Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 2 Chapter 4 नगर Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.
BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions Varnika Chapter 4 नगर
Bihar Board Class 10 Hindi नगर Text Book Questions and Answers
बोध और अभ्यास
प्रश्न 1.
लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में नगरीय व्यवस्था का चित्रण किया गया है। एक रोगी जो ईलाज के लिए गाँव से नगर आता है किन्तु अस्पताल प्रशासन उसका टोलमटोल कर देता है। उसकी भर्ती नहीं हो पाती है। नगरीय व्यवस्था से क्षुब्ध होकर ही इस कहानी का शीर्षक ‘नगरे’ रखा गया है।
वर्तमान परिस्थिति में नगरीय जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारी आदि खाना पूर्ति कर अपने जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। अनपढ़ गंवार बल्लि अम्माल नाम की एक विधवा अपनी पुत्री के इलाज के लिए नगर के एक बड़े अस्पताल में आती है। अस्पताल के वरीय चिकित्सक उस रोगी को भर्ती करने का आदेश देते हैं। किन्तु कर्मचारीगण अनदेखी कर देते हैं। वल्लि अम्माल इधर-उधर चक्कर काटती है कि उसकी बेटी का इलाज सही तरीके से हो जाये। कर्मचारियों द्वारा सुबह 7:30 बजे आने की बात पर वलिल अम्माल अपनी बेटी को लेकर अस्पताल से निकल जाती है।
फुर्सत मिलने पर वरीय चिकित्सक मेनिनजाइटिस से पीड़ित रोगी को भर्ती होने की बात पूछते हैं। अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खबर नहीं होने पर वरीय चिकित्सक क्रोधित होकर उस रोगी को खोजने की बात कहते हैं। कर्मचारी एवं डॉक्टर उस रोगी ही खोज में लग जाते हैं। वस्तुत: इस कहानी में अस्पताल प्रशासन की कमजोरियों एवं मानवीय मूल्यों में निरन्तर आनेवाली गिरावटों का सजीवात्मक चित्रण किया हैं। नगर में रहनेवाले लोग केवल अपने सुख-सुविधा में लगे रहते हैं। अत: इन दृष्टान्तों से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक सार्थक और समीचीन है।
प्रश्न 2.
पाप्पाती कौन थी और वह शहर क्यों लायी गयी थी?
उत्तर-
पापाति तमिलनाडु के एक गाँव की महिला वल्लि अम्माल की बेटी थी। उसे बुखार
आ गया। जब वल्लि अम्माल उसे लेकर गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में दिखाने गई तो वहाँ के डॉक्टर ने अगले दिन सुबह ही जाकर नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने को कहा। बस वह पाप्पाति को लेकर सुबह की बस से नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने पहुंच गई।
प्रश्न 3.
बड़े डॉक्टर ने अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से पाप्पाति को अस्पताल में भर्ती कर लेने
के लिए क्यों कहा? विचार करें।
उत्तर-
बड़े डॉक्टर ने पाप्पाति की सावधानी से जाँच की। पलकें उठाकर आँखं देखीं। सिर को घुमा कर देखा, उँगली गाल में गड़ाई। खोपड़ी को अपनी उँगलियों से ठोक-ठोक कर देखा। विदेश से पढ़कर आए थे। अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से कहा कि कह दीजिए इसे एडमिट कर लें। इस केस को मैं स्वयं देखूगा। दरअसल, मेनेनजाइटिस में रोगी की संज्ञा प्रायः चली जाती है। इसीलिए डॉक्टर ने एडमिट करने को कहा। अस्पताल के बाहर ऐसे रोगी का इलाज होना कठिन होता है।
प्रश्न 4.
बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्पाति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो पाती?
उत्तर-
नगर के बड़े अस्पताल के बड़े डॉक्टर के बावजूद एक्यूट मेनेनजाइटिस से ग्रस्त पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो सकी इसका कारण सरकारी अस्पताल में व्याप्त टालू प्रवृत्ति, कर्तव्यहीनता, सामान्य व्यक्ति के प्रति सरकारी कर्मचारियों का उपेक्षापूर्ण रवैया और भ्रष्टाचार है। डॉक्टर के चिट देने के बावजूद प्रभारी देर से काम पर लौटा और कहा कि डॉक्टर का दस्तखत नहीं है।
दूसरी जगह के आदमी ने चिट लेने के आधे घंटे बाद कहा कि यहाँ क्यों लाई ? लोगों नं बल्लि अम्माल को सही रास्ता नहीं बताया। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि यह शहर और अस्पताल की स्थिति से परिचित नहीं है और यह जानने का कष्ट भी नहीं किया कि इसकी बेटी को गंभीर बीमारी है या यों ही। एक कर्मचारी ने यह कहकर टरका दिया कि आज जगह नहीं है, कल आना और खोज पूछ होने पर कहा कि यदि बड़े डॉक्टर इंटरेस्टेड हैं, तो यह बताना चाहिए। एक ने यह कहा कि दरवाजा नहीं खुलेगा, जबकि घूस पाकर दरवाजा खोल दिया। और तो और अधीनस्थ डॉक्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भी स्वयं भर्ती की, पहल नहीं की सिर्फ चिट देकर चलता कर दिया।
प्रश्न 5.
वल्लि अम्माल का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
वल्लि अम्माल-नगर शीर्षक कहानी का केन्द्रीय चरित्र है। वह एक विधवा नारी है जो बीमार बेटी को ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर ले आती है। वह पढ़ी-लिखी नहीं है। अस्पताल में उसकी बेटी भर्ती नहीं हो पाती है। बीमार बेटी से चिन्तित वल्लि अम्माल अंधविश्वास में डूब जाती है। उसे लगता है कि बेटी को केवल बुखार है। उसकी आस्था डॉक्टरी में नहीं झाड़-फूंक में है। बेटी को ठीक होने के लिए भगवान से मानते माँगने लाती है। उसे विश्वास है कि ओझा से झाड़-फूंक करवाने पर उसकी बेटी ठीक हो जायेगी। अशिक्षा अंधविश्वास को बढ़ावा देती है। यहाँ वल्लि अम्माल के व्यवहार से सिद्ध हो जाती है।
प्रश्न 6.
कहानीकार ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा है ? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट
करें।
उत्तर-
कहानीकार द्वारा कहानी का शीर्षक रखने के कारण अनेक हैं। पहला तो यह है कि कहानी की मुख्य घटना नगर में ही घटती है। दूसरी बात यह है कि कहानी का मूल उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कर्तव्यहीनता, लापरवाही, भ्रष्टाचार और आम जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता दिखाना है और इसके लिए नगर स्थित कोई सरकारी बड़ा संस्थान ही हो सकता है।
तीसरी बात यह है कि शास्त्रीय दृष्टि से शीर्षक अत्यंत छोटा और आकर्षक होना चाहिए। इस दृष्टि से भी ‘नगर’ शीर्षक उपयुक्त है क्योंकि छोटा होने के साथ-साथ यह उत्सुकता-वर्द्धक भी है क्योंकि ‘नगर’ पढ़ने के साथ ही यह उत्सुकता पैदा होती है कि नगर की कौन-सी घटना, कैसी घटना, किससे संबंधित कथा है। इस प्रकार ‘नगर’ शीर्षक अत्यन्त उपयुक्त है।
प्रश्न 7.
कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी सुजाता द्वारा रचित है। इसमें कहानीकार नगरीय व्यवस्था को यथार्थ के धरातल पर लाने का अथक प्रयास किया है। इस कहानी की नायिका वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पति को ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर आता है। यह नगर छोटा नहीं बल्कि अपने आप में अस्तित्व रखता है। मदुरै कभी पांडिय लोगों की ‘राजधानी’ थी। अंग्रेजों द्वारा मदुरा यूनानी लोगों द्वारा मेदोरो और तमिल लोगों का द्वारा मदुरै कहा जाता है।
नगर के चकाचौंध से प्रभावित अस्पताल के कर्मचारी ठीक ढंग से काम नहीं करते हैं। वे केवल खानापूर्ति में लगे रहते हैं। वरीय चिकित्सक के आदेश के बावजूद भी पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाती है। हताश और विवश वल्लि अम्माल अंधविश्वास के शरण में चली जाती है। नगर से उसका विश्वास उठ जाता है। ओझा से झाड़-फूंक कराकर अपनी बेटी को स्वस्थ रखना चाहती है। वस्तुतः इस कहानी के द्वारा नगरीय व्यवस्था के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के शासकों को उद्घाटित किया गया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. सही विकल्प चुनें-
प्रश्न 1.
‘नगर’ कहानी के कथाकार हैं
(क) साँवर दइया
(ख) सुजाता
(ग) ईश्वर पेटलीकर
(घ) श्री निवास
उत्तर-
(ख) सुजाता
प्रश्न 2.
कहानीकार सुजाता का असली नाम है
(क) श्री निवास
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सातकोड़ी होता
(घ) एस. रंगराजन
उत्तर-
(घ) एस. रंगराजन
प्रश्न 3.
सुजाता कथाकार हैं
(क) कन्नड़
(ख) गुजराती
(ग) उड़िया
(घ) तमिल
उत्तर-
(घ) तमिल
प्रश्न 4.
बल्लि अम्मला नहीं जानती थी
(क) पढ़ना
(ख) बोलना
(ग) खेलना
(घ) लड़ना ।
उत्तर-
(क) पढ़ना
प्रश्न 5.
पहले दिन पाप्याति को था
(क) सिर दर्द
(ख) जुकाम
(ग) बुखार
(घ) कै-दस्त
उत्तर-
(ग) बुखार
प्रश्न 6.
इस चिट पर ………….. के दस्तखत नहीं हैं ?
(क) वल्लि अम्माल
(ख) डॉक्टर
(ग) बुखार
(घ) कै-दस्त
उत्तर-
(ख) डॉक्टर
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 1.
सुजाता अपनी रचना-शैली और ………….. के लिए जानी जाती हैं।
उत्तर-
विषय-वस्त
प्रश्न 2.
कहानीकार सुजाता का असली नाम………….. है।
उत्तर-
एस. रंगराजन
प्रश्न 3.
पहले दिन पाप्पाति को ………….. था।
उत्तर-
बुखार
प्रश्न 4.
वल्लि अम्माल को अपने मृत …………………. पर गुस्सा आया।
उत्तर-
पति
प्रश्न 5.
वल्लि अम्माल ………….. नहीं जानती थी।
उत्तर-
पढ़ना
प्रश्न 6.
अस्पताल के सभी ……….. एक जैसे थे।
उत्तर-
कमर
प्रश्न 7.
साइकिल रिक्शा ……. अड्डे की ओर बढ़ता जा रहा था।
उत्तर-
बस
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने पाष्पाति को किस रोग से ग्रस्त बताया ?
उत्तर-
बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने पाष्पाति को मेनिनजाइटिस का रोगी बताया।
प्रश्न 2.
सुजाता किस भाषा की कथाकार हैं ?
उत्तर-
सुजाता तमिल की चर्चित कथाकार हैं।
प्रश्न 3.
वल्लि अम्माल मदुरै के बड़े अस्पताल में क्यों गई थी?
उत्तर-
वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पाति को दिखाने के लिए मदुरै के बड़े अस्पताल गई थी। गाँव के डॉक्टर ने उससे यही कहा था।
प्रश्न 4.
अस्पताल के आदमी ने वल्लि अम्माल को चिट क्यों लौटा दिया।
उत्तर-
अस्पताल में आदमी ने वल्लि अम्माल को यह कहकर चिट लौटा दिया कि इसपर डॉक्टर के दस्तखत नहीं हैं।
प्रश्न 5.
भर्ती वाली जगह के आदमी ने वल्लि अम्माल से क्या कहा?
उत्तर-
भर्ती वाली जगह के आदमी ने वल्लि अम्माल से कहा कि अभी जगह नहीं है। कल सबेरे साढ़े सात बजे आना।
प्रश्न 6.
बड़े अस्पताल का डॉक्टर कैसा आदमी था ?
उत्तर-
बड़े अस्पताल का डॉक्टर पेशे से कुशल और भला आदमी था। वह पाष्पाति को भर्ती कर उसका इलाज करना चाहता था किंतु भ्रष्टाचारियों के आगे उसकी एक न चली।
नगर लेखक परिचय
सुजाता का वास्तविक नाम एस० रंगराजन है । इनका जन्म 3 मई 1935 ई० में चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ । अपनी रचना-शैली तथा विषय-वस्तु के द्वारा इन्होंने तमिल कहानी में उल्लेखनीय बदलाव किए । इनकी रचनाएँ खूब लोकप्रिय हुईं। इन्होंने कुछ अभिनेय नाटक भी लिखे । इनके कुछ उपन्यासों पर चलचित्र भी बने । इनकी पच्चीस से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें करैयेल्लान शेण्बकप्पू’, ‘कनवुत् तोलिरशालै’ आदि उपन्यास काफी चर्चित और सम्मानित हुए । यह कहानी ‘आधुनिक तमिल कहानियाँ’ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से यहाँ साभार संकलित है । इस कहानी के अनुवादक के० ए० जमुना हैं।