, मनीषी, विज्ञ, कोविद, बुध, प्राज्ञ, विचक्षण
पंछी – पक्षी, विहंग, विहंगम, पखेरू, परिंदा, विहग, खग, द्विज
पत्थर – पाहन, पापाण, अश्म, प्रस्तर, उपल
पवन – हवा, वायु, समीर, समीरण, अनिल, वात
पति – प्राणेश, भर्ता, वल्लभ, स्वामी, आर्य
पत्नी – भार्या, गृहिणी, अर्धांगिनी, प्राणप्रिया, सहधिर्मिणी, वल्लभा
पहाड़ – पर्वत, भूधर, शैल, अचन, गिरी, नग, महीधर, भूभृत्, भूमिधर
पार्वती – उमा, गौरी, शिवा, भवानी, दुर्गा, गिरिजा, सती, रुद्राणि शब्द पर्याय
प्रकाश – रोशनी, ज्योति, प्रभा, चमक
पृथ्वी – धरा, बसुंधरा, वसुधा, धरती, धरणी, अवनि, मेदिनी, धरित्री, भू
putra – बेटा, लड़का, बच्चा, पूत, सुत, तनय, आत्मज
पुत्री – बेटी, लड़की बच्ची, सुता, तनया, आत्मजा, दुहिता, नंदिनी
पुष्प – फूल, सुमन, कुसुम, प्रसून
बाण – तीर, शर, विशिख, आशुग, इषु, शिलीमुख, नाराच
बालू – रेत, सैकत, बालुका, पुलिन’
ब्रह्मा – विधि, विधाता, पितामह, विरंचि, प्रजापति, कमलासन, चतुरानन
बिजली – चपला, चंचला, विद्युत, दामिनी, क्षणप्रभा, तड़ित, सौदामिनी
भौंरा – भ्रमर, भृग, मधुप, पट्पद, अलि, द्विरेफ
मछली – मीन, झष, मत्स्य, सफरी, जलजीवन
महादेव – शिव, शंकर, शंभु, भूतनाथ, भोलेनाथ, ईश, पशुपति, महेश
मेघ – बादल, मेह, जलधर, वारिद, नीरद, वारिधर, पयोद, पयोधर
मोक्ष – मुक्ति, परमधाम, परमपद, निर्वाण, कैवल्य, उपवर्ग ।
यम – यमराज, अन्तक, कृतान्त, जीवितेश, जीवनपति, सूर्यपुत्र, अंतक
रमा – लक्ष्मी, कमला, इंदिरा, पद्मा, पद्मासना, हरिप्रिया
राजा – नरपति, नरेश, महीप, महीपति, नृप, भूप, भूपति, अधिपति
राह – रास्ता, पथ, मार्ग, पंथ
रात – रात्रि, रैन, निशा, रजनी, यामिनी, शर्वरी, त्रियामा, विभावरी
वायु – हवा, बयार, समीर वात, मारुत, समीरण, अनिल
वृक्ष – पेड़, तरु, विटप, अगम, द्रुम, पादप, गाछ
विष्णु – जनार्दन, चक्रपाणि, विश्वम्भर, मुकुंद, नारायण, केशव, माधव
स्त्री – नारी, महिला, ललना, वनिता, कांता, रमणी, अंगना
स्वर्ग – सुरलोक, सुरनगर, अमरलोक, देवलोक, दिव, द्यौ, त्रिदिव
सब – सर्व, समस्त, निखिल, अखिल, समग्र, सकल, संपूर्ण
सागर – जलधि, पारावार, रत्नाकर, अब्धि, पयोनिधि, अर्णव, सिंधु
समूह – समुदाय, संघ, दल, मंडल, वृंद, गण, निकर
सरस्वती – शारदा, वीणापाणि, वागीश्वरी, भारती, ब्रह्माणी, गिरा, वाणी
साँप – भुजंग, सर्प, विषधर, व्याल, फणी, उरग, पन्नग, नाग
सिंह – शेर, मृगेंद्र, मृगराज, केशरी, मृगारि, नखायुध
सुंदर – कमनीय, मनोहर, ललित, चारु, मनोरम, रुचिर, रम्य, सुहावना
सूर्य – सूरज, रवि, भानु, दिनकर, अंशुमाली, मार्तण्ड, भास्कर, मरीची
सेना – अनी, पदाति, सैन्य, कटक, चमू
सोना – स्वर्ण, कंचन, सुवर्ण, कनक, हिरण्य, हाटक, जातरूप
हँसी – मुसकान, स्मित, हास्य
हाथ – कर, हस्त, पाणि, भुजा
हाथी – गज, करी, कुंजर, नाग, वारण, द्विरद, द्विप, मतंग, हस्ती
पर्यायवाची शब्दों के अर्थ-भेद
शब्द-युग्म अथवा एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द। कोई भी शब्द पूरी तरह दूसरे शब्द का पर्याय नहीं हो सकता। दो पर्याय से लगने वाले शब्दों में भी सूक्ष्म-सा अंतर अवश्य रहता है। नीचे कुछ ऐसे शब्द-युग्म , दिए जा रहे हैं, जिन्हें भ्रम, से पर्याय मान लिया जाता है। वस्तुतः इनमें अर्थ की दृष्टि से स्पष्ट अंतर होता है –
अगम – जहाँ पहुँचा न जा सके।
दुर्गम – जहाँ पहुँचना कठिन हो।
अधिक – आवश्यकता से ज्यादा।
पर्याप्त – आवश्यकता के अनुसार।
दर्प – नियम के विरूद्ध काम करने पर घमण्ड।
अभियान – अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझने का भावना।
घमण्ड – प्रत्येक स्थिति में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना।
अनभिज्ञ – जिसे किसी बात की जानकारी प्राप्त करने का अवसर न मिला हो।
अभिज्ञ – जानकार, विज्ञ, निपुण अथवा कुशल।
अनुरोध – किसी बात को मनवाने के लिए जोर देना। यह प्रायः बराबर वालों के साथ किया जाता है।
प्रार्थना – ईश्वर अथवा अपने से बड़ों के प्रति की जाती है।
अनुभव – अनुभव का सम्बन्ध इन्द्रियों से है।
अनुभूति – अनुभव की तीव्रता को अनुभूति कहते हैं।
अनुरूप – अनुरूप से किसी की योग्यता अथवा सामर्थ्य का बोध होता है। जैसे-सुशीला को उसकी योग्यता के अनुरूप पुरस्कार मिला।
अनुकूल – अनुकूल से उपयोगिता का बोध होता है। जैसे-रोगी के लिए यहाँ का वातावरण अनुकूल नहीं है।
अपराध – कानून का उल्लंघन अपराध है।
पाप – नैतिक नियमों का पालन न करना अथवा धर्म के विरूद्ध आचरण करना पाप है।
अवस्था – हालत का सूचक शब्द अवस्था कहलाता है।
आयु – जीवन की अवधि को आयु कहते हैं।
आधि – मानसिक कष्ट को आधि कहते हैं।
व्याधि – शारीरिक रोग अथवा कष्ट को व्याधि कहते हैं।
आदरणीय – अपने से बड़ों के प्रति सम्मान-सूचक शब्द!
पूजनीय – गुरु, पिता, माता अथवा महापुरुषों के प्रति प्रयुक्त होने वाला शब्द।
आराधना – किसी देवता या इष्टदेव के सामने की गई दया की याचना।
उपासना – एकनिष्ठ साधना।
आगामी – आने वाला जिसका प्रायः निश्चय हो।
भावी – भविष्य का बोध। (भावी टल नहीं सकती।)
आधिदैविक – देवताओं से मिलने वाला दुःख।
आधिभौतिक – पंचभूतों से मिलने वाला दु:ख। जैसे-आँधी-तूफान आदि।
आलोचना – विषय की सम्यक् एवं सन्तुलित आलोचना।
समालोचना – किसी विषय की सम्यक् एवं सन्तुलित आलोचना।
आज्ञा – किसी पूज्य व्यक्ति द्वारा किया गया निर्देश।
आदेश – किसी अधिकारी द्वारा किया गया निर्देश।
आतंक – जहाँ रक्षा प्राप्त करने की सम्भावना न हो।
अन्तःकरण – विशुद्ध मन की विवेकपूर्ण शक्ति।
आत्मा – एक अतीन्द्रिय तत्व जो अनश्वर है।
अनुराग – किसी के प्रति शुद्ध भाव से मन केन्द्रित करना।
आसक्ति – मोह से सम्बन्धित प्रेम को आसक्ति कहते हैं।
अन्वेषण – अज्ञात वस्तु, स्थान आदि का पता लगाना।
खोज – गुप्त चीज का पता लगाना।
अनुसंधान – प्रत्यक्ष तथ्यों में से कुछ छिपे तथ्यों की जानकारी प्राप्त करना।
गवेषणा – विषय की मूल स्थिति को जानने का प्रयत्न करना।
अनबन – दो पक्षों में आपस में न बनना।
खटपट – दो पक्षों में कहासुनी होना।
अद्वितीय – जिसके बराबर दूसरा न हो।
अनुपम – जिसकी उपमा न की जा सके।
अभिभाषण – लिखित भाषण।
व्याख्यान – वक्ता द्वारा दिया गया मौखिक भाषण।
अगोचर – जो इन्द्रियों द्वारा ग्रहण न किया जा सके, पर जिसे ज्ञान या बुद्धि से अनुभव किया जा सके।
अज्ञेय – जो किसी भी तरह जाना न जा सके।
अभिज्ञ – जिसे अनेक विषयों की सामान्य जानकारी हो।
विज्ञ – जिसे किसी विषय का अच्छा ज्ञात हो।
अलौकिक – जिसका सम्बन्ध लोक से न हो।
असाधरण – जो साधारण से बढ़कर हो।
अपयश – स्थाई रूप से दोष बन जाना।
कलंक – कुसंगति के कारण चरित्र पर दोष लगना।
मन्त्री – सलाहकार। सचिव – सहायक मंत्री।
आवेदन – प्रार्थना-पत्र।
निवेदन – नम्रतापूर्वक अपने विचार प्रकट करना।
इच्छा – चाह।
अभिलाषा – कामना।
ईर्ष्या – किसी की उन्नति देखकर जलना।
द्वेष – शत्रुता का भाव।
स्पर्धा – मुकाबले की भावना। दूसरों को आगे बढ़ते हुए देखकर स्वयं भी आगे बढ़ने की इच्छा रखना।
ग्लानि – किए हुए कुकर्म पर दुःख एवं पछतावा होना।
घृणा – किसी गंदे काम से अरुचि।
लज्जा – अनुचित कार्य कर बैठने पर मुँह छिपाना।
संकोच – कोई कार्य करने में हिचकिचाहट।
चेष्टा – कोई अच्छा काम करने के लिए शारीरिक श्रम।
प्रयत्न – कोई कार्य करने के लिए शारीरिक श्रम।
उद्योग – किसी कार्य को पूरा करने के लिए मानसिक दृढ़ता।
दक्ष – जो हाथ से काम करने में कुशल हो।
निपुण – जो अपने विषय अथवा कार्य का पूरा ज्ञान प्राप्त कर चुका हो।
कुशल – जो हर काम में अपनी शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों का प्रयोग भली-भाँति करना जानता है।
निदा – नींद।
तन्दा – आलस्य, प्रमाद।
निधन – महान् एवं लोकप्रिय व्यक्तियों की मृत्यु को निधन कहा जाता है।
मृत्यु – सामान्य शरीरांत को मृत्यु कहा जाता है।
प्रेम- व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होने वाला शब्द।
स्नेह – अपने से छोटों के प्रति प्रेम स्नेह कहलाता है।
वात्सल्य – बच्चों अथवा सन्तान के प्रति बड़ों तथा माता-पिता का प्रेम।
प्रणय – पति-पत्नी का प्रेम।
ममता – माता का सन्तान के प्रति प्रेम।
प्रलाप – अत्यधिक कष्ट अथवा मानसिक विकार के कारण ‘प्रलाप’ किया जाता है।
विलाप – शोक अथवा वियोग में रोना ‘विलाप’ कहलाता है।
पारितोषिक – किसी प्रतियोगिता में विजयी होने पर पारितोषिक दिया जाता है।
पुरस्कार – किसी व्यक्ति के अच्छे काम अथवा रचना पर पुरस्कार दिया जाता है।
प्रशासित – बढ़ा-चढ़ाकर प्रशंसा करना।
स्तवन – किसी महान् व्यक्ति की कीर्ति एवं वंश का वर्णन स्तवन कहलाता है।
स्तुति – देवी-देवताओं का गुण-कथन।
परिमल – फूलों से निकलने वाली सुगन्ध जो अधिक दूर नहीं जाती।
सौरभ – वृक्षों अथवा फूलों पत्तियों या वनस्पतियों से निकलने वाली
सुगन्ध जो दूर तक व्याप्त होती है।
प्रतिमान – नमूना, किसी वस्तु का वह रूप जिसकी सहायता से दूसरी वस्तु बनाई जाती है।
मापदण्ड – किसी वस्तु का नाप जानने का साधन।
पर्यटन – किसी विशेष उद्देश्य से की गई यात्रा।
भ्रमण – सैर अथवा दर्शनीय स्थानों को देखने के लिए जाना भ्रमण कहलाता है।
पत्नी – किसी की विवाहिता स्त्री।
स्त्री – कोई भी औरत।
महिला – कुलीन घर की स्त्री।
विरोध – दो व्यक्तियों या दलों में होने वाला मतभेद।
वैमनस्य — मन में रहने वाला वैर अथवा शत्रुता का अभाव।
विवाद – अत्यन्त दु:ख के कारण शारीरिक अथवा मानसिक पीड़ा।
व्यथा – किसी आघात के कारण किंकर्तव्यविमूढ़ बन जाना।
विहीन – अच्छी बात अथवा गुण का अभाव।
रहित – बुरी बात का अभाव। वह सब प्रकार के दोषों से रहित है:
सेवा – किसी को आराम देना।।
शुश्रूषा – रोगी की सेवा।
संतोष – सहज रूप से प्राप्ति पर प्रसन्नता एवं निश्चित बने रहना।
परितोष – आवश्यकताओं की पूर्ति को परितोष कहते हैं।
स्वतंत्रता – अपना तंत्र या व्यवस्था होना।
स्वाधीनता – अपने वश में होना।
समीर – शीतल एवं मन्द गति से बहने वाली वायु।
पवन – मन्द अथवा तेज चलने वाली किसी भी प्रकार की वायु।
सखा – जो आपस मे एक प्राण बनकर रहें।
सुहृदय – अच्छे अथवा कोमल हृदय वाला।
सभा – सभा अस्थायी और सार्वजनिक होती है। यह आकार में भी बड़ी होती है।
गोष्ठी – यह स्थायी होती है। यह आकार में छोटी होती है। इसमें कुछ विशिष्ट व्यक्ति ही भाग लेते हैं।
समिति – आकार में गोष्ठी से भी छोटी होती है। इसमें कुछ विशिष्ट व्यक्ति ही सम्मिलित होते हैं।
संदेह – शक।
भ्रान्ति – चक्कर अथवा उलझन में पड़ जाना।
संशय – जहाँ वास्तविकता का कुछ निश्चय न हो।
(ख) विलोम शब्द या विपरीतार्थक शब्द
किसी शब्द का विलोम बतलाने वाले शब्द को विलोमार्थक शब्द कहते हैं; जैसे-अच्छा-बुरा, ज्ञान-अज्ञान आदि। उपर्युक्त उदाहरणों में ‘अच्छा’ और ‘ज्ञान’ के विलोम अर्थ देने वाले क्रमशः ‘बुरा’ और ‘अज्ञान’ शब्द हैं।
विलोमार्थक शब्द को ही विपरीतार्थक शब्द कहते हैं। विलोमार्थक शब्द मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –
अ, अन्, वि, अनु, प्रति, अव, अप आदि अनुकूल-प्रतिकूल उपसर्ग जोड़ने से विरोधी अर्थ वाले शब्द और विरोधी प्रत्यय से। जैसे-
शब्द – विपरीतार्थक शब्द
1. अभिज्ञ – अनभिज्ञ
2. अर्थ – अनर्थ
3. अनुरक्त – विरक्त
4. अनुराग – विराग
5. आगत अनागत
6. आचार – अनाचार
7.. आदर – अनादर
8. आवश्यक – अनावश्यक आकर्षण विकर्षण
10. आरोह – अवरोह
11. आस्था – अनास्था
12. आहार – अनाहार
13. इच्छा – अनिच्छा
14. इष्ट – अनिष्ट
15. उदार – अनुदार
16. उचित – अनुचित
17. उत्तीर्ण – अनुत्तीर्ण
18. उदात्त – अनुदात्त
19. उपयुक्त – अनुपयुक्त
20. उपस्थित – अनुपस्थित
21. उन्नति अवनति
22. एक – अनेक
23. एकता – अनेकता
24. औचित्य – अनौचित्य
25. ऋत – अनृत
26. औदात्य – अनौदात्य
27. कीर्ति – अपकीर्ति
28. कृतज्ञ – अकृतज्ञ
29. खाद्य – अखाद्य
30. गुण – अवगुण
31: ज्ञान अज्ञान
32. घात – प्रतिघात
33. चल अचल
34. चिन्मय – अचिन्मय
35. चेतन – अचेतन
36. जाति – विजाति धर्म – अधर्म
38. धार्मिक – अधार्मिक
39. नश्वर – अनश्वर
40. नित्य – अनित्य
41. परिमित – अपरिमत
2. पूर्ण – अपूर्ण
43. प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष, परोक्ष
44. प्रसन्न अप्रसन्न
45. योग – वियोग
46. नया – पुराना
47. निराकार – साकार
48. निन्दा – प्रशंसा, स्तुति
49. नगर – ग्राम
50. निर्दय – दयालु
51. नैतिक – अनैतिक
52. निष्क्रिय – सक्रिय
53. नैसर्गिक – अनैसर्गिक, कृत्रिम
54. निर्मल – मलिन
55. निरर्थक – सार्थक
56. नकली – असली
57. निष्काम – सकाम
58. निरामिष सामिष
59. निर्लज्ज – सलज्ज
60: निरक्षर – साक्षर
61. नित्य – अनित्य
62. पण्डित – मूर्ख
63. परमार्थ – स्वार्थ
64. परकीय – स्वकीय
65. पक्ष – विपक्ष
66. मनुज – दनुज
67. मित्र – शत्रु
68. मलिन – स्वच्छ वियोग
70. यश – अपयश
71. यौवन बुढ़ापा
72. यथार्थ कल्पित
73. रक्षक – भक्षक
74. राजा – रंक
75. राजतंत्र जनतंत्र
76. राग – विराग
77. रिक्त – पूर्ण
78. रागी – विरागी
79. रोगी – निरोग
80. लाभ – हानि
81. प्रख्यात – अविख्यात
82. परार्थ – स्वार्थ
83. पुरस्कार – तिरस्कार
84. पूर्व – पश्चिम
85. पालक – पीड़क
86. परतंत्र – स्वतंत्र
87. बन्धन – मोक्ष
88. बर्बर – सभ्य
89. भौतिक – आध्यात्मिक
90. भूत – भविष्य
91. भूगोल – खगोल
92. भोगी – योगी
93. भद्र – अभद्र
94. भय – अभय
95. मानव – दानव
96. मूक – वाचाल
97. महात्मा – दुरात्मा
98. मिलन – विरह
99. मंगल – अमंगल
100. मृत – जीवित
101. विपत्ति सम्पति
102. व्यावहारिक – अव्यवहारिक
103. विपन्न सम्पन्न
104. विपद् सम्पद्
105. विधवा – सधवा
106. वक्र – सरल
107. विमुख सम्मुख
108. वैतनिक – अवैतनिक
109. विशाल सूक्ष्म
110. सम – विषम
111. सुगम – दुर्गम
112. सुगन्ध – दुगन्ध
113. संयोग – वियोग
114. संगत – असंगत
115. सगुण – निर्गुण
(ग) श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द
अथवा
समान प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द
बहुतेरे शब्द एक-आध अक्षर या मात्रा के फर्क के बावजूद सुनने में एक-से लगते हैं, किन्तु उनके अर्थ में काफी अन्तर रहता है। ऐसे शब्दों को श्रुतिसम’ (सुनने में एक जैसा लगनेवाले) भिन्नार्थक (किन्तु अर्थ में भिन्नता रखनेवाले) हा जाता है। नीचे उदाहरणस्वरूप कुछ ऐसे शब्द दिये जा रहे हैं –