Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 5 वीर कुँवर सिंह

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 5 वीर कुँवर सिंह Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 5 वीर कुँवर सिंह

Bihar Board Class 7 Hindi वीर कुँवर सिंह Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह से संबंधित किसी एक प्रसंग का उल्लेख कीजिए जो आपको अविश्वसनीय लगता है।
उत्तर:
बाबू वीर कुंवर सिंह की वीरता संबंधित वह प्रसंग हमें अति अविश्वसनीय जैसा लगता है । वे 80 वर्ष की उम्र में भी सेना नायक का कार्य किया । अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये। अनेक रियासतों (राज्यों) को जीत लिया। जब उनकी बाँह में गोली लगी तो बाँह को अपवित्र जानकर काटकर गंगा को समर्पित कर दिया था।

धन्य है बिहार की भूमि जहाँ बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे महान वीर का जन्म हुआ।

प्रश्न 2.
वीर कंवर सिंह के जीवन से जड़े कछ घटना-क्रम तिथियों के साथ स्तम्भ ‘क’ और स्तम्भ ‘ख’ में दिये गये हैं। सही-सही उनका मिलान कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 5 वीर कुँवर सिंह 1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए
(क) वीर कुंवर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह का जन्म भोजपुर (आरा) के जगदीशपुर में हुआ था।

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(ख) उनके माता-पिता का नाम क्या था?
उत्तर:
उनकी माता का नाम पंचरतन कुँवर तथा पिता का नाम साहबजादा सिंह था।

(ग) ब्रिटिश झंडे को किस नाम से जानते हैं ?
उत्तर:
“यूनियन जैक” के नाम से जानते हैं।

(घ) वीर कुंवर सिंह ने अपनी रियासत की जिम्मेवारी कब संभाली?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह ने 1827 ई. में पिता की मृत्यु के बाद अपनी रियासत की जिम्मेवारी संभाली।

(ङ) कुँवर सिंह को किस क्षेत्र में ज्यादा रुचि थी?
उत्तर:
घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती के क्षेत्र में कुंवर सिंह को ज्यादा रुचि थी।

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह के किस कार्य से आप ज्यादा प्रभावित हैं और क्यों?
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह के बलिदानी कार्य से हम ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि उन्होंने 80 वर्ष की उम्र में भी जब उनके बाँह में फिरंगी की गोली लगी तो फिरंगी की गोली से अपवित्र बाँह को अपने तलवार से स्वयं काँटकर गंगा को अर्पित किया था।

प्रश्न 2.
1857 की क्रांति के समय कुँवर सिंह की जगह आप होते तो क्या करते?
उत्तर:
1857 की क्रांति के समय में कुंवर सिंह की जगह हम होते तो हम भी बाबू वीर कुंवर सिंह की तरह प्राण की बाजी लगाकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की रूप-रेखा कायम करते जिसमें सम्पूर्ण भारत से अंग्रेजों को भगाना हमारी प्राथमिकता होती।

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प्रश्न 3.
23 अप्रैल को बिहारवासी किस रूप में मनाते हैं? …
उत्तर:
23 अप्रैल को बिहारकासी “विजय उत्सव” के रूप में मनाते हैं। रंग-अवीर के साथ गाजे-बाजे बजाकर विजय जुलूस निकाला जाता है।

प्रश्न 4.
“वीर कुंवर सिंह एक योद्धा ही नहीं बल्कि एक कुशल नेतृत्वकर्ता भी थे।” इस कथन के संबंध में अपना विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
वीर कुंवर सिंह एक वीर योद्धा तो थे ही हमारे विचार से एक सफल नेतृत्वकर्ता भी थे। क्योंकि लगभग 80 वर्ष की उस अवस्था में भी उन्होंने दानापुर के विद्रोही सेना को अपने नेतृत्व में लेकर आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। अनेक राज्यों के राजाओं से मिलकर संयुक्त सेना का नायक बने और अनेक युद्ध कर अंग्रेजों को पराजित किया ।

प्रश्न 5.
वीर कुंवर सिंह के जीवन का कोई अंश क्या आपके जीवन से मेल खाता है ? उल्लेख कीजिए और अपने मित्रों को बताइए।
उत्तर:
कुश्ती लड़ना बाबू वीर कुंवर सिंह का प्रिय कार्य था। हम भी कुश्ती लड़ते हैं। कुश्ती पौरुष को जागृत करता है। हम हरेक कुश्ती को जीतना . चाहते हैं और जीत भी लेते हैं जिसका मुख्य कारण है नित्य अभ्यास तथा नियम संयम से रहना । खान-पान पर भी ध्यान हमारा खूब रहता है।

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व्याकरण –

प्रश्न 1.
इन शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए –
उत्तर:
कुंवर, जगदीशपुर, अविश्वसनीय, आजममढ़, रणनीति, वीर प्रसविनी, स्वतंत्रता, अवशेष, फाल्गुन, प्रसिद्ध।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए
उत्तर:
रियासत = राज्य,
झंडा = पताका, ध्वज,
भूमि = धरती, भूमि,
स्वतंत्र = आजाद,
प्रतीक्षा = इन्तजार,
संकल्प = मनत, प्रतिज्ञा ।

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कुछ करने को –

प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह की तरह बिहार के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के कार्य के संबंध का अभिभावकों से चर्चा कर अपने साथियों को सुनाइए –
उत्तर:
साथियो ! वीर कुंवर सिंह की तरह बिहार के एक अन्य आजादी के दीवाने की कहानी सुनाता हूँ।

बाबू रामेश्वर सिंह बिहार के स्वतंत्रता सेनानियों में एक थे। छोटा कद, ऊँची मूंछे देखकर अंग्रेज घबड़ा जाते थे। एक बार अंग्रेजों ने उनको खूब पीटा लेकिन उन्होंने उफ तक नहीं की। तब अंग्रेज अफसर ने अपने सिपाही को आदेश दिया—इनकी एक-एक कर मूंछ उखाड़ डालो। सिपाहियों ने उनकी मूंछों को एक-एक कर उखाड़ दिये। खुन का फब्बारा निकलने लगा लेकिन उस आजादी के दीवाने के मुख से उफ तक नहीं निकली।

धन्य है हमारा बिहार जहाँ ऐसे आजादी के दीवाने का जन्म हुआ।

प्रश्न 2.
पठित पाठ के आधार पर लघु नाटक का निर्माण कर कक्षा में प्रस्तुत करें।
उत्तर:
लघु नाटक-फतहे आरा =

प्रथम दृश्य-(जगदीशपुर का महल)-पर्दे के पीछे हो हल्ला, मंच पर कुंवर सिंह की चहलकदमी। सैनिकों का जत्था प्रवेश कर जय घोष करता सैनिक बाबु वीर कुंवर सिंह जी की जय हो । हम सब आपको अपना नेता मान चुके हैं। आपका साथ पाकर हमलोग सनाथ हो जाएँगे।

वीर कुंवर सिंह – बोलो भारत माता की जय । सभी सैनिक बोलते हैंभारत माता की जय। –
(वीर कुंवर सिंह नेतृत्व भाव में)-

मातृभूमि के सपूतों अंग्रेजों को भगाना हमारा प्रथम कर्तव्य है। अत: आज हम आरा की ओर कुँच करें तथा आरा से अंग्रेजों को भगाकर ही वापस आएंगे।
सभी सैनिक-अंग्रेजों को भगाकर ही हम वापस आएंगे।

दूसरा दृश्य-(आरा शहर अंग्रेज अफसर कुर्सी पर बैठे हैं। सहसा कुंवर सिंह का प्रवेश) सैनिकों इसे बन्दी बनाओ।)
(सैनिक बन्दी बना लेते हैं।)

पर्दे के पीछे से जोड़ की आवाज आती है – हमें छोड़ दो, हमें छोड़ दो।
(दूसरी तरफ बाबु वीर कुंवर सिंह का जय घोष सुनाई पडता है),

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वीर कुँवर सिंह Summary in Hindi

संक्षिप्त जीवन परिचय – बाबू वीर कुंवर सिंह स्वतंत्रता सेनानी में अग्रणी हैं।

इनका जन्म बिहार राज्य के आरा जिला अन्तर्गत जगदीशपुर नामक गाँव में 1782 ई. में हुआ था। इनके पिता साहबजादा सिंह जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। माता का नाप पंचरल कुँवर था। इनकी शिक्षा संस्कृत और फारसी भाषा में घर पर ही हुई। बाबू वीर कुंवर सिंह का मन विशेषतः घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती लड़ने में लगता था।

1827 में पिता की मृत्यु के बाद बाबू वीर कुंवर सिंह जगदीशपुर रियासत के राजा बनाये गये। उस समय अंग्रेजों का अत्याचार चरम सीमा पर पहुँच गया था। अतः इन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेने की बात सोच ली।

जब 25 जुलाई, 1857 के दिन दानापुर छावनी के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया तथा वीर कुंवर सिंह को अपना सेना नायक मानकर 27 जुलाई, 1857 को आरा पर कब्जा कर लिया। अब अंग्रेजों का दमन चक्र चालु हुआ तथा बाबू वीर कुंवर सिंह के रियासत जगदीशपुर पर 13 अगस्त, 1857 को अधिकार कर लिया।

बाबू वीर कुंवर सिंह घबराने वाले नहीं थे। उन्होंने रीवा, काल्पी, कानपुर और लखनऊ आदि रियासत के राजाओं से मिलकर सभी राजाओं की संयुक्त सेना को लेकर आजादी के लिए अनेक भीषण युद्ध किये। 22 मार्च, 1858 को इन्होंने अंग्रेजी सेना को हराकर आजमगढ़ पर अधिकार किया। पुनः 23 अप्रैल, 1858 को जगदीशपुर को भी अपने अधिकार में ले लिया। इस दिन को आज भी “विजय उत्सव” के नाम से लोग मनाते हैं। इसी रोज अंग्रेजों का झंडा (यूनियन जैक) को उतारकर बांबू वीर कुंवर सिंह जी ने अपना झंडा फहराया था।

इसी रोज जब बाबू वीर कुंवर सिंह गंगा पार कर रहे थे तो पीछे से अंग्रेजों. ने उनकी बाँह में गोली मार दी थी। बाबू वीर कुंवर सिंह ने अपनी बाँह को काटकर गंगा माता को अर्पित कर दिया था। 26 अप्रैल, 1858 के दिन वीर शिरोमणि का देहान्त हो गया।

इस प्रकार स्वतंत्रता के महान नायक वीरों में अग्रणी बाबू वीर कुंवर सिंह अपने शौर्य-पराक्रम, वीरता एवं रण-कुशलता के लिए आज भी प्रसिद्ध हैं।

उनकी वीरता का वर्णन करते हुए किसी कवि ने लिखा है-

अस्सी वर्षों की हड्डी में, जागा जोश पुराना था,
सब कहते हैं, कुँवर सिंह भी बड़ा वीर मर्दाना था।

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